< שְׁמֹות 29 >
וְזֶ֨ה הַדָּבָ֜ר אֲשֶֽׁר־תַּעֲשֶׂ֥ה לָהֶ֛ם לְקַדֵּ֥שׁ אֹתָ֖ם לְכַהֵ֣ן לִ֑י לְ֠קַח פַּ֣ר אֶחָ֧ד בֶּן־בָּקָ֛ר וְאֵילִ֥ם שְׁנַ֖יִם תְּמִימִֽם׃ | 1 |
१“उन्हें पवित्र करने को जो काम तुझे उनसे करना है कि वे मेरे लिये याजक का काम करें वह यह है: एक निर्दोष बछड़ा और दो निर्दोष मेढ़े लेना,
וְלֶ֣חֶם מַצֹּ֗ות וְחַלֹּ֤ת מַצֹּת֙ בְּלוּלֹ֣ת בַּשֶּׁ֔מֶן וּרְקִיקֵ֥י מַצֹּ֖ות מְשֻׁחִ֣ים בַּשָּׁ֑מֶן סֹ֥לֶת חִטִּ֖ים תַּעֲשֶׂ֥ה אֹתָֽם׃ | 2 |
२और अख़मीरी रोटी, और तेल से सने हुए मैदे के अख़मीरी फुलके, और तेल से चुपड़ी हुई अख़मीरी पपड़ियाँ भी लेना। ये सब गेहूँ के मैदे के बनवाना।
וְנָתַתָּ֤ אֹותָם֙ עַל־סַ֣ל אֶחָ֔ד וְהִקְרַבְתָּ֥ אֹתָ֖ם בַּסָּ֑ל וְאֶ֨ת־הַפָּ֔ר וְאֵ֖ת שְׁנֵ֥י הָאֵילִֽם׃ | 3 |
३इनको एक टोकरी में रखकर उस टोकरी को उस बछड़े और उन दोनों मेढ़ों समेत समीप ले आना।
וְאֶת־אַהֲרֹ֤ן וְאֶת־בָּנָיו֙ תַּקְרִ֔יב אֶל־פֶּ֖תַח אֹ֣הֶל מֹועֵ֑ד וְרָחַצְתָּ֥ אֹתָ֖ם בַּמָּֽיִם׃ | 4 |
४फिर हारून और उसके पुत्रों को मिलापवाले तम्बू के द्वार के समीप ले आकर जल से नहलाना।
וְלָקַחְתָּ֣ אֶת־הַבְּגָדִ֗ים וְהִלְבַּשְׁתָּ֤ אֶֽת־אַהֲרֹן֙ אֶת־הַכֻּתֹּ֔נֶת וְאֵת֙ מְעִ֣יל הָאֵפֹ֔ד וְאֶת־הָאֵפֹ֖ד וְאֶת־הַחֹ֑שֶׁן וְאָפַדְתָּ֣ לֹ֔ו בְּחֵ֖שֶׁב הָאֵפֹֽד׃ | 5 |
५तब उन वस्त्रों को लेकर हारून को अंगरखा और एपोद का बागा पहनाना, और एपोद और चपरास बाँधना, और एपोद का काढ़ा हुआ पटुका भी बाँधना;
וְשַׂמְתָּ֥ הַמִּצְנֶ֖פֶת עַל־רֹאשֹׁ֑ו וְנָתַתָּ֛ אֶת־נֵ֥זֶר הַקֹּ֖דֶשׁ עַל־הַמִּצְנָֽפֶת׃ | 6 |
६और उसके सिर पर पगड़ी को रखना, और पगड़ी पर पवित्र मुकुट को रखना।
וְלָֽקַחְתָּ֙ אֶת־שֶׁ֣מֶן הַמִּשְׁחָ֔ה וְיָצַקְתָּ֖ עַל־רֹאשֹׁ֑ו וּמָשַׁחְתָּ֖ אֹתֹֽו׃ | 7 |
७तब अभिषेक का तेल ले उसके सिर पर डालकर उसका अभिषेक करना।
וְאֶת־בָּנָ֖יו תַּקְרִ֑יב וְהִלְבַּשְׁתָּ֖ם כֻּתֳּנֹֽת׃ | 8 |
८फिर उसके पुत्रों को समीप ले आकर उनको अंगरखे पहनाना,
וְחָגַרְתָּ֩ אֹתָ֨ם אַבְנֵ֜ט אַהֲרֹ֣ן וּבָנָ֗יו וְחָבַשְׁתָּ֤ לָהֶם֙ מִגְבָּעֹ֔ת וְהָיְתָ֥ה לָהֶ֛ם כְּהֻנָּ֖ה לְחֻקַּ֣ת עֹולָ֑ם וּמִלֵּאתָ֥ יֽ͏ַד־אַהֲרֹ֖ן וְיַד־בָּנָֽיו׃ | 9 |
९और उसके अर्थात् हारून और उसके पुत्रों के कमर बाँधना और उनके सिर पर टोपियाँ रखना; जिससे याजक के पद पर सदा उनका हक़ रहे। इसी प्रकार हारून और उसके पुत्रों का संस्कार करना।
וְהִקְרַבְתָּ֙ אֶת־הַפָּ֔ר לִפְנֵ֖י אֹ֣הֶל מֹועֵ֑ד וְסָמַ֨ךְ אַהֲרֹ֧ן וּבָנָ֛יו אֶת־יְדֵיהֶ֖ם עַל־רֹ֥אשׁ הַפָּֽר׃ | 10 |
१०“तब बछड़े को मिलापवाले तम्बू के सामने समीप ले आना। और हारून और उसके पुत्र बछड़े के सिर पर अपने-अपने हाथ रखें,
וְשָׁחַטְתָּ֥ אֶת־הַפָּ֖ר לִפְנֵ֣י יְהוָ֑ה פֶּ֖תַח אֹ֥הֶל מֹועֵֽד׃ | 11 |
११तब उस बछड़े को यहोवा के सम्मुख मिलापवाले तम्बू के द्वार पर बलिदान करना,
וְלָֽקַחְתָּ֙ מִדַּ֣ם הַפָּ֔ר וְנָתַתָּ֛ה עַל־קַרְנֹ֥ת הַמִּזְבֵּ֖חַ בְּאֶצְבָּעֶ֑ךָ וְאֶת־כָּל־הַדָּ֣ם תִּשְׁפֹּ֔ךְ אֶל־יְסֹ֖וד הַמִּזְבֵּֽחַ׃ | 12 |
१२और बछड़े के लहू में से कुछ लेकर अपनी उँगली से वेदी के सींगों पर लगाना, और शेष सब लहू को वेदी के पाए पर उण्डेल देना,
וְלָֽקַחְתָּ֗ אֶֽת־כָּל־הַחֵלֶב֮ הַֽמְכַסֶּ֣ה אֶת־הַקֶּרֶב֒ וְאֵ֗ת הַיֹּתֶ֙רֶת֙ עַל־הַכָּבֵ֔ד וְאֵת֙ שְׁתֵּ֣י הַכְּלָיֹ֔ת וְאֶת־הַחֵ֖לֶב אֲשֶׁ֣ר עֲלֵיהֶ֑ן וְהִקְטַרְתָּ֖ הַמִּזְבֵּֽחָה׃ | 13 |
१३और जिस चर्बी से अंतड़ियाँ ढपी रहती हैं, और जो झिल्ली कलेजे के ऊपर होती है, उनको और दोनों गुर्दों को उनके ऊपर की चर्बी समेत लेकर सब को वेदी पर जलाना।
וְאֶת־בְּשַׂ֤ר הַפָּר֙ וְאֶת־עֹרֹ֣ו וְאֶת־פִּרְשֹׁ֔ו תִּשְׂרֹ֣ף בָּאֵ֔שׁ מִח֖וּץ לַֽמַּחֲנֶ֑ה חַטָּ֖את הֽוּא׃ | 14 |
१४परन्तु बछड़े का माँस, और खाल, और गोबर, छावनी से बाहर आग में जला देना; क्योंकि यह पापबलि होगा।
וְאֶת־הָאַ֥יִל הָאֶחָ֖ד תִּקָּ֑ח וְסָ֨מְכ֜וּ אַהֲרֹ֧ן וּבָנָ֛יו אֶת־יְדֵיהֶ֖ם עַל־רֹ֥אשׁ הָאָֽיִל׃ | 15 |
१५“फिर एक मेढ़ा लेना, और हारून और उसके पुत्र उसके सिर पर अपने-अपने हाथ रखें,
וְשָׁחַטְתָּ֖ אֶת־הָאָ֑יִל וְלָֽקַחְתָּ֙ אֶת־דָּמֹ֔ו וְזָרַקְתָּ֥ עַל־הַמִּזְבֵּ֖חַ סָבִֽיב׃ | 16 |
१६तब उस मेढ़े को बलि करना, और उसका लहू लेकर वेदी पर चारों ओर छिड़कना।
וְאֶ֨ת־הָאַ֔יִל תְּנַתֵּ֖חַ לִנְתָחָ֑יו וְרָחַצְתָּ֤ קִרְבֹּו֙ וּכְרָעָ֔יו וְנָתַתָּ֥ עַל־נְתָחָ֖יו וְעַל־רֹאשֹֽׁו׃ | 17 |
१७और उस मेढ़े को टुकड़े-टुकड़े काटना, और उसकी अंतड़ियों और पैरों को धोकर उसके टुकड़ों और सिर के ऊपर रखना,
וְהִקְטַרְתָּ֤ אֶת־כָּל־הָאַ֙יִל֙ הַמִּזְבֵּ֔חָה עֹלָ֥ה ה֖וּא לַֽיהוָ֑ה רֵ֣יחַ נִיחֹ֔וחַ אִשֶּׁ֥ה לַיהוָ֖ה הֽוּא׃ | 18 |
१८तब उस पूरे मेढ़े को वेदी पर जलाना; वह तो यहोवा के लिये होमबलि होगा; वह सुखदायक सुगन्ध और यहोवा के लिये हवन होगा।
וְלָ֣קַחְתָּ֔ אֵ֖ת הָאַ֣יִל הַשֵּׁנִ֑י וְסָמַ֨ךְ אַהֲרֹ֧ן וּבָנָ֛יו אֶת־יְדֵיהֶ֖ם עַל־רֹ֥אשׁ הָאָֽיִל׃ | 19 |
१९“फिर दूसरे मेढ़े को लेना; और हारून और उसके पुत्र उसके सिर पर अपने-अपने हाथ रखें,
וְשָׁחַטְתָּ֣ אֶת־הָאַ֗יִל וְלָקַחְתָּ֤ מִדָּמֹו֙ וְנָֽתַתָּ֡ה עַל־תְּנוּךְ֩ אֹ֨זֶן אַהֲרֹ֜ן וְעַל־תְּנ֨וּךְ אֹ֤זֶן בָּנָיו֙ הַיְמָנִ֔ית וְעַל־בֹּ֤הֶן יָדָם֙ הַיְמָנִ֔ית וְעַל־בֹּ֥הֶן רַגְלָ֖ם הַיְמָנִ֑ית וְזָרַקְתָּ֧ אֶת־הַדָּ֛ם עַל־הַמִּזְבֵּ֖חַ סָבִֽיב׃ | 20 |
२०तब उस मेढ़े को बलि करना, और उसके लहू में से कुछ लेकर हारून और उसके पुत्रों के दाहिने कान के सिरे पर, और उनके दाहिने हाथ और दाहिने पाँव के अँगूठों पर लगाना, और लहू को वेदी पर चारों ओर छिड़क देना।
וְלָקַחְתָּ֞ מִן־הַדָּ֨ם אֲשֶׁ֥ר עַֽל־הַמִּזְבֵּחַ֮ וּמִשֶּׁ֣מֶן הַמִּשְׁחָה֒ וְהִזֵּיתָ֤ עַֽל־אַהֲרֹן֙ וְעַל־בְּגָדָ֔יו וְעַל־בָּנָ֛יו וְעַל־בִּגְדֵ֥י בָנָ֖יו אִתֹּ֑ו וְקָדַ֥שׁ הוּא֙ וּבְגָדָ֔יו וּבָנָ֛יו וּבִגְדֵ֥י בָנָ֖יו אִתֹּֽו׃ | 21 |
२१फिर वेदी पर के लहू, और अभिषेक के तेल, इन दोनों में से कुछ कुछ लेकर हारून और उसके वस्त्रों पर, और उसके पुत्रों और उनके वस्त्रों पर भी छिड़क देना; तब वह अपने वस्त्रों समेत और उसके पुत्र भी अपने-अपने वस्त्रों समेत पवित्र हो जाएँगे।
וְלָקַחְתָּ֣ מִן־הָ֠אַיִל הַחֵ֨לֶב וְהָֽאַלְיָ֜ה וְאֶת־הַחֵ֣לֶב ׀ הַֽמְכַסֶּ֣ה אֶת־הַקֶּ֗רֶב וְאֵ֨ת יֹתֶ֤רֶת הַכָּבֵד֙ וְאֵ֣ת ׀ שְׁתֵּ֣י הַכְּלָיֹ֗ת וְאֶת־הַחֵ֙לֶב֙ אֲשֶׁ֣ר עֲלֵהֶ֔ן וְאֵ֖ת שֹׁ֣וק הַיָּמִ֑ין כִּ֛י אֵ֥יל מִלֻּאִ֖ים הֽוּא׃ | 22 |
२२तब मेढ़े को संस्कारवाला जानकर उसमें से चर्बी और मोटी पूँछ को, और जिस चर्बी से अंतड़ियाँ ढपी रहती हैं उसको, और कलेजे पर की झिल्ली को, और चर्बी समेत दोनों गुर्दों को, और दाहिने पुट्ठे को लेना,
וְכִכַּ֨ר לֶ֜חֶם אַחַ֗ת וַֽחַלַּ֨ת לֶ֥חֶם שֶׁ֛מֶן אַחַ֖ת וְרָקִ֣יק אֶחָ֑ד מִסַּל֙ הַמַּצֹּ֔ות אֲשֶׁ֖ר לִפְנֵ֥י יְהוָֽה׃ | 23 |
२३और अख़मीरी रोटी की टोकरी जो यहोवा के आगे धरी होगी उसमें से भी एक रोटी, और तेल से सने हुए मैदे का एक फुलका, और एक पपड़ी लेकर,
וְשַׂמְתָּ֣ הַכֹּ֔ל עַ֚ל כַּפֵּ֣י אַהֲרֹ֔ן וְעַ֖ל כַּפֵּ֣י בָנָ֑יו וְהֵנַפְתָּ֥ אֹתָ֛ם תְּנוּפָ֖ה לִפְנֵ֥י יְהוָֽה׃ | 24 |
२४इन सब को हारून और उसके पुत्रों के हाथों में रखकर हिलाए जाने की भेंट ठहराकर यहोवा के आगे हिलाया जाए।
וְלָקַחְתָּ֤ אֹתָם֙ מִיָּדָ֔ם וְהִקְטַרְתָּ֥ הַמִּזְבֵּ֖חָה עַל־הָעֹלָ֑ה לְרֵ֤יחַ נִיחֹ֙וחַ֙ לִפְנֵ֣י יְהוָ֔ה אִשֶּׁ֥ה ה֖וּא לַיהוָֽה׃ | 25 |
२५तब उन वस्तुओं को उनके हाथों से लेकर होमबलि की वेदी पर जला देना, जिससे वह यहोवा के सामने सुखदायक सुगन्ध ठहरे; वह तो यहोवा के लिये हवन होगा।
וְלָקַחְתָּ֣ אֶת־הֶֽחָזֶ֗ה מֵאֵ֤יל הַמִּלֻּאִים֙ אֲשֶׁ֣ר לְאַהֲרֹ֔ן וְהֵנַפְתָּ֥ אֹתֹ֛ו תְּנוּפָ֖ה לִפְנֵ֣י יְהוָ֑ה וְהָיָ֥ה לְךָ֖ לְמָנָֽה׃ | 26 |
२६“फिर हारून के संस्कार को जो मेढ़ा होगा उसकी छाती को लेकर हिलाए जाने की भेंट के लिये यहोवा के आगे हिलाना; और वह तेरा भाग ठहरेगा।
וְקִדַּשְׁתָּ֞ אֵ֣ת ׀ חֲזֵ֣ה הַתְּנוּפָ֗ה וְאֵת֙ שֹׁ֣וק הַתְּרוּמָ֔ה אֲשֶׁ֥ר הוּנַ֖ף וַאֲשֶׁ֣ר הוּרָ֑ם מֵאֵיל֙ הַמִּלֻּאִ֔ים מֵאֲשֶׁ֥ר לְאַהֲרֹ֖ן וּמֵאֲשֶׁ֥ר לְבָנָֽיו׃ | 27 |
२७और हारून और उसके पुत्रों के संस्कार का जो मेढ़ा होगा, उसमें से हिलाए जाने की भेंटवाली छाती जो हिलाई जाएगी, और उठाए जाने का भेंटवाला पुट्ठा जो उठाया जाएगा, इन दोनों को पवित्र ठहराना।
וְהָיָה֩ לְאַהֲרֹ֨ן וּלְבָנָ֜יו לְחָק־עֹולָ֗ם מֵאֵת֙ בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל כִּ֥י תְרוּמָ֖ה ה֑וּא וּתְרוּמָ֞ה יִהְיֶ֨ה מֵאֵ֤ת בְּנֵֽי־יִשְׂרָאֵל֙ מִזִּבְחֵ֣י שַׁלְמֵיהֶ֔ם תְּרוּמָתָ֖ם לַיהוָֽה׃ | 28 |
२८और ये सदा की विधि की रीति पर इस्राएलियों की ओर से उसका और उसके पुत्रों का भाग ठहरे, क्योंकि ये उठाए जाने की भेंटें ठहरी हैं; और यह इस्राएलियों की ओर से उनके मेलबलियों में से यहोवा के लिये उठाए जाने की भेंट होगी।
וּבִגְדֵ֤י הַקֹּ֙דֶשׁ֙ אֲשֶׁ֣ר לְאַהֲרֹ֔ן יִהְי֥וּ לְבָנָ֖יו אַחֲרָ֑יו לְמָשְׁחָ֣ה בָהֶ֔ם וּלְמַלֵּא־בָ֖ם אֶת־יָדָֽם׃ | 29 |
२९“हारून के जो पवित्र वस्त्र होंगे वह उसके बाद उसके बेटे पोते आदि को मिलते रहें, जिससे उन्हीं को पहने हुए उनका अभिषेक और संस्कार किया जाए।
שִׁבְעַ֣ת יָמִ֗ים יִלְבָּשָׁ֧ם הַכֹּהֵ֛ן תַּחְתָּ֖יו מִבָּנָ֑יו אֲשֶׁ֥ר יָבֹ֛א אֶל־אֹ֥הֶל מֹועֵ֖ד לְשָׁרֵ֥ת בַּקֹּֽדֶשׁ׃ | 30 |
३०उसके पुत्रों के जो उसके स्थान पर याजक होगा, वह जब पवित्रस्थान में सेवा टहल करने को मिलापवाले तम्बू में पहले आए, तब उन वस्त्रों को सात दिन तक पहने रहें।
וְאֵ֛ת אֵ֥יל הַמִּלֻּאִ֖ים תִּקָּ֑ח וּבִשַּׁלְתָּ֥ אֶת־בְּשָׂרֹ֖ו בְּמָקֹ֥ם קָדֹֽשׁ׃ | 31 |
३१“फिर याजक के संस्कार का जो मेढ़ा होगा उसे लेकर उसका माँस किसी पवित्रस्थान में पकाना;
וְאָכַ֨ל אַהֲרֹ֤ן וּבָנָיו֙ אֶת־בְּשַׂ֣ר הָאַ֔יִל וְאֶת־הַלֶּ֖חֶם אֲשֶׁ֣ר בַּסָּ֑ל פֶּ֖תַח אֹ֥הֶל מֹועֵֽד׃ | 32 |
३२तब हारून अपने पुत्रों समेत उस मेढ़े का माँस और टोकरी की रोटी, दोनों को मिलापवाले तम्बू के द्वार पर खाए।
וְאָכְל֤וּ אֹתָם֙ אֲשֶׁ֣ר כֻּפַּ֣ר בָּהֶ֔ם לְמַלֵּ֥א אֶת־יָדָ֖ם לְקַדֵּ֣שׁ אֹתָ֑ם וְזָ֥ר לֹא־יֹאכַ֖ל כִּי־קֹ֥דֶשׁ הֵֽם׃ | 33 |
३३जिन पदार्थों से उनका संस्कार और उन्हें पवित्र करने के लिये प्रायश्चित किया जाएगा उनको तो वे खाएँ, परन्तु पराए कुल का कोई उन्हें न खाने पाए, क्योंकि वे पवित्र होंगे।
וְֽאִם־יִוָּתֵ֞ר מִבְּשַׂ֧ר הַמִּלֻּאִ֛ים וּמִן־הַלֶּ֖חֶם עַד־הַבֹּ֑קֶר וְשָׂרַפְתָּ֤ אֶת־הַנֹּותָר֙ בָּאֵ֔שׁ לֹ֥א יֵאָכֵ֖ל כִּי־קֹ֥דֶשׁ הֽוּא׃ | 34 |
३४यदि संस्कारवाले माँस या रोटी में से कुछ सवेरे तक बचा रहे, तो उस बचे हुए को आग में जलाना, वह खाया न जाए; क्योंकि वह पवित्र होगा।
וְעָשִׂ֜יתָ לְאַהֲרֹ֤ן וּלְבָנָיו֙ כָּ֔כָה כְּכֹ֥ל אֲשֶׁר־צִוִּ֖יתִי אֹתָ֑כָה שִׁבְעַ֥ת יָמִ֖ים תְּמַלֵּ֥א יָדָֽם׃ | 35 |
३५“मैंने तुझे जो-जो आज्ञा दी हैं, उन सभी के अनुसार तू हारून और उसके पुत्रों से करना; और सात दिन तक उनका संस्कार करते रहना,
וּפַ֨ר חַטָּ֜את תַּעֲשֶׂ֤ה לַיֹּום֙ עַל־הַכִּפֻּרִ֔ים וְחִטֵּאתָ֙ עַל־הַמִּזְבֵּ֔חַ בְּכַפֶּרְךָ֖ עָלָ֑יו וּמָֽשַׁחְתָּ֥ אֹתֹ֖ו לְקַדְּשֹֽׁו׃ | 36 |
३६अर्थात् पापबलि का एक बछड़ा प्रायश्चित के लिये प्रतिदिन चढ़ाना। और वेदी को भी प्रायश्चित करने के समय शुद्ध करना, और उसे पवित्र करने के लिये उसका अभिषेक करना।
שִׁבְעַ֣ת יָמִ֗ים תְּכַפֵּר֙ עַל־הַמִּזְבֵּ֔חַ וְקִדַּשְׁתָּ֖ אֹתֹ֑ו וְהָיָ֤ה הַמִּזְבֵּ֙חַ֙ קֹ֣דֶשׁ קָֽדָשִׁ֔ים כָּל־הַנֹּגֵ֥עַ בַּמִּזְבֵּ֖חַ יִקְדָּֽשׁ׃ ס | 37 |
३७सात दिन तक वेदी के लिये प्रायश्चित करके उसे पवित्र करना, और वेदी परमपवित्र ठहरेगी; और जो कुछ उससे छू जाएगा वह भी पवित्र हो जाएगा।
וְזֶ֕ה אֲשֶׁ֥ר תַּעֲשֶׂ֖ה עַל־הַמִּזְבֵּ֑חַ כְּבָשִׂ֧ים בְּנֵֽי־שָׁנָ֛ה שְׁנַ֥יִם לַיֹּ֖ום תָּמִֽיד׃ | 38 |
३८“जो तुझे वेदी पर नित्य चढ़ाना होगा वह यह है; अर्थात् प्रतिदिन एक-एक वर्ष के दो भेड़ी के बच्चे।
אֶת־הַכֶּ֥בֶשׂ הָאֶחָ֖ד תַּעֲשֶׂ֣ה בַבֹּ֑קֶר וְאֵת֙ הַכֶּ֣בֶשׂ הַשֵּׁנִ֔י תַּעֲשֶׂ֖ה בֵּ֥ין הָעַרְבָּֽיִם׃ | 39 |
३९एक भेड़ के बच्चे को तो भोर के समय, और दूसरे भेड़ के बच्चे को साँझ के समय चढ़ाना।
וְעִשָּׂרֹ֨ן סֹ֜לֶת בָּל֨וּל בְּשֶׁ֤מֶן כָּתִית֙ רֶ֣בַע הַהִ֔ין וְנֵ֕סֶךְ רְבִעִ֥ית הַהִ֖ין יָ֑יִן לַכֶּ֖בֶשׂ הָאֶחָֽד׃ | 40 |
४०और एक भेड़ के बच्चे के संग हीन की चौथाई कूटकर निकाले हुए तेल से सना हुआ एपा का दसवाँ भाग मैदा, और अर्घ के लिये ही की चौथाई दाखमधु देना।
וְאֵת֙ הַכֶּ֣בֶשׂ הַשֵּׁנִ֔י תַּעֲשֶׂ֖ה בֵּ֣ין הָעַרְבָּ֑יִם כְּמִנְחַ֨ת הַבֹּ֤קֶר וּכְנִסְכָּהּ֙ תּֽ͏ַעֲשֶׂה־לָּ֔הּ לְרֵ֣יחַ נִיחֹ֔חַ אִשֶּׁ֖ה לַיהוָֽה׃ | 41 |
४१और दूसरे भेड़ के बच्चे को साँझ के समय चढ़ाना, और उसके साथ भोर की रीति अनुसार अन्नबलि और अर्घ दोनों देना, जिससे वह सुखदायक सुगन्ध और यहोवा के लिये हवन ठहरे।
עֹלַ֤ת תָּמִיד֙ לְדֹרֹ֣תֵיכֶ֔ם פֶּ֥תַח אֹֽהֶל־מֹועֵ֖ד לִפְנֵ֣י יְהוָ֑ה אֲשֶׁ֨ר אִוָּעֵ֤ד לָכֶם֙ שָׁ֔מָּה לְדַבֵּ֥ר אֵלֶ֖יךָ שָֽׁם׃ | 42 |
४२तुम्हारी पीढ़ी से पीढ़ी में यहोवा के आगे मिलापवाले तम्बू के द्वार पर नित्य ऐसा ही होमबलि हुआ करे; यह वह स्थान है जिसमें मैं तुम लोगों से इसलिए मिला करूँगा कि तुझ से बातें करूँ।
וְנֹעַדְתִּ֥י שָׁ֖מָּה לִבְנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל וְנִקְדַּ֖שׁ בִּכְבֹדִֽי׃ | 43 |
४३मैं इस्राएलियों से वहीं मिला करूँगा, और वह तम्बू मेरे तेज से पवित्र किया जाएगा।
וְקִדַּשְׁתִּ֛י אֶת־אֹ֥הֶל מֹועֵ֖ד וְאֶת־הַמִּזְבֵּ֑חַ וְאֶת־אַהֲרֹ֧ן וְאֶת־בָּנָ֛יו אֲקַדֵּ֖שׁ לְכַהֵ֥ן לִֽי׃ | 44 |
४४और मैं मिलापवाले तम्बू और वेदी को पवित्र करूँगा, और हारून और उसके पुत्रों को भी पवित्र करूँगा कि वे मेरे लिये याजक का काम करें।
וְשָׁ֣כַנְתִּ֔י בְּתֹ֖וךְ בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל וְהָיִ֥יתִי לָהֶ֖ם לֵאלֹהִֽים׃ | 45 |
४५और मैं इस्राएलियों के मध्य निवास करूँगा, और उनका परमेश्वर ठहरूँगा।
וְיָדְע֗וּ כִּ֣י אֲנִ֤י יְהוָה֙ אֱלֹ֣הֵיהֶ֔ם אֲשֶׁ֨ר הֹוצֵ֧אתִי אֹתָ֛ם מֵאֶ֥רֶץ מִצְרַ֖יִם לְשָׁכְנִ֣י בְתֹוכָ֑ם אֲנִ֖י יְהוָ֥ה אֱלֹהֵיהֶֽם׃ פ | 46 |
४६तब वे जान लेंगे कि मैं यहोवा उनका परमेश्वर हूँ, जो उनको मिस्र देश से इसलिए निकाल ले आया, कि उनके मध्य निवास करूँ; मैं ही उनका परमेश्वर यहोवा हूँ।