< בראשית 3 >
וְהַנָּחָשׁ הָיָה עָרוּם מִכֹּל חַיַּת הַשָּׂדֶה אֲשֶׁר עָשָׂה יְהֹוָה אֱלֹהִים וַיֹּאמֶר אֶל־הָאִשָּׁה אַף כִּֽי־אָמַר אֱלֹהִים לֹא תֹֽאכְלוּ מִכֹּל עֵץ הַגָּֽן׃ | 1 |
और साँप सब जंगली जानवरों से, जिनको ख़ुदावन्द ख़ुदा ने बनाया था चालाक था, और उसने 'औरत से कहा क्या वाक़'ई ख़ुदा ने कहा है, कि बाग़ के किसी दरख़्त का फल तुम न खाना?
וַתֹּאמֶר הָֽאִשָּׁה אֶל־הַנָּחָשׁ מִפְּרִי עֵֽץ־הַגָּן נֹאכֵֽל׃ | 2 |
'औरत ने साँप से कहा कि बाग़ के दरख़्तों का फल तो हम खाते हैं।
וּמִפְּרִי הָעֵץ אֲשֶׁר בְּתוֹךְ־הַגָּן אָמַר אֱלֹהִים לֹא תֹֽאכְלוּ מִמֶּנּוּ וְלֹא תִגְּעוּ בּוֹ פֶּן־תְּמֻתֽוּן׃ | 3 |
लेकिन जो दरख़्त बाग़ के बीच में है उसके फल के बारे में ख़ुदा ने कहा है कि तुम न तो उसे खाना और न छूना वरना मर जाओगे।
וַיֹּאמֶר הַנָּחָשׁ אֶל־הָֽאִשָּׁה לֹֽא־מוֹת תְּמֻתֽוּן׃ | 4 |
तब साँप ने 'औरत से कहा कि तुम हरगिज़ न मरोगे!
כִּי יֹדֵעַ אֱלֹהִים כִּי בְּיוֹם אֲכׇלְכֶם מִמֶּנּוּ וְנִפְקְחוּ עֵֽינֵיכֶם וִהְיִיתֶם כֵּֽאלֹהִים יֹדְעֵי טוֹב וָרָֽע׃ | 5 |
बल्कि ख़ुदा जानता है कि जिस दिन तुम उसे खाओगे, तुम्हारी आँखें खुल जाएँगी, और तुम ख़ुदा की तरह भले और बुरे के जानने वाले बन जाओगे।
וַתֵּרֶא הָֽאִשָּׁה כִּי טוֹב הָעֵץ לְמַאֲכָל וְכִי תַֽאֲוָה־הוּא לָעֵינַיִם וְנֶחְמָד הָעֵץ לְהַשְׂכִּיל וַתִּקַּח מִפִּרְיוֹ וַתֹּאכַל וַתִּתֵּן גַּם־לְאִישָׁהּ עִמָּהּ וַיֹּאכַֽל׃ | 6 |
'औरत ने जो देखा कि वह दरख़्त खाने के लिए अच्छा और आँखों को ख़ुशनुमा मा'लूम होता है और अक्ल बख़्शने के लिए ख़ूब है तो उसके फल में से लिया और खाया और अपने शौहर को भी दिया और उसने खाया।
וַתִּפָּקַחְנָה עֵינֵי שְׁנֵיהֶם וַיֵּדְעוּ כִּי עֵֽירֻמִּם הֵם וַֽיִּתְפְּרוּ עֲלֵה תְאֵנָה וַיַּעֲשׂוּ לָהֶם חֲגֹרֹֽת׃ | 7 |
तब दोनों की आँखें खुल गई और उनको मा'लूम हुआ कि वह नंगे हैं और उन्होंने अंजीर के पत्तों को सी कर अपने लिए लूंगियाँ बनाई।
וַֽיִּשְׁמְעוּ אֶת־קוֹל יְהֹוָה אֱלֹהִים מִתְהַלֵּךְ בַּגָּן לְרוּחַ הַיּוֹם וַיִּתְחַבֵּא הָֽאָדָם וְאִשְׁתּוֹ מִפְּנֵי יְהֹוָה אֱלֹהִים בְּתוֹךְ עֵץ הַגָּֽן׃ | 8 |
और उन्होंने ख़ुदावन्द ख़ुदा की आवाज़ जो ठंडे वक़्त बाग़ में फिरता था सुनी और आदम और उसकी बीवी ने अपने आप को ख़ुदावन्द ख़ुदा के सामने से बाग़ के दरख़तों में छिपाया।
וַיִּקְרָא יְהֹוָה אֱלֹהִים אֶל־הָֽאָדָם וַיֹּאמֶר לוֹ אַיֶּֽכָּה׃ | 9 |
तब ख़ुदावन्द ख़ुदा ने आदम को पुकारा और उससे कहा कि तू कहाँ है?
וַיֹּאמֶר אֶת־קֹלְךָ שָׁמַעְתִּי בַּגָּן וָאִירָא כִּֽי־עֵירֹם אָנֹכִי וָאֵחָבֵֽא׃ | 10 |
उसने कहा, मैंने बाग़ में तेरी आवाज़ सुनी और मैं डरा क्यूँकि मैं नंगा था और मैंने अपने आप को छिपाया।
וַיֹּאמֶר מִי הִגִּיד לְךָ כִּי עֵירֹם אָתָּה הֲמִן־הָעֵץ אֲשֶׁר צִוִּיתִיךָ לְבִלְתִּי אֲכׇל־מִמֶּנּוּ אָכָֽלְתָּ׃ | 11 |
उसने कहा, तुझे किसने बताया कि तू नंगा है? क्या तूने उस दरख़्त का फल खाया जिसके बारे में मैंने तुझ को हुक्म दिया था कि उसे न खाना?
וַיֹּאמֶר הָֽאָדָם הָֽאִשָּׁה אֲשֶׁר נָתַתָּה עִמָּדִי הִוא נָֽתְנָה־לִּי מִן־הָעֵץ וָאֹכֵֽל׃ | 12 |
आदम ने कहा कि जिस 'औरत को तूने मेरे साथ किया है उसने मुझे उस दरख़्त का फल दिया और मैंने खाया।
וַיֹּאמֶר יְהֹוָה אֱלֹהִים לָאִשָּׁה מַה־זֹּאת עָשִׂית וַתֹּאמֶר הָֽאִשָּׁה הַנָּחָשׁ הִשִּׁיאַנִי וָאֹכֵֽל׃ | 13 |
तब ख़ुदावन्द ख़ुदा ने, 'औरत से कहा कि तूने यह क्या किया? 'औरत ने कहा कि साँप ने मुझ को बहकाया तो मैंने खाया।
וַיֹּאמֶר יְהֹוָה אֱלֹהִים ׀ אֶֽל־הַנָּחָשׁ כִּי עָשִׂיתָ זֹּאת אָרוּר אַתָּה מִכׇּל־הַבְּהֵמָה וּמִכֹּל חַיַּת הַשָּׂדֶה עַל־גְּחֹנְךָ תֵלֵךְ וְעָפָר תֹּאכַל כׇּל־יְמֵי חַיֶּֽיךָ׃ | 14 |
और ख़ुदावन्द ख़ुदा ने साँप से कहा, इसलिए कि तूने यह किया तू सब चौपायों और जंगली जानवरों में ला'नती ठहरा; तू अपने पेट के बल चलेगा, और अपनी उम्र भर खाक चाटेगा।
וְאֵיבָה ׀ אָשִׁית בֵּֽינְךָ וּבֵין הָֽאִשָּׁה וּבֵין זַרְעֲךָ וּבֵין זַרְעָהּ הוּא יְשׁוּפְךָ רֹאשׁ וְאַתָּה תְּשׁוּפֶנּוּ עָקֵֽב׃ | 15 |
और मैं तेरे और 'औरत के बीच और तेरी नसल और औरत की नसल के बीच 'अदावत डालूँगा वह तेरे सिर को कुचलेगा और तू उसकी एड़ी पर काटेगा।
אֶֽל־הָאִשָּׁה אָמַר הַרְבָּה אַרְבֶּה עִצְּבוֹנֵךְ וְהֵֽרֹנֵךְ בְּעֶצֶב תֵּֽלְדִי בָנִים וְאֶל־אִישֵׁךְ תְּשׁוּקָתֵךְ וְהוּא יִמְשׇׁל־בָּֽךְ׃ | 16 |
फिर उसने 'औरत से कहा कि मैं तेरे दर्द — ए — हम्ल को बहुत बढ़ाऊँगा तू दर्द के साथ बच्चे जनेगी और तेरी रग़बत अपने शौहर की तरफ़ होगी और वह तुझ पर हुकूमत करेगा।
וּלְאָדָם אָמַר כִּֽי־שָׁמַעְתָּ לְקוֹל אִשְׁתֶּךָ וַתֹּאכַל מִן־הָעֵץ אֲשֶׁר צִוִּיתִיךָ לֵאמֹר לֹא תֹאכַל מִמֶּנּוּ אֲרוּרָה הָֽאֲדָמָה בַּֽעֲבוּרֶךָ בְּעִצָּבוֹן תֹּֽאכְלֶנָּה כֹּל יְמֵי חַיֶּֽיךָ׃ | 17 |
और आदम से उसने कहा चूँकि तूने अपनी बीवी की बात मानी और उस दरख़्त का फल खाया जिस के बारे मैंने तुझे हुक्म दिया था कि उसे न खाना इसलिए ज़मीन तेरी वजह से ला'नती हुई। मशक़्क़त के साथ तू अपनी उम्र भर उसकी पैदावार खाएगा
וְקוֹץ וְדַרְדַּר תַּצְמִיחַֽ לָךְ וְאָכַלְתָּ אֶת־עֵשֶׂב הַשָּׂדֶֽה׃ | 18 |
और वह तेरे लिए काँटे और ऊँटकटारे उगाएगी और तू खेत की सब्ज़ी खाएगा।
בְּזֵעַת אַפֶּיךָ תֹּאכַל לֶחֶם עַד שֽׁוּבְךָ אֶל־הָאֲדָמָה כִּי מִמֶּנָּה לֻקָּחְתָּ כִּֽי־עָפָר אַתָּה וְאֶל־עָפָר תָּשֽׁוּב׃ | 19 |
तू अपने मुँह के पसीने की रोटी खाएगा जब तक कि ज़मीन में तू फिर लौट न जाए इसलिए कि तू उससे निकाला गया है क्यूँकि तू ख़ाक है और ख़ाक में फिर लौट जाएगा।
וַיִּקְרָא הָֽאָדָם שֵׁם אִשְׁתּוֹ חַוָּה כִּי הִוא הָֽיְתָה אֵם כׇּל־חָֽי׃ | 20 |
और आदम ने अपनी बीवी का नाम हव्वा रख्खा, इसलिए कि वह सब ज़िन्दों की माँ है।
וַיַּעַשׂ יְהֹוָה אֱלֹהִים לְאָדָם וּלְאִשְׁתּוֹ כׇּתְנוֹת עוֹר וַיַּלְבִּשֵֽׁם׃ | 21 |
और ख़ुदावन्द ख़ुदा ने आदम और उसकी बीवी के लिए चमड़े के कुर्तें बना कर उनको पहनाए।
וַיֹּאמֶר ׀ יְהֹוָה אֱלֹהִים הֵן הָֽאָדָם הָיָה כְּאַחַד מִמֶּנּוּ לָדַעַת טוֹב וָרָע וְעַתָּה ׀ פֶּן־יִשְׁלַח יָדוֹ וְלָקַח גַּם מֵעֵץ הַֽחַיִּים וְאָכַל וָחַי לְעֹלָֽם׃ | 22 |
और ख़ुदावन्द ख़ुदा ने कहा, देखो इंसान भले और बुरे की पहचान में हम में से एक की तरह हो गया: अब कहीं ऐसा न हो कि वह अपना हाथ बढ़ाए और ज़िन्दगी के दरख़्त से भी कुछ लेकर खाए और हमेशा ज़िन्दा रहे।
וַֽיְשַׁלְּחֵהוּ יְהֹוָה אֱלֹהִים מִגַּן־עֵדֶן לַֽעֲבֹד אֶת־הָאֲדָמָה אֲשֶׁר לֻקַּח מִשָּֽׁם׃ | 23 |
इसलिए ख़ुदावन्द ख़ुदा ने उसको बाग — ए — 'अदन से बाहर कर दिया, ताकि वह उस ज़मीन की जिसमें से वह लिया गया था, खेती करे।
וַיְגָרֶשׁ אֶת־הָֽאָדָם וַיַּשְׁכֵּן מִקֶּדֶם לְגַן־עֵדֶן אֶת־הַכְּרֻבִים וְאֵת לַהַט הַחֶרֶב הַמִּתְהַפֶּכֶת לִשְׁמֹר אֶת־דֶּרֶךְ עֵץ הַֽחַיִּֽים׃ | 24 |
चुनाँचे उसने आदम को निकाल दिया और बाग — ए — 'अदन के मशरिक़ की तरफ़ करूबियों को और चारों तरफ़ घूमने वाली शो'लाज़न तलवार को रख्खा, कि वह ज़िन्दगी के दरख़्त की राह की हिफ़ाज़त करें।