< דְּבָרִים 28 >

וְהָיָ֗ה אִם־שָׁמֹ֤ועַ תִּשְׁמַע֙ בְּקֹול֙ יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֔יךָ לִשְׁמֹ֤ר לַעֲשֹׂות֙ אֶת־כָּל־מִצְוֹתָ֔יו אֲשֶׁ֛ר אָנֹכִ֥י מְצַוְּךָ֖ הַיֹּ֑ום וּנְתָ֨נְךָ֜ יְהוָ֤ה אֱלֹהֶ֙יךָ֙ עֶלְיֹ֔ון עַ֖ל כָּל־גֹּויֵ֥י הָאָֽרֶץ׃ 1
अब भविष्य यह होगा, कि यदि तुम सावधानीपूर्वक याहवेह, अपने परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी रहोगे, जो आदेश मैं आज तुम्हें सौंप रहा हूं, याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें पृथ्वी के सारे राष्ट्रों से अति महान बनाए रखेंगे.
וּבָ֧אוּ עָלֶ֛יךָ כָּל־הַבְּרָכֹ֥ות הָאֵ֖לֶּה וְהִשִּׂיגֻ֑ךָ כִּ֣י תִשְׁמַ֔ע בְּקֹ֖ול יְהוָ֥ה אֱלֹהֶֽיךָ׃ 2
तुम इन सभी सुख समृद्धि से अभिभूत हो जाओगे, ये तुम तक पहुंच जाएंगी, सिर्फ यदि तुम याहवेह, अपने परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी बने रहोगे:
בָּר֥וּךְ אַתָּ֖ה בָּעִ֑יר וּבָר֥וּךְ אַתָּ֖ה בַּשָּׂדֶֽה׃ 3
याहवेह तुम्हारे नगरों और खेतों को आशीष प्रदान करेंगे.
בָּר֧וּךְ פְּרִֽי־בִטְנְךָ֛ וּפְרִ֥י אַדְמָתְךָ֖ וּפְרִ֣י בְהֶמְתֶּ֑ךָ שְׁגַ֥ר אֲלָפֶ֖יךָ וְעַשְׁתְּרֹ֥ות צֹאנֶֽךָ׃ 4
याहवेह तुम्हारे बच्चों को आशीर्वाद देंगे. वे तुम्हारी भूमि की फसल आशीषित होगी, और तुम्हारे जानवरों के बच्‍चे आशीषित होंगे.
בָּר֥וּךְ טַנְאֲךָ֖ וּמִשְׁאַרְתֶּֽךָ׃ 5
आशीषित रहेगी तुम्हारी टोकरी और तुम्हारा आटा गूंथने का कटोरा.
בָּר֥וּךְ אַתָּ֖ה בְּבֹאֶ֑ךָ וּבָר֥וּךְ אַתָּ֖ה בְּצֵאתֶֽךָ׃ 6
आशीषित रहोगे तुम, जब तुम कुछ करोगे और धन्य रहोगे तुम, जब तुम लौटकर आओगे.
יִתֵּ֨ן יְהוָ֤ה אֶת־אֹיְבֶ֙יךָ֙ הַקָּמִ֣ים עָלֶ֔יךָ נִגָּפִ֖ים לְפָנֶ֑יךָ בְּדֶ֤רֶךְ אֶחָד֙ יֵצְא֣וּ אֵלֶ֔יךָ וּבְשִׁבְעָ֥ה דְרָכִ֖ים יָנ֥וּסוּ לְפָנֶֽיךָ׃ 7
याहवेह तुम्हारे उठे हुए शत्रुओं को हराने की योजना करेंगे; वे एक मार्ग से तुम पर हमला करने तो आएंगे. मगर तुम्हारे सामने भागते हुए सात दिशाओं में बिखर जाएंगे.
יְצַ֨ו יְהוָ֤ה אִתְּךָ֙ אֶת־הַבְּרָכָ֔ה בַּאֲסָמֶ֕יךָ וּבְכֹ֖ל מִשְׁלַ֣ח יָדֶ֑ךָ וּבֵ֣רַכְךָ֔ בָּאָ֕רֶץ אֲשֶׁר־יְהוָ֥ה אֱלֹהֶ֖יךָ נֹתֵ֥ן לָֽךְ׃ 8
याहवेह तुम्हारे अन्‍नभण्डारों को, तुम्हारे हर एक उपक्रम को और उस देश को, जो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें प्रदान कर रहे हैं, समृद्धि का आदेश देंगे.
יְקֽ͏ִימְךָ֙ יְהוָ֥ה לֹו֙ לְעַ֣ם קָדֹ֔ושׁ כַּאֲשֶׁ֖ר נִֽשְׁבַּֽע־לָ֑ךְ כִּ֣י תִשְׁמֹ֗ר אֶת־מִצְוֹת֙ יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֔יךָ וְהָלַכְתָּ֖ בִּדְרָכָֽיו׃ 9
याहवेह तुम्हें अपने ही लिए पवित्र प्रजा-स्वरूप प्रतिष्ठित करेंगे; जैसी प्रतिज्ञा वह तुमसे खुद कर चुके हैं, यदि तुम याहवेह अपने परमेश्वर के आदेशों का पालन करते हुए उनकी नीतियों का पालन करते रहोगे.
וְרָאוּ֙ כָּל־עַמֵּ֣י הָאָ֔רֶץ כִּ֛י שֵׁ֥ם יְהוָ֖ה נִקְרָ֣א עָלֶ֑יךָ וְיָֽרְא֖וּ מִמֶּֽךָּ׃ 10
परिणामस्वरूप सारी पृथ्वी के लोग इस बात के गवाह होंगे कि तुम वह प्रजा हो, जिसका सम्मान याहवेह के नाम से है. इससे उन पर तुम्हारा आतंक स्थापित हो जाएगा.
וְהֹותִרְךָ֤ יְהוָה֙ לְטֹובָ֔ה בִּפְרִ֧י בִטְנְךָ֛ וּבִפְרִ֥י בְהַמְתְּךָ֖ וּבִפְרִ֣י אַדְמָתֶ֑ךָ עַ֚ל הָאֲדָמָ֔ה אֲשֶׁ֨ר נִשְׁבַּ֧ע יְהוָ֛ה לַאֲבֹתֶ֖יךָ לָ֥תֶת לָֽךְ׃ 11
याहवेह, तुम्हारी संतान में, तुम्हारे पशुओं की सन्तति में और तुम्हारी भूमि के उत्पाद में, तुम्हारी समृद्धि को उस देश में, जो याहवेह ने तुम्हारे पूर्वजों को देने की प्रतिज्ञा की थी, पूरा करेंगे.
יִפְתַּ֣ח יְהוָ֣ה ׀ לְ֠ךָ אֶת־אֹוצָרֹ֨ו הַטֹּ֜וב אֶת־הַשָּׁמַ֗יִם לָתֵ֤ת מְטַֽר־אַרְצְךָ֙ בְּעִתֹּ֔ו וּלְבָרֵ֕ךְ אֵ֖ת כָּל־מַעֲשֵׂ֣ה יָדֶ֑ךָ וְהִלְוִ֙יתָ֙ גֹּויִ֣ם רַבִּ֔ים וְאַתָּ֖ה לֹ֥א תִלְוֶֽה׃ 12
याहवेह अपने बड़े भंडार को तुम्हारे लिए उपलब्ध कर देंगे; आकाश अपनी तय ऋतु में भूमि पर वृष्टि करेगा, तुम्हारे सारे काम सफल होंगे और तुम अनेक राष्ट्रों को ऋण दोगे, मगर खुद तुम्हें किसी से ऋण लेने की ज़रूरत न होगी.
וּנְתֽ͏ָנְךָ֙ יְהוָ֤ה לְרֹאשׁ֙ וְלֹ֣א לְזָנָ֔ב וְהָיִ֙יתָ֙ רַ֣ק לְמַ֔עְלָה וְלֹ֥א תִהְיֶ֖ה לְמָ֑טָּה כִּֽי־תִשְׁמַ֞ע אֶל־מִצְוֹ֣ת ׀ יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֗יךָ אֲשֶׁ֨ר אָנֹכִ֧י מְצַוְּךָ֛ הַיֹּ֖ום לִשְׁמֹ֥ר וְלַעֲשֹֽׂות׃ 13
याहवेह तुम्हें सबसे ऊंचा ही बनाए रखेंगे, पूंछ नहीं; तुम ऊंचाई पर ही रहोगे, अधीन कभी नहीं, यदि तुम याहवेह, अपने परमेश्वर के आदेशों का पालन करोगे, जो आज मैं तुम्हें सौंप रहा हूं; कि तुम सावधानीपूर्वक उनका पालन करते रहो,
וְלֹ֣א תָס֗וּר מִכָּל־הַדְּבָרִים֙ אֲשֶׁ֨ר אָנֹכִ֜י מְצַוֶּ֥ה אֶתְכֶ֛ם הַיֹּ֖ום יָמִ֣ין וּשְׂמֹ֑אול לָלֶ֗כֶת אַחֲרֵ֛י אֱלֹהִ֥ים אֲחֵרִ֖ים לְעָבְדָֽם׃ ס 14
कि तुम इनसे, इनमें से किसी के मर्म से ज़रा भी विचलित न होओ, और पराए देवताओं की उपासना-सेवा में लीन हो जाओ.
וְהָיָ֗ה אִם־לֹ֤א תִשְׁמַע֙ בְּקֹול֙ יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֔יךָ לִשְׁמֹ֤ר לַעֲשֹׂות֙ אֶת־כָּל־מִצְוֹתָ֣יו וְחֻקֹּתָ֔יו אֲשֶׁ֛ר אָנֹכִ֥י מְצַוְּךָ֖ הַיֹּ֑ום וּבָ֧אוּ עָלֶ֛יךָ כָּל־הַקְּלָלֹ֥ות הָאֵ֖לֶּה וְהִשִּׂיגֽוּךָ׃ 15
मगर यदि स्थिति यह हो जाए, कि आज तुम मेरे द्वारा दिए जा रहे, याहवेह तुम्हारे परमेश्वर के आदेशों और नियमों का पालन न करो, तो ये सारे शाप तुम्हें आ घेरेंगे, और तुम पर प्रभावी हो जाएंगे:
אָר֥וּר אַתָּ֖ה בָּעִ֑יר וְאָר֥וּר אַתָּ֖ה בַּשָּׂדֶֽה׃ 16
तुम अपने नगर में शापित होंगे, तुम अपने देश में शापित होंगे.
אָר֥וּר טַנְאֲךָ֖ וּמִשְׁאַרְתֶּֽךָ׃ 17
शापित होंगी तुम्हारी टोकरी और तुम्हारे गूंथने का पात्र.
אָר֥וּר פְּרִֽי־בִטְנְךָ֖ וּפְרִ֣י אַדְמָתֶ֑ךָ שְׁגַ֥ר אֲלָפֶ֖יךָ וְעַשְׁתְּרֹ֥ות צֹאנֶֽךָ׃ 18
शापित होंगी तुम्हारी अपनी संतान, तुम्हारी भूमि की उपज, तुम्हारे पशुओं और भेड़ों की वृद्धि.
אָר֥וּר אַתָּ֖ה בְּבֹאֶ֑ךָ וְאָר֥וּר אַתָּ֖ה בְּצֵאתֶֽךָ׃ 19
शापित होगा तुम्हारा कूच और तुम्हारा लौटकर आना.
יְשַׁלַּ֣ח יְהוָ֣ה ׀ בְּ֠ךָ אֶת־הַמְּאֵרָ֤ה אֶת־הַמְּהוּמָה֙ וְאֶת־הַמִּגְעֶ֔רֶת בְּכָל־מִשְׁלַ֥ח יָדְךָ֖ אֲשֶׁ֣ר תַּעֲשֶׂ֑ה עַ֣ד הִשָּֽׁמֶדְךָ֤ וְעַד־אֲבָדְךָ֙ מַהֵ֔ר מִפְּנֵ֛י רֹ֥עַ מֽ͏ַעֲלָלֶ֖יךָ אֲשֶׁ֥ר עֲזַבְתָּֽנִי׃ 20
तुम्हारे सारे कामों में तुम्हारे कामों के दुराचार और तुम्हारे द्वारा याहवेह का त्याग किए जाने के कारण याहवेह तुम पर शाप, डर और कुंठा डाल देंगे, कि तुम नाश हो जाओ और तेजी से तुम्हारा विनाश हो जाए.
יַדְבֵּ֧ק יְהוָ֛ה בְּךָ֖ אֶת־הַדָּ֑בֶר עַ֚ד כַּלֹּתֹ֣ו אֹֽתְךָ֔ מֵעַל֙ הֽ͏ָאֲדָמָ֔ה אֲשֶׁר־אַתָּ֥ה בָא־שָׁ֖מָּה לְרִשְׁתָּֽהּ׃ 21
याहवेह तुम पर महामारी सम्बद्ध कर देंगे, जब तक वह तुम्हें उस देश से नाश न कर दें, जिसमें अधिकार करने के लिये तुम उसमें प्रवेश कर रहे हो.
יַכְּכָ֣ה יְ֠הוָה בַּשַּׁחֶ֨פֶת וּבַקַּדַּ֜חַת וּבַדַּלֶּ֗קֶת וּבַֽחַרְחֻר֙ וּבַחֶ֔רֶב וּבַשִּׁדָּפֹ֖ון וּבַיֵּרָקֹ֑ון וּרְדָפ֖וּךָ עַ֥ד אָבְדֶֽךָ׃ 22
याहवेह तुम पर क्षय रोग, बुखार, सूजन, बड़ी जलन और तलवार का प्रहार प्रभावी करेंगे, जब तक तुम मिट न जाओ.
וְהָי֥וּ שָׁמֶ֛יךָ אֲשֶׁ֥ר עַל־רֹאשְׁךָ֖ נְחֹ֑שֶׁת וְהָאָ֥רֶץ אֲשֶׁר־תַּחְתֶּ֖יךָ בַּרְזֶֽל׃ 23
तुम्हारे सिर के ऊपर विशाल आकाश कांसे और पांवों के नीचे की धरती लोहा हो जाएगी.
יִתֵּ֧ן יְהוָ֛ה אֶת־מְטַ֥ר אַרְצְךָ֖ אָבָ֣ק וְעָפָ֑ר מִן־הַשָּׁמַ֙יִם֙ יֵרֵ֣ד עָלֶ֔יךָ עַ֖ד הִשָּׁמְדָֽךְ׃ 24
याहवेह, तुम पर बालू और धूल की बारिश करेंगे; ये आकाश से तुम पर ये तब तक बरसते रहेंगे जब तक तुम नाश न हो जाओ.
יִתֶּנְךָ֨ יְהוָ֥ה ׀ נִגָּף֮ לִפְנֵ֣י אֹיְבֶיךָ֒ בְּדֶ֤רֶךְ אֶחָד֙ תֵּצֵ֣א אֵלָ֔יו וּבְשִׁבְעָ֥ה דְרָכִ֖ים תָּנ֣וּס לְפָנָ֑יו וְהָיִ֣יתָ לְזַעֲוָ֔ה לְכֹ֖ל מַמְלְכֹ֥ות הָאָֽרֶץ׃ 25
याहवेह, ऐसा करेंगे, कि तुम अपने शत्रुओं द्वारा हरा दिए जाओगे. उन पर हमला करने तो तुम एक मार्ग से जाओगे, मगर तुम सात दिशाओं में पलायन करोगे. सारी पृथ्वी के राज्यों के लिए तुम आतंक का पर्याय हो जाओगे.
וְהָיְתָ֤ה נִבְלָֽתְךָ֙ לְמַאֲכָ֔ל לְכָל־עֹ֥וף הַשָּׁמַ֖יִם וּלְבֶהֱמַ֣ת הָאָ֑רֶץ וְאֵ֖ין מַחֲרִֽיד׃ 26
तुम्हारे शव आकाश के सारे पक्षियों और पृथ्वी के पशुओं का आहार हो जाएंगे और उन्हें खदेड़ने के लिए वहां कोई भी न रहेगा.
יַכְּכָ֨ה יְהוָ֜ה בִּשְׁחִ֤ין מִצְרַ֙יִם֙ וּבָעֳפָלִים (וּבַטְּחֹרִ֔ים) וּבַגָּרָ֖ב וּבֶחָ֑רֶס אֲשֶׁ֥ר לֹא־תוּכַ֖ל לְהֵרָפֵֽא׃ 27
मिस्र देश के समान याहवेह तुम पर फोड़ों, बतौरियों का वार करेंगे और उसके अलावा चकत्ते और खुजली का भी, जिनसे तुम्हें छुड़ौती प्राप्‍त हो ही न सकेगी.
יַכְּכָ֣ה יְהוָ֔ה בְּשִׁגָּעֹ֖ון וּבְעִוָּרֹ֑ון וּבְתִמְהֹ֖ון לֵבָֽב׃ 28
याहवेह तुम पर पागलपन, अंधेपन और हृदय की घबराहट का वार कर देंगे.
וְהָיִ֜יתָ מְמַשֵּׁ֣שׁ בַּֽצָּהֳרַ֗יִם כַּאֲשֶׁ֨ר יְמַשֵּׁ֤שׁ הָעִוֵּר֙ בָּאֲפֵלָ֔ה וְלֹ֥א תַצְלִ֖יחַ אֶת־דְּרָכֶ֑יךָ וְהָיִ֜יתָ אַ֣ךְ עָשׁ֧וּק וְגָז֛וּל כָּל־הַיָּמִ֖ים וְאֵ֥ין מֹושִֽׁיעַ׃ 29
परिणामस्परूप तुम दिन-दोपहरी टटोलते रहोगे, जिस प्रकार अंधा टटोलता रहता है. तुम्हारे कामों से तुम्हें कोई लाभ न मिलेगा, बल्कि तुम लगातार उत्पीड़ित भी किए जाओगे और लूटते जाओगे, मगर वहां तुम्हारी रक्षा के लिए कोई भी न रह जाएगा.
אִשָּׁ֣ה תְאָרֵ֗שׂ וְאִ֤ישׁ אַחֵר֙ יִשְׁגָּלֶנָּה (יִשְׁכָּבֶ֔נָּה) בַּ֥יִת תִּבְנֶ֖ה וְלֹא־תֵשֵׁ֣ב בֹּ֑ו כֶּ֥רֶם תִּטַּ֖ע וְלֹ֥א תְחַלְּלֶֽנּוּ׃ 30
जिस कन्या से तुम्हारी सगाई होगी, कोई अन्य पुरुष शीलभंग करेगा; तुम अपने घर का निर्माण तो करोगे, मगर उसमें निवास न कर सकोगे. तुम अंगूर के बगीचे तो लगाओगे मगर अंगूरों का उपभोग न कर सकोगे.
שֹׁורְךָ֞ טָב֣וּחַ לְעֵינֶ֗יךָ וְלֹ֣א תֹאכַל֮ מִמֶּנּוּ֒ חֲמֹֽרְךָ֙ גָּז֣וּל מִלְּפָנֶ֔יךָ וְלֹ֥א יָשׁ֖וּב לָ֑ךְ צֹֽאנְךָ֙ נְתֻנֹ֣ות לְאֹיְבֶ֔יךָ וְאֵ֥ין לְךָ֖ מֹושִֽׁיעַ׃ 31
तुम्हारे बछड़े का वध तुम्हारे सामने तो होगा मगर तुम उसका उपभोग न कर सकोगे. तुम्हारा गधा तुमसे छीन लिया जाएगा. और तुम उसे पुनः प्राप्‍त न कर सकोगे. तुम्हारी भेड़ें तुम्हारे शत्रुओं की संपत्ति हो जाएंगी और कोई भी तुम्हारी रक्षा के लिए वहां न रहेगा.
בָּנֶ֨יךָ וּבְנֹתֶ֜יךָ נְתֻנִ֨ים לְעַ֤ם אַחֵר֙ וְעֵינֶ֣יךָ רֹאֹ֔ות וְכָלֹ֥ות אֲלֵיהֶ֖ם כָּל־הַיֹּ֑ום וְאֵ֥ין לְאֵ֖ל יָדֶֽךָ׃ 32
तुम्हारे पुत्र-पुत्रियां तुम्हारे देखते-देखते बंधुआई में चले जाएंगे और तुम हमेशा उनकी लालसा करते रह जाओगे, मगर इसके लिए तुम कुछ भी न कर सकोगे.
פְּרִ֤י אַדְמָֽתְךָ֙ וְכָל־יְגִ֣יעֲךָ֔ יֹאכַ֥ל עַ֖ם אֲשֶׁ֣ר לֹא־יָדָ֑עְתָּ וְהָיִ֗יתָ רַ֛ק עָשׁ֥וּק וְרָצ֖וּץ כָּל־הַיָּמִֽים׃ 33
तुम्हारी भूमि का उत्पाद विदेशियों का आहार हो जाएगा और तुम आजीवन उत्पीड़ित और दमित किए जाते रहोगे.
וְהָיִ֖יתָ מְשֻׁגָּ֑ע מִמַּרְאֵ֥ה עֵינֶ֖יךָ אֲשֶׁ֥ר תִּרְאֶֽה׃ 34
तुम्हारे सामने जो कुछ आएगा उसे देख तुम विक्षिप्‍त हो जाओगे.
יַכְּכָ֨ה יְהוָ֜ה בִּשְׁחִ֣ין רָ֗ע עַל־הַבִּרְכַּ֙יִם֙ וְעַל־הַשֹּׁקַ֔יִם אֲשֶׁ֥ר לֹא־תוּכַ֖ל לְהֵרָפֵ֑א מִכַּ֥ף רַגְלְךָ֖ וְעַ֥ד קָדְקֳדֶֽךָ׃ 35
याहवेह तुम्हारे पैरों और घुटनों में ऐसे पीड़ादायक फोड़े उत्पन्‍न कर देंगे, जिनसे तुम स्वस्थ नहीं हो सकोगे, वस्तुतः तुम सिर से पांव तक घावों से भर जाओगे.
יֹולֵ֨ךְ יְהוָ֜ה אֹֽתְךָ֗ וְאֶֽת־מַלְכְּךָ֙ אֲשֶׁ֣ר תָּקִ֣ים עָלֶ֔יךָ אֶל־גֹּ֕וי אֲשֶׁ֥ר לֹא־יָדַ֖עְתָּ אַתָּ֣ה וַאֲבֹתֶ֑יךָ וְעָבַ֥דְתָּ שָּׁ֛ם אֱלֹהִ֥ים אֲחֵרִ֖ים עֵ֥ץ וָאָֽבֶן׃ 36
याहवेह तुम्हें और उस राजा को, जो तुम्हारे द्वारा प्रतिष्ठित किया गया होगा, एक ऐसे राष्ट्र में भेज देंगे, जिसे न तो तुम जानते हो और न ही जिसे तुम्हारे पूर्वजों ने जाना था. उस राष्ट्र में तुम काठ और पत्थर की मूर्तियों की सेवा-उपासना करोगे.
וְהָיִ֣יתָ לְשַׁמָּ֔ה לְמָשָׁ֖ל וְלִשְׁנִינָ֑ה בְּכֹל֙ הָֽעַמִּ֔ים אֲשֶׁר־יְנַהֶגְךָ֥ יְהוָ֖ה שָֽׁמָּה׃ 37
तब तुम उन लोगों के बीच, जिनके बीच में याहवेह तुम्हें हकाल देंगे, भय, लोकोक्ति और उपहास का विषय होकर रह जाओगे.
זֶ֥רַע רַ֖ב תֹּוצִ֣יא הַשָּׂדֶ֑ה וּמְעַ֣ט תֶּאֱסֹ֔ף כִּ֥י יַחְסְלֶ֖נּוּ הָאַרְבֶּֽה׃ 38
तुम विपुल बीज बोओगे, मगर फसल काटने के अवसर पर तुम बहुत अल्प एकत्र कर सकोगे, क्योंकि टिड्डियां इसे चट कर जाएंगी.
כְּרָמִ֥ים תִּטַּ֖ע וְעָבָ֑דְתָּ וְיַ֤יִן לֹֽא־תִשְׁתֶּה֙ וְלֹ֣א תֶאֱגֹ֔ר כִּ֥י תֹאכְלֶ֖נּוּ הַתֹּלָֽעַת׃ 39
तुम द्राक्षा उद्यानों का रोपण और कृषि ज़रूर करोगे, मगर तुम न तो द्राक्षा एकत्र कर सकोगे और न ही द्राक्षारस का सेवन कर सकोगे, इन्हें कीट चट कर जाएंगे.
זֵיתִ֛ים יִהְי֥וּ לְךָ֖ בְּכָל־גְּבוּלֶ֑ךָ וְשֶׁ֙מֶן֙ לֹ֣א תָס֔וּךְ כִּ֥י יִשַּׁ֖ל זֵיתֶֽךָ׃ 40
तुम्हारे देश की सारी सीमा में ज़ैतून वृक्ष तो होंगे, मगर तुम ज़ैतून तेल का प्रयोग अभ्यंजन के लिए नहीं कर सकोगे, क्योंकि ज़ैतून फलों का अवपात हो जाएगा.
בָּנִ֥ים וּבָנֹ֖ות תֹּולִ֑יד וְלֹא־יִהְי֣וּ לָ֔ךְ כִּ֥י יֵלְכ֖וּ בַּשֶּֽׁבִי׃ 41
तुम्हारे पुत्र-पुत्रियां पैदा ज़रूर होंगे, मगर वे तुम्हारे होकर न रह सकेंगे, क्योंकि उन्हें बन्दीत्व में ले जाया जाएगा.
כָּל־עֵצְךָ֖ וּפְרִ֣י אַדְמָתֶ֑ךָ יְיָרֵ֖שׁ הַצְּלָצַֽל׃ 42
कीट तुम्हारे सारे वृक्षों और भूमि की उपज में समा जाएंगे.
הַגֵּר֙ אֲשֶׁ֣ר בְּקִרְבְּךָ֔ יַעֲלֶ֥ה עָלֶ֖יךָ מַ֣עְלָה מָּ֑עְלָה וְאַתָּ֥ה תֵרֵ֖ד מַ֥טָּה מָּֽטָּה׃ 43
तुम्हारे बीच प्रवास कर रहा विदेशी तुमसे अधिक उन्‍नत होता जाएगा, मगर खुद तुम्हारा ह्रास ही ह्रास होता चला जाएगा.
ה֣וּא יַלְוְךָ֔ וְאַתָּ֖ה לֹ֣א תַלְוֶ֑נּוּ ה֚וּא יִהְיֶ֣ה לְרֹ֔אשׁ וְאַתָּ֖ה תִּֽהְיֶ֥ה לְזָנָֽב׃ 44
वह विदेशी ही तुम्हें ऋण देने की स्थिति में होगा, मगर तुम उसे ऋण देने की स्थिति में न रहोगे. वह तो शीर्ष पर पहुंच जाएगा, मगर तुम निम्नतम स्तर पर रह जाओगे.
וּבָ֨אוּ עָלֶ֜יךָ כָּל־הַקְּלָלֹ֣ות הָאֵ֗לֶּה וּרְדָפ֙וּךָ֙ וְהִשִּׂיג֔וּךָ עַ֖ד הִשָּֽׁמְדָ֑ךְ כִּי־לֹ֣א שָׁמַ֗עְתָּ בְּקֹול֙ יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֔יךָ לִשְׁמֹ֛ר מִצְוֹתָ֥יו וְחֻקֹּתָ֖יו אֲשֶׁ֥ר צִוָּֽךְ׃ 45
इस प्रकार ये सारे शाप तुम पर प्रभावी हो जाएंगे, तुम्हारा पीछा करते रहेंगे, तुम्हें पकड़ लेंगे, कि तुम पूरी तरह नाश हो जाओ, क्योंकि तुमने याहवेह तुम्हारे परमेश्वर के आदेशों का पालन नहीं किया, उनके अध्यादेशों को पूरा नहीं किया, जो खुद उन्हीं ने तुम्हें प्रदान किए हैं.
וְהָי֣וּ בְךָ֔ לְאֹ֖ות וּלְמֹופֵ֑ת וּֽבְזַרְעֲךָ֖ עַד־עֹולָֽם׃ 46
ये शाप तुम्हारे और तुम्हारे वंशजों के लिए चिन्ह और अलौकिक घटनाएं होकर रह जाएंगे.
תַּ֗חַת אֲשֶׁ֤ר לֹא־עָבַ֙דְתָּ֙ אֶת־יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֔יךָ בְּשִׂמְחָ֖ה וּבְט֣וּב לֵבָ֑ב מֵרֹ֖ב כֹּֽל׃ 47
इसलिये कि तुमने इन सारी समृद्धि के लिए याहवेह, अपने परमेश्वर की वंदना न तो सहर्ष भाव में की और न सच्चे हृदय के साथ,
וְעָבַדְתָּ֣ אֶת־אֹיְבֶ֗יךָ אֲשֶׁ֨ר יְשַׁלְּחֶ֤נּוּ יְהוָה֙ בָּ֔ךְ בְּרָעָ֧ב וּבְצָמָ֛א וּבְעֵירֹ֖ם וּבְחֹ֣סֶר כֹּ֑ל וְנָתַ֞ן עֹ֤ל בַּרְזֶל֙ עַל־צַוָּארֶ֔ךָ עַ֥ד הִשְׁמִידֹ֖ו אֹתָֽךְ׃ 48
इसलिये तुम याहवेह द्वारा उत्प्रेरित अपने शत्रुओं के सेवक होकर रह जाओगे; जब तुम भूख, प्यास, नंगाई और सब प्रकार के अभाव की स्थिति में रहोगे. याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हारी गर्दन पर लोहे का जूआ तब तक रखे रहेंगे, जब तक वह तुम्हें नाश न कर दें.
יִשָּׂ֣א יְהוָה֩ עָלֶ֨יךָ גֹּ֤וי מֵרָחֹוק֙ מִקְצֵ֣ה הָאָ֔רֶץ כַּאֲשֶׁ֥ר יִדְאֶ֖ה הַנָּ֑שֶׁר גֹּ֕וי אֲשֶׁ֥ר לֹא־תִשְׁמַ֖ע לְשֹׁנֹֽו׃ 49
याहवेह दूरस्त देश को तुम पर हमला के लिए प्रेरित करेंगे; हां, पृथ्वी के छोर से, जिस प्रकार गरुड़ झपटता है, वह ऐसा राष्ट्र होगा, जिसकी भाषा तुम समझ नहीं पाओगे,
גֹּ֖וי עַ֣ז פָּנִ֑ים אֲשֶׁ֨ר לֹא־יִשָּׂ֤א פָנִים֙ לְזָקֵ֔ן וְנַ֖עַר לֹ֥א יָחֹֽן׃ 50
वह रौद्र स्वरूप राष्ट्र होगा. उसके हृदय में न तो वृद्धों के प्रति सम्मान होगा, न बालकों के प्रति करुणा.
וְ֠אָכַל פְּרִ֨י בְהֶמְתְּךָ֥ וּפְרִֽי־אַדְמָתְךָ֮ עַ֣ד הִשָּֽׁמְדָךְ֒ אֲשֶׁ֨ר לֹֽא־יַשְׁאִ֜יר לְךָ֗ דָּגָן֙ תִּירֹ֣ושׁ וְיִצְהָ֔ר שְׁגַ֥ר אֲלָפֶ֖יךָ וְעַשְׁתְּרֹ֣ת צֹאנֶ֑ךָ עַ֥ד הַאֲבִידֹ֖ו אֹתָֽךְ׃ 51
इसके अलावा वह राष्ट्र तब तक तुम्हारे पशुओं के बच्चों और भूमि की उपज का उपभोग करता रहेगा, जब तक तुम नाश न हो जाओ. अर्थात् वह राष्ट्र तुम्हारे उपभोग के लिए न तो अन्‍न छोड़ेगा, न नया द्राक्षारस न नया तेल, न तुम्हारे पशुओं की सन्तति और न ही भेड़ों के मेमने, जिससे तुम नाश हो ही जाओगे.
וְהֵצַ֨ר לְךָ֜ בְּכָל־שְׁעָרֶ֗יךָ עַ֣ד רֶ֤דֶת חֹמֹתֶ֙יךָ֙ הַגְּבֹהֹ֣ות וְהַבְּצֻרֹ֔ות אֲשֶׁ֥ר אַתָּ֛ה בֹּטֵ֥חַ בָּהֵ֖ן בְּכָל־אַרְצֶ֑ךָ וְהֵצַ֤ר לְךָ֙ בְּכָל־שְׁעָרֶ֔יךָ בְּכָ֨ל־אַרְצְךָ֔ אֲשֶׁ֥ר נָתַ֛ן יְהוָ֥ה אֱלֹהֶ֖יךָ לָֽךְ׃ 52
वह राष्ट्र तुम्हारे सारे नगरों में की घेराबंदी कर लेगा और उसके हमला के परिणामस्वरूप वे उस पूरे देश में, जो तुम्हें याहवेह तुम्हारे परमेश्वर द्वारा प्रदान किया गया था, जिन शहरपनाहों पर तुम्हें पूरा भरोसा रहा था, भंग कर देंगे.
וְאָכַלְתָּ֣ פְרִֽי־בִטְנְךָ֗ בְּשַׂ֤ר בָּנֶ֙יךָ֙ וּבְנֹתֶ֔יךָ אֲשֶׁ֥ר נָֽתַן־לְךָ֖ יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֑יךָ בְּמָצֹור֙ וּבְמָצֹ֔וק אֲשֶׁר־יָצִ֥יק לְךָ֖ אֹיְבֶֽךָ׃ 53
शत्रुओं द्वारा की गई घेराबंदी और उसके द्वारा दी गई प्रताड़ना के कारण तुम अपनी निज संतान को खाने लगोगे, तुम्हारे अपने पुत्र-पुत्रियों के मांस को, जो तुम्हें याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर द्वारा प्रदान किए गए हैं.
הָאִישׁ֙ הָרַ֣ךְ בְּךָ֔ וְהֶעָנֹ֖ג מְאֹ֑ד תֵּרַ֨ע עֵינֹ֤ו בְאָחִיו֙ וּבְאֵ֣שֶׁת חֵיקֹ֔ו וּבְיֶ֥תֶר בָּנָ֖יו אֲשֶׁ֥ר יֹותִֽיר׃ 54
उस समय वह व्यक्ति, जो तुम्हारे बीच में बहुत शालीन और संवेदनशील माना जाता है, वही अपने सहनागरिकों, अपनी प्रिय पत्नी और अपनी शेष संतान के प्रति निर्मम हो जाएगा,
מִתֵּ֣ת ׀ לְאַחַ֣ד מֵהֶ֗ם מִבְּשַׂ֤ר בָּנָיו֙ אֲשֶׁ֣ר יֹאכֵ֔ל מִבְּלִ֥י הִשְׁאִֽיר־לֹ֖ו כֹּ֑ל בְּמָצֹור֙ וּבְמָצֹ֔וק אֲשֶׁ֨ר יָצִ֥יק לְךָ֛ אֹיִבְךָ֖ בְּכָל־שְׁעָרֶֽיךָ׃ 55
वह अपनी संतान के मांस में से किसी को कुछ न देगा, क्योंकि अभाव इतना ज्यादा हो जाएगा. ऐसी भयावह हो जाएगी वह स्थिति, जब तुम्हारे वे शत्रु तुम्हारे सारे नगरों में तुम पर अत्याचार करते रहें.
הָרַכָּ֨ה בְךָ֜ וְהָעֲנֻגָּ֗ה אֲשֶׁ֨ר לֹא־נִסְּתָ֤ה כַף־רַגְלָהּ֙ הַצֵּ֣ג עַל־הָאָ֔רֶץ מֵהִתְעַנֵּ֖ג וּמֵרֹ֑ךְ תֵּרַ֤ע עֵינָהּ֙ בְּאִ֣ישׁ חֵיקָ֔הּ וּבִבְנָ֖הּ וּבְבִתָּֽהּ׃ 56
तुम्हारे बीच वह स्त्री, जो बहुत शालीन और सुकुमारी मानी जाती है, जो इतनी परिष्कृत और सुकुमारी है, कि वह अपने पांव तक भूमि पर नहीं पड़ने देती, वही अपने प्रिय पति और पुत्र-पुत्री के प्रतिकूल हो जाएगी.
וּֽבְשִׁלְיָתָ֞הּ הַיֹּוצֵ֣ת ׀ מִבֵּ֣ין רַגְלֶ֗יהָ וּבְבָנֶ֙יהָ֙ אֲשֶׁ֣ר תֵּלֵ֔ד כִּֽי־תֹאכְלֵ֥ם בְּחֹֽסֶר־כֹּ֖ל בַּסָּ֑תֶר בְּמָצֹור֙ וּבְמָצֹ֔וק אֲשֶׁ֨ר יָצִ֥יק לְךָ֛ אֹיִבְךָ֖ בִּשְׁעָרֶֽיךָ׃ 57
वह उन्हें न तो अपने गर्भ की ममता दिखाएगी और न नवजात शिशु की, क्योंकि शत्रुओं द्वारा घेरे गए तुम्हारे नगर की स्थिति ऐसी शोचनीय हो चुकी होगी, कि वह खुद इन्हें छिप-छिप कर खाती रहना चाहेगी.
אִם־לֹ֨א תִשְׁמֹ֜ר לַעֲשֹׂ֗ות אֶת־כָּל־דִּבְרֵי֙ הַתֹּורָ֣ה הַזֹּ֔את הַכְּתוּבִ֖ים בַּסֵּ֣פֶר הַזֶּ֑ה לְ֠יִרְאָה אֶת־הַשֵּׁ֞ם הַנִּכְבָּ֤ד וְהַנֹּורָא֙ הַזֶּ֔ה אֵ֖ת יְהוָ֥ה אֱלֹהֶֽיךָ׃ 58
यदि तुम इस व्यवस्था में लिखित विधि के सब वचनों का पालन के प्रति सावधान न रहोगे, इस सम्मान्य और उदात्त नाम याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के प्रति श्रद्धा न रखो,
וְהִפְלָ֤א יְהוָה֙ אֶת־מַכֹּ֣תְךָ֔ וְאֵ֖ת מַכֹּ֣ות זַרְעֶ֑ךָ מַכֹּ֤ות גְּדֹלֹות֙ וְנֶ֣אֱמָנֹ֔ות וָחֳלָיִ֥ם רָעִ֖ים וְנֶאֱמָנִֽים׃ 59
तब याहवेह तुम पर और तुम्हारे वंशजों पर अभूतपूर्व महामारियां ले आएंगे. ये महामारियां बहुत पीड़ादायी और स्थायी प्रकृति की और चिरकालिक और दयनीय व्याधियां होंगी.
וְהֵשִׁ֣יב בְּךָ֗ אֵ֚ת כָּל־מַדְוֵ֣ה מִצְרַ֔יִם אֲשֶׁ֥ר יָגֹ֖רְתָּ מִפְּנֵיהֶ֑ם וְדָבְק֖וּ בָּֽךְ׃ 60
याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर मिस्र देश पर प्रभावी की गई सारी व्याधियां तुम पर प्रभावी कर देंगे, जो तुम्हारे लिए भयावह बनी हुई थीं, वे तुम पर संलग्न हो जाएंगी.
גַּ֤ם כָּל־חֳלִי֙ וְכָל־מַכָּ֔ה אֲשֶׁר֙ לֹ֣א כָת֔וּב בְּסֵ֖פֶר הַתֹּורָ֣ה הַזֹּ֑את יַעְלֵ֤ם יְהוָה֙ עָלֶ֔יךָ עַ֖ד הִשָּׁמְדָֽךְ׃ 61
यहां तक कि वे सारी व्याधियां और वे सारी महामारियां, जिनका उल्लेख इस विधान अभिलेख में नहीं किया गया है, याहवेह तुम पर प्रभावी कर देंगे, कि तुम्हारा विनाश हो जाए.
וְנִשְׁאַרְתֶּם֙ בִּמְתֵ֣י מְעָ֔ט תַּ֚חַת אֲשֶׁ֣ר הֱיִיתֶ֔ם כְּכֹוכְבֵ֥י הַשָּׁמַ֖יִם לָרֹ֑ב כִּי־לֹ֣א שָׁמַ֔עְתָּ בְּקֹ֖ול יְהוָ֥ה אֱלֹהֶֽיךָ׃ 62
तब तुम्हारी गिनती कम रह जाएगी, जबकि एक समय तुम ऐसे अनगिनत थे, जैसे आकाश के तारे. कारण यह है, कि तुम याहवेह तुम्हारे परमेश्वर के प्रति अनाज्ञाकारी हो गए थे.
וְ֠הָיָה כַּאֲשֶׁר־שָׂ֨שׂ יְהוָ֜ה עֲלֵיכֶ֗ם לְהֵיטִ֣יב אֶתְכֶם֮ וּלְהַרְבֹּ֣ות אֶתְכֶם֒ כֵּ֣ן יָשִׂ֤ישׂ יְהוָה֙ עֲלֵיכֶ֔ם לְהַאֲבִ֥יד אֶתְכֶ֖ם וּלְהַשְׁמִ֣יד אֶתְכֶ֑ם וְנִסַּחְתֶּם֙ מֵעַ֣ל הֽ͏ָאֲדָמָ֔ה אֲשֶׁר־אַתָּ֥ה בָא־שָׁ֖מָּה לְרִשְׁתָּֽהּ׃ 63
जिस प्रकार एक समय याहवेह की तुष्टि तुम्हारे जनसंख्या के बढ़ने और समृद्धि में थी, उसी प्रकार याहवेह की तुष्टि होगी तुम्हें नाश कर देने और मिटा देने में. तुम जिस देश पर अधिकार करने के उद्देश्य से उसमें प्रवेश कर रहे हो, तुम वहां से निकाल दिए जाओगे.
וֶהֱפִֽיצְךָ֤ יְהוָה֙ בְּכָל־הָ֣עַמִּ֔ים מִקְצֵ֥ה הָאָ֖רֶץ וְעַד־קְצֵ֣ה הָאָ֑רֶץ וְעָבַ֨דְתָּ שָּׁ֜ם אֱלֹהִ֣ים אֲחֵרִ֗ים אֲשֶׁ֧ר לֹא־יָדַ֛עְתָּ אַתָּ֥ה וַאֲבֹתֶ֖יךָ עֵ֥ץ וָאָֽבֶן׃ 64
इसके अलावा, याहवेह ही तुम्हें हर जगह बिखरा देंगे; पृथ्वी के एक छोर से अन्य छोर तक. वहां तुम पराए देवताओं—पत्थर और लकड़ी के देवताओं के सेवक बन जाओगे, तुम्हारे पूर्वजों से सर्वथा अज्ञात देवताओं के.
וּבַגֹּויִ֤ם הָהֵם֙ לֹ֣א תַרְגִּ֔יעַ וְלֹא־יִהְיֶ֥ה מָנֹ֖וחַ לְכַף־רַגְלֶ֑ךָ וְנָתַן֩ יְהוָ֨ה לְךָ֥ שָׁם֙ לֵ֣ב רַגָּ֔ז וְכִלְיֹ֥ון עֵינַ֖יִם וְדֽ͏ַאֲבֹ֥ון נָֽפֶשׁ׃ 65
इन जनताओं के बीच निवास करते हुए तुम्हें ज़रा भी शांति प्राप्‍त न होगी. मगर हां, वहां याहवेह तुम्हें एक चिंतित हृदय प्रदान करेंगे. तुम्हारी दृष्टि क्षीण होती जाएगी और तुममें साहस न रह जाएगा.
וְהָי֣וּ חַיֶּ֔יךָ תְּלֻאִ֥ים לְךָ֖ מִנֶּ֑גֶד וּפָֽחַדְתָּ֙ לַ֣יְלָה וְיֹומָ֔ם וְלֹ֥א תַאֲמִ֖ין בְּחַיֶּֽיךָ׃ 66
तुम हमेशा संशय की स्थिति में रहोगे, तुम दिन में और रात में आतंक से भरे रहोगे, तुम्हारे जीवन का कोई निश्चय न रह जाएगा.
בַּבֹּ֤קֶר תֹּאמַר֙ מִֽי־יִתֵּ֣ן עֶ֔רֶב וּבָעֶ֥רֶב תֹּאמַ֖ר מִֽי־יִתֵּ֣ן בֹּ֑קֶר מִפַּ֤חַד לְבָֽבְךָ֙ אֲשֶׁ֣ר תִּפְחָ֔ד וּמִמַּרְאֵ֥ה עֵינֶ֖יךָ אֲשֶׁ֥ר תִּרְאֶֽה׃ 67
प्रातः तुम विचार करोगे, “उत्तम होगा यह प्रातः नहीं, संध्या होती!” वैसे ही तुम संध्याकाल में यह कामना करते रहोगे: “उत्तम होता कि यह प्रभात होता!” यह उस आतंक के कारण होगा, जिसने तुम्हें भर रखा है, उस दृश्य के कारण, जो तुम्हारे सामने छाया रहता है.
וֶֽהֱשִֽׁיבְךָ֨ יְהוָ֥ה ׀ מִצְרַיִם֮ בָּאֳנִיֹּות֒ בַּדֶּ֙רֶךְ֙ אֲשֶׁ֣ר אָמַ֣רְתִּֽי לְךָ֔ לֹא־תֹסִ֥יף עֹ֖וד לִרְאֹתָ֑הּ וְהִתְמַכַּרְתֶּ֨ם שָׁ֧ם לְאֹיְבֶ֛יךָ לַעֲבָדִ֥ים וְלִשְׁפָחֹ֖ות וְאֵ֥ין קֹנֶֽה׃ ס 68
याहवेह, जो तुम्हें जलयानों में मिस्र देश में लौटा ले जाएंगे; उस मार्ग से जिसके विषय में मैंने कहा था, अब तुम इसे फिर कभी न देखोगे. तब तुम वहां खुद को अपने शत्रुओं के सामने पुरुष और स्त्री, दास-दासियों स्वरूप बिकने के लिए प्रस्तुत कर दोगे, मगर तुम्हें वहां कोई खरीददार प्राप्‍त न होगा.

< דְּבָרִים 28 >