< 1 מְלָכִים 1 >

וְהַמֶּ֤לֶךְ דָּוִד֙ זָקֵ֔ן בָּ֖א בַּיָּמִ֑ים וַיְכַסֻּ֙הוּ֙ בַּבְּגָדִ֔ים וְלֹ֥א יִחַ֖ם לֹֽו׃ 1
राजा दावीद अब बहुत बूढ़े हो चुके थे. उन्हें ओढ़ाया अवश्य जाता, था मगर कपड़े उनके शरीर को गर्म नहीं रख पा रहे थे.
וַיֹּ֧אמְרוּ לֹ֣ו עֲבָדָ֗יו יְבַקְשׁ֞וּ לַאדֹנִ֤י הַמֶּ֙לֶךְ֙ נַעֲרָ֣ה בְתוּלָ֔ה וְעָֽמְדָה֙ לִפְנֵ֣י הַמֶּ֔לֶךְ וּתְהִי־לֹ֖ו סֹכֶ֑נֶת וְשָׁכְבָ֣ה בְחֵיקֶ֔ךָ וְחַ֖ם לַאדֹנִ֥י הַמֶּֽלֶךְ׃ 2
इसलिये उनके सेवकों ने उन्हें सलाह दी, “महाराज, हमारे स्वामी के लिए एक जवान लड़की की खोज की जाए, वह महाराज की सेवा करे और उनके सामने ही रहे. वही आपकी गोद में सोया करे, कि महाराज, हमारे स्वामी की देह गर्म रह सके.”
וַיְבַקְשׁוּ֙ נַעֲרָ֣ה יָפָ֔ה בְּכֹ֖ל גְּב֣וּל יִשְׂרָאֵ֑ל וַֽיִּמְצְא֗וּ אֶת־אֲבִישַׁג֙ הַשּׁ֣וּנַמִּ֔ית וַיָּבִ֥אוּ אֹתָ֖הּ לַמֶּֽלֶךְ׃ 3
तब उन्होंने पूरे इस्राएल में एक सुंदर लड़की को खोजना शुरू कर दिया. उन्हें शुनाम देश में ऐसी लड़की मिल गई, जिसका नाम था अबीशाग. वे उसे राजा के सामने ले आए.
וְהַֽנַּעֲרָ֖ה יָפָ֣ה עַד־מְאֹ֑ד וַתְּהִ֨י לַמֶּ֤לֶךְ סֹכֶ֙נֶת֙ וַתְּשָׁ֣רְתֵ֔הוּ וְהַמֶּ֖לֶךְ לֹ֥א יְדָעָֽהּ׃ 4
यह जवान लड़की बहुत ही सुंदर थी. उसे राजा की सेविका बना दिया गया, वह उनकी सेवा करने में लग गई; मगर राजा ने उसके साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाए.
וַאֲדֹנִיָּ֧ה בֶן־חַגִּ֛ית מִתְנַשֵּׂ֥א לֵאמֹ֖ר אֲנִ֣י אֶמְלֹ֑ךְ וַיַּ֣עַשׂ לֹ֗ו רֶ֚כֶב וּפָ֣רָשִׁ֔ים וַחֲמִשִּׁ֥ים אִ֖ישׁ רָצִ֥ים לְפָנָֽיו׃ 5
उसी समय हेग्गीथ के पुत्र अदोनियाह ने अपने आपको ऊंचा उठाते हुए यह घोषणा की: “अगला राजा मैं हूं.” उसने अपने लिए रथ और घुड़सवार भी तैयार कर लिए और अपने आगे-आगे दौड़ने के लिए पचास सैनिक भी.
וְלֹֽא־עֲצָבֹ֨ו אָבִ֤יו מִיָּמָיו֙ לֵאמֹ֔ר מַדּ֖וּעַ כָּ֣כָה עָשִׂ֑יתָ וְגַם־ה֤וּא טֹֽוב־תֹּ֙אַר֙ מְאֹ֔ד וְאֹתֹ֥ו יָלְדָ֖ה אַחֲרֵ֥י אַבְשָׁלֹֽום׃ 6
उसके पिता ने उससे यह प्रश्न करते हुए कभी नहीं रोका: “तुमने ऐसा क्यों किया है?” अदोनियाह एक सुंदर युवक था. उसका जन्म अबशालोम के ठीक बाद ही हुआ था.
וַיִּהְי֣וּ דְבָרָ֔יו עִ֚ם יֹואָ֣ב בֶּן־צְרוּיָ֔ה וְעִ֖ם אֶבְיָתָ֣ר הַכֹּהֵ֑ן וַֽיַּעְזְר֔וּ אַחֲרֵ֖י אֲדֹנִיָּֽה׃ 7
अदोनियाह ने जाकर ज़ेरुइयाह के पुत्र योआब और पुरोहित अबीयाथर से मिलकर बातचीत की. उन्होंने अदोनियाह की तरफ होकर उसकी सहायता भी की.
וְצָדֹ֣וק הַ֠כֹּהֵן וּבְנָיָ֨הוּ בֶן־יְהֹויָדָ֜ע וְנָתָ֤ן הַנָּבִיא֙ וְשִׁמְעִ֣י וְרֵעִ֔י וְהַגִּבֹּורִ֖ים אֲשֶׁ֣ר לְדָוִ֑ד לֹ֥א הָי֖וּ עִם־אֲדֹנִיָּֽהוּ׃ 8
मगर पुरोहित सादोक, यहोयादा का पुत्र बेनाइयाह, भविष्यद्वक्ता नाथान, शिमेई, रेइ और दावीद के वीर योद्धाओं ने अदोनियाह को समर्थन नहीं दिया.
וַיִּזְבַּ֣ח אֲדֹנִיָּ֗הוּ צֹ֤אן וּבָקָר֙ וּמְרִ֔יא עִ֚ם אֶ֣בֶן הַזֹּחֶ֔לֶת אֲשֶׁר־אֵ֖צֶל עֵ֣ין רֹגֵ֑ל וַיִּקְרָ֗א אֶת־כָּל־אֶחָיו֙ בְּנֵ֣י הַמֶּ֔לֶךְ וּלְכָל־אַנְשֵׁ֥י יְהוּדָ֖ה עַבְדֵ֥י הַמֶּֽלֶךְ׃ 9
अदोनियाह ने एन-रोगेल नामक स्थान पर जाकर ज़ोहेलेथ नामक चट्टान के पास भेड़ों, बैलों और हष्ट-पुष्ट पशुओं की बलि चढ़ाई. इस मौके पर उसने अपने सभी भाइयों—राजकुमारों और यहूदिया के राजकीय अधिकारियों को तो आमंत्रित किया था,
וְֽאֶת־נָתָן֩ הַנָּבִ֨יא וּבְנָיָ֜הוּ וְאֶת־הַגִּבֹּורִ֛ים וְאֶת־שְׁלֹמֹ֥ה אָחִ֖יו לֹ֥א קָרָֽא׃ 10
मगर उसने इस मौके पर न तो भविष्यद्वक्ता नाथान को, न तो बेनाइयाह को न अपने भाई शलोमोन को और न किसी वीर योद्धा को आमंत्रित किया.
וַיֹּ֣אמֶר נָתָ֗ן אֶל־בַּת־שֶׁ֤בַע אֵם־שְׁלֹמֹה֙ לֵאמֹ֔ר הֲלֹ֣וא שָׁמַ֔עַתְּ כִּ֥י מָלַ֖ךְ אֲדֹנִיָּ֣הוּ בֶן־חַגִּ֑ית וַאֲדֹנֵ֥ינוּ דָוִ֖ד לֹ֥א יָדָֽע׃ 11
नाथान ने शलोमोन की माता बैथशेबा से कहा, “क्या तुमने सुना नहीं कि हेग्गीथ का पुत्र अदोनियाह राजा बन गया है, और दावीद हमारे स्वामी इससे अनजान हैं?”
וְעַתָּ֕ה לְכִ֛י אִיעָצֵ֥ךְ נָ֖א עֵצָ֑ה וּמַלְּטִי֙ אֶת־נַפְשֵׁ֔ךְ וְאֶת־נֶ֥פֶשׁ בְּנֵ֖ךְ שְׁלֹמֹֽה׃ 12
इसलिये अब मेरी सलाह सुनो, कि तुम अपना और अपने पुत्र शलोमोन का जीवन सुरक्षित रख सको:
לְכִ֞י וּבֹ֣אִי ׀ אֶל־הַמֶּ֣לֶךְ דָּוִ֗ד וְאָמַ֤רְתְּ אֵלָיו֙ הֲלֹֽא־אַתָּ֞ה אֲדֹנִ֣י הַמֶּ֗לֶךְ נִשְׁבַּ֤עְתָּ לַאֲמָֽתְךָ֙ לֵאמֹ֔ר כִּֽי־שְׁלֹמֹ֤ה בְנֵךְ֙ יִמְלֹ֣ךְ אַחֲרַ֔י וְה֖וּא יֵשֵׁ֣ב עַל־כִּסְאִ֑י וּמַדּ֖וּעַ מָלַ֥ךְ אֲדֹנִיָֽהוּ׃ 13
इसी समय राजा दावीद से जाकर कहो, “महाराज, मेरे स्वामी, क्या आपने अपनी दासी से यह शपथ न ली थी, ‘मेरे बाद तुम्हारा पुत्र शलोमोन ही राजा बनेगा, वही मेरे सिंहासन पर बैठेगा? तो फिर अदोनियाह राजा कैसे बन बैठा?’
הִנֵּ֗ה עֹודָ֛ךְ מְדַבֶּ֥רֶת שָׁ֖ם עִם־הַמֶּ֑לֶךְ וַאֲנִי֙ אָבֹ֣וא אַחֲרַ֔יִךְ וּמִלֵּאתִ֖י אֶת־דְּבָרָֽיִךְ׃ 14
जब तुम राजा से बातचीत कर ही रही होगी, मैं वहां तुम्हारे पीछे-पीछे आ जाऊंगा और तुम्हारी बातों में हामी भरूंगा.”
וַתָּבֹ֨א בַת־שֶׁ֤בֶע אֶל־הַמֶּ֙לֶךְ֙ הַחַ֔דְרָה וְהַמֶּ֖לֶךְ זָקֵ֣ן מְאֹ֑ד וַֽאֲבִישַׁג֙ הַשּׁ֣וּנַמִּ֔ית מְשָׁרַ֖ת אֶת־הַמֶּֽלֶךְ׃ 15
तब बैथशेबा राजा के कमरे में गई. राजा बहुत ही बूढ़े हो चुके थे और शूनामी अबीशाग उनकी सेवा में लगी थी.
וַתִּקֹּ֣ד בַּת־שֶׁ֔בַע וַתִּשְׁתַּ֖חוּ לַמֶּ֑לֶךְ וַיֹּ֥אמֶר הַמֶּ֖לֶךְ מַה־לָּֽךְ׃ 16
बैथशेबा ने झुककर राजा को नमस्कार किया. राजा ने उससे पूछा, “क्या चाहती हो तुम?”
וַתֹּ֣אמֶר לֹ֗ו אֲדֹנִי֙ אַתָּ֨ה נִשְׁבַּ֜עְתָּ בַּֽיהוָ֤ה אֱלֹהֶ֙יךָ֙ לַֽאֲמָתֶ֔ךָ כִּֽי־שְׁלֹמֹ֥ה בְנֵ֖ךְ יִמְלֹ֣ךְ אַחֲרָ֑י וְה֖וּא יֵשֵׁ֥ב עַל־כִּסְאִֽי׃ 17
बैथशेबा ने उन्हें उत्तर दिया, “मेरे स्वामी, आपने अपनी सेविका से याहवेह, आपके परमेश्वर की शपथ ली थी, ‘तुम्हारा पुत्र शलोमोन ही मेरे बाद राजा होगा, और वह मेरे राज सिंहासन पर बैठेगा.’
וְעַתָּ֕ה הִנֵּ֥ה אֲדֹנִיָּ֖ה מָלָ֑ךְ וְעַתָּ֛ה אֲדֹנִ֥י הַמֶּ֖לֶךְ לֹ֥א יָדָֽעְתָּ׃ 18
अब देखिए, अदोनियाह राजा बन बैठा है, जबकि महाराज, मेरे स्वामी, आपको इसके बारे में पता ही नहीं है.
וַ֠יִּזְבַּח שֹׁ֥ור וּֽמְרִיא־וְצֹאן֮ לָרֹב֒ וַיִּקְרָא֙ לְכָל־בְּנֵ֣י הַמֶּ֔לֶךְ וּלְאֶבְיָתָר֙ הַכֹּהֵ֔ן וּלְיֹאָ֖ב שַׂ֣ר הַצָּבָ֑א וְלִשְׁלֹמֹ֥ה עַבְדְּךָ֖ לֹ֥א קָרָֽא׃ 19
अदोनियाह ने बड़ी संख्या में बैलों, हष्ट-पुष्ट पशुओं और भेड़ों की बलि चढ़ाई है, और उसने राजा के सभी पुत्रों को पुरोहित अबीयाथर और सेनापति योआब को भी बुलाया है, मगर आपके सेवक शलोमोन को इसके लिए नहीं बुलाया गया है.
וְאַתָּה֙ אֲדֹנִ֣י הַמֶּ֔לֶךְ עֵינֵ֥י כָל־יִשְׂרָאֵ֖ל עָלֶ֑יךָ לְהַגִּ֣יד לָהֶ֔ם מִ֗י יֵשֵׁ֛ב עַל־כִּסֵּ֥א אֲדֹנִֽי־הַמֶּ֖לֶךְ אַחֲרָֽיו׃ 20
महाराज, मेरे स्वामी, इस समय सारे इस्राएल की नज़रें आप पर लगी हैं, कि आप यह घोषणा करें कि महाराज, मेरे स्वामी के बाद कौन सिंहासन पर बैठेगा.
וְהָיָ֕ה כִּשְׁכַ֥ב אֲדֹנִֽי־הַמֶּ֖לֶךְ עִם־אֲבֹתָ֑יו וְהָיִ֗יתִי אֲנִ֛י וּבְנִ֥י שְׁלֹמֹ֖ה חַטָּאִֽים׃ 21
नहीं तो यही होगा कि जैसे ही आप मेरे स्वामी हमेशा के लिए अपने पूर्वजों में जा मिलेंगे, मुझे और मेरे पुत्र शलोमोन को अपराधी घोषित कर दिया जाएगा.”
וְהִנֵּ֛ה עֹודֶ֥נָּה מְדַבֶּ֖רֶת עִם־הַמֶּ֑לֶךְ וְנָתָ֥ן הַנָּבִ֖יא בָּֽא׃ 22
बैथशेबा राजा से यह बातें कर ही रही थी, कि भविष्यद्वक्ता नाथान वहां आ गए.
וַיַּגִּ֤ידוּ לַמֶּ֙לֶךְ֙ לֵאמֹ֔ר הִנֵּ֖ה נָתָ֣ן הַנָּבִ֑יא וַיָּבֹא֙ לִפְנֵ֣י הַמֶּ֔לֶךְ וַיִּשְׁתַּ֧חוּ לַמֶּ֛לֶךְ עַל־אַפָּ֖יו אָֽרְצָה׃ 23
उन्हें बताया गया, “भविष्यद्वक्ता नाथान आए हैं.” जब भविष्यद्वक्ता नाथान राजा के सामने पहुंचे, उन्होंने राजा को दंडवत किया.
וַיֹּאמֶר֮ נָתָן֒ אֲדֹנִ֣י הַמֶּ֔לֶךְ אַתָּ֣ה אָמַ֔רְתָּ אֲדֹנִיָּ֖הוּ יִמְלֹ֣ךְ אַחֲרָ֑י וְה֖וּא יֵשֵׁ֥ב עַל־כִּסְאִֽי׃ 24
इसके बाद नाथान ने कहा, “महाराज, मेरे स्वामी, क्या यह आपकी घोषणा है ‘मेरे बाद अदोनियाह राज करेगा, वही मेरे सिंहासन पर बैठेगा?’
כִּ֣י ׀ יָרַ֣ד הַיֹּ֗ום וַ֠יִּזְבַּח שֹׁ֥ור וּֽמְרִיא־וְצֹאן֮ לָרֹב֒ וַיִּקְרָא֩ לְכָל־בְּנֵ֨י הַמֶּ֜לֶךְ וּלְשָׂרֵ֤י הַצָּבָא֙ וּלְאֶבְיָתָ֣ר הַכֹּהֵ֔ן וְהִנָּ֛ם אֹכְלִ֥ים וְשֹׁתִ֖ים לְפָנָ֑יו וַיֹּ֣אמְר֔וּ יְחִ֖י הַמֶּ֥לֶךְ אֲדֹנִיָּֽהוּ׃ 25
क्योंकि आज उसने जाकर बैल, हष्ट-पुष्ट पशु और बड़ी मात्रा में भेड़ों की बलि चढ़ाई है. इस मौके पर उसने सभी राजकुमारों, सेनापतियों और पुरोहित अबीयाथर को भी आमंत्रित किया है. ये सभी इस समय उसकी उपस्थिति में यह कहते हुए खुशी मना रहे है. ‘अदोनियाह सदा जीवित रहे!’
וְלִ֣י אֲנִֽי־עַ֠בְדֶּךָ וּלְצָדֹ֨ק הַכֹּהֵ֜ן וְלִבְנָיָ֧הוּ בֶן־יְהֹויָדָ֛ע וְלִשְׁלֹמֹ֥ה עַבְדְּךָ֖ לֹ֥א קָרָֽא׃ 26
मगर अदोनियाह ने मुझे, हां मुझे, आपके सेवक को, पुरोहित सादोक को, यहोयादा के पुत्र बेनाइयाह और आपके सेवक शलोमोन को नहीं बुलाया है.
אִ֗ם מֵאֵת֙ אֲדֹנִ֣י הַמֶּ֔לֶךְ נִהְיָ֖ה הַדָּבָ֣ר הַזֶּ֑ה וְלֹ֤א הֹודַ֙עְתָּ֙ אֶֽת־עַבְדֶּיךָ (עַבְדְּךָ֔) מִ֗י יֵשֵׁ֛ב עַל־כִּסֵּ֥א אֲדֹנִֽי־הַמֶּ֖לֶךְ אַחֲרָֽיו׃ ס 27
क्या, यह सब महाराज, मेरे स्वामी द्वारा किया गया है, और आपने अपने इन सेवकों को इस बात की सूचना देना सही न समझा, कि महाराज, मेरे स्वामी के बाद उनके सिंहासन पर कौन बैठेगा?”
וַיַּ֨עַן הַמֶּ֤לֶךְ דָּוִד֙ וַיֹּ֔אמֶר קִרְאוּ־לִ֖י לְבַת־שָׁ֑בַע וַתָּבֹא֙ לִפְנֵ֣י הַמֶּ֔לֶךְ וַֽתַּעֲמֹ֖ד לִפְנֵ֥י הַמֶּֽלֶךְ׃ 28
जब राजा दावीद ने यह सुना, उन्होंने आदेश दिया, “मेरे सामने बैथशेबा को बुलाया जाए.” बैथशेबा आकर राजा के सामने खड़ी हो गई.
וַיִּשָּׁבַ֥ע הַמֶּ֖לֶךְ וַיֹּאמַ֑ר חַי־יְהוָ֕ה אֲשֶׁר־פָּדָ֥ה אֶת־נַפְשִׁ֖י מִכָּל־צָרָֽה׃ 29
राजा ने यह शपथ लेते हुए कहा, “जीवित याहवेह की शपथ, जिन्होंने मुझे हर एक मुसीबत में से निकाला है,
כִּ֡י כַּאֲשֶׁר֩ נִשְׁבַּ֨עְתִּי לָ֜ךְ בַּיהוָ֨ה אֱלֹהֵ֤י יִשְׂרָאֵל֙ לֵאמֹ֔ר כִּֽי־שְׁלֹמֹ֤ה בְנֵךְ֙ יִמְלֹ֣ךְ אַחֲרַ֔י וְה֛וּא יֵשֵׁ֥ב עַל־כִּסְאִ֖י תַּחְתָּ֑י כִּ֛י כֵּ֥ן אֶעֱשֶׂ֖ה הַיֹּ֥ום הַזֶּֽה׃ 30
मैंने इस्राएल के परमेश्वर, याहवेह के सामने जो शपथ ली थी, ‘तुम्हारा पुत्र शलोमोन मेरे बाद राजा होगा और वही मेरी जगह पर मेरे सिंहासन पर बैठेगा,’ मैं आज ठीक यही पूरा करूंगा.”
וַתִּקֹּ֨ד בַּת־שֶׁ֤בַע אַפַּ֙יִם֙ אֶ֔רֶץ וַתִּשְׁתַּ֖חוּ לַמֶּ֑לֶךְ וַתֹּ֕אמֶר יְחִ֗י אֲדֹנִ֛י הַמֶּ֥לֶךְ דָּוִ֖ד לְעֹלָֽם׃ פ 31
यह सुन बैथशेबा ने झुककर राजा को दंडवत करते हुए कहा, “राजा दावीद, मेरे स्वामी, सदा जीवित रहें.”
וַיֹּ֣אמֶר ׀ הַמֶּ֣לֶךְ דָּוִ֗ד קִרְאוּ־לִ֞י לְצָדֹ֤וק הַכֹּהֵן֙ וּלְנָתָ֣ן הַנָּבִ֔יא וְלִבְנָיָ֖הוּ בֶּן־יְהֹויָדָ֑ע וַיָּבֹ֖אוּ לִפְנֵ֥י הַמֶּֽלֶךְ׃ 32
राजा दावीद ने आदेश दिया, “पुरोहित सादोक, भविष्यद्वक्ता नाथान और यहोयादा के पुत्र बेनाइयाह को मेरे सामने बुलाया जाए.” जब वे राजा के सामने आए,
וַיֹּ֨אמֶר הַמֶּ֜לֶךְ לָהֶ֗ם קְח֤וּ עִמָּכֶם֙ אֶת־עַבְדֵ֣י אֲדֹנֵיכֶ֔ם וְהִרְכַּבְתֶּם֙ אֶת־שְׁלֹמֹ֣ה בְנִ֔י עַל־הַפִּרְדָּ֖ה אֲשֶׁר־לִ֑י וְהֹורַדְתֶּ֥ם אֹתֹ֖ו אֶל־גִּחֹֽון׃ 33
राजा ने उन्हें आदेश दिया, “मेरे पुत्र शलोमोन को मेरे निज खच्चर पर चढ़ाकर उसे अपने स्वामी के सेवकों के साथ लेकर गीहोन चले जाओ.
וּמָשַׁ֣ח אֹתֹ֣ו שָׁ֠ם צָדֹ֨וק הַכֹּהֵ֜ן וְנָתָ֧ן הַנָּבִ֛יא לְמֶ֖לֶךְ עַל־יִשְׂרָאֵ֑ל וּתְקַעְתֶּם֙ בַּשֹּׁופָ֔ר וַאֲמַרְתֶּ֕ם יְחִ֖י הַמֶּ֥לֶךְ שְׁלֹמֹֽה׃ 34
वहां पहुंचकर पुरोहित सादोक और भविष्यद्वक्ता नाथान इस्राएल का राजा होने के लिए शलोमोन को अभिषेक करें. इसके बाद नरसिंग फूंकने के साथ यह घोषणा की जाए. ‘राजा शलोमोन सदा जीवित रहें!’
וַעֲלִיתֶ֣ם אַחֲרָ֗יו וּבָא֙ וְיָשַׁ֣ב עַל־כִּסְאִ֔י וְה֥וּא יִמְלֹ֖ךְ תַּחְתָּ֑י וְאֹתֹ֤ו צִוִּ֙יתִי֙ לִֽהְיֹ֣ות נָגִ֔יד עַל־יִשְׂרָאֵ֖ל וְעַל־יְהוּדָֽה׃ 35
आप सभी इसके बाद शलोमोन के पीछे-पीछे आएं. तब वह यहां आकर मेरे राज सिंहासन पर बैठे कि वह मेरे बाद मेरी जगह पर राजा हो जाए; क्योंकि खुद मैंने उसे यहूदिया और इस्राएल पर राजा बनाया है.”
וַיַּ֨עַן בְּנָיָ֧הוּ בֶן־יְהֹֽויָדָ֛ע אֶת־הַמֶּ֖לֶךְ וַיֹּ֣אמֶר ׀ אָמֵ֑ן כֵּ֚ן יֹאמַ֣ר יְהוָ֔ה אֱלֹהֵ֖י אֲדֹנִ֥י הַמֶּֽלֶךְ׃ 36
यहोयादा के पुत्र बेनाइयाह ने राजा से कहा, “आमेन! महाराज, मेरे स्वामी के परमेश्वर, याहवेह भी ऐसा ही कहें.
כַּאֲשֶׁ֨ר הָיָ֤ה יְהוָה֙ עִם־אֲדֹנִ֣י הַמֶּ֔לֶךְ כֵּ֖ן יְהִי (יִֽהְיֶ֣ה) עִם־שְׁלֹמֹ֑ה וִֽיגַדֵּל֙ אֶת־כִּסְאֹ֔ו מִ֨כִּסֵּ֔א אֲדֹנִ֖י הַמֶּ֥לֶךְ דָּוִֽד׃ 37
जिस प्रकार याहवेह महाराज, मेरे स्वामी के साथ साथ रहे हैं, उसी प्रकार वह शलोमोन के साथ साथ बने रहें, और उसके सिंहासन को मेरे स्वामी, राजा दावीद के सिंहासन से भी अधिक बढ़ाएं.”
וַיֵּ֣רֶד צָדֹ֣וק הַ֠כֹּהֵן וְנָתָ֨ן הַנָּבִ֜יא וּבְנָיָ֣הוּ בֶן־יְהֹויָדָ֗ע וְהַכְּרֵתִי֙ וְהַפְּלֵתִ֔י וַיַּרְכִּ֙בוּ֙ אֶת־שְׁלֹמֹ֔ה עַל־פִּרְדַּ֖ת הַמֶּ֣לֶךְ דָּוִ֑ד וַיֹּלִ֥כוּ אֹתֹ֖ו עַל־גִּחֹֽון׃ 38
तब पुरोहित सादोक, भविष्यद्वक्ता नाथान, यहोयादा का पुत्र बेनाइयाह और केरेथि और पेलेथी शलोमोन को राजा दावीद के निज खच्चर पर बैठाकर उसे गीहोन ले गए.
וַיִּקַּח֩ צָדֹ֨וק הַכֹּהֵ֜ן אֶת־קֶ֤רֶן הַשֶּׁ֙מֶן֙ מִן־הָאֹ֔הֶל וַיִּמְשַׁ֖ח אֶת־שְׁלֹמֹ֑ה וַֽיִּתְקְעוּ֙ בַּשֹּׁופָ֔ר וַיֹּֽאמְרוּ֙ כָּל־הָעָ֔ם יְחִ֖י הַמֶּ֥לֶךְ שְׁלֹמֹֽה׃ 39
वहां पुरोहित सादोक ने मिलनवाले तंबू से लाए हुए सींग के तेल से शलोमोन का अभिषेक किया. तब उन्होंने नरसिंगा फूंका और सभी ने एक आवाज में यह नारे लगाए: “राजा शलोमोन सदा जीवित रहें!”
וַיַּעֲל֤וּ כָל־הָעָם֙ אֽ͏ַחֲרָ֔יו וְהָעָם֙ מְחַלְּלִ֣ים בַּחֲלִלִ֔ים וּשְׂמֵחִ֖ים שִׂמְחָ֣ה גְדֹולָ֑ה וַתִּבָּקַ֥ע הָאָ֖רֶץ בְּקֹולָֽם׃ 40
तब सारी भीड़ बड़े ही आनंद में बांसुरी बजाते हुए राजा के पीछे-पीछे चलने लगी. इतनी तेज थी उनकी आवाज कि इससे धरती डोल उठी!
וַיִּשְׁמַ֣ע אֲדֹנִיָּ֗הוּ וְכָל־הַקְּרֻאִים֙ אֲשֶׁ֣ר אִתֹּ֔ו וְהֵ֖ם כִּלּ֣וּ לֶאֱכֹ֑ל וַיִּשְׁמַ֤ע יֹואָב֙ אֶת־קֹ֣ול הַשֹּׁופָ֔ר וַיֹּ֕אמֶר מַדּ֥וּעַ קֹֽול־הַקִּרְיָ֖ה הֹומָֽה׃ 41
यह आवाज अदोनियाह और उसके सभी अतिथियों ने भी सुनी. इस समय वे अपना भोजन खत्म कर ही रहे थे. जैसे ही योआब ने नरसिंगे की आवाज सुनी, वह पूछने लगा, “नगर में इस चिल्लाहट का कारण क्या है?”
עֹודֶ֣נּוּ מְדַבֵּ֔ר וְהִנֵּ֧ה יֹונָתָ֛ן בֶּן־אֶבְיָתָ֥ר הַכֹּהֵ֖ן בָּ֑א וַיֹּ֤אמֶר אֲדֹנִיָּ֙הוּ֙ בֹּ֔א כִּ֣י אִ֥ישׁ חַ֛יִל אַ֖תָּה וְטֹ֥וב תְּבַשֵּֽׂר׃ 42
वह यह पूछताछ कर ही रहा था, कि पुरोहित अबीयाथर का पुत्र योनातन वहां आ पहुंचा. अदोनियाह ने उससे कहा, “यहां आओ तुम भले व्यक्ति हो, इसलिये भला समाचार ही लाए होगे.”
וַיַּ֙עַן֙ יֹונָתָ֔ן וַיֹּ֖אמֶר לַאֲדֹנִיָּ֑הוּ אֲבָ֕ל אֲדֹנֵ֥ינוּ הַמֶּֽלֶךְ־דָּוִ֖ד הִמְלִ֥יךְ אֶת־שְׁלֹמֹֽה׃ 43
योनातन ने उसे उत्तर दिया, “नहीं! हमारे स्वामी, महाराज दावीद ने शलोमोन को राजा बना दिया है.
וַיִּשְׁלַ֣ח אִתֹּֽו־הַ֠מֶּלֶךְ אֶת־צָדֹ֨וק הַכֹּהֵ֜ן וְאֶת־נָתָ֣ן הַנָּבִ֗יא וּבְנָיָ֙הוּ֙ בֶּן־יְהֹ֣ויָדָ֔ע וְהַכְּרֵתִ֖י וְהַפְּלֵתִ֑י וַיַּרְכִּ֣בוּ אֹתֹ֔ו עַ֖ל פִּרְדַּ֥ת הַמֶּֽלֶךְ׃ 44
राजा दावीद ने उसे पुरोहित सादोक, भविष्यद्वक्ता नाथान, यहोयादा के पुत्र बेनाइयाह और केरेथि और पेलेथी भी उसके साथ भेजे हैं. इसके अलावा उन्होंने शलोमोन को राजा दावीद के निज खच्चर पर भी चढ़ा दिया है.
וַיִּמְשְׁח֣וּ אֹתֹ֡ו צָדֹ֣וק הַכֹּהֵ֣ן וְנָתָן֩ הַנָּבִ֨יא לְמֶ֜לֶךְ בְּגִחֹ֗ון וַיַּעֲל֤וּ מִשָּׁם֙ שְׂמֵחִ֔ים וַתֵּהֹ֖ם הַקִּרְיָ֑ה ה֥וּא הַקֹּ֖ול אֲשֶׁ֥ר שְׁמַעְתֶּֽם׃ 45
पुरोहित सादोक और भविष्यद्वक्ता नाथान ने गीहोन में शलोमोन का राजाभिषेक कर दिया है. वे सभी वहां से बड़ी ही खुशी में लौटे हैं. इसलिये नगर में यह आनंद मनाने की आवाज सुनाई दे रही है. यही है वह चिल्लाहट, जो आपने सुनी है.
וְגַם֙ יָשַׁ֣ב שְׁלֹמֹ֔ה עַ֖ל כִּסֵּ֥א הַמְּלוּכָֽה׃ 46
इन सबके अलावा अब शलोमोन राज सिंहासन पर बैठे हैं.
וְגַם־בָּ֜אוּ עַבְדֵ֣י הַמֶּ֗לֶךְ לְ֠בָרֵךְ אֶת־אֲדֹנֵ֜ינוּ הַמֶּ֣לֶךְ דָּוִד֮ לֵאמֹר֒ יֵיטֵ֨ב אֱלֹהֶיךָ (אֱלֹהִ֜ים) אֶת־שֵׁ֤ם שְׁלֹמֹה֙ מִשְּׁמֶ֔ךָ וִֽיגַדֵּ֥ל אֶת־כִּסְאֹ֖ו מִכִּסְאֶ֑ךָ וַיִּשְׁתַּ֥חוּ הַמֶּ֖לֶךְ עַל־הַמִּשְׁכָּֽב׃ 47
वह सब होने के बाद राजा के सेवकों ने जाकर महाराज, हमारे स्वामी को यह कहते हुए बधाईयां दी है ‘परमेश्वर शलोमोन के नाम को आपके नाम से भी अधिक ऊंचा करें, उनके राज सिंहासन को आपके राज सिंहासन से भी अधिक बढ़ाएं.’ यह सुन महाराज ने अपने पलंग पर ही दंडवत किया.
וְגַם־כָּ֖כָה אָמַ֣ר הַמֶּ֑לֶךְ בָּר֨וּךְ יְהוָ֜ה אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֗ל אֲשֶׁ֨ר נָתַ֥ן הַיֹּ֛ום יֹשֵׁ֥ב עַל־כִּסְאִ֖י וְעֵינַ֥י רֹאֹֽות׃ 48
साथ ही राजा ने यह भी कहा, ‘धन्य हैं, याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर, जिन्होंने आज किसी को मेरे सिंहासन पर बैठने के लिए चुना है, और उसे खुद मेरी आंखों ने देख लिया है.’”
וַיּֽ͏ֶחֶרְדוּ֙ וַיָּקֻ֔מוּ כָּל־הַ֨קְּרֻאִ֔ים אֲשֶׁ֖ר לַאֲדֹנִיָּ֑הוּ וַיֵּלְכ֖וּ אִ֥ישׁ לְדַרְכֹּֽו׃ 49
यह सुन अदोनियाह के सभी अतिथि बहुत ही डर गए. वे सभी उसी समय उठकर अपने-अपने रास्ते पर निकल गए.
וַאֲדֹ֣נִיָּ֔הוּ יָרֵ֖א מִפְּנֵ֣י שְׁלֹמֹ֑ה וַיָּ֣קָם וַיֵּ֔לֶךְ וַֽיַּחֲזֵ֖ק בְּקַרְנֹ֥ות הַמִּזְבֵּֽחַ׃ 50
फिर अदोनियाह मन ही मन शलोमोन से डरने लगा; इसलिये उसने तुरंत जाकर वेदी के सींग पकड़ लिए. शलोमोन को इस बात की ख़बर इस प्रकार दी गई:
וַיֻּגַּ֤ד לִשְׁלֹמֹה֙ לֵאמֹ֔ר הִנֵּה֙ אֲדֹ֣נִיָּ֔הוּ יָרֵ֖א אֶת־הַמֶּ֣לֶךְ שְׁלֹמֹ֑ה וְ֠הִנֵּה אָחַ֞ז בְּקַרְנֹ֤ות הַמִּזְבֵּ֙חַ֙ לֵאמֹ֔ר יִשָּֽׁבַֽע־לִ֤י כַיֹּום֙ הַמֶּ֣לֶךְ שְׁלֹמֹ֔ה אִם־יָמִ֥ית אֶת־עַבְדֹּ֖ו בֶּחָֽרֶב׃ 51
“सुनिए, सुनिए! अदोनियाह महाराज से डरता है, इसलिये उसने जाकर यह कहते हुए वेदी के सींग थाम लिए हैं, ‘आज महाराज शलोमोन यह शपथ लें, कि वह अपने सेवक को तलवार से नहीं मारेंगे.’”
וַיֹּ֣אמֶר שְׁלֹמֹ֔ה אִ֚ם יִהְיֶ֣ה לְבֶן־חַ֔יִל לֹֽא־יִפֹּ֥ל מִשַּׂעֲרָתֹ֖ו אָ֑רְצָה וְאִם־רָעָ֥ה תִמָּצֵא־בֹ֖ו וָמֵֽת׃ 52
शलोमोन ने उत्तर दिया, “यदि वह अपने आपको एक अच्छा व्यक्ति साबित करे, उसका ज़रा सा भी नुकसान न होगा; मगर यदि उसमें दुष्टता का अंश भी पाया गया तो उसकी मृत्यु तय है.”
וַיִּשְׁלַ֞ח הַמֶּ֣לֶךְ שְׁלֹמֹ֗ה וַיֹּרִדֻ֙הוּ֙ מֵעַ֣ל הַמִּזְבֵּ֔חַ וַיָּבֹ֕א וַיִּשְׁתַּ֖חוּ לַמֶּ֣לֶךְ שְׁלֹמֹ֑ה וַיֹּֽאמֶר־לֹ֥ו שְׁלֹמֹ֖ה לֵ֥ךְ לְבֵיתֶֽךָ׃ פ 53
राजा शलोमोन ने आदेश दिया कि उसे वेदी से लाकर उनके सामने पेश किया जाए. वह लाया गया, और उसे राजा शलोमोन के सामने पेश किया गया. वह आया और राजा शलोमोन के सामने दंडवत हो गया. राजा शलोमोन ने उसे आदेश दिया, “आप अपने घर को लौट जाइए.”

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