< תהילים 1 >

אשרי האיש-- אשר לא הלך בעצת רשעים ובדרך חטאים לא עמד ובמושב לצים לא ישב 1
कैसा धन्य है वह पुरुष जो दुष्टों की सम्मति का आचरण नहीं करता, न पापियों के मार्ग पर खड़ा रहता और न ही उपहास करनेवालों की बैठक में बैठता है,
כי אם בתורת יהוה חפצו ובתורתו יהגה יומם ולילה 2
इसके विपरीत उसका उल्लास याहवेह की व्यवस्था का पालन करने में है, उसी का मनन वह दिन-रात करता रहता है.
והיה-- כעץ שתול על-פלגי-מים אשר פריו יתן בעתו--ועלהו לא-יבול וכל אשר-יעשה יצליח 3
वह बहती जलधाराओं के तट पर लगाए गए उस वृक्ष के समान है, जो उपयुक्त ऋतु में फल देता है जिसकी पत्तियां कभी मुरझाती नहीं. ऐसा पुरुष जो कुछ करता है उसमें सफल होता है.
לא-כן הרשעים כי אם-כמץ אשר-תדפנו רוח 4
किंतु दुष्ट ऐसे नहीं होते! वे उस भूसे के समान होते हैं, जिसे पवन उड़ा ले जाती है.
על-כן לא-יקמו רשעים--במשפט וחטאים בעדת צדיקים 5
तब दुष्ट न्याय में टिक नहीं पाएंगे, और न ही पापी धर्मियों के मण्डली में.
כי-יודע יהוה דרך צדיקים ודרך רשעים תאבד 6
निश्चयतः याहवेह धर्मियों के आचरण को सुख समृद्धि से सम्पन्‍न करते हैं, किंतु दुष्टों को उनका आचरण ही नष्ट कर डालेगा.

< תהילים 1 >