< זכריה 13 >

ביום ההוא יהיה מקור נפתח לבית דויד ולישבי ירושלם--לחטאת ולנדה 1
उस रोज़ गुनाह और नापाकी धोने को दाऊद के घराने और येरूशलेम के बशिन्दों के लिए एक सोता फूट निकले गा
והיה ביום ההוא נאם יהוה צבאות אכרית את שמות העצבים מן הארץ ולא יזכרו עוד וגם את הנביאים ואת רוח הטמאה אעביר מן הארץ 2
और रब्ब — उल — अफ़वाज फ़रमाता है, मैं उसी दिन मुल्क से बुतों का नाम मिटा दूँगा, और उनको फिर कोई याद न करेगा; और मैं नबियों को और नापाक रूह को मुल्क से ख़ारिज कर दूँगा।
והיה כי ינבא איש עוד ואמרו אליו אביו ואמו ילדיו לא תחיה כי שקר דברת בשם יהוה ודקרהו אביהו ואמו ילדיו בהנבאו 3
और जब कोई नबुव्वत करेगा, तो उसके माँ — बाप जिनसे वह पैदा हुआ उससे कहेंगे तू ज़िन्दा न रहेगा क्यूँकि तू ख़ुदावन्द का नाम लेकर झूठ बोलता है और जब एह नबुव्वत करेगा तो उसके माँ बाप जिनसे वह पैदा हुआ छेद डालेगें।
והיה ביום ההוא יבשו הנביאים איש מחזינו--בהנבאתו ולא ילבשו אדרת שער למען כחש 4
और उस दिन नबियों में से हर एक नबुव्वत करते वक़्त अपनी ख़्वाब से शर्मिन्दा होगा, और कभी धोखा देने के लिए कम्बल के कपड़े न पहनेगे,
ואמר לא נביא אנכי איש עבד אדמה אנכי כי אדם הקנני מנעורי 5
बल्कि हर एक कहेगा, कि मैं नबी नहीं किसान हूँ, क्यूँकि मैं लड़कपन ही से गु़लाम रहा हूँ।
ואמר אליו מה המכות האלה בין ידיך ואמר אשר הכיתי בית מאהבי 6
और जब कोई उससे पूछेगा, कि तेरी छाती “पर यह ज़ख़्म कैसे हैं?” तो वह जवाब देगा यह वह ज़ख्म हैं जो मेरे दोस्तों के घर में लगे।
חרב עורי על רעי ועל גבר עמיתי--נאם יהוה צבאות הך את הרעה ותפוצין הצאן והשבתי ידי על הצערים 7
रब्ब — उल — अफ़वाज फ़रमाता है, “ऐ तलवार, तू मेरे चरवाहे, या'नी उस इंसान पर जो मेरा रफ़ीक़ है बेदार हो। चरवाहे को मार कि ग़ल्ला तितर — बितर हो। जाए, और मैं छोटों पर हाथ चलाऊँगा।
והיה בכל הארץ נאם יהוה פי שנים בה יכרתו יגועו והשלשית יותר בה 8
और ख़ुदावन्द फ़रमाता है, सारे मुल्क में दो तिहाई क़त्ल किए जाएँगे और मरेंगे, लेकिन एक तिहाई बच रहेंगे।
והבאתי את השלשית באש וצרפתים כצרף את הכסף ובחנתים כבחן את הזהב הוא יקרא בשמי ואני אענה אתו--אמרתי עמי הוא והוא יאמר יהוה אלהי 9
और मैं इस तिहाई को आग में डालकर चाँदी की तरह साफ़ करूँगा और सोने की ताऊँगा। वह मुझ से दुआ करेंगे, और मैं उनकी सुनूँगा। मैं कहूँगा, 'यह मेरे लोग हैं, और वह कहेंगे, 'ख़ुदावन्द ही हमारा ख़ुदा है।”

< זכריה 13 >