< בראשית 31 >

וַיִּשְׁמַע אֶת־דִּבְרֵי בְנֵֽי־לָבָן לֵאמֹר לָקַח יַעֲקֹב אֵת כׇּל־אֲשֶׁר לְאָבִינוּ וּמֵאֲשֶׁר לְאָבִינוּ עָשָׂה אֵת כׇּל־הַכָּבֹד הַזֶּֽה׃ 1
फिर लाबान के पुत्रों की ये बातें याकूब के सुनने में आईं, “याकूब ने हमारे पिता का सब कुछ छीन लिया है, और हमारे पिता के धन के कारण उसकी यह प्रतिष्ठा है।”
וַיַּרְא יַעֲקֹב אֶת־פְּנֵי לָבָן וְהִנֵּה אֵינֶנּוּ עִמּוֹ כִּתְמוֹל שִׁלְשֽׁוֹם׃ 2
और याकूब ने लाबान के चेहरे पर दृष्टि की और ताड़ लिया, कि वह उसके प्रति पहले के समान नहीं है।
וַיֹּאמֶר יְהֹוָה אֶֽל־יַעֲקֹב שׁוּב אֶל־אֶרֶץ אֲבוֹתֶיךָ וּלְמוֹלַדְתֶּךָ וְאֶֽהְיֶה עִמָּֽךְ׃ 3
तब यहोवा ने याकूब से कहा, “अपने पितरों के देश और अपनी जन्म-भूमि को लौट जा, और मैं तेरे संग रहूँगा।”
וַיִּשְׁלַח יַעֲקֹב וַיִּקְרָא לְרָחֵל וּלְלֵאָה הַשָּׂדֶה אֶל־צֹאנֽוֹ׃ 4
तब याकूब ने राहेल और लिआ को, मैदान में अपनी भेड़-बकरियों के पास बुलवाकर कहा,
וַיֹּאמֶר לָהֶן רֹאֶה אָנֹכִי אֶת־פְּנֵי אֲבִיכֶן כִּֽי־אֵינֶנּוּ אֵלַי כִּתְמֹל שִׁלְשֹׁם וֵֽאלֹהֵי אָבִי הָיָה עִמָּדִֽי׃ 5
“तुम्हारे पिता के चेहरे से मुझे समझ पड़ता है, कि वह तो मुझे पहले के समान अब नहीं देखता; पर मेरे पिता का परमेश्वर मेरे संग है।
וְאַתֵּנָה יְדַעְתֶּן כִּי בְּכׇל־כֹּחִי עָבַדְתִּי אֶת־אֲבִיכֶֽן׃ 6
और तुम भी जानती हो, कि मैंने तुम्हारे पिता की सेवा शक्ति भर की है।
וַאֲבִיכֶן הֵתֶל בִּי וְהֶחֱלִף אֶת־מַשְׂכֻּרְתִּי עֲשֶׂרֶת מֹנִים וְלֹֽא־נְתָנוֹ אֱלֹהִים לְהָרַע עִמָּדִֽי׃ 7
फिर भी तुम्हारे पिता ने मुझसे छल करके मेरी मजदूरी को दस बार बदल दिया; परन्तु परमेश्वर ने उसको मेरी हानि करने नहीं दिया।
אִם־כֹּה יֹאמַר נְקֻדִּים יִהְיֶה שְׂכָרֶךָ וְיָלְדוּ כׇל־הַצֹּאן נְקֻדִּים וְאִם־כֹּה יֹאמַר עֲקֻדִּים יִהְיֶה שְׂכָרֶךָ וְיָלְדוּ כׇל־הַצֹּאן עֲקֻדִּֽים׃ 8
जब उसने कहा, ‘चित्तीवाले बच्चे तेरी मजदूरी ठहरेंगे,’ तब सब भेड़-बकरियाँ चित्तीवाले ही जनने लगीं, और जब उसने कहा, ‘धारीवाले बच्चे तेरी मजदूरी ठहरेंगे,’ तब सब भेड़-बकरियाँ धारीवाले जनने लगीं।
וַיַּצֵּל אֱלֹהִים אֶת־מִקְנֵה אֲבִיכֶם וַיִּתֶּן־לִֽי׃ 9
इस रीति से परमेश्वर ने तुम्हारे पिता के पशु लेकर मुझ को दे दिए।
וַיְהִי בְּעֵת יַחֵם הַצֹּאן וָאֶשָּׂא עֵינַי וָאֵרֶא בַּחֲלוֹם וְהִנֵּה הָֽעַתֻּדִים הָעֹלִים עַל־הַצֹּאן עֲקֻדִּים נְקֻדִּים וּבְרֻדִּֽים׃ 10
१०भेड़-बकरियों के गाभिन होने के समय मैंने स्वप्न में क्या देखा, कि जो बकरे बकरियों पर चढ़ रहे हैं, वे धारीवाले, चित्तीवाले, और धब्बेवाले हैं।
וַיֹּאמֶר אֵלַי מַלְאַךְ הָאֱלֹהִים בַּחֲלוֹם יַֽעֲקֹב וָאֹמַר הִנֵּֽנִי׃ 11
११तब परमेश्वर के दूत ने स्वप्न में मुझसे कहा, ‘हे याकूब,’ मैंने कहा, ‘क्या आज्ञा।’
וַיֹּאמֶר שָׂא־נָא עֵינֶיךָ וּרְאֵה כׇּל־הָֽעַתֻּדִים הָעֹלִים עַל־הַצֹּאן עֲקֻדִּים נְקֻדִּים וּבְרֻדִּים כִּי רָאִיתִי אֵת כׇּל־אֲשֶׁר לָבָן עֹשֶׂה לָּֽךְ׃ 12
१२उसने कहा, ‘आँखें उठाकर उन सब बकरों को जो बकरियों पर चढ़ रहे हैं, देख, कि वे धारीवाले, चित्तीवाले, और धब्बेवाले हैं; क्योंकि जो कुछ लाबान तुझ से करता है, वह मैंने देखा है।
אָנֹכִי הָאֵל בֵּֽית־אֵל אֲשֶׁר מָשַׁחְתָּ שָּׁם מַצֵּבָה אֲשֶׁר נָדַרְתָּ לִּי שָׁם נֶדֶר עַתָּה קוּם צֵא מִן־הָאָרֶץ הַזֹּאת וְשׁוּב אֶל־אֶרֶץ מוֹלַדְתֶּֽךָ׃ 13
१३मैं उस बेतेल का परमेश्वर हूँ, जहाँ तूने एक खम्भे पर तेल डाल दिया था और मेरी मन्नत मानी थी। अब चल, इस देश से निकलकर अपनी जन्म-भूमि को लौट जा।’”
וַתַּעַן רָחֵל וְלֵאָה וַתֹּאמַרְנָה לוֹ הַעוֹד לָנוּ חֵלֶק וְנַחֲלָה בְּבֵית אָבִֽינוּ׃ 14
१४तब राहेल और लिआ ने उससे कहा, “क्या हमारे पिता के घर में अब भी हमारा कुछ भाग या अंश बचा है?
הֲלוֹא נׇכְרִיּוֹת נֶחְשַׁבְנוּ לוֹ כִּי מְכָרָנוּ וַיֹּאכַל גַּם־אָכוֹל אֶת־כַּסְפֵּֽנוּ׃ 15
१५क्या हम उसकी दृष्टि में पराए न ठहरीं? देख, उसने हमको तो बेच डाला, और हमारे रूपे को खा बैठा है।
כִּי כׇל־הָעֹשֶׁר אֲשֶׁר הִצִּיל אֱלֹהִים מֵֽאָבִינוּ לָנוּ הוּא וּלְבָנֵינוּ וְעַתָּה כֹּל אֲשֶׁר אָמַר אֱלֹהִים אֵלֶיךָ עֲשֵֽׂה׃ 16
१६इसलिए परमेश्वर ने हमारे पिता का जितना धन ले लिया है, वह हमारा, और हमारे बच्चों का है; अब जो कुछ परमेश्वर ने तुझ से कहा है, वही कर।”
וַיָּקׇם יַעֲקֹב וַיִּשָּׂא אֶת־בָּנָיו וְאֶת־נָשָׁיו עַל־הַגְּמַלִּֽים׃ 17
१७तब याकूब ने अपने बच्चों और स्त्रियों को ऊँटों पर चढ़ाया;
וַיִּנְהַג אֶת־כׇּל־מִקְנֵהוּ וְאֶת־כׇּל־רְכֻשׁוֹ אֲשֶׁר רָכָשׁ מִקְנֵה קִנְיָנוֹ אֲשֶׁר רָכַשׁ בְּפַדַּן אֲרָם לָבוֹא אֶל־יִצְחָק אָבִיו אַרְצָה כְּנָֽעַן׃ 18
१८और जितने पशुओं को वह पद्दनराम में इकट्ठा करके धनाढ्य हो गया था, सब को कनान में अपने पिता इसहाक के पास जाने की मनसा से, साथ ले गया।
וְלָבָן הָלַךְ לִגְזֹז אֶת־צֹאנוֹ וַתִּגְנֹב רָחֵל אֶת־הַתְּרָפִים אֲשֶׁר לְאָבִֽיהָ׃ 19
१९लाबान तो अपनी भेड़ों का ऊन कतरने के लिये चला गया था, और राहेल अपने पिता के गृहदेवताओं को चुरा ले गई।
וַיִּגְנֹב יַעֲקֹב אֶת־לֵב לָבָן הָאֲרַמִּי עַל־בְּלִי הִגִּיד לוֹ כִּי בֹרֵחַ הֽוּא׃ 20
२०अतः याकूब लाबान अरामी के पास से चोरी से चला गया, उसको न बताया कि मैं भागा जाता हूँ।
וַיִּבְרַח הוּא וְכׇל־אֲשֶׁר־לוֹ וַיָּקׇם וַיַּעֲבֹר אֶת־הַנָּהָר וַיָּשֶׂם אֶת־פָּנָיו הַר הַגִּלְעָֽד׃ 21
२१वह अपना सब कुछ लेकर भागा, और महानद के पार उतरकर अपना मुँह गिलाद के पहाड़ी देश की ओर किया।
וַיֻּגַּד לְלָבָן בַּיּוֹם הַשְּׁלִישִׁי כִּי בָרַח יַעֲקֹֽב׃ 22
२२तीसरे दिन लाबान को समाचार मिला कि याकूब भाग गया है।
וַיִּקַּח אֶת־אֶחָיו עִמּוֹ וַיִּרְדֹּף אַחֲרָיו דֶּרֶךְ שִׁבְעַת יָמִים וַיַּדְבֵּק אֹתוֹ בְּהַר הַגִּלְעָֽד׃ 23
२३इसलिए उसने अपने भाइयों को साथ लेकर उसका सात दिन तक पीछा किया, और गिलाद के पहाड़ी देश में उसको जा पकड़ा।
וַיָּבֹא אֱלֹהִים אֶל־לָבָן הָאֲרַמִּי בַּחֲלֹם הַלָּיְלָה וַיֹּאמֶר לוֹ הִשָּׁמֶר לְךָ פֶּן־תְּדַבֵּר עִֽם־יַעֲקֹב מִטּוֹב עַד־רָֽע׃ 24
२४तब परमेश्वर ने रात के स्वप्न में अरामी लाबान के पास आकर कहा, “सावधान रह, तू याकूब से न तो भला कहना और न बुरा।”
וַיַּשֵּׂג לָבָן אֶֽת־יַעֲקֹב וְיַעֲקֹב תָּקַע אֶֽת־אׇהֳלוֹ בָּהָר וְלָבָן תָּקַע אֶת־אֶחָיו בְּהַר הַגִּלְעָֽד׃ 25
२५और लाबान याकूब के पास पहुँच गया। याकूब अपना तम्बू गिलाद नामक पहाड़ी देश में खड़ा किए पड़ा था; और लाबान ने भी अपने भाइयों के साथ अपना तम्बू उसी पहाड़ी देश में खड़ा किया।
וַיֹּאמֶר לָבָן לְיַעֲקֹב מֶה עָשִׂיתָ וַתִּגְנֹב אֶת־לְבָבִי וַתְּנַהֵג אֶת־בְּנֹתַי כִּשְׁבֻיוֹת חָֽרֶב׃ 26
२६तब लाबान याकूब से कहने लगा, “तूने यह क्या किया, कि मेरे पास से चोरी से चला आया, और मेरी बेटियों को ऐसा ले आया, जैसा कोई तलवार के बल से बन्दी बनाई गई हों?
לָמָּה נַחְבֵּאתָ לִבְרֹחַ וַתִּגְנֹב אֹתִי וְלֹא־הִגַּדְתָּ לִּי וָֽאֲשַׁלֵּחֲךָ בְּשִׂמְחָה וּבְשִׁרִים בְּתֹף וּבְכִנּֽוֹר׃ 27
२७तू क्यों चुपके से भाग आया, और मुझसे बिना कुछ कहे मेरे पास से चोरी से चला आया; नहीं तो मैं तुझे आनन्द के साथ मृदंग और वीणा बजवाते, और गीत गवाते विदा करता?
וְלֹא נְטַשְׁתַּנִי לְנַשֵּׁק לְבָנַי וְלִבְנֹתָי עַתָּה הִסְכַּלְתָּֽ עֲשֽׂוֹ׃ 28
२८तूने तो मुझे अपने बेटे-बेटियों को चूमने तक न दिया? तूने मूर्खता की है।
יֶשׁ־לְאֵל יָדִי לַעֲשׂוֹת עִמָּכֶם רָע וֵֽאלֹהֵי אֲבִיכֶם אֶמֶשׁ ׀ אָמַר אֵלַי לֵאמֹר הִשָּׁמֶר לְךָ מִדַּבֵּר עִֽם־יַעֲקֹב מִטּוֹב עַד־רָֽע׃ 29
२९तुम लोगों की हानि करने की शक्ति मेरे हाथ में तो है; पर तुम्हारे पिता के परमेश्वर ने मुझसे बीती हुई रात में कहा, ‘सावधान रह, याकूब से न तो भला कहना और न बुरा।’
וְעַתָּה הָלֹךְ הָלַכְתָּ כִּֽי־נִכְסֹף נִכְסַפְתָּה לְבֵית אָבִיךָ לָמָּה גָנַבְתָּ אֶת־אֱלֹהָֽי׃ 30
३०भला, अब तू अपने पिता के घर का बड़ा अभिलाषी होकर चला आया तो चला आया, पर मेरे देवताओं को तू क्यों चुरा ले आया है?”
וַיַּעַן יַעֲקֹב וַיֹּאמֶר לְלָבָן כִּי יָרֵאתִי כִּי אָמַרְתִּי פֶּן־תִּגְזֹל אֶת־בְּנוֹתֶיךָ מֵעִמִּֽי׃ 31
३१याकूब ने लाबान को उत्तर दिया, “मैं यह सोचकर डर गया था कि कहीं तू अपनी बेटियों को मुझसे छीन न ले।
עִם אֲשֶׁר תִּמְצָא אֶת־אֱלֹהֶיךָ לֹא יִֽחְיֶה נֶגֶד אַחֵינוּ הַֽכֶּר־לְךָ מָה עִמָּדִי וְקַֽח־לָךְ וְלֹֽא־יָדַע יַעֲקֹב כִּי רָחֵל גְּנָבָֽתַם׃ 32
३२जिस किसी के पास तू अपने देवताओं को पाए, वह जीवित न बचेगा। मेरे पास तेरा जो कुछ निकले, उसे भाई-बन्धुओं के सामने पहचानकर ले ले।” क्योंकि याकूब न जानता था कि राहेल गृहदेवताओं को चुरा ले आई है।
וַיָּבֹא לָבָן בְּאֹהֶל יַעֲקֹב ׀ וּבְאֹהֶל לֵאָה וּבְאֹהֶל שְׁתֵּי הָאֲמָהֹת וְלֹא מָצָא וַיֵּצֵא מֵאֹהֶל לֵאָה וַיָּבֹא בְּאֹהֶל רָחֵֽל׃ 33
३३यह सुनकर लाबान, याकूब और लिआ और दोनों दासियों के तम्बुओं में गया; और कुछ न मिला। तब लिआ के तम्बू में से निकलकर राहेल के तम्बू में गया।
וְרָחֵל לָקְחָה אֶת־הַתְּרָפִים וַתְּשִׂמֵם בְּכַר הַגָּמָל וַתֵּשֶׁב עֲלֵיהֶם וַיְמַשֵּׁשׁ לָבָן אֶת־כׇּל־הָאֹהֶל וְלֹא מָצָֽא׃ 34
३४राहेल तो गृहदेवताओं को ऊँट की काठी में रखकर उन पर बैठी थी। लाबान ने उसके सारे तम्बू में टटोलने पर भी उन्हें न पाया।
וַתֹּאמֶר אֶל־אָבִיהָ אַל־יִחַר בְּעֵינֵי אֲדֹנִי כִּי לוֹא אוּכַל לָקוּם מִפָּנֶיךָ כִּי־דֶרֶךְ נָשִׁים לִי וַיְחַפֵּשׂ וְלֹא מָצָא אֶת־הַתְּרָפִֽים׃ 35
३५राहेल ने अपने पिता से कहा, “हे मेरे प्रभु; इससे अप्रसन्न न हो, कि मैं तेरे सामने नहीं उठी; क्योंकि मैं मासिक धर्म से हूँ।” अतः उसके ढूँढ़-ढाँढ़ करने पर भी गृहदेवता उसको न मिले।
וַיִּחַר לְיַעֲקֹב וַיָּרֶב בְּלָבָן וַיַּעַן יַעֲקֹב וַיֹּאמֶר לְלָבָן מַה־פִּשְׁעִי מַה חַטָּאתִי כִּי דָלַקְתָּ אַחֲרָֽי׃ 36
३६तब याकूब क्रोधित होकर लाबान से झगड़ने लगा, और कहा, “मेरा क्या अपराध है? मेरा क्या पाप है, कि तूने इतना क्रोधित होकर मेरा पीछा किया है?
כִּֽי־מִשַּׁשְׁתָּ אֶת־כׇּל־כֵּלַי מַה־מָּצָאתָ מִכֹּל כְּלֵי־בֵיתֶךָ שִׂים כֹּה נֶגֶד אַחַי וְאַחֶיךָ וְיוֹכִיחוּ בֵּין שְׁנֵֽינוּ׃ 37
३७तूने जो मेरी सारी सामग्री को टटोलकर देखा, तो तुझको अपने घर की सारी सामग्री में से क्या मिला? कुछ मिला हो तो उसको यहाँ अपने और मेरे भाइयों के सामने रख दे, और वे हम दोनों के बीच न्याय करें।
זֶה עֶשְׂרִים שָׁנָה אָנֹכִי עִמָּךְ רְחֵלֶיךָ וְעִזֶּיךָ לֹא שִׁכֵּלוּ וְאֵילֵי צֹאנְךָ לֹא אָכָֽלְתִּי׃ 38
३८इन बीस वर्षों से मैं तेरे पास रहा; इनमें न तो तेरी भेड़-बकरियों के गर्भ गिरे, और न तेरे मेढ़ों का माँस मैंने कभी खाया।
טְרֵפָה לֹא־הֵבֵאתִי אֵלֶיךָ אָנֹכִי אֲחַטֶּנָּה מִיָּדִי תְּבַקְשֶׁנָּה גְּנֻֽבְתִי יוֹם וּגְנֻֽבְתִי לָֽיְלָה׃ 39
३९जिसे जंगली जन्तुओं ने फाड़ डाला उसको मैं तेरे पास न लाता था, उसकी हानि मैं ही उठाता था; चाहे दिन को चोरी जाता चाहे रात को, तू मुझ ही से उसको ले लेता था।
הָיִיתִי בַיּוֹם אֲכָלַנִי חֹרֶב וְקֶרַח בַּלָּיְלָה וַתִּדַּד שְׁנָתִי מֵֽעֵינָֽי׃ 40
४०मेरी तो यह दशा थी कि दिन को तो घाम और रात को पाला मुझे खा गया; और नींद मेरी आँखों से भाग जाती थी।
זֶה־לִּי עֶשְׂרִים שָׁנָה בְּבֵיתֶךָ עֲבַדְתִּיךָ אַרְבַּֽע־עֶשְׂרֵה שָׁנָה בִּשְׁתֵּי בְנֹתֶיךָ וְשֵׁשׁ שָׁנִים בְּצֹאנֶךָ וַתַּחֲלֵף אֶת־מַשְׂכֻּרְתִּי עֲשֶׂרֶת מֹנִֽים׃ 41
४१बीस वर्ष तक मैं तेरे घर में रहा; चौदह वर्ष तो मैंने तेरी दोनों बेटियों के लिये, और छः वर्ष तेरी भेड़-बकरियों के लिये सेवा की; और तूने मेरी मजदूरी को दस बार बदल डाला।
לוּלֵי אֱלֹהֵי אָבִי אֱלֹהֵי אַבְרָהָם וּפַחַד יִצְחָק הָיָה לִי כִּי עַתָּה רֵיקָם שִׁלַּחְתָּנִי אֶת־עׇנְיִי וְאֶת־יְגִיעַ כַּפַּי רָאָה אֱלֹהִים וַיּוֹכַח אָֽמֶשׁ׃ 42
४२मेरे पिता का परमेश्वर अर्थात् अब्राहम का परमेश्वर, जिसका भय इसहाक भी मानता है, यदि मेरी ओर न होता, तो निश्चय तू अब मुझे खाली हाथ जाने देता। मेरे दुःख और मेरे हाथों के परिश्रम को देखकर परमेश्वर ने बीती हुई रात में तुझे डाँटा।”
וַיַּעַן לָבָן וַיֹּאמֶר אֶֽל־יַעֲקֹב הַבָּנוֹת בְּנֹתַי וְהַבָּנִים בָּנַי וְהַצֹּאן צֹאנִי וְכֹל אֲשֶׁר־אַתָּה רֹאֶה לִי־הוּא וְלִבְנֹתַי מָֽה־אֶעֱשֶׂה לָאֵלֶּה הַיּוֹם אוֹ לִבְנֵיהֶן אֲשֶׁר יָלָֽדוּ׃ 43
४३लाबान ने याकूब से कहा, “ये बेटियाँ तो मेरी ही हैं, और ये पुत्र भी मेरे ही हैं, और ये भेड़-बकरियाँ भी मेरे ही हैं, और जो कुछ तुझे देख पड़ता है वह सब मेरा ही है परन्तु अब मैं अपनी इन बेटियों और इनकी सन्तान से क्या कर सकता हूँ?
וְעַתָּה לְכָה נִכְרְתָה בְרִית אֲנִי וָאָתָּה וְהָיָה לְעֵד בֵּינִי וּבֵינֶֽךָ׃ 44
४४अब आ, मैं और तू दोनों आपस में वाचा बाँधें, और वह मेरे और तेरे बीच साक्षी ठहरी रहे।”
וַיִּקַּח יַעֲקֹב אָבֶן וַיְרִימֶהָ מַצֵּבָֽה׃ 45
४५तब याकूब ने एक पत्थर लेकर उसका खम्भा खड़ा किया।
וַיֹּאמֶר יַעֲקֹב לְאֶחָיו לִקְטוּ אֲבָנִים וַיִּקְחוּ אֲבָנִים וַיַּֽעֲשׂוּ־גָל וַיֹּאכְלוּ שָׁם עַל־הַגָּֽל׃ 46
४६तब याकूब ने अपने भाई-बन्धुओं से कहा, “पत्थर इकट्ठा करो,” यह सुनकर उन्होंने पत्थर इकट्ठा करके एक ढेर लगाया और वहीं ढेर के पास उन्होंने भोजन किया।
וַיִּקְרָא־לוֹ לָבָן יְגַר שָׂהֲדוּתָא וְיַֽעֲקֹב קָרָא לוֹ גַּלְעֵֽד׃ 47
४७उस ढेर का नाम लाबान ने तो जैगर सहादुथा, पर याकूब ने गिलियाद रखा।
וַיֹּאמֶר לָבָן הַגַּל הַזֶּה עֵד בֵּינִי וּבֵינְךָ הַיּוֹם עַל־כֵּן קָרָֽא־שְׁמוֹ גַּלְעֵֽד׃ 48
४८लाबान ने कहा, “यह ढेर आज से मेरे और तेरे बीच साक्षी रहेगा।” इस कारण उसका नाम गिलियाद रखा गया,
וְהַמִּצְפָּה אֲשֶׁר אָמַר יִצֶף יְהֹוָה בֵּינִי וּבֵינֶךָ כִּי נִסָּתֵר אִישׁ מֵרֵעֵֽהוּ׃ 49
४९और मिस्पा भी; क्योंकि उसने कहा, “जब हम एक दूसरे से दूर रहें तब यहोवा मेरी और तेरी देख-भाल करता रहे।
אִם־תְּעַנֶּה אֶת־בְּנֹתַי וְאִם־תִּקַּח נָשִׁים עַל־בְּנֹתַי אֵין אִישׁ עִמָּנוּ רְאֵה אֱלֹהִים עֵד בֵּינִי וּבֵינֶֽךָ׃ 50
५०यदि तू मेरी बेटियों को दुःख दे, या उनके सिवाय और स्त्रियाँ ब्याह ले, तो हमारे साथ कोई मनुष्य तो न रहेगा; पर देख मेरे तेरे बीच में परमेश्वर साक्षी रहेगा।”
וַיֹּאמֶר לָבָן לְיַעֲקֹב הִנֵּה ׀ הַגַּל הַזֶּה וְהִנֵּה הַמַּצֵּבָה אֲשֶׁר יָרִיתִי בֵּינִי וּבֵינֶֽךָ׃ 51
५१फिर लाबान ने याकूब से कहा, “इस ढेर को देख और इस खम्भे को भी देख, जिनको मैंने अपने और तेरे बीच में खड़ा किया है।
עֵד הַגַּל הַזֶּה וְעֵדָה הַמַּצֵּבָה אִם־אָנִי לֹֽא־אֶעֱבֹר אֵלֶיךָ אֶת־הַגַּל הַזֶּה וְאִם־אַתָּה לֹא־תַעֲבֹר אֵלַי אֶת־הַגַּל הַזֶּה וְאֶת־הַמַּצֵּבָה הַזֹּאת לְרָעָֽה׃ 52
५२यह ढेर और यह खम्भा दोनों इस बात के साक्षी रहें कि हानि करने की मनसा से न तो मैं इस ढेर को लाँघकर तेरे पास जाऊँगा, न तू इस ढेर और इस खम्भे को लाँघकर मेरे पास आएगा।
אֱלֹהֵי אַבְרָהָם וֵֽאלֹהֵי נָחוֹר יִשְׁפְּטוּ בֵינֵינוּ אֱלֹהֵי אֲבִיהֶם וַיִּשָּׁבַע יַעֲקֹב בְּפַחַד אָבִיו יִצְחָֽק׃ 53
५३अब्राहम और नाहोर और उनके पिता; तीनों का जो परमेश्वर है, वही हम दोनों के बीच न्याय करे।” तब याकूब ने उसकी शपथ खाई जिसका भय उसका पिता इसहाक मानता था।
וַיִּזְבַּח יַעֲקֹב זֶבַח בָּהָר וַיִּקְרָא לְאֶחָיו לֶאֱכׇל־לָחֶם וַיֹּאכְלוּ לֶחֶם וַיָּלִינוּ בָּהָֽר׃ 54
५४और याकूब ने उस पहाड़ पर बलि चढ़ाया, और अपने भाई-बन्धुओं को भोजन करने के लिये बुलाया, तब उन्होंने भोजन करके पहाड़ पर रात बिताई।
וַיַּשְׁכֵּם לָבָן בַּבֹּקֶר וַיְנַשֵּׁק לְבָנָיו וְלִבְנוֹתָיו וַיְבָרֶךְ אֶתְהֶם וַיֵּלֶךְ וַיָּשׇׁב לָבָן לִמְקֹמֽוֹ׃ 55
५५भोर को लाबान उठा, और अपने बेटे-बेटियों को चूमकर और आशीर्वाद देकर चल दिया, और अपने स्थान को लौट गया।

< בראשית 31 >