< 1 שְׁמוּאֵל 2 >
וַתִּתְפַּלֵּ֤ל חַנָּה֙ וַתֹּאמַ֔ר עָלַ֤ץ לִבִּי֙ בַּֽיהוָ֔ה רָ֥מָה קַרְנִ֖י בַּֽיהוָ֑ה רָ֤חַב פִּי֙ עַל־אֹ֣ויְבַ֔י כִּ֥י שָׂמַ֖חְתִּי בִּישׁוּעָתֶֽךָ׃ | 1 |
फिर हन्नाह ने यह प्रार्थना गीत गाया: “मेरा हृदय याहवेह में आनंद कर रहा है; याहवेह ने मेरे सींग को ऊंचा किया है, मैं ऊंचे स्वर में शत्रुओं के विरुद्ध बोलूंगी, क्योंकि मैं अपनी जय में आनंदित हूं.
אֵין־קָדֹ֥ושׁ כַּיהוָ֖ה כִּ֣י אֵ֣ין בִּלְתֶּ֑ךָ וְאֵ֥ין צ֖וּר כֵּאלֹהֵֽינוּ׃ | 2 |
“पवित्रता में कोई भी याहवेह समान नहीं है; आपके अलावा दूसरा कोई भी नहीं है; हमारे परमेश्वर समान चट्टान कोई नहीं.
אַל־תַּרְבּ֤וּ תְדַבְּרוּ֙ גְּבֹהָ֣ה גְבֹהָ֔ה יֵצֵ֥א עָתָ֖ק מִפִּיכֶ֑ם כִּ֣י אֵ֤ל דֵּעֹות֙ יְהוָ֔ה וְלֹא (וְלֹ֥ו) נִתְכְּנ֖וּ עֲלִלֹֽות׃ | 3 |
“घमण्ड़ की बातें अब खत्म कर दी जाए, कि कोई भी अहंकार भरी बातें तुम्हारे मुंह से न निकले, क्योंकि याहवेह वह परमेश्वर हैं, जो सर्वज्ञानी हैं, वह मनुष्य के कामों को परखते रहते हैं.
קֶ֥שֶׁת גִּבֹּרִ֖ים חַתִּ֑ים וְנִכְשָׁלִ֖ים אָ֥זְרוּ חָֽיִל׃ | 4 |
“वीरों के धनुष तोड़ दिए गए हैं, मगर जो कमजोर थे उनका बल स्थिर हो गया.
שְׂבֵעִ֤ים בַּלֶּ֙חֶם֙ נִשְׂכָּ֔רוּ וּרְעֵבִ֖ים חָדֵ֑לּוּ עַד־עֲקָרָה֙ יָלְדָ֣ה שִׁבְעָ֔ה וְרַבַּ֥ת בָּנִ֖ים אֻמְלָֽלָה׃ | 5 |
वे, जो भरपेट भोजन कर संतुष्ट रहते थे, वे अब मजदूरी पाने के लिए काम ढूंढ़ रहे हैं. मगर अब, जो भूखे रहा करते थे, भूखे न रहे. वह जो बांझ हुआ करती थी, आज सात संतान की जननी है, मगर वह, जो अनेक संतान की माता है, उसकी स्थिति दयनीय हो गई है.
יְהוָ֖ה מֵמִ֣ית וּמְחַיֶּ֑ה מֹורִ֥יד שְׁאֹ֖ול וַיָּֽעַל׃ (Sheol ) | 6 |
“याहवेह ही हैं, जो प्राण ले लेते तथा जीवनदान देते हैं; वही अधोलोक में भेज देते, तथा वही जीवित करते हैं. (Sheol )
יְהוָ֖ה מֹורִ֣ישׁ וּמַעֲשִׁ֑יר מַשְׁפִּ֖יל אַף־מְרֹומֵֽם׃ | 7 |
याहवेह ही कंगाल बनाते, तथा वही धनी बनाते हैं; वही गिराते हैं और वही उन्नत करते हैं.
מֵקִ֨ים מֵעָפָ֜ר דָּ֗ל מֵֽאַשְׁפֹּת֙ יָרִ֣ים אֶבְיֹ֔ון לְהֹושִׁיב֙ עִם־נְדִיבִ֔ים וְכִסֵּ֥א כָבֹ֖וד יַנְחִלֵ֑ם כִּ֤י לַֽיהוָה֙ מְצֻ֣קֵי אֶ֔רֶץ וַיָּ֥שֶׁת עֲלֵיהֶ֖ם תֵּבֵֽל׃ | 8 |
वह निर्धन को धूलि से उठाते हैं, वही दरिद्रों को भस्म के ढेर से उठाकर उन्नत करते हैं; कि वे प्रधानों के सामने बैठ सम्मानित किए जाएं, तथा वे ऊंचे पद पर बैठाए जाएं. “पृथ्वी की नींव याहवेह की है; उन्होंने इन्हीं पर पृथ्वी की स्थापना की है.
רַגְלֵ֤י חֲסִידֹו (חֲסִידָיו֙) יִשְׁמֹ֔ר וּרְשָׁעִ֖ים בַּחֹ֣שֶׁךְ יִדָּ֑מּוּ כִּֽי־לֹ֥א בְכֹ֖חַ יִגְבַּר־אִֽישׁ׃ | 9 |
वह अपने श्रद्धालुओं की रक्षा करते रहते हैं, मगर दुष्टों को अंधकार में निःशब्द कर दिया जाता है. “क्योंकि कोई भी व्यक्ति अपने बल के कारण विजयी नहीं होता;
יְהוָ֞ה יֵחַ֣תּוּ מְרִיבֹו (מְרִיבָ֗יו) עָלֹו (עָלָיו֙) בַּשָּׁמַ֣יִם יַרְעֵ֔ם יְהוָ֖ה יָדִ֣ין אַפְסֵי־אָ֑רֶץ וְיִתֶּן־עֹ֣ז לְמַלְכֹּ֔ו וְיָרֵ֖ם קֶ֥רֶן מְשִׁיחֹֽו׃ פ | 10 |
याहवेह के विरोधी चकनाचूर कर दिए जाएंगे. याहवेह स्वर्ग से उनके विरुद्ध बिजली गिराएंगे; याहवेह का न्याय पृथ्वी के एक छोर से दूसरे तक होता है. “वह अपने राजा को शक्ति-सम्पन्न करते हैं, तथा अपने अभिषिक्त के सींग को ऊंचा कर देते हैं.”
וַיֵּ֧לֶךְ אֶלְקָנָ֛ה הָרָמָ֖תָה עַל־בֵּיתֹ֑ו וְהַנַּ֗עַר הָיָ֤ה מְשָׁרֵת֙ אֶת־יְהוָ֔ה אֶת־פְּנֵ֖י עֵלִ֥י הַכֹּהֵֽן׃ | 11 |
यह सब होने के बाद एलकाना रामाह नगर में अपना घर लौट गए, मगर वह बालक पुरोहित एली की उपस्थिति में रहकर याहवेह की सेवा करने लगा.
וּבְנֵ֥י עֵלִ֖י בְּנֵ֣י בְלִיָּ֑עַל לֹ֥א יָדְע֖וּ אֶת־יְהוָֽה׃ | 12 |
एली के पुत्र बुरे चरित्र के थे. उनके लिए न तो याहवेह के अधिकार का कोई महत्व था;
וּמִשְׁפַּ֥ט הַכֹּהֲנִ֖ים אֶת־הָעָ֑ם כָּל־אִ֞ישׁ זֹבֵ֣חַ זֶ֗בַח וּבָ֨א נַ֤עַר הַכֹּהֵן֙ כְּבַשֵּׁ֣ל הַבָּשָׂ֔ר וְהַמַּזְלֵ֛ג שְׁלֹ֥שׁ־הַשִּׁנַּ֖יִם בְּיָדֹֽו׃ | 13 |
और न ही बलि चढ़ाने की प्रक्रिया में जनसाधारण के साथ पुरोहितों की सामान्य रीति का. होता यह था कि जब बलि चढ़ाई जा चुकी थी, और बर्तन में मांस उबाला जा रहा था, पुरोहित का सेवक एक तीन तरफा कांटा लिए हुए बर्तन के निकट आता था,
וְהִכָּ֨ה בַכִּיֹּ֜ור אֹ֣ו בַדּ֗וּד אֹ֤ו בַקַּלַּ֙חַת֙ אֹ֣ו בַפָּר֔וּר כֹּ֚ל אֲשֶׁ֣ר יַעֲלֶ֣ה הַמַּזְלֵ֔ג יִקַּ֥ח הַכֹּהֵ֖ן בֹּ֑ו כָּ֚כָה יַעֲשׂ֣וּ לְכָל־יִשְׂרָאֵ֔ל הַבָּאִ֥ים שָׁ֖ם בְּשִׁלֹֽה׃ | 14 |
वह इसे बर्तन में डालकर चुभोता था और जितना मांस तीन तरफा कांटा में लगा हुआ आता था, उसे पुरोहित अपने लिए रख लेता था. ऐसा वे शीलो नगर में आए सभी इस्राएलियों के साथ करते थे.
גַּם֮ בְּטֶרֶם֮ יַקְטִר֣וּן אֶת־הַחֵלֶב֒ וּבָ֣א ׀ נַ֣עַר הַכֹּהֵ֗ן וְאָמַר֙ לָאִ֣ישׁ הַזֹּבֵ֔חַ תְּנָ֣ה בָשָׂ֔ר לִצְלֹ֖ות לַכֹּהֵ֑ן וְלֹֽא־יִקַּ֧ח מִמְּךָ֛ בָּשָׂ֥ר מְבֻשָּׁ֖ל כִּ֥י אִם־חָֽי׃ | 15 |
यहां तक कि सांस्कारिक रीति से चर्बी के जलाए जाने के पहले ही पुरोहित के सेवक आकर बलि चढ़ाने वाले व्यक्ति को आदेश देते थे, “बर्तन में डाले जाने के पहले ही पुरोहित के लिए निर्धारित मांस हमें कच्चा ही दे दो कि उसे भूनकर प्रयुक्त किया जा सके.”
וַיֹּ֨אמֶר אֵלָ֜יו הָאִ֗ישׁ קַטֵּ֨ר יַקְטִיר֤וּן כַּיֹּום֙ הַחֵ֔לֶב וְקַ֨ח־לְךָ֔ כַּאֲשֶׁ֥ר תְּאַוֶּ֖ה נַפְשֶׁ֑ךָ וְאָמַ֥ר ׀ לֹו (לֹא֙) כִּ֚י עַתָּ֣ה תִתֵּ֔ן וְאִם־לֹ֖א לָקַ֥חְתִּי בְחָזְקָֽה׃ | 16 |
यदि बलि अर्पित करनेवाला व्यक्ति उत्तर में यह कहता था, “ज़रा वसा तो जल जाने दो, फिर जो चाहे वह अंश ले लेना,” वे कहते थे, “नहीं, यह तो हम अभी ही ले जाएंगे; यदि नहीं दोगे, तो हम ज़बरदस्ती ले जाएंगे.”
וַתְּהִ֨י חַטַּ֧את הַנְּעָרִ֛ים גְּדֹולָ֥ה מְאֹ֖ד אֶת־פְּנֵ֣י יְהוָ֑ה כִּ֤י נִֽאֲצוּ֙ הָֽאֲנָשִׁ֔ים אֵ֖ת מִנְחַ֥ת יְהוָֽה׃ | 17 |
याहवेह की दृष्टि में यह बहुत ही गंभीर पाप था; क्योंकि ऐसा करते हुए वे याहवेह को चढ़ाई गई बलि का अपमान कर रहे थे.
וּשְׁמוּאֵ֕ל מְשָׁרֵ֖ת אֶת־פְּנֵ֣י יְהוָ֑ה נַ֕עַר חָג֖וּר אֵפֹ֥וד בָּֽד׃ | 18 |
इस समय शमुएल याहवेह की उपस्थिति में रहते हुए सेवा कर रहे थे. वह पुरोहितों के समान ही वस्त्र धारण करते थे.
וּמְעִ֤יל קָטֹן֙ תַּעֲשֶׂה־לֹּ֣ו אִמֹּ֔ו וְהַעַלְתָ֥ה לֹ֖ו מִיָּמִ֣ים ׀ יָמִ֑ימָה בַּֽעֲלֹותָהּ֙ אֶת־אִישָׁ֔הּ לִזְבֹּ֖חַ אֶת־זֶ֥בַח הַיָּמִֽים׃ | 19 |
जब उनकी माता अपने पति के साथ वार्षिक बलि चढ़ाने के लिए वहां आती थी, वह बालक शमुएल के लिए नियमित रूप से ऐसे वस्त्र बनाकर लाया करती थी.
וּבֵרַ֨ךְ עֵלִ֜י אֶת־אֶלְקָנָ֣ה וְאֶת־אִשְׁתֹּ֗ו וְאָמַר֙ יָשֵׂם֩ יְהוָ֨ה לְךָ֥ זֶ֙רַע֙ מִן־הָאִשָּׁ֣ה הַזֹּ֔את תַּ֚חַת הַשְּׁאֵלָ֔ה אֲשֶׁ֥ר שָׁאַ֖ל לַֽיהוָ֑ה וְהָלְכ֖וּ לִמְקֹמֹֽו׃ | 20 |
एलकाना तथा उनकी पत्नी के लिए एली इस प्रकार के आशीर्वाद दिया करते थे: “याहवेह तुम्हारे लिए इस स्त्री के द्वारा संतान प्रदान करें, कि जिस बालक को इसने याहवेह को समर्पित किया है, उसका खालीपन भर जाए.” तब वे अपने घर लौट जाते थे.
כִּֽי־פָקַ֤ד יְהוָה֙ אֶת־חַנָּ֔ה וַתַּ֛הַר וַתֵּ֥לֶד שְׁלֹשָֽׁה־בָנִ֖ים וּשְׁתֵּ֣י בָנֹ֑ות וַיִּגְדַּ֛ל הַנַּ֥עַר שְׁמוּאֵ֖ל עִם־יְהוָֽה׃ ס | 21 |
तब याहवेह ने अपनी कृपादृष्टि में हन्नाह की सुधि ली. उसने गर्भधारण किया और उनके तीन पुत्र और दो पुत्रियां पैदा हुए. बालक शमुएल याहवेह के भवन में विकसित होते चले गए.
וְעֵלִ֖י זָקֵ֣ן מְאֹ֑ד וְשָׁמַ֗ע אֵת֩ כָּל־אֲשֶׁ֨ר יַעֲשׂ֤וּן בָּנָיו֙ לְכָל־יִשְׂרָאֵ֔ל וְאֵ֤ת אֲשֶֽׁר־יִשְׁכְּבוּן֙ אֶת־הַנָּשִׁ֔ים הַצֹּ֣בְאֹ֔ות פֶּ֖תַח אֹ֥הֶל מֹועֵֽד׃ | 22 |
इस समय एली बहुत ही बूढ़े हो चुके थे. उन्हें इसकी सूचना दी जा चुकी थी कि अपने पुत्र इस्राएल के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं और वे उन स्त्रियों के साथ शारीरिक संबंध भी करते थे, जिन्हें मिलाप तंबू के प्रवेश पर सेवा के लिए नियुक्त किया जाता था.
וַיֹּ֣אמֶר לָהֶ֔ם לָ֥מָּה תַעֲשׂ֖וּן כַּדְּבָרִ֣ים הָאֵ֑לֶּה אֲשֶׁ֨ר אָנֹכִ֤י שֹׁמֵ֙עַ֙ אֶת־דִּבְרֵיכֶ֣ם רָעִ֔ים מֵאֵ֖ת כָּל־הָעָ֥ם אֵֽלֶּה׃ | 23 |
एली ने अपने पुत्रों से कहा, “तुम ये सब क्यों कर रहे हो? तुम्हारे इन सभी बुरे कामों की ख़बरें मुझे सभी के द्वारा मिल रही हैं.
אַ֖ל בָּנָ֑י כִּ֠י לֹֽוא־טֹובָ֤ה הַשְּׁמֻעָה֙ אֲשֶׁ֣ר אָנֹכִ֣י שֹׁמֵ֔עַ מַעֲבִרִ֖ים עַם־יְהוָֽה׃ | 24 |
मेरे पुत्रो, यह गलत है. आज याहवेह की प्रजा में तुम्हारे किए हुए कामों की ख़बर जो फैली है, वह ठीक नहीं है.
אִם־יֶחֱטָ֨א אִ֤ישׁ לְאִישׁ֙ וּפִֽלְלֹ֣ו אֱלֹהִ֔ים וְאִ֤ם לַֽיהוָה֙ יֽ͏ֶחֱטָא־אִ֔ישׁ מִ֖י יִתְפַּלֶּל־לֹ֑ו וְלֹ֤א יִשְׁמְעוּ֙ לְקֹ֣ול אֲבִיהֶ֔ם כִּֽי־חָפֵ֥ץ יְהוָ֖ה לַהֲמִיתָֽם׃ | 25 |
यदि एक व्यक्ति किसी दूसरे के विरुद्ध पाप करे, तो उसके लिए परमेश्वर द्वारा विनती संभव है; मगर यदि कोई याहवेह ही के विरुद्ध पाप करे, तब उसकी विनती के लिए कौन बाकी रह जाता है?” मगर एली के पुत्रों को उनके पिता का तर्क अस्वीकार ही रहा, क्योंकि याहवेह उनके प्राण लेने का निश्चय कर चुके थे.
וְהַנַּ֣עַר שְׁמוּאֵ֔ל הֹלֵ֥ךְ וְגָדֵ֖ל וָטֹ֑וב גַּ֚ם עִם־יְהוָ֔ה וְגַ֖ם עִם־אֲנָשִֽׁים׃ ס | 26 |
इस समय बालक शमुएल बढ़ता जा रहा था. उस पर याहवेह की कृपादृष्टि तथा लोगों का प्रेम बना था.
וַיָּבֹ֥א אִישׁ־אֱלֹהִ֖ים אֶל־עֵלִ֑י וַיֹּ֣אמֶר אֵלָ֗יו כֹּ֚ה אָמַ֣ר יְהוָ֔ה הֲנִגְלֹ֤ה נִגְלֵ֙יתִי֙ אֶל־בֵּ֣ית אָבִ֔יךָ בִּֽהְיֹותָ֥ם בְּמִצְרַ֖יִם לְבֵ֥ית פַּרְעֹֽה׃ | 27 |
परमेश्वर द्वारा भेजा हुआ एक व्यक्ति एली के पास आया और उनसे कहा, “यह याहवेह का संदेश है: ‘क्या मैंने तुम्हारे पूर्वजों पर अपने आपको साफ़-साफ़ प्रकट नहीं किया था, जब वे मिस्र देश में फ़रोह के परिवार के अधीन थे?
וּבָחֹ֣ר אֹ֠תֹו מִכָּל־שִׁבְטֵ֨י יִשְׂרָאֵ֥ל לִי֙ לְכֹהֵ֔ן לַעֲלֹ֣ות עַֽל־מִזְבְּחִ֗י לְהַקְטִ֥יר קְטֹ֛רֶת לָשֵׂ֥את אֵפֹ֖וד לְפָנָ֑י וָֽאֶתְּנָה֙ לְבֵ֣ית אָבִ֔יךָ אֶת־כָּל־אִשֵּׁ֖י בְּנֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ | 28 |
इस्राएल के सारा गोत्रों में से मैंने तुम्हारे गोत्र को अपना पुरोहित होने के लिए नामित किया कि वे मेरी वेदी पर बलि अर्पण करें, उस पर धूप जलाएं तथा मेरे सामने पुरोहितों के लिए निर्धारित पुरोहित कपड़ा, एफ़ोद पहनकर मेरे सामने उपस्थित हुआ करें. मैंने ही तुम्हारे पूर्वजों को यह आज्ञा दी कि इस्राएली प्रजा द्वारा अर्पित अग्निबलि का हिस्सा तुम्हें दे दी जाएं.
לָ֣מָּה תִבְעֲט֗וּ בְּזִבְחִי֙ וּבְמִנְחָתִ֔י אֲשֶׁ֥ר צִוִּ֖יתִי מָעֹ֑ון וַתְּכַבֵּ֤ד אֶת־בָּנֶ֙יךָ֙ מִמֶּ֔נִּי לְהַבְרִֽיאֲכֶ֗ם מֵרֵאשִׁ֛ית כָּל־מִנְחַ֥ת יִשְׂרָאֵ֖ל לְעַמִּֽי׃ | 29 |
फिर क्या कारण है कि मेरे आवास से संबंधित जिन बलियों तथा भेटों का मैंने आदेश दिया था, तुम उनकी अवहेलना कर रहे हो? मेरी प्रजा इस्राएल द्वारा अर्पित सभी भेटों के सर्वोत्तम अंशों को खा-खाकर वे स्वयं पुष्ट हुए जा रहे हैं! यह करते हुए तुमने मेरी अपेक्षा अपने पुत्रों को अधिक सम्मान दिया है?’
לָכֵ֗ן נְאֻם־יְהוָה֮ אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵל֒ אָמֹ֣ור אָמַ֔רְתִּי בֵּֽיתְךָ֙ וּבֵ֣ית אָבִ֔יךָ יִתְהַלְּכ֥וּ לְפָנַ֖י עַד־עֹולָ֑ם וְעַתָּ֤ה נְאֻם־יְהוָה֙ חָלִ֣ילָה לִּ֔י כִּֽי־מְכַבְּדַ֥י אֲכַבֵּ֖ד וּבֹזַ֥י יֵקָֽלּוּ׃ | 30 |
“इसलिये याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर की यह घोषणा, ‘मैंने यह अवश्य कहा था कि तुम्हारा वंश तथा तुम्हारे पूर्वजों का वंश सदा-सर्वदा मेरी सेवा करता रहेगा,’ मगर अब याहवेह की यह वाणी है, ‘अब मैं यह कभी न होने दूंगा! क्योंकि मैं उन्हें ही सम्मान दूंगा, जो मुझे सम्मान देते हैं, तथा जो मुझे तुच्छ मानते हैं, वे शापित हो जाएंगे.
הִנֵּה֙ יָמִ֣ים בָּאִ֔ים וְגָֽדַעְתִּי֙ אֶת־זְרֹ֣עֲךָ֔ וְאֶת־זְרֹ֖עַ בֵּ֣ית אָבִ֑יךָ מִֽהְיֹ֥ות זָקֵ֖ן בְּבֵיתֶֽךָ׃ | 31 |
निकट हैं वे दिन, जब मैं न केवल तुम्हारा, परंतु तुम्हारे पिता के संपूर्ण वंश का बल शून्य कर दूंगा, यहां तक कि तुम्हारे परिवार में कोई भी व्यक्ति कभी भी बुढ़ापे तक नहीं पहुंचेगा.
וְהִבַּטְתָּ֙ צַ֣ר מָעֹ֔ון בְּכֹ֥ל אֲשֶׁר־יֵיטִ֖יב אֶת־יִשְׂרָאֵ֑ל וְלֹֽא־יִהְיֶ֥ה זָקֵ֛ן בְּבֵיתְךָ֖ כָּל־הַיָּמִֽים׃ | 32 |
तब तुम पीड़ित होकर धुंधली आंखों से इस्राएल को दी जा रही समृद्धि को स्वयं देखोगे. तुम्हारे परिवार में कभी भी कोई व्यक्ति बूढ़ा न हो सकेगा.
וְאִ֗ישׁ לֹֽא־אַכְרִ֤ית לְךָ֙ מֵעִ֣ם מִזְבְּחִ֔י לְכַלֹּ֥ות אֶת־עֵינֶ֖יךָ וְלַאֲדִ֣יב אֶת־נַפְשֶׁ֑ךָ וְכָל־מַרְבִּ֥ית בֵּיתְךָ֖ יָמ֥וּתוּ אֲנָשִֽׁים׃ | 33 |
फिर भी तुम्हारे परिवार के जो सदस्य को मैं वेदी की सेवा से वंचित न करूंगा, वह अपने हृदय की दारुण वेदना में रोते-रोते अपने नेत्रों की ज्योति खो बैठेगा. तुम्हारे सभी वंशज मनुष्यों द्वारा चलाई तलवार से घात किए जाएंगे. तुम्हारे परिवार के हर एक व्यक्ति का निधन जीवन के जवानी में ही हो जाएगा.
וְזֶה־לְּךָ֣ הָאֹ֗ות אֲשֶׁ֤ר יָבֹא֙ אֶל־שְׁנֵ֣י בָנֶ֔יךָ אֶל־חָפְנִ֖י וּפִֽינְחָ֑ס בְּיֹ֥ום אֶחָ֖ד יָמ֥וּתוּ שְׁנֵיהֶֽם׃ | 34 |
“‘तुम्हारे लिए इसकी पुष्टि का चिन्ह यह होगा कि तुम्हारे दोनों पुत्रों, होफ़नी तथा फिनिहास में होगी: दोनों एक ही दिन में मर जाएंगे.
וַהֲקִימֹתִ֥י לִי֙ כֹּהֵ֣ן נֶאֱמָ֔ן כַּאֲשֶׁ֛ר בִּלְבָבִ֥י וּבְנַפְשִׁ֖י יַעֲשֶׂ֑ה וּבָנִ֤יתִי לֹו֙ בַּ֣יִת נֶאֱמָ֔ן וְהתְהַלֵּ֥ךְ לִפְנֵֽי־מְשִׁיחִ֖י כָּל־הַיָּמִֽים׃ | 35 |
जब यह सब हो जाएगा, तब मैं अपने लिए एक विश्वसनीय पुरोहित को तैयार करूंगा. वह मेरे हृदय और आत्मा की अभिलाषा पूर्ण करेगा. उसके लिए मैं उसके वंश को स्थिरता प्रदान करूंगा. वही सदा-सर्वदा मेरे चुने हुए का पौरोहित्य करता रहेगा.
וְהָיָ֗ה כָּל־הַנֹּותָר֙ בְּבֵ֣יתְךָ֔ יָבֹוא֙ לְהִשְׁתַּחֲוֹ֣ת לֹ֔ו לַאֲגֹ֥ורַת כֶּ֖סֶף וְכִכַּר־לָ֑חֶם וְאָמַ֗ר סְפָחֵ֥נִי נָ֛א אֶל־אַחַ֥ת הַכְּהֻנֹּ֖ות לֶאֱכֹ֥ל פַּת־לָֽחֶם׃ ס | 36 |
तुम्हारे परिवार में जो कोई शेष रह जाएगा, वह उसके सामने झुककर उससे सिर्फ चांदी के एक सिक्के के लिए या रोटी के एक टुकड़े के लिए विनती करेगा. हर एक की याचना यह होगी, “मुझे पुरोहित के काम में लगा लीजिए, कि कम से कम मैं रोटी का एक टुकड़ा तो खा सकूं.”’”