< תהילים 30 >
מזמור שיר-חנכת הבית לדוד ב ארוממך יהוה כי דליתני ולא-שמחת איבי לי | 1 |
एक स्तोत्र. मंदिर के समर्पणोत्सव के लिए एक गीत, दावीद की रचना. याहवेह, मैं आपकी महिमा और प्रशंसा करूंगा, क्योंकि आपने मुझे गहराई में से बचा लिया है अब मेरे शत्रुओं को मुझ पर हंसने का संतोष प्राप्त न हो सकेगा.
יהוה אלהי-- שועתי אליך ותרפאני | 2 |
याहवेह, मेरे परमेश्वर, मैंने सहायता के लिए आपको पुकारा, आपने मुझे पुनःस्वस्थ कर दिया.
יהוה--העלית מן-שאול נפשי חייתני מיורדי- (מירדי-) בור (Sheol ) | 3 |
याहवेह, आपने मुझे अधोलोक से ऊपर खींच लिया; आपने मुझे जीवनदान दिया, उनमें से बचा लिया, जो अधोलोक-कब्र में हैं. (Sheol )
זמרו ליהוה חסידיו והודו לזכר קדשו | 4 |
याहवेह के भक्तो, उनके स्तवन गान गाओ; उनकी महिमा में जय जयकार करो.
כי רגע באפו-- חיים ברצונו בערב ילין בכי ולבקר רנה | 5 |
क्योंकि क्षण मात्र का होता है उनका कोप, किंतु आजीवन स्थायी रहती है उनकी कृपादृष्टि; यह संभव है रोना रात भर रहे, किंतु सबेरा उल्लास से भरा होता है.
ואני אמרתי בשלוי-- בל-אמוט לעולם | 6 |
अपनी समृद्धि की स्थिति में मैं कह उठा, “अब मुझ पर विषमता की स्थिति कभी न आएगी.”
יהוה-- ברצונך העמדתה להררי-עז הסתרת פניך הייתי נבהל | 7 |
याहवेह, आपने ही मुझ पर कृपादृष्टि कर, मुझे पर्वत समान स्थिर कर दिया; किंतु जब आपने मुझसे अपना मुख छिपा लिया, तब मैं निराश हो गया.
אליך יהוה אקרא ואל-אדני אתחנן | 8 |
याहवेह, मैंने आपको पुकारा; मेरे प्रभु, मैंने आपसे कृपा की प्रार्थना की:
מה-בצע בדמי ברדתי אל-שחת היודך עפר היגיד אמתך | 9 |
“क्या लाभ होगा मेरी मृत्यु से, मेरे अधोलोक में जाने से? क्या मिट्टी आपकी स्तुति करेगी? क्या वह आपकी सच्चाई की साक्ष्य देगी?
שמע-יהוה וחנני יהוה היה-עזר לי | 10 |
याहवेह, मेरी विनती सुनिए, मुझ पर कृपा कीजिए; याहवेह, मेरी सहायता कीजिए.”
הפכת מספדי למחול לי פתחת שקי ותאזרני שמחה | 11 |
आपने मेरे विलाप को उल्लास-नृत्य में बदल दिया; आपने मेरे शोक-वस्त्र टाट उतारकर मुझे हर्ष का आवरण दे दिया,
למען יזמרך כבוד-- ולא ידם יהוה אלהי לעולם אודך | 12 |
कि मेरा हृदय सदा आपका गुणगान करता रहे और कभी चुप न रहे. याहवेह, मेरे परमेश्वर, मैं सदा-सर्वदा आपके प्रति आभार व्यक्त करता रहूंगा.