< תהילים 96 >
שִׁירוּ לַיהֹוָה שִׁיר חָדָשׁ שִׁירוּ לַיהֹוָה כׇּל־הָאָֽרֶץ׃ | 1 |
ख़ुदावन्द के सामने नया हम्द गाओ! ऐ सब अहल — ए — ज़मीन! ख़ुदावन्द के सामने गाओ।
שִׁירוּ לַיהֹוָה בָּרְכוּ שְׁמוֹ בַּשְּׂרוּ מִיּֽוֹם־לְיוֹם יְשׁוּעָתֽוֹ׃ | 2 |
ख़ुदावन्द के सामने गाओ, उसके नाम को मुबारक कहो; रोज़ ब रोज़ उसकी नजात की बशारत दो।
סַפְּרוּ בַגּוֹיִם כְּבוֹדוֹ בְּכׇל־הָעַמִּים נִפְלְאוֹתָֽיו׃ | 3 |
क़ौमों में उसके जलाल का, सब लोगों में उसके 'अजायब का बयान करो।
כִּי גָדוֹל יְהֹוָה וּמְהֻלָּל מְאֹד נוֹרָא הוּא עַל־כׇּל־אֱלֹהִֽים׃ | 4 |
क्यूँकि ख़ुदावन्द बुज़ु़र्ग़ और बहुत। सिताइश के लायक़ है; वह सब मा'बूदों से ज़्यादा ता'ज़ीम के लायक़ है।
כִּי ׀ כׇּל־אֱלֹהֵי הָעַמִּים אֱלִילִים וַיהֹוָה שָׁמַיִם עָשָֽׂה׃ | 5 |
इसलिए कि और क़ौमों के सब मा'बूद सिर्फ़ बुत हैं; लेकिन ख़ुदावन्द ने आसमानों को बनाया।
הוֹד־וְהָדָר לְפָנָיו עֹז וְתִפְאֶרֶת בְּמִקְדָּשֽׁוֹ׃ | 6 |
अज़मत और जलाल उसके सामने में हैं, क़ुदरत और जमाल उसके मक़दिस में।
הָבוּ לַיהֹוָה מִשְׁפְּחוֹת עַמִּים הָבוּ לַיהֹוָה כָּבוֹד וָעֹֽז׃ | 7 |
ऐ क़ौमों के क़बीलो! ख़ुदावन्द की, ख़ुदावन्द ही की तम्जीद — ओ — ताज़ीम करो!
הָבוּ לַיהֹוָה כְּבוֹד שְׁמוֹ שְׂאֽוּ־מִנְחָה וּבֹאוּ לְחַצְרוֹתָֽיו׃ | 8 |
ख़ुदावन्द की ऐसी तम्जीद करो जो उसके नाम की शायान है; हदिया लाओ और उसकी बारगाहों में आओ!
הִשְׁתַּחֲווּ לַיהֹוָה בְּהַדְרַת־קֹדֶשׁ חִילוּ מִפָּנָיו כׇּל־הָאָֽרֶץ׃ | 9 |
पाक आराइश के साथ ख़ुदावन्द को सिज्दा करो; ऐ सब अहल — ए — ज़मीन! उसके सामने काँपते रहो!
אִמְרוּ בַגּוֹיִם ׀ יְהֹוָה מָלָךְ אַף־תִּכּוֹן תֵּבֵל בַּל־תִּמּוֹט יָדִין עַמִּים בְּמֵישָׁרִֽים׃ | 10 |
क़ौमों में 'ऐलान करो, “ख़ुदावन्द सल्तनत करता है! जहान क़ाईम है, और उसे जुम्बिश नहीं; वह रास्ती से कौमों की 'अदालत करेगा।”
יִשְׂמְחוּ הַשָּׁמַיִם וְתָגֵל הָאָרֶץ יִֽרְעַם הַיָּם וּמְלֹאֽוֹ׃ | 11 |
आसमान ख़ुशी मनाए, और ज़मीन ख़ुश हो; समन्दर और उसकी मा'मूरी शोर मचाएँ;
יַעֲלֹז שָׂדַי וְכׇל־אֲשֶׁר־בּוֹ אָז יְרַנְּנוּ כׇּל־עֲצֵי־יָֽעַר׃ | 12 |
मैदान और जो कुछ उसमें है, बाग़ — बाग़ हों; तब जंगल के सब दरख़्त खु़शी से गाने लगेंगे।
לִפְנֵי יְהֹוָה ׀ כִּי בָא כִּי בָא לִשְׁפֹּט הָאָרֶץ יִשְׁפֹּֽט־תֵּבֵל בְּצֶדֶק וְעַמִּים בֶּאֱמוּנָתֽוֹ׃ | 13 |
ख़ुदावन्द के सामने, क्यूँकि वह आ रहा है; वह ज़मीन की 'अदालत करने को रहा है। वह सदाक़त से जहान की, और अपनी सच्चाई से क़ौमों की 'अदालत करेगा।