< 2 דִּבְרֵי הַיָּמִים 33 >

בֶּן־שְׁתֵּ֥ים עֶשְׂרֵ֛ה שָׁנָ֖ה מְנַשֶּׁ֣ה בְמָלְכֹ֑ו וַחֲמִשִּׁ֤ים וְחָמֵשׁ֙ שָׁנָ֔ה מָלַ֖ךְ בִּירוּשָׁלָֽ͏ִם׃ 1
मनस्सी बारह साल का था जब वह हुकूमत करने लगा, और उसने येरूशलेम में पचपन साल हुकूमत की।
וַיַּ֥עַשׂ הָרַ֖ע בְּעֵינֵ֣י יְהוָ֑ה כְּתֹֽועֲבֹות֙ הַגֹּויִ֔ם אֲשֶׁר֙ הֹורִ֣ישׁ יְהוָ֔ה מִפְּנֵ֖י בְּנֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ 2
उसने उन क़ौमों के नफ़रतअंगेज़ कामों के मुताबिक़ जिनको ख़ुदावन्द ने बनी — इस्राईल के आगे से हटा दिया था, वही किया जो ख़ुदावन्द की नज़र में बुरा था।
וַיָּ֗שָׁב וַיִּ֙בֶן֙ אֶת־הַבָּמֹ֔ות אֲשֶׁ֥ר נִתַּ֖ץ יְחִזְקִיָּ֣הוּ אָבִ֑יו וַיָּ֨קֶם מִזְבְּחֹ֤ות לַבְּעָלִים֙ וַיַּ֣עַשׂ אֲשֵׁרֹ֔ות וַיִּשְׁתַּ֙חוּ֙ לְכָל־צְבָ֣א הַשָּׁמַ֔יִם וַֽיַּעֲבֹ֖ד אֹתָֽם׃ 3
क्यूँकि उसने उन ऊँचे मक़ामों को, जिनको उसके बाप हिज़क़ियाह ने ढाया था, फिर बनाया और बा'लीम के लिए मज़बहे बनाए और यसीरतें तैयार कीं और सारे आसमानी लश्कर को सिज्दा किया और उनकी इबादत की।
וּבָנָ֥ה מִזְבְּחֹ֖ות בְּבֵ֣ית יְהוָ֑ה אֲשֶׁר֙ אָמַ֣ר יְהוָ֔ה בִּירוּשָׁלַ֥͏ִם יִֽהְיֶה־שְּׁמִ֖י לְעֹולָֽם׃ 4
और उसने ख़ुदा वन्द के घर में जिसके बारे में ख़ुदावन्द ने फ़रमाया था कि मेरा नाम येरूशलेम में हमेशा रहेगा, मज़बहे बनाए;
וַיִּ֥בֶן מִזְבְּחֹ֖ות לְכָל־צְבָ֣א הַשָּׁמָ֑יִם בִּשְׁתֵּ֖י חַצְרֹ֥ות בֵּית־יְהוָֽה׃ 5
और उसने ख़ुदावन्द के घर के दोनों सहनों में, सारे आसमानी लश्कर के लिए मज़बहे बनाए।
וְהוּא֩ הֶעֱבִ֨יר אֶת־בָּנָ֤יו בָּאֵשׁ֙ בְּגֵ֣י בֶן־הִנֹּ֔ם וְעֹונֵ֤ן וְנִחֵשׁ֙ וְֽכִשֵּׁ֔ף וְעָ֥שָׂה אֹ֖וב וְיִדְּעֹונִ֑י הִרְבָּ֗ה לַעֲשֹׂ֥ות הָרַ֛ע בְּעֵינֵ֥י יְהוָ֖ה לְהַכְעִיסֹֽו׃ 6
और उसने बिन हलूम की वादी में अपने फ़र्ज़न्दों को भी आग में चलवाया, और वह शगून मानता और जादू और अफ़सून करता और बदरूहों के आशनाओं और जादूगरों से ता'अल्लुक रखता था। उसने ख़ुदावन्द की नज़र में बहुत बदकारी की, जिससे उसे ग़ुस्सा दिलाया;
וַיָּ֕שֶׂם אֶת־פֶּ֥סֶל הַסֶּ֖מֶל אֲשֶׁ֣ר עָשָׂ֑ה בְּבֵ֣ית הָאֱלֹהִ֗ים אֲשֶׁ֨ר אָמַ֤ר אֱלֹהִים֙ אֶל־דָּוִיד֙ וְאֶל־שְׁלֹמֹ֣ה בְנֹ֔ו בַּבַּ֨יִת הַזֶּ֜ה וּבִֽירוּשָׁלַ֗͏ִם אֲשֶׁ֤ר בָּחַ֙רְתִּי֙ מִכֹּל֙ שִׁבְטֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל אָשִׂ֥ים אֶת־שְׁמִ֖י לְעֵילֹֽום׃ 7
और जो तराशी हुई मूरत उसने बनवाई थी उसको ख़ुदा के घर में नस्ब किया, जिसके बारे में ख़ुदा ने दाऊद और उसके बेटे सुलेमान से कहा था कि मैं इस घर में और येरूशलेम में जिसे मैंने बनी — इस्राईल के सब क़बीलों में से चुन लिया है, अपना नाम हमेशा तक रखूँगा;
וְלֹ֣א אֹוסִ֗יף לְהָסִיר֙ אֶת־רֶ֣גֶל יִשְׂרָאֵ֔ל מֵעַל֙ הֽ͏ָאֲדָמָ֔ה אֲשֶׁ֥ר הֶֽעֱמַ֖דְתִּי לַאֲבֹֽתֵיכֶ֑ם רַ֣ק ׀ אִם־יִשְׁמְר֣וּ לַעֲשֹׂ֗ות אֵ֚ת כָּל־אֲשֶׁ֣ר צִוִּיתִ֔ים לְכָל־הַתֹּורָ֛ה וְהַֽחֻקִּ֥ים וְהַמִּשְׁפָּטִ֖ים בְּיַד־מֹשֶֽׁה׃ 8
और मैं बनी — इस्राईल के पाँव को उस सरज़मीन से जो मैंने उनके बाप — दादा को 'इनायत की है, फिर कभी नहीं हटाऊँगा बशर्ते कि वह उन सब बातों को जो मैंने उनकी फ़रमाई, या'नी उस सारी शरी'अत और क़ानून और हुक्मों को जो मूसा के जरिए मिले, मानने की एहतियात रखें।
וַיֶּ֣תַע מְנַשֶּׁ֔ה אֶת־יְהוּדָ֖ה וְיֹשְׁבֵ֣י יְרוּשָׁלָ֑͏ִם לַעֲשֹׂ֣ות רָ֔ע מִן־הַ֨גֹּויִ֔ם אֲשֶׁר֙ הִשְׁמִ֣יד יְהוָ֔ה מִפְּנֵ֖י בְּנֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ פ 9
और मनस्सी ने यहूदाह और येरूशलेम के बाशिन्दों को यहाँ तक गुमराह किया कि उन्होंने उन क़ौमों से भी ज़्यादा बुरायी की, जिनको ख़ुदावन्द ने बनी — इस्राईल के सामने से हलाक किया था।
וַיְדַבֵּ֧ר יְהוָ֛ה אֶל־מְנַשֶּׁ֥ה וְאֶל־עַמֹּ֖ו וְלֹ֥א הִקְשִֽׁיבוּ׃ 10
और ख़ुदा वन्द ने मनस्सी और उसके लोगों से बातें की लेकिन उन्होंने कुछ ध्यान न दिया।
וַיָּבֵ֨א יְהוָ֜ה עֲלֵיהֶ֗ם אֶת־שָׂרֵ֤י הַצָּבָא֙ אֲשֶׁר֙ לְמֶ֣לֶךְ אַשּׁ֔וּר וַיִּלְכְּד֥וּ אֶת־מְנַשֶּׁ֖ה בַּחֹחִ֑ים וַיַּֽאַסְרֻ֙הוּ֙ בַּֽנְחֻשְׁתַּ֔יִם וַיֹּולִיכֻ֖הוּ בָּבֶֽלָה׃ 11
इसलिए ख़ुदावन्द उन पर शाह — ए — असूर के सिपह सालारों को चढ़ा लाया, जो मनस्सी को ज़ॅजीरों से जकड़ कर और बेड़ियाँ डाल कर बाबुल को ले गए।
וּכְהָצֵ֣ר לֹ֔ו חִלָּ֕ה אֶת־פְּנֵ֖י יְהוָ֣ה אֱלֹהָ֑יו וַיִּכָּנַ֣ע מְאֹ֔ד מִלִּפְנֵ֖י אֱלֹהֵ֥י אֲבֹתָֽיו׃ 12
जब वह मुसीबत में पड़ा तो उसने ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा से मिन्नत की और अपने बाप — दादा के ख़ुदा के सामने बहुत ख़ाकसार बना,
וַיִּתְפַּלֵּ֣ל אֵלָ֗יו וַיֵּעָ֤תֶר לֹו֙ וַיִּשְׁמַ֣ע תְּחִנָּתֹ֔ו וַיְשִׁיבֵ֥הוּ יְרוּשָׁלַ֖͏ִם לְמַלְכוּתֹ֑ו וַיֵּ֣דַע מְנַשֶּׁ֔ה כִּ֥י יְהוָ֖ה ה֥וּא הָֽאֱלֹהִֽים׃ 13
और उसने उससे दुआ की; तब उसने उसकी दुआ उसे क़बूल करके उसकी फ़रयाद सुनी ममलुकत में येरूशलेम को वापस लाया। तब मनस्सी ने जान लिया कि ख़ुदा वन्द ही ख़ुदा है।
וְאַחֲרֵי־כֵ֡ן בָּנָ֣ה חֹומָ֣ה חִֽיצֹונָ֣ה ׀ לְעִיר־דָּוִ֡יד מַעְרָבָה֩ לְגִיחֹ֨ון בַּנַּ֜חַל וְלָבֹ֨וא בְשַׁ֤עַר הַדָּגִים֙ וְסָבַ֣ב לָעֹ֔פֶל וַיַּגְבִּיהֶ֖הָ מְאֹ֑ד וַיָּ֧שֶׂם שָֽׂרֵי־חַ֛יִל בְּכָל־הֶעָרִ֥ים הַבְּצֻרֹ֖ות בִּיהוּדָֽה׃ 14
इसके बाद उसने दाऊद के शहर के लिए जैहून के मग़रिब की तरफ़ वादी में मछली फाटक के मदखल तक एक बाहर की दीवार उठाई, और 'ओफ़ल को घेरा और उसे बहुत ऊँचा किया; और यहूदाह के सब फ़सीलदार शहरों में बहादुर जंगी सरदार रखे।
וַ֠יָּסַר אֶת־אֱלֹהֵ֨י הַנֵּכָ֤ר וְאֶת־הַסֶּ֙מֶל֙ מִבֵּ֣ית יְהוָ֔ה וְכָל־הַֽמִּזְבְּחֹ֗ות אֲשֶׁ֥ר בָּנָ֛ה בְּהַ֥ר בֵּית־יְהוָ֖ה וּבִירוּשָׁלָ֑͏ִם וַיַּשְׁלֵ֖ךְ ח֥וּצָה לָעִֽיר׃ 15
और उसने अजनबी मा'बूदों को, और ख़ुदावन्द के घर से उस मूरत को, और सब मज़बहों को जो उसने ख़ुदावन्द के घर के पहाड़ पर और येरूशलेम में बनवाए थे दूर किया और उनको शहर के बाहर फेंक दिया।
וַיָּכֶן (וַיִּ֙בֶן֙) אֶת־מִזְבַּ֣ח יְהוָ֔ה וַיִּזְבַּ֣ח עָלָ֔יו זִבְחֵ֥י שְׁלָמִ֖ים וְתֹודָ֑ה וַיֹּ֙אמֶר֙ לִֽיהוּדָ֔ה לַעֲבֹ֕וד אֶת־יְהוָ֖ה אֱלֹהֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ 16
और उसने ख़ुदावन्द के मज़बह की मरम्मत की और उस पर सलामती के ज़बीहों की और शुक्रगुज़ारी की क़ुर्बानियाँ अदा कीं और यहूदाह को इस्राईल के ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की इबादत का हुक्म दिया।
אֲבָל֙ עֹ֣וד הָעָ֔ם זֹבְחִ֖ים בַּבָּמֹ֑ות רַ֖ק לַיהוָ֥ה אֱלֹהֵיהֶֽם׃ 17
तो भी लोग ऊँचे मक़ामों में क़ुर्बानी करते रहे, लेकिन सिर्फ़ ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के लिए।
וְיֶ֨תֶר דִּבְרֵ֣י מְנַשֶּׁה֮ וּתְפִלָּתֹ֣ו אֶל־אֱלֹהָיו֒ וְדִבְרֵי֙ הַֽחֹזִ֔ים הַֽמְדַבְּרִ֣ים אֵלָ֔יו בְּשֵׁ֥ם יְהוָ֖ה אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל הִנָּ֕ם עַל־דִּבְרֵ֖י מַלְכֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ 18
और मनस्सी के बाक़ी काम और अपने ख़ुदा से उसकी दु'आ, और उन ग़ैबबीनों की बातें जिन्होंने ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा के नाम से उसके साथ कलाम किया, वह सब इस्राईल के बादशाहों के आ'माल के साथ लिखा हैं।
וּתְפִלָּתֹ֣ו וְהֵֽעָתֶר־לֹו֮ וְכָל־חַטָּאתֹ֣ו וּמַעְלֹו֒ וְהַמְּקֹמֹ֗ות אֲשֶׁר֩ בָּנָ֨ה בָהֶ֤ם בָּמֹות֙ וְהֶעֱמִיד֙ הָאֲשֵׁרִ֣ים וְהַפְּסִלִ֔ים לִפְנֵ֖י הִכָּנְעֹ֑ו הִנָּ֣ם כְּתוּבִ֔ים עַ֖ל דִּבְרֵ֥י חֹוזָֽי׃ 19
उसकी दुआ और उसका क़बूल होना, और उसकी ख़ाकसारी से पहले की सब ख़ताएँ और उसकी बेईमानी और वह जगह जहाँ उसने ऊंचे मक़ाम बनवाये और यसीरतें और तराशी हुई मूरतें खड़ी कीं, यह सब बातें हूज़ी की तारीख़ में क़लमबन्द हैं।
וַיִּשְׁכַּ֤ב מְנַשֶּׁה֙ עִם־אֲבֹתָ֔יו וַֽיִּקְבְּרֻ֖הוּ בֵּיתֹ֑ו וַיִּמְלֹ֛ךְ אָמֹ֥ון בְּנֹ֖ו תַּחְתָּֽיו׃ פ 20
और मनस्सी अपने बाप — दादा के साथ सो गया, और उन्होंने उसे उसी के घर में दफ़्न किया; और उसका बेटा अमून उसकी जगह बादशाह हुआ।
בֶּן־עֶשְׂרִ֧ים וּשְׁתַּ֛יִם שָׁנָ֖ה אָמֹ֣ון בְּמָלְכֹ֑ו וּשְׁתַּ֣יִם שָׁנִ֔ים מָלַ֖ךְ בִּֽירוּשָׁלָֽ͏ִם׃ 21
अमून बाइस साल का था जब वह हुकूमत करने लगा, और उसने दो साल येरूशलेम में हुकूमत की।
וַיַּ֤עַשׂ הָרַע֙ בְּעֵינֵ֣י יְהוָ֔ה כַּאֲשֶׁ֥ר עָשָׂ֖ה מְנַשֶּׁ֣ה אָבִ֑יו וּֽלְכָל־הַפְּסִילִ֗ים אֲשֶׁ֤ר עָשָׂה֙ מְנַשֶּׁ֣ה אָבִ֔יו זִבַּ֥ח אָמֹ֖ון וַיַּֽעַבְדֵֽם׃ 22
और जो ख़ुदावन्द की नज़र में बुरा है वही उसने किया, जैसा उसके बाप मनस्सी ने किया था। और अमून ने उन सब तराशी हुई मूरतों के आगे जो उसके बाप मनस्सी ने बनवाई थीं, क़ुर्बानियाँ कीं और उनकी इबादत की।
וְלֹ֤א נִכְנַע֙ מִלִּפְנֵ֣י יְהוָ֔ה כְּהִכָּנַ֖ע מְנַשֶּׁ֣ה אָבִ֑יו כִּ֛י ה֥וּא אָמֹ֖ון הִרְבָּ֥ה אַשְׁמָֽה׃ 23
और वह ख़ुदा वन्द के सामने ख़ाकसार न बना, जैसा उसका बाप मनस्सी ख़ाकसार बना था; बल्कि अमून ने गुनाह पर गुनाह किया।
וַיִּקְשְׁר֤וּ עָלָיו֙ עֲבָדָ֔יו וַיְמִיתֻ֖הוּ בְּבֵיתֹֽו׃ 24
तब उसके ख़ादिमों ने उसके ख़िलाफ़ साज़िश की और उसी के घर में उसे मार डाला।
וַיַּכּוּ֙ עַם־הָאָ֔רֶץ אֵ֥ת כָּל־הַקֹּֽשְׁרִ֖ים עַל־הַמֶּ֣לֶךְ אָמֹ֑ון וַיַּמְלִ֧יכוּ עַם־הָאָ֛רֶץ אֶת־יֹאשִׁיָּ֥הוּ בְנֹ֖ו תַּחְתָּֽיו׃ פ 25
लेकिन अहल — ए — मुल्क ने उन सबको क़त्ल किया जिन्होंने अमून बादशाह के ख़िलाफ़ साज़िश की थी, और अहल — ए — मुल्क ने उसके बेटे यूसियाह को उसकी जगह बादशाह बनाया।

< 2 דִּבְרֵי הַיָּמִים 33 >