< צפניה 3 >

הוי מראה ונגאלה--העיר היונה 1
उस सरकश और नापाक व ज़ालिम शहर पर अफ़सोस!
לא שמעה בקול לא לקחה מוסר ביהוה לא בטחה אל אלהיה לא קרבה 2
उसने कलाम को न सुना, वह तरबियत पज़ीर न हुआ। उसने ख़ुदावन्द पर भरोसा न किया, और अपने ख़ुदा की क़ुरबत क़ी आरज़ू न की।
שריה בקרבה אריות שאגים שפטיה זאבי ערב לא גרמו לבקר 3
उसके उमरा उसमें गरजने वाले बबर हैं; उसके क़ाज़ी भेड़िये हैं जो शाम को निकलते हैं, और सुबह तक कुछ नहीं छोड़ते।
נביאיה פחזים אנשי בגדות כהניה חללו קדש חמסו תורה 4
उसके नबी लाफ़ज़न और दग़ाबाज़ हैं, उसके काहिनों ने पाक को नापाक ठहराया, और उन्होंने शरी'अत को मरोड़ा है।
יהוה צדיק בקרבה לא יעשה עולה בבקר בבקר משפטו יתן לאור לא נעדר ולא יודע עול בשת 5
ख़ुदावन्द जो सच्चा है, उसके अंदर है; वह बेइन्साफ़ी न करेगा; वह हर सुबह बिला नाग़ा अपनी 'अदालत ज़ाहिर करता है, मगर बेइन्साफ़ आदमी शर्म को नहीं जानता।
הכרתי גוים נשמו פנותם--החרבתי חוצותם מבלי עובר נצדו עריהם מבלי איש מאין יושב 6
मैंने क़ौमों को काट डाला, उनके बुर्ज बर्बाद किए गए; मैंने उनके कूचों को वीरान किया, यहाँ तक कि उनमें कोई नहीं चलता; उनके शहर उजाड़ हुए और उनमें कोई इंसान नहीं कोई बाशिन्दा नहीं।
אמרתי אך תיראי אותי תקחי מוסר ולא יכרת מעונה כל אשר פקדתי עליה אכן השכימו השחיתו כל עלילותם 7
मैंने कहा, 'कि सिर्फ़ मुझ से डर, और तरबियत पज़ीर हो; ताकि उसकी बस्ती काटी न जाए। उस सब के मुताबिक़ जो मैंने उसके हक़ में ठहराया था। लेकिन उन्होंने 'अमदन अपनी चाल को बिगाड़ा।
לכן חכו לי נאם יהוה ליום קומי לעד כי משפטי לאסף גוים לקבצי ממלכות לשפך עליהם זעמי כל חרון אפי--כי באש קנאתי תאכל כל הארץ 8
“इसलिए, ख़ुदावन्द फ़रमाता है, मेरे मुन्तज़िर रहो, जब तक कि मैं लूट के लिए न उठूँ, क्यूँकि मैंने ठान लिया है कि क़ौमों को जमा' करूँ और ममलुकतों को इकट्ठा करूँ, ताकि अपने ग़ज़ब या'नी तमाम क़हर को उन पर नाज़िल करूँ, क्यूँकि मेरी गै़रत की आग सारी ज़मीन को खा जाएगी।
כי אז אהפך אל עמים שפה ברורה לקרא כלם בשם יהוה לעבדו שכם אחד 9
और मैं उस वक़्त लोगों के होंट पाक कर दूँगा, ताकि वह सब ख़ुदावन्द से दुआ करें, और एक दिल होकर उसकी इबादत करें।
מעבר לנהרי כוש--עתרי בת פוצי יובלון מנחתי 10
कूश की नहरों के पार से मेरे 'आबिद, या'नी मेरी बिखरी क़ौम मेरे लिए हदिया लाएगी
ביום ההוא לא תבושי מכל עלילתיך אשר פשעת בי כי אז אסיר מקרבך עליזי גאותך ולא תוספי לגבהה עוד בהר קדשי 11
उसी रोज़ तू अपने सब आ'माल की वजह से जिनसे तू मेरी गुनहगार हुई, शर्मिन्दा न होगी: क्यूँकि मैं उस वक़्त तेरे बीच से तेरे मग़रूर लोगों को निकाल दूँगा, और फिर तू मेरे मुक़द्दस पहाड़ पर तकब्बुर न करेगी।
והשארתי בקרבך עם עני ודל וחסו בשם יהוה 12
और मैं तुझ में एक मज़लूम और मिस्कीन बक़िया छोड़ दूँगा और वह ख़ुदावन्द के नाम पर भरोसा करेंगे,
שארית ישראל לא יעשו עולה ולא ידברו כזב ולא ימצא בפיהם לשון תרמית כי המה ירעו ורבצו ואין מחריד 13
इस्राईल के बाक़ी लोग न गुनाह करेंगे, न झूट बोलेंगे और न उनके मुँह में दग़ा की बातें पाई जाएँगी बल्कि वह खाएँगे और लेट रहेंगे, और कोई उनको न डराएगा।”
רני בת ציון--הריעו ישראל שמחי ועלזי בכל לב בת ירושלם 14
ऐ बिन्त — ए — सिय्यून, नग़मा सराई कर; ऐ इस्राईल, ललकार! ऐ दुख़्तर — ए — येरूशलेम, पूरे दिल से ख़ुशी मना और शादमान हो।
הסיר יהוה משפטיך פנה איבך מלך ישראל יהוה בקרבך לא תיראי רע עוד 15
ख़ुदावन्द ने तेरी सज़ा को दूर कर दिया, उसने तेरे दुश्मनों को निकाल दिया ख़ुदावन्द इस्राईल का बादशाह तेरे अन्दर है तू फिर मुसीबत को न देखेगी।
ביום ההוא יאמר לירושלם אל תיראי ציון אל ירפו ידיך 16
उस रोज़ येरूशलेम से कहा जाएगा, परेशान न हो, ऐ सिय्यून; तेरे हाथ ढीले न हों।
יהוה אלהיך בקרבך גבור יושיע ישיש עליך בשמחה יחריש באהבתו--יגיל עליך ברנה 17
ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा, जो तुझ में है, क़ादिर है, वही बचा लेगा; वह तेरी वजह से शादमान होकर खु़शी करेगा; वह अपनी मुहब्बत में मसरूर रहेगा; वह गाते हुए तेरे लिए शादमानी करेगा।
נוגי ממועד אספתי ממך היו--משאת עליה חרפה 18
“मैं तेरे उन लोगों को जो 'ईदों से महरूम होने की वजह से ग़मगीन और मलामत से ज़ेरबार हैं, जमा' करूँगा।
הנני עשה את כל מעניך בעת ההיא והושעתי את הצלעה והנדחה אקבץ ושמתים לתהלה ולשם בכל הארץ בשתם 19
देख, मैं उस वक़्त तेरे सब सतानेवालों को सज़ा दूँगा, और लंगड़ों को रिहाई दूँगा; और जो हाँक दिए गए उनको इकट्ठा करूँगा और जो तमाम जहान में रुस्वा हुए, उनको सितूदा और नामवर करूँगा।
בעת ההיא אביא אתכם ובעת קבצי אתכם כי אתן אתכם לשם ולתהלה בכל עמי הארץ בשובי את שבותיכם לעיניכם אמר יהוה 20
उस वक़्त मैं तुम को जमा' करके मुल्क में लाऊँगा; क्यूँकि जब तुम्हारी हीन हयात ही में तुम्हारी ग़ुलामी को ख़त्म करूँगा, तो तुम को ज़मीन की सब क़ौमों के बीच नामवर और सितूदा करूँगा।” ख़ुदावन्द फ़रमाता है।

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