< שמות 12 >

וַיֹּאמֶר יְהֹוָה אֶל־מֹשֶׁה וְאֶֽל־אַהֲרֹן בְּאֶרֶץ מִצְרַיִם לֵאמֹֽר׃ 1
फिर यहोवा ने मिस्र देश में मूसा और हारून से कहा,
הַחֹדֶשׁ הַזֶּה לָכֶם רֹאשׁ חֳדָשִׁים רִאשׁוֹן הוּא לָכֶם לְחׇדְשֵׁי הַשָּׁנָֽה׃ 2
“यह महीना तुम लोगों के लिये आरम्भ का ठहरे; अर्थात् वर्ष का पहला महीना यही ठहरे।
דַּבְּרוּ אֶֽל־כׇּל־עֲדַת יִשְׂרָאֵל לֵאמֹר בֶּעָשֹׂר לַחֹדֶשׁ הַזֶּה וְיִקְחוּ לָהֶם אִישׁ שֶׂה לְבֵית־אָבֹת שֶׂה לַבָּֽיִת׃ 3
इस्राएल की सारी मण्डली से इस प्रकार कहो, कि इसी महीने के दसवें दिन को तुम अपने-अपने पितरों के घरानों के अनुसार, घराने पीछे एक-एक मेम्ना ले रखो।
וְאִם־יִמְעַט הַבַּיִת מִהְיוֹת מִשֶּׂה וְלָקַח הוּא וּשְׁכֵנוֹ הַקָּרֹב אֶל־בֵּיתוֹ בְּמִכְסַת נְפָשֹׁת אִישׁ לְפִי אׇכְלוֹ תָּכֹסּוּ עַל־הַשֶּֽׂה׃ 4
और यदि किसी के घराने में एक मेम्ने के खाने के लिये मनुष्य कम हों, तो वह अपने सबसे निकट रहनेवाले पड़ोसी के साथ प्राणियों की गिनती के अनुसार एक मेम्ना ले रखे; और तुम हर एक के खाने के अनुसार मेम्ने का हिसाब करना।
שֶׂה תָמִים זָכָר בֶּן־שָׁנָה יִהְיֶה לָכֶם מִן־הַכְּבָשִׂים וּמִן־הָעִזִּים תִּקָּֽחוּ׃ 5
तुम्हारा मेम्ना निर्दोष और पहले वर्ष का नर हो, और उसे चाहे भेड़ों में से लेना चाहे बकरियों में से।
וְהָיָה לָכֶם לְמִשְׁמֶרֶת עַד אַרְבָּעָה עָשָׂר יוֹם לַחֹדֶשׁ הַזֶּה וְשָׁחֲטוּ אֹתוֹ כֹּל קְהַל עֲדַֽת־יִשְׂרָאֵל בֵּין הָעַרְבָּֽיִם׃ 6
और इस महीने के चौदहवें दिन तक उसे रख छोड़ना, और उस दिन सूर्यास्त के समय इस्राएल की सारी मण्डली के लोग उसे बलि करें।
וְלָֽקְחוּ מִן־הַדָּם וְנָתְנוּ עַל־שְׁתֵּי הַמְּזוּזֹת וְעַל־הַמַּשְׁקוֹף עַל הַבָּתִּים אֲשֶׁר־יֹאכְלוּ אֹתוֹ בָּהֶֽם׃ 7
तब वे उसके लहू में से कुछ लेकर जिन घरों में मेम्ने को खाएँगे उनके द्वार के दोनों ओर और चौखट के सिरे पर लगाएँ।
וְאָכְלוּ אֶת־הַבָּשָׂר בַּלַּיְלָה הַזֶּה צְלִי־אֵשׁ וּמַצּוֹת עַל־מְרֹרִים יֹאכְלֻֽהוּ׃ 8
और वे उसके माँस को उसी रात आग में भूनकर अख़मीरी रोटी और कड़वे सागपात के साथ खाएँ।
אַל־תֹּאכְלוּ מִמֶּנּוּ נָא וּבָשֵׁל מְבֻשָּׁל בַּמָּיִם כִּי אִם־צְלִי־אֵשׁ רֹאשׁוֹ עַל־כְּרָעָיו וְעַל־קִרְבּֽוֹ׃ 9
उसको सिर, पैर, और अंतड़ियाँ समेत आग में भूनकर खाना, कच्चा या जल में कुछ भी पकाकर न खाना।
וְלֹא־תוֹתִירוּ מִמֶּנּוּ עַד־בֹּקֶר וְהַנֹּתָר מִמֶּנּוּ עַד־בֹּקֶר בָּאֵשׁ תִּשְׂרֹֽפוּ׃ 10
१०और उसमें से कुछ सवेरे तक न रहने देना, और यदि कुछ सवेरे तक रह भी जाए, तो उसे आग में जला देना।
וְכָכָה תֹּאכְלוּ אֹתוֹ מׇתְנֵיכֶם חֲגֻרִים נַֽעֲלֵיכֶם בְּרַגְלֵיכֶם וּמַקֶּלְכֶם בְּיֶדְכֶם וַאֲכַלְתֶּם אֹתוֹ בְּחִפָּזוֹן פֶּסַח הוּא לַיהֹוָֽה׃ 11
११और उसके खाने की यह विधि है; कि कमर बाँधे, पाँव में जूती पहने, और हाथ में लाठी लिए हुए उसे फुर्ती से खाना; वह तो यहोवा का फसह होगा।
וְעָבַרְתִּי בְאֶֽרֶץ־מִצְרַיִם בַּלַּיְלָה הַזֶּה וְהִכֵּיתִי כׇל־בְּכוֹר בְּאֶרֶץ מִצְרַיִם מֵאָדָם וְעַד־בְּהֵמָה וּבְכׇל־אֱלֹהֵי מִצְרַיִם אֶֽעֱשֶׂה שְׁפָטִים אֲנִי יְהֹוָֽה׃ 12
१२क्योंकि उस रात को मैं मिस्र देश के बीच में से होकर जाऊँगा, और मिस्र देश के क्या मनुष्य क्या पशु, सब के पहिलौठों को मारूँगा; और मिस्र के सारे देवताओं को भी मैं दण्ड दूँगा; मैं तो यहोवा हूँ।
וְהָיָה הַדָּם לָכֶם לְאֹת עַל הַבָּתִּים אֲשֶׁר אַתֶּם שָׁם וְרָאִיתִי אֶת־הַדָּם וּפָסַחְתִּי עֲלֵכֶם וְלֹֽא־יִֽהְיֶה בָכֶם נֶגֶף לְמַשְׁחִית בְּהַכֹּתִי בְּאֶרֶץ מִצְרָֽיִם׃ 13
१३और जिन घरों में तुम रहोगे उन पर वह लहू तुम्हारे निमित्त चिन्ह ठहरेगा; अर्थात् मैं उस लहू को देखकर तुम को छोड़ जाऊँगा, और जब मैं मिस्र देश के लोगों को मारूँगा, तब वह विपत्ति तुम पर न पड़ेगी और तुम नाश न होंगे।
וְהָיָה הַיּוֹם הַזֶּה לָכֶם לְזִכָּרוֹן וְחַגֹּתֶם אֹתוֹ חַג לַֽיהֹוָה לְדֹרֹתֵיכֶם חֻקַּת עוֹלָם תְּחׇגֻּֽהוּ׃ 14
१४और वह दिन तुम को स्मरण दिलानेवाला ठहरेगा, और तुम उसको यहोवा के लिये पर्व करके मानना; वह दिन तुम्हारी पीढ़ियों में सदा की विधि जानकर पर्व माना जाए।
שִׁבְעַת יָמִים מַצּוֹת תֹּאכֵלוּ אַךְ בַּיּוֹם הָרִאשׁוֹן תַּשְׁבִּיתוּ שְּׂאֹר מִבָּתֵּיכֶם כִּי ׀ כׇּל־אֹכֵל חָמֵץ וְנִכְרְתָה הַנֶּפֶשׁ הַהִוא מִיִּשְׂרָאֵל מִיּוֹם הָרִאשֹׁן עַד־יוֹם הַשְּׁבִעִֽי׃ 15
१५“सात दिन तक अख़मीरी रोटी खाया करना, उनमें से पहले ही दिन अपने-अपने घर में से ख़मीर उठा डालना, वरन् जो पहले दिन से लेकर सातवें दिन तक कोई ख़मीरी वस्तु खाए, वह प्राणी इस्राएलियों में से नाश किया जाए।
וּבַיּוֹם הָרִאשׁוֹן מִקְרָא־קֹדֶשׁ וּבַיּוֹם הַשְּׁבִיעִי מִקְרָא־קֹדֶשׁ יִהְיֶה לָכֶם כׇּל־מְלָאכָה לֹא־יֵעָשֶׂה בָהֶם אַךְ אֲשֶׁר יֵאָכֵל לְכׇל־נֶפֶשׁ הוּא לְבַדּוֹ יֵעָשֶׂה לָכֶֽם׃ 16
१६पहले दिन एक पवित्र सभा, और सातवें दिन भी एक पवित्र सभा करना; उन दोनों दिनों में कोई काम न किया जाए; केवल जिस प्राणी का जो खाना हो उसके काम करने की आज्ञा है।
וּשְׁמַרְתֶּם אֶת־הַמַּצּוֹת כִּי בְּעֶצֶם הַיּוֹם הַזֶּה הוֹצֵאתִי אֶת־צִבְאוֹתֵיכֶם מֵאֶרֶץ מִצְרָיִם וּשְׁמַרְתֶּם אֶת־הַיּוֹם הַזֶּה לְדֹרֹתֵיכֶם חֻקַּת עוֹלָֽם׃ 17
१७इसलिए तुम बिना ख़मीर की रोटी का पर्व मानना, क्योंकि उसी दिन मानो मैंने तुम को दल-दल करके मिस्र देश से निकाला है; इस कारण वह दिन तुम्हारी पीढ़ियों में सदा की विधि जानकर माना जाए।
בָּרִאשֹׁן בְּאַרְבָּעָה עָשָׂר יוֹם לַחֹדֶשׁ בָּעֶרֶב תֹּאכְלוּ מַצֹּת עַד יוֹם הָאֶחָד וְעֶשְׂרִים לַחֹדֶשׁ בָּעָֽרֶב׃ 18
१८पहले महीने के चौदहवें दिन की साँझ से लेकर इक्कीसवें दिन की साँझ तक तुम अख़मीरी रोटी खाया करना।
שִׁבְעַת יָמִים שְׂאֹר לֹא יִמָּצֵא בְּבָתֵּיכֶם כִּי ׀ כׇּל־אֹכֵל מַחְמֶצֶת וְנִכְרְתָה הַנֶּפֶשׁ הַהִוא מֵעֲדַת יִשְׂרָאֵל בַּגֵּר וּבְאֶזְרַח הָאָֽרֶץ׃ 19
१९सात दिन तक तुम्हारे घरों में कुछ भी ख़मीर न रहे, वरन् जो कोई किसी ख़मीरी वस्तु को खाए, चाहे वह देशी हो चाहे परदेशी, वह प्राणी इस्राएलियों की मण्डली से नाश किया जाए।
כׇּל־מַחְמֶצֶת לֹא תֹאכֵלוּ בְּכֹל מוֹשְׁבֹתֵיכֶם תֹּאכְלוּ מַצּֽוֹת׃ 20
२०कोई ख़मीरी वस्तु न खाना; अपने सब घरों में बिना ख़मीर की रोटी खाया करना।”
וַיִּקְרָא מֹשֶׁה לְכׇל־זִקְנֵי יִשְׂרָאֵל וַיֹּאמֶר אֲלֵהֶם מִֽשְׁכוּ וּקְחוּ לָכֶם צֹאן לְמִשְׁפְּחֹתֵיכֶם וְשַׁחֲטוּ הַפָּֽסַח׃ 21
२१तब मूसा ने इस्राएल के सब पुरनियों को बुलाकर कहा, “तुम अपने-अपने कुल के अनुसार एक-एक मेम्ना अलग कर रखो, और फसह का पशुबलि करना।
וּלְקַחְתֶּם אֲגֻדַּת אֵזוֹב וּטְבַלְתֶּם בַּדָּם אֲשֶׁר־בַּסַּף וְהִגַּעְתֶּם אֶל־הַמַּשְׁקוֹף וְאֶל־שְׁתֵּי הַמְּזוּזֹת מִן־הַדָּם אֲשֶׁר בַּסָּף וְאַתֶּם לֹא תֵצְאוּ אִישׁ מִפֶּֽתַח־בֵּיתוֹ עַד־בֹּֽקֶר׃ 22
२२और उसका लहू जो तसले में होगा उसमें जूफा का एक गुच्छा डुबाकर उसी तसले में के लहू से द्वार के चौखट के सिरे और दोनों ओर पर कुछ लगाना; और भोर तक तुम में से कोई घर से बाहर न निकले।
וְעָבַר יְהֹוָה לִנְגֹּף אֶת־מִצְרַיִם וְרָאָה אֶת־הַדָּם עַל־הַמַּשְׁקוֹף וְעַל שְׁתֵּי הַמְּזוּזֹת וּפָסַח יְהֹוָה עַל־הַפֶּתַח וְלֹא יִתֵּן הַמַּשְׁחִית לָבֹא אֶל־בָּתֵּיכֶם לִנְגֹּֽף׃ 23
२३क्योंकि यहोवा देश के बीच होकर मिस्रियों को मारता जाएगा; इसलिए जहाँ-जहाँ वह चौखट के सिरे, और दोनों ओर पर उस लहू को देखेगा, वहाँ-वहाँ वह उस द्वार को छोड़ जाएगा, और नाश करनेवाले को तुम्हारे घरों में मारने के लिये न जाने देगा।
וּשְׁמַרְתֶּם אֶת־הַדָּבָר הַזֶּה לְחׇק־לְךָ וּלְבָנֶיךָ עַד־עוֹלָֽם׃ 24
२४फिर तुम इस विधि को अपने और अपने वंश के लिये सदा की विधि जानकर माना करो।
וְהָיָה כִּֽי־תָבֹאוּ אֶל־הָאָרֶץ אֲשֶׁר יִתֵּן יְהֹוָה לָכֶם כַּאֲשֶׁר דִּבֵּר וּשְׁמַרְתֶּם אֶת־הָעֲבֹדָה הַזֹּֽאת׃ 25
२५जब तुम उस देश में जिसे यहोवा अपने कहने के अनुसार तुम को देगा प्रवेश करो, तब वह काम किया करना।
וְהָיָה כִּֽי־יֹאמְרוּ אֲלֵיכֶם בְּנֵיכֶם מָה הָעֲבֹדָה הַזֹּאת לָכֶֽם׃ 26
२६और जब तुम्हारे लड़के वाले तुम से पूछें, ‘इस काम से तुम्हारा क्या मतलब है?’
וַאֲמַרְתֶּם זֶֽבַח־פֶּסַח הוּא לַֽיהֹוָה אֲשֶׁר פָּסַח עַל־בָּתֵּי בְנֵֽי־יִשְׂרָאֵל בְּמִצְרַיִם בְּנׇגְפּוֹ אֶת־מִצְרַיִם וְאֶת־בָּתֵּינוּ הִצִּיל וַיִּקֹּד הָעָם וַיִּֽשְׁתַּחֲוֽוּ׃ 27
२७तब तुम उनको यह उत्तर देना, ‘यहोवा ने जो मिस्रियों के मारने के समय मिस्र में रहनेवाले हम इस्राएलियों के घरों को छोड़कर हमारे घरों को बचाया, इसी कारण उसके फसह का यह बलिदान किया जाता है।’” तब लोगों ने सिर झुकाकर दण्डवत् किया।
וַיֵּלְכוּ וַֽיַּעֲשׂוּ בְּנֵי יִשְׂרָאֵל כַּאֲשֶׁר צִוָּה יְהֹוָה אֶת־מֹשֶׁה וְאַהֲרֹן כֵּן עָשֽׂוּ׃ 28
२८और इस्राएलियों ने जाकर, जो आज्ञा यहोवा ने मूसा और हारून को दी थी, उसी के अनुसार किया।
וַיְהִי ׀ בַּחֲצִי הַלַּיְלָה וַֽיהֹוָה הִכָּה כׇל־בְּכוֹר בְּאֶרֶץ מִצְרַיִם מִבְּכֹר פַּרְעֹה הַיֹּשֵׁב עַל־כִּסְאוֹ עַד בְּכוֹר הַשְּׁבִי אֲשֶׁר בְּבֵית הַבּוֹר וְכֹל בְּכוֹר בְּהֵמָֽה׃ 29
२९ऐसा हुआ कि आधी रात को यहोवा ने मिस्र देश में सिंहासन पर विराजनेवाले फ़िरौन से लेकर गड्ढे में पड़े हुए बँधुए तक सब के पहिलौठों को, वरन् पशुओं तक के सब पहिलौठों को मार डाला।
וַיָּקׇם פַּרְעֹה לַיְלָה הוּא וְכׇל־עֲבָדָיו וְכׇל־מִצְרַיִם וַתְּהִי צְעָקָה גְדֹלָה בְּמִצְרָיִם כִּֽי־אֵין בַּיִת אֲשֶׁר אֵֽין־שָׁם מֵֽת׃ 30
३०और फ़िरौन रात ही को उठ बैठा, और उसके सब कर्मचारी, वरन् सारे मिस्री उठे; और मिस्र में बड़ा हाहाकार मचा, क्योंकि एक भी ऐसा घर न था जिसमें कोई मरा न हो।
וַיִּקְרָא לְמֹשֶׁה וּֽלְאַהֲרֹן לַיְלָה וַיֹּאמֶר קוּמוּ צְּאוּ מִתּוֹךְ עַמִּי גַּם־אַתֶּם גַּם־בְּנֵי יִשְׂרָאֵל וּלְכוּ עִבְדוּ אֶת־יְהֹוָה כְּדַבֶּרְכֶֽם׃ 31
३१तब फ़िरौन ने रात ही रात में मूसा और हारून को बुलवाकर कहा, “तुम इस्राएलियों समेत मेरी प्रजा के बीच से निकल जाओ; और अपने कहने के अनुसार जाकर यहोवा की उपासना करो।
גַּם־צֹאנְכֶם גַּם־בְּקַרְכֶם קְחוּ כַּאֲשֶׁר דִּבַּרְתֶּם וָלֵכוּ וּבֵֽרַכְתֶּם גַּם־אֹתִֽי׃ 32
३२अपने कहने के अनुसार अपनी भेड़-बकरियों और गाय-बैलों को साथ ले जाओ; और मुझे आशीर्वाद दे जाओ।”
וַתֶּחֱזַק מִצְרַיִם עַל־הָעָם לְמַהֵר לְשַׁלְּחָם מִן־הָאָרֶץ כִּי אָמְרוּ כֻּלָּנוּ מֵתִֽים׃ 33
३३और मिस्री जो कहते थे, ‘हम तो सब मर मिटे हैं,’ उन्होंने इस्राएली लोगों पर दबाव डालकर कहा, “देश से झटपट निकल जाओ।”
וַיִּשָּׂא הָעָם אֶת־בְּצֵקוֹ טֶרֶם יֶחְמָץ מִשְׁאֲרֹתָם צְרֻרֹת בְּשִׂמְלֹתָם עַל־שִׁכְמָֽם׃ 34
३४तब उन्होंने अपने गुँधे-गुँधाए आटे को बिना ख़मीर दिए ही कठौतियों समेत कपड़ों में बाँधकर अपने-अपने कंधे पर डाल लिया।
וּבְנֵי־יִשְׂרָאֵל עָשׂוּ כִּדְבַר מֹשֶׁה וַֽיִּשְׁאֲלוּ מִמִּצְרַיִם כְּלֵי־כֶסֶף וּכְלֵי זָהָב וּשְׂמָלֹֽת׃ 35
३५इस्राएलियों ने मूसा के कहने के अनुसार मिस्रियों से सोने-चाँदी के गहने और वस्त्र माँग लिए।
וַֽיהֹוָה נָתַן אֶת־חֵן הָעָם בְּעֵינֵי מִצְרַיִם וַיַּשְׁאִלוּם וַֽיְנַצְּלוּ אֶת־מִצְרָֽיִם׃ 36
३६और यहोवा ने मिस्रियों को अपनी प्रजा के लोगों पर ऐसा दयालु किया कि उन्होंने जो-जो माँगा वह सब उनको दिया। इस प्रकार इस्राएलियों ने मिस्रियों को लूट लिया।
וַיִּסְעוּ בְנֵֽי־יִשְׂרָאֵל מֵרַעְמְסֵס סֻכֹּתָה כְּשֵׁשׁ־מֵאוֹת אֶלֶף רַגְלִי הַגְּבָרִים לְבַד מִטָּֽף׃ 37
३७तब इस्राएली रामसेस से कूच करके सुक्कोत को चले, और बाल-बच्चों को छोड़ वे कोई छः लाख पैदल चलनेवाले पुरुष थे।
וְגַם־עֵרֶב רַב עָלָה אִתָּם וְצֹאן וּבָקָר מִקְנֶה כָּבֵד מְאֹֽד׃ 38
३८उनके साथ मिली-जुली हुई एक भीड़ गई, और भेड़-बकरी, गाय-बैल, बहुत से पशु भी साथ गए।
וַיֹּאפוּ אֶת־הַבָּצֵק אֲשֶׁר הוֹצִיאוּ מִמִּצְרַיִם עֻגֹת מַצּוֹת כִּי לֹא חָמֵץ כִּֽי־גֹרְשׁוּ מִמִּצְרַיִם וְלֹא יָֽכְלוּ לְהִתְמַהְמֵהַּ וְגַם־צֵדָה לֹא־עָשׂוּ לָהֶֽם׃ 39
३९और जो गूँधा आटा वे मिस्र से साथ ले गए उसकी उन्होंने बिना ख़मीर दिए रोटियाँ बनाईं; क्योंकि वे मिस्र से ऐसे बरबस निकाले गए, कि उन्हें अवसर भी न मिला की मार्ग में खाने के लिये कुछ पका सके, इसी कारण वह गूँधा हुआ आटा बिना ख़मीर का था।
וּמוֹשַׁב בְּנֵי יִשְׂרָאֵל אֲשֶׁר יָשְׁבוּ בְּמִצְרָיִם שְׁלֹשִׁים שָׁנָה וְאַרְבַּע מֵאוֹת שָׁנָֽה׃ 40
४०मिस्र में बसे हुए इस्राएलियों को चार सौ तीस वर्ष बीत गए थे।
וַיְהִי מִקֵּץ שְׁלֹשִׁים שָׁנָה וְאַרְבַּע מֵאוֹת שָׁנָה וַיְהִי בְּעֶצֶם הַיּוֹם הַזֶּה יָצְאוּ כׇּל־צִבְאוֹת יְהֹוָה מֵאֶרֶץ מִצְרָֽיִם׃ 41
४१और उन चार सौ तीस वर्षों के बीतने पर, ठीक उसी दिन, यहोवा की सारी सेना मिस्र देश से निकल गई।
לֵיל שִׁמֻּרִים הוּא לַֽיהֹוָה לְהוֹצִיאָם מֵאֶרֶץ מִצְרָיִם הֽוּא־הַלַּיְלָה הַזֶּה לַֽיהֹוָה שִׁמֻּרִים לְכׇל־בְּנֵי יִשְׂרָאֵל לְדֹרֹתָֽם׃ 42
४२यहोवा इस्राएलियों को मिस्र देश से निकाल लाया, इस कारण वह रात उसके निमित्त मानने के योग्य है; यह यहोवा की वही रात है जिसका पीढ़ी-पीढ़ी में मानना इस्राएलियों के लिये अवश्य है।
וַיֹּאמֶר יְהֹוָה אֶל־מֹשֶׁה וְאַהֲרֹן זֹאת חֻקַּת הַפָּסַח כׇּל־בֶּן־נֵכָר לֹא־יֹאכַל בּֽוֹ׃ 43
४३फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा, “पर्व की विधि यह है; कि कोई परदेशी उसमें से न खाए;
וְכׇל־עֶבֶד אִישׁ מִקְנַת־כָּסֶף וּמַלְתָּה אֹתוֹ אָז יֹאכַל בּֽוֹ׃ 44
४४पर जो किसी का मोल लिया हुआ दास हो, और तुम लोगों ने उसका खतना किया हो, वह तो उसमें से खा सकेगा।
תּוֹשָׁב וְשָׂכִיר לֹא־יֹאכַל בּֽוֹ׃ 45
४५पर परदेशी और मजदूर उसमें से न खाएँ।
בְּבַיִת אֶחָד יֵאָכֵל לֹא־תוֹצִיא מִן־הַבַּיִת מִן־הַבָּשָׂר חוּצָה וְעֶצֶם לֹא תִשְׁבְּרוּ־בֽוֹ׃ 46
४६उसका खाना एक ही घर में हो; अर्थात् तुम उसके माँस में से कुछ घर से बाहर न ले जाना; और बलिपशु की कोई हड्डी न तोड़ना।
כׇּל־עֲדַת יִשְׂרָאֵל יַעֲשׂוּ אֹתֽוֹ׃ 47
४७पर्व को मानना इस्राएल की सारी मण्डली का कर्तव्य है।
וְכִֽי־יָגוּר אִתְּךָ גֵּר וְעָשָׂה פֶסַח לַיהֹוָה הִמּוֹל לוֹ כׇל־זָכָר וְאָז יִקְרַב לַעֲשֹׂתוֹ וְהָיָה כְּאֶזְרַח הָאָרֶץ וְכׇל־עָרֵל לֹֽא־יֹאכַל בּֽוֹ׃ 48
४८और यदि कोई परदेशी तुम लोगों के संग रहकर यहोवा के लिये पर्व को मानना चाहे, तो वह अपने यहाँ के सब पुरुषों का खतना कराए, तब वह समीप आकर उसको माने; और वह देशी मनुष्य के तुल्य ठहरेगा। पर कोई खतनारहित पुरुष उसमें से न खाने पाए।
תּוֹרָה אַחַת יִהְיֶה לָֽאֶזְרָח וְלַגֵּר הַגָּר בְּתוֹכְכֶֽם׃ 49
४९उसकी व्यवस्था देशी और तुम्हारे बीच में रहनेवाले परदेशी दोनों के लिये एक ही हो।”
וַיַּֽעֲשׂוּ כׇּל־בְּנֵי יִשְׂרָאֵל כַּאֲשֶׁר צִוָּה יְהֹוָה אֶת־מֹשֶׁה וְאֶֽת־אַהֲרֹן כֵּן עָשֽׂוּ׃ 50
५०यह आज्ञा जो यहोवा ने मूसा और हारून को दी उसके अनुसार सारे इस्राएलियों ने किया।
וַיְהִי בְּעֶצֶם הַיּוֹם הַזֶּה הוֹצִיא יְהֹוָה אֶת־בְּנֵי יִשְׂרָאֵל מֵאֶרֶץ מִצְרַיִם עַל־צִבְאֹתָֽם׃ 51
५१और ठीक उसी दिन यहोवा इस्राएलियों को मिस्र देश से दल-दल करके निकाल ले गया।

< שמות 12 >