< בראשית 3 >

וְהַנָּחָשׁ הָיָה עָרוּם מִכֹּל חַיַּת הַשָּׂדֶה אֲשֶׁר עָשָׂה יְהֹוָה אֱלֹהִים וַיֹּאמֶר אֶל־הָאִשָּׁה אַף כִּֽי־אָמַר אֱלֹהִים לֹא תֹֽאכְלוּ מִכֹּל עֵץ הַגָּֽן׃ 1
याहवेह परमेश्वर के बनाये सब जंतुओं में सांप सबसे ज्यादा चालाक था. उसने स्त्री से कहा, “क्या सच में परमेश्वर ने तुमसे कहा, ‘तुम इस बगीचे के किसी भी पेड़ का फल न खाना’?”
וַתֹּאמֶר הָֽאִשָּׁה אֶל־הַנָּחָשׁ מִפְּרִי עֵֽץ־הַגָּן נֹאכֵֽל׃ 2
तब स्त्री ने उत्तर दिया, “हम बगीचे के वृक्षों के फलों को खा सकते हैं,
וּמִפְּרִי הָעֵץ אֲשֶׁר בְּתוֹךְ־הַגָּן אָמַר אֱלֹהִים לֹא תֹֽאכְלוּ מִמֶּנּוּ וְלֹא תִגְּעוּ בּוֹ פֶּן־תְּמֻתֽוּן׃ 3
लेकिन बगीचे के बीच में जो पेड़ है, उसके बारे में परमेश्वर ने कहा है ‘न तो तुम उसका फल खाना और न ही उसको छूना, नहीं तो तुम मर जाओगे.’”
וַיֹּאמֶר הַנָּחָשׁ אֶל־הָֽאִשָּׁה לֹֽא־מוֹת תְּמֻתֽוּן׃ 4
सांप ने स्त्री से कहा, “निश्चय तुम नहीं मरोगे!
כִּי יֹדֵעַ אֱלֹהִים כִּי בְּיוֹם אֲכׇלְכֶם מִמֶּנּוּ וְנִפְקְחוּ עֵֽינֵיכֶם וִהְיִיתֶם כֵּֽאלֹהִים יֹדְעֵי טוֹב וָרָֽע׃ 5
परमेश्वर यह जानते हैं कि जिस दिन तुम इसमें से खाओगे, तुम्हारी आंखें खुल जाएंगी तथा तुम्हें भले और बुरे का ज्ञान हो जाएगा और तुम परमेश्वर के समान हो जाओगे.”
וַתֵּרֶא הָֽאִשָּׁה כִּי טוֹב הָעֵץ לְמַאֲכָל וְכִי תַֽאֲוָה־הוּא לָעֵינַיִם וְנֶחְמָד הָעֵץ לְהַשְׂכִּיל וַתִּקַּח מִפִּרְיוֹ וַתֹּאכַל וַתִּתֵּן גַּם־לְאִישָׁהּ עִמָּהּ וַיֹּאכַֽל׃ 6
जब स्त्री ने उस पेड़ के फल की ओर देखा कि वह खाने में अच्छा तथा देखने में सुंदर और बुद्धि देनेवाला है, तब उसने उस पेड़ के फलों में से एक लेकर खाया. और उसने यह फल अपने पति को भी दिया, जो उसके पास ही था. उसने भी उसे खाया.
וַתִּפָּקַחְנָה עֵינֵי שְׁנֵיהֶם וַיֵּדְעוּ כִּי עֵֽירֻמִּם הֵם וַֽיִּתְפְּרוּ עֲלֵה תְאֵנָה וַיַּעֲשׂוּ לָהֶם חֲגֹרֹֽת׃ 7
तब उन दोनों की आंखें खुल गईं और उन्हें महसूस हुआ कि वे नंगे हैं. इसलिये उन्होंने अंजीर की पत्तियां जोड़कर कपड़े बनाए और अपने नंगेपन को ढक दिया.
וַֽיִּשְׁמְעוּ אֶת־קוֹל יְהֹוָה אֱלֹהִים מִתְהַלֵּךְ בַּגָּן לְרוּחַ הַיּוֹם וַיִּתְחַבֵּא הָֽאָדָם וְאִשְׁתּוֹ מִפְּנֵי יְהֹוָה אֱלֹהִים בְּתוֹךְ עֵץ הַגָּֽן׃ 8
जब आदम और स्त्री ने दिन के ठण्डे समय में याहवेह परमेश्वर के आने की आवाज बगीचे में सुनी, तब आदम और उसकी पत्नी पेड़ों के बीच में छिप गये.
וַיִּקְרָא יְהֹוָה אֱלֹהִים אֶל־הָֽאָדָם וַיֹּאמֶר לוֹ אַיֶּֽכָּה׃ 9
किंतु याहवेह परमेश्वर ने आदम को बुलाया और पूछा, “तुम कहां हो?”
וַיֹּאמֶר אֶת־קֹלְךָ שָׁמַעְתִּי בַּגָּן וָאִירָא כִּֽי־עֵירֹם אָנֹכִי וָאֵחָבֵֽא׃ 10
आदम ने उत्तर दिया, “आपके आने का शब्द सुनकर हम डर गये और हम छिप गये क्योंकि हम नंगे हैं.”
וַיֹּאמֶר מִי הִגִּיד לְךָ כִּי עֵירֹם אָתָּה הֲמִן־הָעֵץ אֲשֶׁר צִוִּיתִיךָ לְבִלְתִּי אֲכׇל־מִמֶּנּוּ אָכָֽלְתָּ׃ 11
याहवेह ने कहा, “किसने तुमसे कहा कि तुम नंगे हो? कहीं ऐसा तो नहीं, कि तुमने उस पेड़ का फल खा लिया हो, जिसको खाने के लिए मैंने मना किया था?”
וַיֹּאמֶר הָֽאָדָם הָֽאִשָּׁה אֲשֶׁר נָתַתָּה עִמָּדִי הִוא נָֽתְנָה־לִּי מִן־הָעֵץ וָאֹכֵֽל׃ 12
आदम ने कहा, “साथ में रहने के लिए जो स्त्री आपने मुझे दी है, उसी ने मुझे उस पेड़ से वह फल दिया, जिसे मैंने खाया.”
וַיֹּאמֶר יְהֹוָה אֱלֹהִים לָאִשָּׁה מַה־זֹּאת עָשִׂית וַתֹּאמֶר הָֽאִשָּׁה הַנָּחָשׁ הִשִּׁיאַנִי וָאֹכֵֽל׃ 13
यह सुन याहवेह परमेश्वर ने स्त्री से पूछा, “यह क्या किया तुमने?” स्त्री ने उत्तर दिया, “सांप ने मुझे बहकाया, इसलिये मैंने वह फल खा लिया.”
וַיֹּאמֶר יְהֹוָה אֱלֹהִים ׀ אֶֽל־הַנָּחָשׁ כִּי עָשִׂיתָ זֹּאת אָרוּר אַתָּה מִכׇּל־הַבְּהֵמָה וּמִכֹּל חַיַּת הַשָּׂדֶה עַל־גְּחֹנְךָ תֵלֵךְ וְעָפָר תֹּאכַל כׇּל־יְמֵי חַיֶּֽיךָ׃ 14
याहवेह परमेश्वर ने सांप से कहा, तूने ऐसा करके गलत किया, “इसलिये तू सभी पालतू पशुओं से तथा सभी वन्य पशुओं से अधिक शापित है! तू पेट के बल चला करेगा और जीवन भर मिट्टी चाटता रहेगा.
וְאֵיבָה ׀ אָשִׁית בֵּֽינְךָ וּבֵין הָֽאִשָּׁה וּבֵין זַרְעֲךָ וּבֵין זַרְעָהּ הוּא יְשׁוּפְךָ רֹאשׁ וְאַתָּה תְּשׁוּפֶנּוּ עָקֵֽב׃ 15
मैं तेरे तथा स्त्री के बीच, तेरी संतान तथा स्त्री की संतान के बीच बैर पैदा करूंगा; वह तेरे सिर को कुचलेगा, तथा तू उसकी एड़ी को डसेगा.”
אֶֽל־הָאִשָּׁה אָמַר הַרְבָּה אַרְבֶּה עִצְּבוֹנֵךְ וְהֵֽרֹנֵךְ בְּעֶצֶב תֵּֽלְדִי בָנִים וְאֶל־אִישֵׁךְ תְּשׁוּקָתֵךְ וְהוּא יִמְשׇׁל־בָּֽךְ׃ 16
स्त्री से परमेश्वर ने कहा, “मैं तुम्हारी गर्भावस्था के दर्द को बहुत बढ़ाऊंगा; तुम दर्द के साथ संतान को जन्म दोगी. यह होने पर भी तुम्हारी इच्छा तुम्हारे पति की ओर होगी, और पति तुम पर अधिकार करेगा.”
וּלְאָדָם אָמַר כִּֽי־שָׁמַעְתָּ לְקוֹל אִשְׁתֶּךָ וַתֹּאכַל מִן־הָעֵץ אֲשֶׁר צִוִּיתִיךָ לֵאמֹר לֹא תֹאכַל מִמֶּנּוּ אֲרוּרָה הָֽאֲדָמָה בַּֽעֲבוּרֶךָ בְּעִצָּבוֹן תֹּֽאכְלֶנָּה כֹּל יְמֵי חַיֶּֽיךָ׃ 17
फिर आदम से परमेश्वर ने कहा, “तुमने अपनी पत्नी की बात सुनकर उस पेड़ से फल खाया, ‘जिसे खाने के लिये मैंने तुम्हें मना किया था,’ “इस कारण यह पृथ्वी जिस पर तुम रह रहे हो, श्रापित हो गई है; तुम जीवन भर कड़ी मेहनत करके जीवन चलाओगे.
וְקוֹץ וְדַרְדַּר תַּצְמִיחַֽ לָךְ וְאָכַלְתָּ אֶת־עֵשֶׂב הַשָּׂדֶֽה׃ 18
तुम खेती करोगे लेकिन उसमें कांटे और जंगली पेड़ उगेंगे, और तुम खेत की उपज खाओगे.
בְּזֵעַת אַפֶּיךָ תֹּאכַל לֶחֶם עַד שֽׁוּבְךָ אֶל־הָאֲדָמָה כִּי מִמֶּנָּה לֻקָּחְתָּ כִּֽי־עָפָר אַתָּה וְאֶל־עָפָר תָּשֽׁוּב׃ 19
तुम अपने पसीने ही की रोटी खाया करोगे और अंततः मिट्टी में मिल जाओगे क्योंकि तुम मिट्टी ही हो, मिट्टी से ही बने हो.”
וַיִּקְרָא הָֽאָדָם שֵׁם אִשְׁתּוֹ חַוָּה כִּי הִוא הָֽיְתָה אֵם כׇּל־חָֽי׃ 20
आदम ने अपनी पत्नी को हव्वा नाम दिया, क्योंकि वही सबसे पहली माता थी.
וַיַּעַשׂ יְהֹוָה אֱלֹהִים לְאָדָם וּלְאִשְׁתּוֹ כׇּתְנוֹת עוֹר וַיַּלְבִּשֵֽׁם׃ 21
आदम तथा उसकी पत्नी के लिए याहवेह परमेश्वर ने चमड़े के वस्त्र बनाकर उन्हें पहना दिये.
וַיֹּאמֶר ׀ יְהֹוָה אֱלֹהִים הֵן הָֽאָדָם הָיָה כְּאַחַד מִמֶּנּוּ לָדַעַת טוֹב וָרָע וְעַתָּה ׀ פֶּן־יִשְׁלַח יָדוֹ וְלָקַח גַּם מֵעֵץ הַֽחַיִּים וְאָכַל וָחַי לְעֹלָֽם׃ 22
फिर याहवेह परमेश्वर ने सोचा, “आदम और हव्वा ने भले और बुरे के ज्ञान का फल तो खा लिया, अब वे जीवन के पेड़ से फल खाकर सदा जीवित न रह जाएं.”
וַֽיְשַׁלְּחֵהוּ יְהֹוָה אֱלֹהִים מִגַּן־עֵדֶן לַֽעֲבֹד אֶת־הָאֲדָמָה אֲשֶׁר לֻקַּח מִשָּֽׁם׃ 23
इस कारण याहवेह परमेश्वर ने उन्हें एदेन के बगीचे से बाहर कर दिया, ताकि वे भूमि पर खेती करें, और फल उपजायें.
וַיְגָרֶשׁ אֶת־הָֽאָדָם וַיַּשְׁכֵּן מִקֶּדֶם לְגַן־עֵדֶן אֶת־הַכְּרֻבִים וְאֵת לַהַט הַחֶרֶב הַמִּתְהַפֶּכֶת לִשְׁמֹר אֶת־דֶּרֶךְ עֵץ הַֽחַיִּֽים׃ 24
तब उन्होंने आदम को एदेन के बगीचे से बाहर कर दिया तथा एदेन के बगीचे की निगरानी के लिए करूबों को और चारों ओर घूमनेवाली ज्वालामय तलवार को रख दिया ताकि कोई जीवन के वृक्ष को छू न सके.

< בראשית 3 >