< 2 דִּבְרֵי הַיָּמִים 20 >
וַיְהִ֣י אֽ͏ַחֲרֵיכֵ֡ן בָּ֣אוּ בְנֵי־מֹואָב֩ וּבְנֵ֨י עַמֹּ֜ון וְעִמָּהֶ֧ם ׀ מֵֽהָעַמֹּונִ֛ים עַל־יְהֹושָׁפָ֖ט לַמִּלְחָמָֽה׃ | 1 |
उसके बाद ऐसा हुआ कि बनी मोआब और बनी 'अम्मून और उनके साथ कुछ 'अम्मूनियों ने यहूसफ़त से लड़ने को चढ़ाई की।
וַיָּבֹ֗אוּ וַיַּגִּ֤ידוּ לִֽיהֹושָׁפָט֙ לֵאמֹ֔ר בָּ֣א עָלֶ֜יךָ הָמֹ֥ון רָ֛ב מֵעֵ֥בֶר לַיָּ֖ם מֵאֲרָ֑ם וְהִנָּם֙ בְּחַֽצְצֹ֣ון תָּמָ֔ר הִ֖יא עֵ֥ין גֶּֽדִי׃ | 2 |
तब चन्द लोगों ने आकर यहूसफ़त को ख़बर दी, “दरिया के पार अराम की तरफ़ से एक बड़ा गिरोह तेरे मुक़ाबिले को आ रहा है; और देख, वह हसासून — तमर में हैं, जो ऐनजदी है।”
וַיִּרָ֕א וַיִתֵּ֧ן יְהֹושָׁפָ֛ט אֶת־פָּנָ֖יו לִדְרֹ֣ושׁ לַיהוָ֑ה וַיִּקְרָא־צֹ֖ום עַל־כָּל־יְהוּדָֽה׃ | 3 |
और यहूसफ़त डर कर दिल से ख़ुदावन्द का तालिब हुआ, और सारे यहूदाह में रोज़ा का 'ऐलान कराया।
וַיִּקָּבְצ֣וּ יְהוּדָ֔ה לְבַקֵּ֖שׁ מֵֽיְהוָ֑ה גַּ֚ם מִכָּל־עָרֵ֣י יְהוּדָ֔ה בָּ֖אוּ לְבַקֵּ֥שׁ אֶת־יְהוָֽה׃ | 4 |
और बनी यहूदाह ख़ुदावन्द से मदद माँगने को इकट्ठे हुए, बल्कि यहूदाह के सब शहरों में से ख़ुदावन्द से मदद माँगने को आए।
וַיַּעֲמֹ֣ד יְהֹושָׁפָ֗ט בִּקְהַ֧ל יְהוּדָ֛ה וִירוּשָׁלַ֖͏ִם בְּבֵ֣ית יְהוָ֑ה לִפְנֵ֖י הֶחָצֵ֥ר הַחֲדָשָֽׁה׃ | 5 |
और यहूसफ़त यहूदाह और येरूशलेम की जमा'अत के बीच, ख़ुदावन्द के घर में नए सहन के आगे खड़ा हुआ
וַיֹּאמַ֗ר יְהוָ֞ה אֱלֹהֵ֤י אֲבֹתֵ֙ינוּ֙ הֲלֹ֨א אַתָּֽה־ה֤וּא אֱלֹהִים֙ בַּשָּׁמַ֔יִם וְאַתָּ֣ה מֹושֵׁ֔ל בְּכֹ֖ל מַמְלְכֹ֣ות הַגֹּויִ֑ם וּבְיָדְךָ֙ כֹּ֣חַ וּגְבוּרָ֔ה וְאֵ֥ין עִמְּךָ֖ לְהִתְיַצֵּֽב׃ | 6 |
और कहा, “ऐ ख़ुदावन्द, हमारे बाप — दादा के ख़ुदा! क्या तू ही आसमान में ख़ुदा नहीं? और क्या क़ौमों की सब मुल्कों पर हुकूमत करने वाला तू ही नहीं? ज़ोर और क़ुदरत तेरे हाथ में है, ऐसा कि कोई तेरा सामना नहीं कर सकता।
הֲלֹ֣א ׀ אַתָּ֣ה אֱלֹהֵ֗ינוּ הֹורַ֙שְׁתָּ֙ אֶת־יֹשְׁבֵי֙ הָאָ֣רֶץ הַזֹּ֔את מִלִּפְנֵ֖י עַמְּךָ֣ יִשְׂרָאֵ֑ל וַֽתִּתְּנָ֗הּ לְזֶ֛רַע אַבְרָהָ֥ם אֹֽהַבְךָ֖ לְעֹולָֽם׃ | 7 |
ऐ हमारे ख़ुदा, क्या तू ही ने इस सरज़मीन के बाशिंदों को अपनी क़ौम इस्राईल के आगे से निकाल कर इसे अपने दोस्त अब्रहाम की नसल को हमेशा के लिए नहीं दिया?
וַיֵּשְׁב֖וּ־בָ֑הּ וַיִּבְנ֨וּ לְךָ֧ ׀ בָּ֛הּ מִקְדָּ֖שׁ לְשִׁמְךָ֥ לֵאמֹֽר׃ | 8 |
चुनाँचे वह उसमें बस गए, और उन्होंने तेरे नाम के लिए उसमें एक मक़दिस बनाया है और कहते हैं कि;
אִם־תָּבֹ֨וא עָלֵ֜ינוּ רָעָ֗ה חֶרֶב֮ שְׁפֹוט֮ וְדֶ֣בֶר וְרָעָב֒ נַֽעַמְדָ֞ה לִפְנֵי֙ הַבַּ֤יִת הַזֶּה֙ וּלְפָנֶ֔יךָ כִּ֥י שִׁמְךָ֖ בַּבַּ֣יִת הַזֶּ֑ה וְנִזְעַ֥ק אֵלֶ֛יךָ מִצָּרָתֵ֖נוּ וְתִשְׁמַ֥ע וְתֹושִֽׁיעַ׃ | 9 |
अगर कोई बला हम पर आ पड़े, जैसे तलवार या आफ़त या वबा या काल, तो हम इस घर के आगे और तेरे सामने खड़े होंगे क्यूँकि तेरा नाम इस घर में है, और हम अपनी मुसीबत में तुझ से फ़रियाद करेंगे और तू सुनेगा और बचा लेगा।
וְעַתָּ֡ה הִנֵּה֩ בְנֵֽי־עַמֹּ֨ון וּמֹואָ֜ב וְהַר־שֵׂעִ֗יר אֲ֠שֶׁר לֹֽא־נָתַ֤תָּה לְיִשְׂרָאֵל֙ לָבֹ֣וא בָהֶ֔ם בְּבֹאָ֖ם מֵאֶ֣רֶץ מִצְרָ֑יִם כִּ֛י סָ֥רוּ מֵעֲלֵיהֶ֖ם וְלֹ֥א הִשְׁמִידֽוּם׃ | 10 |
इसलिए अब देख, 'अम्मून और मोआब और कोह — ए — श'ईर के लोग जिन पर तू ने बनी — इस्राईल को, जब वह मुल्क — ए — मिस्र से निकलकर आ रहे थे, हमला करने न दिया बल्कि वह उनकी तरफ़ से मुड़ गए और उनको हलाक न किया।
וְהִ֨נֵּה־הֵ֔ם גֹּמְלִ֖ים עָלֵ֑ינוּ לָבֹוא֙ לְגָ֣רְשֵׁ֔נוּ מִיְּרֻשָּׁתְךָ֖ אֲשֶׁ֥ר הֹֽורַשְׁתָּֽנוּ׃ | 11 |
देख, वह हम को कैसा बदला देते हैं कि हम को तेरी मीरास से, जिसका तू ने हम को मालिक बनाया है, निकालने को आ रहे हैं।
אֱלֹהֵ֙ינוּ֙ הֲלֹ֣א תִשְׁפָּט־בָּ֔ם כִּ֣י אֵ֥ין בָּ֙נוּ֙ כֹּ֔חַ לִ֠פְנֵי הֶהָמֹ֥ון הָרָ֛ב הַזֶּ֖ה הַבָּ֣א עָלֵ֑ינוּ וַאֲנַ֗חְנוּ לֹ֤א נֵדַע֙ מַֽה־נַּעֲשֶׂ֔ה כִּ֥י עָלֶ֖יךָ עֵינֵֽינוּ׃ | 12 |
ऐ हमारे ख़ुदा क्या तू उनकी 'अदालत नहीं करेगा? क्यूँकि इस बड़े गिरोह के मुक़ाबिल जो हम पर चढ़ा आता है, हम कुछ ताक़त नहीं रखते और न हम यह जानते हैं कि क्या करें? बल्कि हमारी आँखें तुझ पर लगी हैं।”
וְכֹ֨ל־יְהוּדָ֔ה עֹמְדִ֖ים לִפְנֵ֣י יְהוָ֑ה גַּם־טַפָּ֖ם נְשֵׁיהֶ֥ם וּבְנֵיהֶֽם׃ פ | 13 |
और सारा यहूदाह अपने बच्चों और बीवियों और लड़कों समेत ख़ुदावन्द के सामने खड़ा रहा।
וְיַחֲזִיאֵ֡ל בֶּן־זְכַרְיָ֡הוּ בֶּן־בְּ֠נָיָה בֶּן־יְעִיאֵ֧ל בֶּן־מַתַּנְיָ֛ה הַלֵּוִ֖י מִן־בְּנֵ֣י אָסָ֑ף הָיְתָ֤ה עָלָיו֙ ר֣וּחַ יְהוָ֔ה בְּתֹ֖וךְ הַקָּהָֽל׃ | 14 |
तब जमा'अत के बीच यहज़ीएल बिन ज़करियाह बिन बिनायाह बिन यईएल बिन मत्तनियाह, एक लावी पर जो बनी आसफ़ में से था, ख़ुदावन्द की रूह नाज़िल हुई
וַיֹּ֗אמֶר הַקְשִׁ֤יבוּ כָל־יְהוּדָה֙ וְיֹשְׁבֵ֣י יְרוּשָׁלַ֔͏ִם וְהַמֶּ֖לֶךְ יְהֹושָׁפָ֑ט כֹּֽה־אָמַ֨ר יְהוָ֜ה לָכֶ֗ם אַ֠תֶּם אַל־תִּֽירְא֤וּ וְאַל־תֵּחַ֙תּוּ֙ מִפְּנֵ֨י הֶהָמֹ֤ון הָרָב֙ הַזֶּ֔ה כִּ֣י לֹ֥א לָכֶ֛ם הַמִּלְחָמָ֖ה כִּ֥י לֵאלֹהִֽים׃ | 15 |
और वह कहने लगा, ऐ तमाम यहूदाह और येरूशलेम के बाशिन्दों, और ऐ बादशाह यहूसफ़त, तुम सब सुनो! ख़ुदावन्द तुम को यूँ फ़रमाता है कि तुम इस बड़े गिरोह की वजह से न तो डरो और न घबराओ, क्यूँकि यह जंग तुम्हारी नहीं बल्कि ख़ुदा की है।
מָחָר֙ רְד֣וּ עֲלֵיהֶ֔ם הִנָּ֥ם עֹלִ֖ים בְּמַעֲלֵ֣ה הַצִּ֑יץ וּמְצָאתֶ֤ם אֹתָם֙ בְּסֹ֣וף הַנַּ֔חַל פְּנֵ֖י מִדְבַּ֥ר יְרוּאֵֽל׃ | 16 |
तुम कल उनका सामना करने को जाना। देखो, वह सीस की चढ़ाई से आ रहे हैं, और यरूएल के जंगल के सामने वादी के किनारे पर तुम को मिलेंगे
לֹ֥א לָכֶ֖ם לְהִלָּחֵ֣ם בָּזֹ֑את הִתְיַצְּב֣וּ עִמְד֡וּ וּרְא֣וּ אֶת־יְשׁוּעַת֩ יְהוָ֨ה עִמָּכֶ֜ם יְהוּדָ֣ה וִֽירוּשָׁלַ֗͏ִם אַל־תִּֽירְאוּ֙ וְאַל־תֵּחַ֔תּוּ מָחָר֙ צְא֣וּ לִפְנֵיהֶ֔ם וַיהוָ֖ה עִמָּכֶֽם׃ | 17 |
तुम को इस जगह में लड़ना नहीं पड़ेगा। ऐ यहूदाह और येरूशलेम, तुम क़तार बाँधकर चुपचाप खड़े रहना और ख़ुदावन्द की नजात जो तुम्हारे साथ है देखना। ख़ौफ़ न करो और न घबराओ; कल उनके मुक़ाबिला को निकलना, क्यूँकि ख़ुदावन्द तुम्हारे साथ है।
וַיִּקֹּ֧ד יְהֹושָׁפָ֛ט אַפַּ֖יִם אָ֑רְצָה וְכָל־יְהוּדָ֞ה וְיֹשְׁבֵ֣י יְרוּשָׁלַ֗͏ִם נָֽפְלוּ֙ לִפְנֵ֣י יְהוָ֔ה לְהִֽשְׁתַּחֲוֹ֖ת לַיהוָֽה׃ | 18 |
और यहूसफ़त सिज्दे होकर ज़मीन तक झुका, और तमाम यहूदाह और येरूशलेम के रहने वालों ने ख़ुदावन्द के आगे गिरकर उसको सिज्दा किया।
וַיָּקֻ֧מוּ הַלְוִיִּ֛ם מִן־בְּנֵ֥י הַקְּהָתִ֖ים וּמִן־בְּנֵ֣י הַקָּרְחִ֑ים לְהַלֵּ֗ל לַיהוָה֙ אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל בְּקֹ֥ול גָּדֹ֖ול לְמָֽעְלָה׃ | 19 |
और बनी क़िहात और बनी क़ोरह के लावी बुलन्द आवाज़ से ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा की हम्द करने को खड़े हो गए।
וַיַּשְׁכִּ֣ימוּ בַבֹּ֔קֶר וַיֵּצְא֖וּ לְמִדְבַּ֣ר תְּקֹ֑ועַ וּבְצֵאתָ֞ם עָמַ֣ד יְהֹושָׁפָ֗ט וַיֹּ֙אמֶר֙ שְׁמָע֗וּנִי יְהוּדָה֙ וְיֹשְׁבֵ֣י יְרוּשָׁלַ֔͏ִם הַאֲמִ֜ינוּ בַּיהוָ֤ה אֱלֹהֵיכֶם֙ וְתֵ֣אָמֵ֔נוּ הַאֲמִ֥ינוּ בִנְבִיאָ֖יו וְהַצְלִֽיחוּ׃ | 20 |
और वह सुबह सवेरे उठ कर तकू'अ के जंगल में निकल गए, और उनके चलते वक़्त यहूसफ़त ने खड़े होकर कहा, “ऐ यहूदाह और येरूशलेम के बाशिन्दों, मेरी सुनो। ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा पर ईमान रखों, तो तुम क़ाइम किए जाओगे; उसके नबियों का यक़ीन करो, तो तुम कामयाब होगे।”
וַיִּוָּעַץ֙ אֶל־הָעָ֔ם וַיַּעֲמֵ֤ד מְשֹֽׁרֲרִים֙ לַיהוָ֔ה וּֽמְהַֽלְלִ֖ים לְהַדְרַת־קֹ֑דֶשׁ בְּצֵאת֙ לִפְנֵ֣י הֶֽחָל֔וּץ וְאֹֽמְרִים֙ הֹוד֣וּ לַיהוָ֔ה כִּ֥י לְעֹולָ֖ם חַסְדֹּֽו׃ | 21 |
जब उसने क़ौम से सलाह कर लिया, तो उन लोगों को मुक़र्रर किया जो लश्कर के आगे आगे चलते हुए ख़ुदावन्द के लिए गाएँ, और पाकीज़गी की ख़ूबसूरती के साथ उसकी हम्द करें और कहें, कि ख़ुदावन्द की शुक्रगुज़ारी करो क्यूँकि उसकी रहमत हमेशा तक है।
וּבְעֵת֩ הֵחֵ֨לּוּ בְרִנָּ֜ה וּתְהִלָּ֗ה נָתַ֣ן יְהוָ֣ה ׀ מְ֠אָֽרְבִים עַל־בְּנֵ֨י עַמֹּ֜ון מֹואָ֧ב וְהַר־שֵׂעִ֛יר הַבָּאִ֥ים לִֽיהוּדָ֖ה וַיִּנָּגֵֽפוּ׃ | 22 |
जब वह गाने और हम्द करने लगे, तो ख़ुदावन्द ने बनी 'अम्मून और मोआब और कोह — ए — श'ईर के बाशिन्दों पर जो यहूदाह पर चढ़े आ रहे थे, कमीन वालों को बैठा दिया इसलिए वह मारे गए।
וַ֠יַּֽעַמְדוּ בְּנֵ֨י עַמֹּ֧ון וּמֹואָ֛ב עַל־יֹשְׁבֵ֥י הַר־שֵׂעִ֖יר לְהַחֲרִ֣ים וּלְהַשְׁמִ֑יד וּכְכַלֹּותָם֙ בְּיֹושְׁבֵ֣י שֵׂעִ֔יר עָזְר֥וּ אִישׁ־בְּרֵעֵ֖הוּ לְמַשְׁחִֽית׃ | 23 |
क्यूँकि बनी 'अम्मून और मोआब कोह — ए — श'ईर के बाशिन्दों के मुक़ाबिले में खड़े हो गए कि उनको बिल्कुल तह — ए — तेग और हलाक करें, और जब वह शईर के बाशिन्दों का ख़ातिमा कर चुके, तो आपस में एक दूसरे को हलाक करने लगे।
וִֽיהוּדָ֛ה בָּ֥א עַל־הַמִּצְפֶּ֖ה לַמִּדְבָּ֑ר וַיִּפְנוּ֙ אֶל־הֶ֣הָמֹ֔ון וְהִנָּ֧ם פְּגָרִ֛ים נֹפְלִ֥ים אַ֖רְצָה וְאֵ֥ין פְּלֵיטָֽה׃ | 24 |
और जब यहूदाह ने पहरेदारों के बुर्ज पर जो बियाबान में था, पहुँच कर उस गिरोह पर नज़र की तो क्या देखा कि उनकी लाशें ज़मीन पर पड़ी हैं, और कोई न बचा।
וַיָּבֹ֨א יְהֹושָׁפָ֣ט וְעַמֹּו֮ לָבֹ֣ז אֶת־שְׁלָלָם֒ וַיִּמְצְאוּ֩ בָהֶ֨ם לָרֹ֜ב וּרְכ֤וּשׁ וּפְגָרִים֙ וּכְלֵ֣י חֲמֻדֹ֔ות וַיְנַצְּל֥וּ לָהֶ֖ם לְאֵ֣ין מַשָּׂ֑א וַיִּֽהְי֞וּ יָמִ֧ים שְׁלֹושָׁ֛ה בֹּזְזִ֥ים אֶת־הַשָּׁלָ֖ל כִּ֥י רַב־הֽוּא׃ | 25 |
जब यहूसफ़त और उसके लोग उनका माल लूटने आए, तो उनको इस कसरत से दौलत और लाशे और क़ीमती जवाहिर जिनकी उन्होंने अपने लिए उतार लिया, मिले कि वह इनको ले जा भी न सके, और माल — ए — ग़नीमत इतना था कि वह तीन दिन तक उसके बटोर ने में लगे रहे।
וּבַיֹּ֣ום הָרְבִעִ֗י נִקְהֲלוּ֙ לְעֵ֣מֶק בְּרָכָ֔ה כִּי־שָׁ֖ם בֵּרֲכ֣וּ אֶת־יְהוָ֑ה עַל־כֵּ֡ן קָֽרְא֞וּ אֶת־שֵׁ֨ם הַמָּקֹ֥ום הַה֛וּא עֵ֥מֶק בְּרָכָ֖ה עַד־הַיֹּֽום׃ | 26 |
चौथे दिन वह बराकाह की वादी में इकट्ठे हुए क्यूँकि उन्होंने वहाँ ख़ुदावन्द को मुबारक कहा; इसलिए कि उस मक़ाम का नाम आज तक बराकाह की वादी है।
וַ֠יָּשֻׁבוּ כָּל־אִ֨ישׁ יְהוּדָ֤ה וִֽירוּשָׁלַ֙͏ִם֙ וִֽיהֹושָׁפָ֣ט בְּרֹאשָׁ֔ם לָשׁ֥וּב אֶל־יְרוּשָׁלַ֖͏ִם בְּשִׂמְחָ֑ה כִּֽי־שִׂמְּחָ֥ם יְהוָ֖ה מֵֽאֹויְבֵיהֶֽם׃ | 27 |
तब वह लौटे, या'नी यहूदाह और येरूशलेम का हर शख़्स उनके आगे आगे यहूसफ़त ताकि वह ख़ुशी ख़ुशी येरूशलेम को वापस जाएँ, क्यूँकि ख़ुदावन्द ने उनको उनके दुश्मनों पर ख़ुश किया था।
וַיָּבֹ֙אוּ֙ יְר֣וּשָׁלַ֔͏ִם בִּנְבָלִ֥ים וּבְכִנֹּרֹ֖ות וּבַחֲצֹצְרֹ֑ות אֶל־בֵּ֖ית יְהוָֽה׃ | 28 |
इसलिए वह सितार और बरबत और नरसिंगे लिए येरूशलेम में ख़ुदावन्द के घर में आए।
וַיְהִי֙ פַּ֣חַד אֱלֹהִ֔ים עַ֖ל כָּל־מַמְלְכֹ֣ות הָאֲרָצֹ֑ות בְּשָׁמְעָ֕ם כִּ֚י נִלְחַ֣ם יְהוָ֔ה עִ֖ם אֹויְבֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ | 29 |
और ख़ुदा का ख़ौफ़ उन मुल्कों की सब सल्तनतों पर छा गया, जब उन्होंने सुना कि इस्राईल कि दुश्मनों से ख़ुदावन्द ने लड़ाई की है।
וַתִּשְׁקֹ֖ט מַלְכ֣וּת יְהֹושָׁפָ֑ט וַיָּ֧נַֽח לֹ֦ו אֱלֹהָ֖יו מִסָּבִֽיב׃ פ | 30 |
इसलिए यहूसफ़त की हुकूमत में अम्न रहा, क्यूँकि उसके ख़ुदा ने उसे चारों तरफ़ अमान बख़्शी।
וַיִּמְלֹ֥ךְ יְהֹושָׁפָ֖ט עַל־יְהוּדָ֑ה בֶּן־שְׁלֹשִׁים֩ וְחָמֵ֨שׁ שָׁנָ֜ה בְּמָלְכֹ֗ו וְעֶשְׂרִ֨ים וְחָמֵ֤שׁ שָׁנָה֙ מָלַ֣ךְ בִּֽירוּשָׁלַ֔͏ִם וְשֵׁ֣ם אִמֹּ֔ו עֲזוּבָ֖ה בַּת־שִׁלְחִֽי׃ | 31 |
यहूसफ़त यहूदाह पर हुकूमत करता रहा। जब वह हुकूमत करने लगा तो पैतीस साल का था, और उसने येरूशलेम में पच्चीस साल हुकूमत की। उसकी माँ का नाम 'अजूबाह था, जो सिलही की बेटी थी।
וַיֵּ֗לֶךְ בְּדֶ֛רֶךְ אָבִ֥יו אָסָ֖א וְלֹא־סָ֣ר מִמֶּ֑נָּה לַעֲשֹׂ֥ות הַיָּשָׁ֖ר בְּעֵינֵ֥י יְהוָֽה׃ | 32 |
वह अपने बाप आसा के रास्ते पर चला और उससे न मुड़ा, या'नी वही किया जो ख़ुदावन्द की नज़र में ठीक है।
אַ֥ךְ הַבָּמֹ֖ות לֹא־סָ֑רוּ וְעֹ֤וד הָעָם֙ לֹא־הֵכִ֣ינוּ לְבָבָ֔ם לֵאלֹהֵ֖י אֲבֹתֵיהֶֽם׃ | 33 |
तो भी ऊँचे मक़ाम दूर न किए गए थे, और अब तक लोगों ने अपने बाप — दादा के ख़ुदा से दिल नहीं लगाया था।
וְיֶ֙תֶר֙ דִּבְרֵ֣י יְהֹושָׁפָ֔ט הָרִאשֹׁנִ֖ים וְהָאַחֲרֹנִ֑ים הִנָּ֣ם כְּתוּבִ֗ים בְּדִבְרֵי֙ יֵה֣וּא בֶן־חֲנָ֔נִי אֲשֶׁ֣ר הֹֽעֲלָ֔ה עַל־סֵ֖פֶר מַלְכֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ | 34 |
और यहूसफ़त के बाक़ी काम शुरू' से आख़िर तक याहू बिन हनानी की तारीख़ में दर्ज हैं, जो इस्राईल के सलातीन की किताब में शामिल है
וְאַחֲרֵיכֵ֗ן אֶתְחַבַּר֙ יְהֹושָׁפָ֣ט מֶֽלֶךְ־יְהוּדָ֔ה עִ֖ם אֲחַזְיָ֣ה מֶֽלֶךְ־יִשְׂרָאֵ֑ל ה֖וּא הִרְשִׁ֥יעַ לַעֲשֹֽׂות׃ | 35 |
इसके बाद यहूदाह के बादशाह यहूसफ़त ने इस्राईल के बादशाह अख़ज़ियाह से, जो बड़ा बदकार था, सुलह किया;
וַיְחַבְּרֵ֣הוּ עִמֹּ֔ו לַעֲשֹׂ֥ות אֳנִיֹּ֖ות לָלֶ֣כֶת תַּרְשִׁ֑ישׁ וַיַּעֲשׂ֥וּ אֳנִיֹּ֖ות בְּעֶצְיֹ֥ון גָּֽבֶר׃ | 36 |
और इसलिए उससे सुलह किया कि तरसीस जाने को जहाज़ बनाए, और उन्होंने 'अस्यूनजाबर में जहाज़ बनाए।
וַיִּתְנַבֵּ֞א אֱלִיעֶ֤זֶר בֶּן־דֹּדָוָ֙הוּ֙ מִמָּ֣רֵשָׁ֔ה עַל־יְהֹושָׁפָ֖ט לֵאמֹ֑ר כְּהִֽתְחַבֶּרְךָ֣ עִם־אֲחַזְיָ֗הוּ פָּרַ֤ץ יְהוָה֙ אֶֽת־מַעֲשֶׂ֔יךָ וַיִּשָּׁבְר֣וּ אֳנִיֹּ֔ות וְלֹ֥א עָצְר֖וּ לָלֶ֥כֶת אֶל־תַּרְשִֽׁישׁ׃ | 37 |
तब एलियाज़र बिन दूदावाहू ने, जो मरीसा का था, यहूसफ़त के बरख़िलाफ़ नबुव्वत की और कहा, “इसलिए कि तू ने अख़ज़ियाह से सुलह कर लिया है, ख़ुदावन्द ने तेरे बनाए को तोड़ दिया है।” फ़िर वह जहाज़ ऐसे टूटे कि तरसीस को न जा सके।