< תהילים 61 >
למנצח על-נגינת לדוד ב שמעה אלהים רנתי הקשיבה תפלתי | 1 |
ऐ ख़ुदा, मेरी फ़रियाद सुन! मेरी दुआ पर तवज्जुह कर।
מקצה הארץ אליך אקרא-- בעטף לבי בצור-ירום ממני תנחני | 2 |
मैं अपनी अफ़सुर्दा दिली में ज़मीन की इन्तिहा से तुझे पुकारूँगा; तू मुझे उस चट्टान पर ले चल जो मुझसे ऊँची है;
כי-היית מחסה לי מגדל-עז מפני אויב | 3 |
क्यूँकि तू मेरी पनाह रहा है, और दुश्मन से बचने के लिए ऊँचा बुर्ज।
אגורה באהלך עולמים אחסה בסתר כנפיך סלה | 4 |
मैं हमेशा तेरे खे़मे में रहूँगा। मैं तेरे परों के साये में पनाह लूँगा।
כי-אתה אלהים שמעת לנדרי נתת ירשת יראי שמך | 5 |
क्यूँकि ऐ ख़ुदा तूने मेरी मिन्नतें क़ुबूल की हैं तूने मुझे उन लोगों की सी मीरास बख़्शी है जो तेरे नाम से डरते हैं।
ימים על-ימי-מלך תוסיף שנותיו כמו-דר ודר | 6 |
तू बादशाह की उम्र दराज़ करेगा; उसकी उम्र बहुत सी नसलों के बराबर होगी।
ישב עולם לפני אלהים חסד ואמת מן ינצרהו | 7 |
वह ख़ुदा के सामने हमेशा क़ाईम रहेगा; तू शफ़क़त और सच्चाई को उसकी हिफ़ाज़त के लिए मुहय्या कर।
כן אזמרה שמך לעד-- לשלמי נדרי יום יום | 8 |
यूँ मैं हमेशा तेरी मदहसराई करूँगा, ताकि रोज़ाना अपनी मिन्नतें पूरी करूँ।