< 1 דִּבְרֵי הַיָּמִים 10 >

וּפְלִשְׁתִּ֖ים נִלְחֲמ֣וּ בְיִשְׂרָאֵ֑ל וַיָּ֑נָס אִֽישׁ־יִשְׂרָאֵל֙ מִפְּנֵ֣י פְלִשְׁתִּ֔ים וַיִּפְּל֥וּ חֲלָלִ֖ים בְּהַ֥ר גִּלְבֹּֽעַ׃ 1
फिलिस्तीनियों ने इस्राएल पर हमला कर दिया. इस्राएली सैनिक फिलिस्तीनियों के सामने टिक न सके. अनेक गिलबोआ पर्वत पर मारे गए.
וַיַּדְבְּק֣וּ פְלִשְׁתִּ֔ים אַחֲרֵ֥י שָׁא֖וּל וְאַחֲרֵ֣י בָנָ֑יו וַיַּכּ֣וּ פְלִשְׁתִּ֗ים אֶת־יֹונָתָ֧ן וְאֶת־אֲבִינָדָ֛ב וְאֶת־מַלְכִּי־שׁ֖וּעַ בְּנֵ֥י שָׁאֽוּל׃ 2
फिलिस्तीनियों ने शाऊल और उनके पुत्रों को जा पकड़ा और उन्होंने शाऊल के पुत्रों योनातन, अबीनादाब तथा मालखी-शुआ की हत्या कर दी.
וַתִּכְבַּ֤ד הַמִּלְחָמָה֙ עַל־שָׁא֔וּל וַיִּמְצָאֻ֖הוּ הַמֹּורִ֣ים בַּקָּ֑שֶׁת וַיָּ֖חֶל מִן־הַיֹּורִֽים׃ 3
शाऊल के आस-पास युद्ध बहुत ही उग्र था. धनुर्धारियों ने उन्हें देख लिया और उन्हें गंभीर रूप घायल कर दिया.
וַיֹּ֣אמֶר שָׁאוּל֩ אֶל־נֹשֵׂ֨א כֵלָ֜יו שְׁלֹ֥ף חַרְבְּךָ֣ ׀ וְדָקְרֵ֣נִי בָ֗הּ פֶּן־יָבֹ֜אוּ הָעֲרֵלִ֤ים הָאֵ֙לֶּה֙ וְהִתְעַלְּלוּ־בִ֔י וְלֹ֤א אָבָה֙ נֹשֵׂ֣א כֵלָ֔יו כִּ֥י יָרֵ֖א מְאֹ֑ד ס וַיִּקַּ֤ח שָׁאוּל֙ אֶת־הַחֶ֔רֶב וַיִּפֹּ֖ל עָלֶֽיהָ׃ 4
शाऊल ने अपने शस्त्रवाहक को आदेश दिया, “इसके पहले कि ये अख़तनित आकर मेरी दुर्गति करके मुझ पर तलवार का प्रहार करें, तुम अपनी तलवार से मुझ पर प्रहार कर दो.” मगर उस भयभीत हथियार उठानेवाले ने यह विनती अस्वीकार कर दी. तब स्वयं शाऊल ने अपनी तलवार निकाली और उस पर गिर पड़े.
וַיַּ֥רְא נֹשֵֽׂא־כֵלָ֖יו כִּ֣י מֵ֣ת שָׁא֑וּל וַיִּפֹּ֥ל גַּם־ה֛וּא עַל־הַחֶ֖רֶב וַיָּמֹֽת׃ ס 5
जब हथियार ढोनेवाले ने यह पाया कि शाऊल की मृत्यु हो गई है, वह भी उसी प्रकार अपनी तलवार पर जा गिरा और उसकी भी मृत्यु हो गई.
וַיָּ֤מָת שָׁאוּל֙ וּשְׁלֹ֣שֶׁת בָּנָ֔יו וְכָל־בֵּיתֹ֖ו יַחְדָּ֥ו מֵֽתוּ׃ 6
इस प्रकार शाऊल और उनके तीनों पुत्रों की मृत्यु हो गई; साथ ही उसके पूरे परिवार की भी मृत्यु हो गई.
וַ֠יִּרְאוּ כָּל־אִ֨ישׁ יִשְׂרָאֵ֤ל אֲשֶׁר־בָּעֵ֙מֶק֙ כִּ֣י נָ֔סוּ וְכִי־מֵ֖תוּ שָׁא֣וּל וּבָנָ֑יו וַיַּעַזְב֤וּ עָרֵיהֶם֙ וַיָּנֻ֔סוּ וַיָּבֹ֣אוּ פְלִשְׁתִּ֔ים וַיֵּשְׁב֖וּ בָּהֶֽם׃ ס 7
जब घाटी के इस्राएलियों ने देखा कि इस्राएली सेना पीठ दिखाकर भाग रही है, शाऊल और उनके पुत्र युद्ध में मारे गए हैं, वे नगर छोड़-छोड़कर भागने लगे. तब फिलिस्तीनी आए और नगरों में निवास करने लगे.
וַיְהִי֙ מִֽמָּחֳרָ֔ת וַיָּבֹ֣אוּ פְלִשְׁתִּ֔ים לְפַשֵּׁ֖ט אֶת־הֽ͏ַחֲלָלִ֑ים וַֽיִּמְצְא֤וּ אֶת־שָׁאוּל֙ וְאֶת־בָּנָ֔יו נֹפְלִ֖ים בְּהַ֥ר גִּלְבֹּֽעַ׃ 8
अगले दिन, जब फिलिस्तीनी आए कि शवों पर से, जो मिल सके, अपने लिए उठा ले जाएं. उन्हें गिलबोआ पर्वत पर शाऊल और उसके पुत्रों के शव दिखाई दिए.
וַיַּ֨פְשִׁיטֻ֔הוּ וַיִּשְׂא֥וּ אֶת־רֹאשֹׁ֖ו וְאֶת־כֵּלָ֑יו וַיְשַׁלְּח֨וּ בְאֶֽרֶץ־פְלִשְׁתִּ֜ים סָבִ֗יב לְבַשֵּׂ֛ר אֶת־עֲצַבֵּיהֶ֖ם וְאֶת־הָעָֽם׃ 9
उन्होंने शाऊल का सिर काटा, उनके कपड़े उनकी शव से उतार लिए और यह संदेश सारा फिलिस्तिया देश में अपने देवताओं के तथा लोगों के बीच फैलाने के लिए दूतों को भेज दिया.
וַיָּשִׂ֙ימוּ֙ אֶת־כֵּלָ֔יו בֵּ֖ית אֱלֹהֵיהֶ֑ם וְאֶת־גֻּלְגָּלְתֹּ֥ו תָקְע֖וּ בֵּ֥ית דָּגֹֽון׃ ס 10
उन्होंने शाऊल के हथियार अपने देवताओं के मंदिर में रखवा दिए और उसके सिर को अपने देवता दागोन के मंदिर में लटका दिया.
וַֽיִּשְׁמְע֔וּ כֹּ֖ל יָבֵ֣ישׁ גִּלְעָ֑ד אֵ֛ת כָּל־אֲשֶׁר־עָשׂ֥וּ פְלִשְׁתִּ֖ים לְשָׁאֽוּל׃ 11
जब पूरे याबेश-गिलआदवासियों तक यह समाचार पहुंचा कि शाऊल के साथ फिलिस्तीनियों ने कैसा व्यवहार किया है,
וַיָּקוּמוּ֮ כָּל־אִ֣ישׁ חַיִל֒ וַיִּשְׂא֞וּ אֶת־גּוּפַ֣ת שָׁא֗וּל וְאֵת֙ גּוּפֹ֣ת בָּנָ֔יו וַיְבִיא֖וּם יָבֵ֑ישָׁה וַיִּקְבְּר֨וּ אֶת־עַצְמֹותֵיהֶ֜ם תַּ֤חַת הָאֵלָה֙ בְּיָבֵ֔שׁ וַיָּצ֖וּמוּ שִׁבְעַ֥ת יָמִֽים׃ 12
सारे वीर योद्धा इकट्ठा हो गए और जाकर शाऊल के और उसके पुत्रों के शव उठाकर याबेश नगर को ले आए. उन्होंने इन शवों की अस्थियों को याबेश नगर के बांज पेड़ के नीचे गाड़ दिया और उनके लिए सात दिन तक उपवास रखा.
וַיָּ֣מָת שָׁא֗וּל בְּמַֽעֲלֹו֙ אֲשֶׁ֣ר מָעַ֣ל בַּֽיהוָ֔ה עַל־דְּבַ֥ר יְהוָ֖ה אֲשֶׁ֣ר לֹא־שָׁמָ֑ר וְגַם־לִשְׁאֹ֥ול בָּאֹ֖וב לִדְרֹֽושׁ׃ 13
शाऊल की मृत्यु का कारण था याहवेह के प्रति उनके द्वारा किया गया विश्वासघात. उन्होंने याहवेह के आदेश का पालन नहीं किया था, इसके अलावा उसने भूत सिद्धि करनेवाले की राय भी ली थी.
וְלֹֽא־דָרַ֥שׁ בַּֽיהוָ֖ה וַיְמִיתֵ֑הוּ וַיַּסֵּב֙ אֶת־הַמְּלוּכָ֔ה לְדָוִ֖יד בֶּן־יִשָֽׁי׃ פ 14
उसने याहवेह से मार्गदर्शन लेना ज़रूरी न समझा था. इसी कारण याहवेह ने उसके प्राण ले लिए और राज्य का प्रशासन यिशै के पुत्र दावीद के हाथों में दे दिया.

< 1 דִּבְרֵי הַיָּמִים 10 >