< תהילים 119 >
אשרי תמימי-דרך-- ההלכים בתורת יהוה | 1 |
आलेफ मुबारक हैं वह जो कामिल रफ़्तार है, जो ख़ुदा की शरी'अत पर 'अमल करते हैं!
אשרי נצרי עדתיו בכל-לב ידרשוהו | 2 |
मुबारक हैं वह जो उसकी शहादतों को मानते हैं, और पूरे दिल से उसके तालिब हैं!
אף לא-פעלו עולה בדרכיו הלכו | 3 |
उन से नारास्ती नहीं होती, वह उसकी राहों पर चलते हैं।
אתה צויתה פקדיך-- לשמר מאד | 4 |
तूने अपने क़वानीन दिए हैं, ताकि हम दिल लगा कर उनकी मानें।
אחלי יכנו דרכי-- לשמר חקיך | 5 |
काश कि तेरे क़ानून मानने के लिए, मेरी चाल चलन दुरुस्त हो जाएँ!
אז לא-אבוש-- בהביטי אל-כל-מצותיך | 6 |
जब मैं तेरे सब अहकाम का लिहाज़ रख्खूँगा, तो शर्मिन्दा न हूँगा।
אודך בישר לבב-- בלמדי משפטי צדקך | 7 |
जब मैं तेरी सदाक़त के अहकाम सीख लूँगा, तो सच्चे दिल से तेरा शुक्र अदा करूँगा।
את-חקיך אשמר אל-תעזבני עד-מאד | 8 |
मैं तेरे क़ानून मानूँगा; मुझे बिल्कुल छोड़ न दे! बेथ
במה יזכה-נער את-ארחו-- לשמר כדברך | 9 |
जवान अपने चाल चलन किस तरह पाक रख्खे? तेरे कलाम के मुताबिक़ उस पर निगाह रखने से।
בכל-לבי דרשתיך אל-תשגני ממצותיך | 10 |
मैं पूरे दिल से तेरा तालिब हुआ हूँ: मुझे अपने फ़रमान से भटकने न दे।
בלבי צפנתי אמרתך-- למען לא אחטא-לך | 11 |
मैंने तेरे कलाम को अपने दिल में रख लिया है ताकि मैं तेरे ख़िलाफ़ गुनाह न करूँ।
ברוך אתה יהוה-- למדני חקיך | 12 |
ऐ ख़ुदावन्द! तू मुबारक है; मुझे अपने क़ानून सिखा!
בשפתי ספרתי-- כל משפטי-פיך | 13 |
मैंने अपने लबों से, तेरे फ़रमूदा अहकाम को बयान किया।
בדרך עדותיך ששתי-- כעל כל-הון | 14 |
मुझे तेरी शहादतों की राह से ऐसी ख़ुशी हुई, जैसी हर तरह की दौलत से होती है।
בפקודיך אשיחה ואביטה ארחתיך | 15 |
मैं तेरे क़वानीन पर ग़ौर करूँगा, और तेरी राहों का लिहाज़ रख्खूँगा।
בחקתיך אשתעשע לא אשכח דברך | 16 |
मैं तेरे क़ानून में मसरूर रहूँगा; मैं तेरे कलाम को न भूलूँगा। गिमेल
גמל על-עבדך אחיה ואשמרה דברך | 17 |
अपने बन्दे पर एहसान कर ताकि मैं जिन्दा रहूँ और तेरे कलाम को मानता रहूँ।
גל-עיני ואביטה-- נפלאות מתורתך | 18 |
मेरी आँखे खोल दे, ताकि मैं तेरी शरीअत के 'अजायब देखूँ।
גר אנכי בארץ אל-תסתר ממני מצותיך | 19 |
मैं ज़मीन पर मुसाफ़िर हूँ, अपने फ़रमान मुझ से छिपे न रख।
גרסה נפשי לתאבה-- אל-משפטיך בכל-עת | 20 |
मेरा दिल तेरे अहकाम के इश्तियाक में, हर वक़्त तड़पता रहता है।
גערת זדים ארורים-- השגים ממצותיך | 21 |
तूने उन मला'ऊन मग़रूरों को झिड़क दिया, जो तेरे फ़रमान से भटकते रहते हैं।
גל מעלי חרפה ובוז כי עדתיך נצרתי | 22 |
मलामत और हिक़ारत को मुझ से दूर कर दे, क्यूँकि मैंने तेरी शहादतें मानी हैं।
גם ישבו שרים בי נדברו-- עבדך ישיח בחקיך | 23 |
उमरा भी बैठकर मेरे ख़िलाफ़ बातें करते रहे, लेकिन तेरा बंदा तेरे क़ानून पर ध्यान लगाए रहा।
גם-עדתיך שעשעי-- אנשי עצתי | 24 |
तेरी शहादतें मुझे पसन्द, और मेरी मुशीर हैं। दाल्थ
דבקה לעפר נפשי חיני כדברך | 25 |
मेरी जान ख़ाक में मिल गई: तू अपने कलाम के मुताबिक़ मुझे ज़िन्दा कर।
דרכי ספרתי ותענני למדני חקיך | 26 |
मैंने अपने चाल चलन का इज़हार किया और तूने मुझे जवाब दिया; मुझे अपने क़ानून की ता'लीम दे।
דרך-פקודיך הבינני ואשיחה בנפלאותיך | 27 |
अपने क़वानीन की राह मुझे समझा दे, और मैं तेरे 'अजायब पर ध्यान करूँगा।
דלפה נפשי מתוגה קימני כדברך | 28 |
ग़म के मारे मेरी जान घुली जाती है; अपने कलाम के मुताबिक़ मुझे ताक़त दे।
דרך-שקר הסר ממני ותורתך חנני | 29 |
झूट की राह से मुझे दूर रख, और मुझे अपनी शरी'अत इनायत फ़रमा।
דרך-אמונה בחרתי משפטיך שויתי | 30 |
मैंने वफ़ादारी की राह इख़्तियार की है, मैंने तेरे अहकाम अपने सामने रख्खे हैं।
דבקתי בעדותיך יהוה אל-תבישני | 31 |
मैं तेरी शहादतों से लिपटा हुआ हूँ, ऐ ख़ुदावन्द! मुझे शर्मिन्दा न होने दे!
דרך-מצותיך ארוץ כי תרחיב לבי | 32 |
जब तू मेरा हौसला बढ़ाएगा, तो मैं तेरे फ़रमान की राह में दौड़ूँगा। हे
הורני יהוה דרך חקיך ואצרנה עקב | 33 |
ऐ ख़ुदावन्द, मुझे अपने क़ानून की राह बता, और मैं आख़िर तक उस पर चलूँगा।
הבינני ואצרה תורתך ואשמרנה בכל-לב | 34 |
मुझे समझ 'अता कर और मैं तेरी शरी'अत पर चलूँगा, बल्कि मैं पूरे दिल से उसको मानूँगा।
הדריכני בנתיב מצותיך כי-בו חפצתי | 35 |
मुझे अपने फ़रमान की राह पर चला, क्यूँकि इसी में मेरी ख़ुशी है।
הט-לבי אל-עדותיך ואל אל-בצע | 36 |
मेरे दिल की अपनी शहादतों की तरफ़ रुजू' दिला; न कि लालच की तरफ़।
העבר עיני מראות שוא בדרכך חיני | 37 |
मेरी आँखों को बेकारी पर नज़र करने से बाज़ रख, और मुझे अपनी राहों में ज़िन्दा कर।
הקם לעבדך אמרתך-- אשר ליראתך | 38 |
अपने बन्दे के लिए अपना वह क़ौल पूरा कर, जिस से तेरा खौफ़ पैदा होता है।
העבר חרפתי אשר יגרתי כי משפטיך טובים | 39 |
मेरी मलामत को जिस से मैं डरता हूँ दूर कर दे; क्यूँकि तेरे अहकाम भले हैं।
הנה תאבתי לפקדיך בצדקתך חיני | 40 |
देख, मैं तेरे क़वानीन का मुश्ताक़ रहा हूँ; मुझे अपनी सदाक़त से ज़िन्दा कर। वाव
ויבאני חסדך יהוה תשועתך כאמרתך | 41 |
ऐ ख़ुदावन्द, तेरे क़ौल के मुताबिक़, तेरी शफ़क़त और तेरी नजात मुझे नसीब हों,
ואענה חרפי דבר כי-בטחתי בדברך | 42 |
तब मैं अपने मलामत करने वाले को जवाब दे सकूँगा, क्यूँकि मैं तेरे कलाम पर भरोसा रखता हूँ।
ואל-תצל מפי דבר-אמת עד-מאד כי למשפטך יחלתי | 43 |
और हक़ बात को मेरे मुँह से हरगिज़ जुदा न होने दे, क्यूँकि मेरा भरोसा तेरे अहकाम पर है।
ואשמרה תורתך תמיד-- לעולם ועד | 44 |
फिर मैं हमेशा से हमेशा तक, तेरी शरी'अत को मानता रहूँगा
ואתהלכה ברחבה כי פקדיך דרשתי | 45 |
और मैं आज़ादी से चलूँगा, क्यूँकि मैं तेरे क़वानीन का तालिब रहा हूँ।
ואדברה בעדתיך נגד מלכים ולא אבוש | 46 |
मैं बादशाहों के सामने तेरी शहादतों का बयान करूँगा, और शर्मिन्दा न हूँगा।
ואשתעשע במצותיך אשר אהבתי | 47 |
तेरे फ़रमान मुझे अज़ीज़ हैं, मैं उनमें मसरूर रहूँगा।
ואשא-כפי--אל-מצותיך אשר אהבתי ואשיחה בחקיך | 48 |
मैं अपने हाथ तेरे फ़रमान की तरफ़ जो मुझे 'अज़ीज़ है उठाऊँगा, और तेरे क़ानून पर ध्यान करूँगा। ज़ैन
זכר-דבר לעבדך-- על אשר יחלתני | 49 |
जो कलाम तूने अपने बन्दे से किया उसे याद कर, क्यूँकि तूने मुझे उम्मीद दिलाई है।
זאת נחמתי בעניי כי אמרתך חיתני | 50 |
मेरी मुसीबत में यही मेरी तसल्ली है, कि तेरे कलाम ने मुझे ज़िन्दा किया
זדים הליצני עד-מאד מתורתך לא נטיתי | 51 |
मग़रूरों ने मुझे बहुत ठठ्ठों में उड़ाया, तोभी मैंने तेरी शरी'अत से किनारा नहीं किया
זכרתי משפטיך מעולם יהוה ואתנחם | 52 |
ऐ ख़ुदावन्द! मैं तेरे क़दीम अहकाम को याद करता, और इत्मीनान पाता रहा हूँ।
זלעפה אחזתני מרשעים-- עזבי תורתך | 53 |
उन शरीरों की वजह से जो तेरी शरी'अत को छोड़ देते हैं, मैं सख़्त ग़ुस्से में आ गया हूँ।
זמרות היו-לי חקיך-- בבית מגורי | 54 |
मेरे मुसाफ़िर ख़ाने में, तेरे क़ानून मेरी हम्द रहे हैं।
זכרתי בלילה שמך יהוה ואשמרה תורתך | 55 |
ऐ ख़ुदावन्द, रात को मैंने तेरा नाम याद किया है, और तेरी शरी'अत पर 'अमल किया है।
זאת היתה-לי כי פקדיך נצרתי | 56 |
यह मेरे लिए इसलिए हुआ, कि मैंने तेरे क़वानीन को माना। हेथ
חלקי יהוה אמרתי-- לשמר דבריך | 57 |
ख़ुदावन्द मेरा बख़रा है; मैंने कहा है मैं तेरी बातें मानूँगा।
חליתי פניך בכל-לב חנני כאמרתך | 58 |
मैं पूरे दिल से तेरे करम का तलब गार हुआ; अपने कलाम के मुताबिक़ मुझ पर रहम कर!
חשבתי דרכי ואשיבה רגלי אל-עדתיך | 59 |
मैंने अपनी राहों पर ग़ौर किया, और तेरी शहादतों की तरफ़ अपने कदम मोड़े।
חשתי ולא התמהמהתי-- לשמר מצותיך | 60 |
मैंने तेरे फ़रमान मानने में, जल्दी की और देर न लगाई।
חבלי רשעים עודני תורתך לא שכחתי | 61 |
शरीरों की रस्सियों ने मुझे जकड़ लिया, लेकिन मैं तेरी शरी'अत को न भूला।
חצות-לילה--אקום להודות לך על משפטי צדקך | 62 |
तेरी सदाकत के अहकाम के लिए, मैं आधी रात को तेरा शुक्र करने को उठूँगा।
חבר אני לכל-אשר יראוך ולשמרי פקודיך | 63 |
मैं उन सबका साथी हूँ जो तुझ से डरते हैं, और उनका जो तेरे क़वानीन को मानते हैं।
חסדך יהוה מלאה הארץ חקיך למדני | 64 |
ऐ ख़ुदावन्द, ज़मीन तेरी शफ़क़त से मा'मूर है; मुझे अपने क़ानून सिखा! टेथ
טוב עשית עם-עבדך-- יהוה כדברך | 65 |
ऐ ख़ुदावन्द! तूने अपने कलाम के मुताबिक़, अपने बन्दे के साथ भलाई की है।
טוב טעם ודעת למדני כי במצותיך האמנתי | 66 |
मुझे सही फ़र्क़ और 'अक़्ल सिखा, क्यूँकि मैं तेरे फ़रमान पर ईमान लाया हूँ।
טרם אענה אני שגג ועתה אמרתך שמרתי | 67 |
मैं मुसीबत उठाने से पहले गुमराह था; लेकिन अब तेरे कलाम को मानता हूँ।
טוב-אתה ומטיב למדני חקיך | 68 |
तू भला है और भलाई करता है; मुझे अपने क़ानून सिखा।
טפלו עלי שקר זדים אני בכל-לב אצר פקודיך | 69 |
मग़रूरों ने मुझ पर बहुतान बाँधा है; मैं पूरे दिल से तेरे क़वानीन को मानूँगा।
טפש כחלב לבם אני תורתך שעשעתי | 70 |
उनके दिल चिकनाई से फ़र्बा हो गए, लेकिन मैं तेरी शरी'अत में मसरूर हूँ।
טוב-לי כי-עניתי-- למען אלמד חקיך | 71 |
अच्छा हुआ कि मैंने मुसीबत उठाई, ताकि तेरे क़ानून सीख लूँ।
טוב-לי תורת-פיך-- מאלפי זהב וכסף | 72 |
तेरे मुँह की शरी'अत मेरे लिए, सोने चाँदी के हज़ारों सिक्कों से बेहतर है। योध
ידיך עשוני ויכוננוני הבינני ואלמדה מצותיך | 73 |
तेरे हाथों ने मुझे बनाया और तरतीब दी; मुझे समझ 'अता कर ताकि तेरे फ़रमान सीख लें।
יראיך יראוני וישמחו כי לדברך יחלתי | 74 |
तुझ से डरने वाले मुझे देख कर इसलिए कि मुझे तेरे कलाम पर भरोसा है।
ידעתי יהוה כי-צדק משפטיך ואמונה עניתני | 75 |
ऐ ख़ुदावन्द, मैं तेरे अहकाम की सदाक़त को जानता हूँ, और यह कि वफ़ादारी ही से तूने मुझे दुख; में डाला।
יהי-נא חסדך לנחמני-- כאמרתך לעבדך | 76 |
उस कलाम के मुताबिक़ जो तूनेअपने बन्दे से किया, तेरी शफ़क़त मेरी तसल्ली का ज़रिया' हो।
יבאוני רחמיך ואחיה כי-תורתך שעשעי | 77 |
तेरी रहमत मुझे नसीब हो ताकि मैं ज़िन्दा रहूँ। क्यूँकि तेरी शरी'अत मेरी ख़ुशनूदी है।
יבשו זדים כי-שקר עותוני אני אשיח בפקודיך | 78 |
मग़रूर शर्मिन्दा हों, क्यूँकि उन्होंने नाहक़ मुझे गिराया, लेकिन मैं तेरे क़वानीन पर ध्यान करूँगा।
ישובו לי יראיך וידעו (וידעי) עדתיך | 79 |
तुझ से डरने वाले मेरी तरफ़ रुजू हों, तो वह तेरी शहादतों को जान लेंगे।
יהי-לבי תמים בחקיך-- למען לא אבוש | 80 |
मेरा दिल तेरे क़ानून मानने में कामिल रहे, ताकि मैं शर्मिन्दगी न उठाऊँ। क़ाफ
כלתה לתשועתך נפשי לדברך יחלתי | 81 |
मेरी जान तेरी नजात के लिए बेताब है, लेकिन मुझे तेरे कलाम पर भरोसा है।
כלו עיני לאמרתך-- לאמר מתי תנחמני | 82 |
तेरे कलाम के इन्तिज़ार में मेरी आँखें रह गई, मैं यही कहता रहा कि तू मुझे कब तसल्ली देगा?
כי-הייתי כנאד בקיטור-- חקיך לא שכחתי | 83 |
मैं उस मश्कीज़े की तरह हो गया जो धुएँ में हो, तोभी मैं तेरे क़ानून को नहीं भूलता।
כמה ימי-עבדך מתי תעשה ברדפי משפט | 84 |
तेरे बन्दे के दिन ही कितने हैं? तू मेरे सताने वालों पर कब फ़तवा देगा?
כרו-לי זדים שיחות-- אשר לא כתורתך | 85 |
मग़रूरों ने जो तेरी शरी'अत के पैरौ नहीं, मेरे लिए गढ़े खोदे हैं।
כל-מצותיך אמונה שקר רדפוני עזרני | 86 |
तेरे सब फ़रमान बरहक़ हैं: वह नाहक़ मुझे सताते हैं; तू मेरी मदद कर!
כמעט כלוני בארץ ואני לא-עזבתי פקדיך | 87 |
उन्होंने मुझे ज़मीन पर से फ़नाकर ही डाला था, लेकिन मैंने तेरे कवानीन को न छोड़ा।
כחסדך חיני ואשמרה עדות פיך | 88 |
तू मुझे अपनी शफ़क़त के मुताबिक़ ज़िन्दा कर, तो मैं तेरे मुँह की शहादत को मानूँगा। लामेध
לעולם יהוה-- דברך נצב בשמים | 89 |
ऐ ख़ुदावन्द! तेरा कलाम, आसमान पर हमेशा तक क़ाईम है।
לדר ודר אמונתך כוננת ארץ ותעמד | 90 |
तेरी वफ़ादारी नसल दर नसल है; तूने ज़मीन को क़याम बख़्शा और वह क़ाईम है।
למשפטיך עמדו היום כי הכל עבדיך | 91 |
वह आज तेरे अहकाम के मुताबिक़ क़ाईम हैं क्यूँकि सब चीजें तेरी ख़िदमत गुज़ार हैं।
לולי תורתך שעשעי-- אז אבדתי בעניי | 92 |
अगर तेरी शरी'अत मेरी ख़ुशनूदी न होती, तो मैं अपनी मुसीबत में हलाक हो जाता।
לעולם לא-אשכח פקודיך כי בם חייתני | 93 |
मैं तेरे क़वानीन को कभी न भूलूँगा, क्यूँकि तूने उन्ही के वसीले से मुझे ज़िन्दा किया है।
לך-אני הושיעני כי פקודיך דרשתי | 94 |
मैं तेरा ही हूँ मुझे बचा ले, क्यूँकि मैं तेरे क़वानीन का तालिब रहा हूँ।
לי קוו רשעים לאבדני עדתיך אתבונן | 95 |
शरीर मुझे हलाक करने को घात में लगे रहे, लेकिन मैं तेरी शहादतों पर ग़ौर करूँगा।
לכל-תכלה ראיתי קץ רחבה מצותך מאד | 96 |
मैंने देखा कि हर कमाल की इन्तिहा है, लेकिन तेरा हुक्म बहुत वसी'अ है। मीम
מה-אהבתי תורתך כל-היום היא שיחתי | 97 |
आह! मैं तेरी शरी'अत से कैसी मुहब्बत रखता हूँ, मुझे दिन भर उसी का ध्यान रहता है।
מאיבי תחכמני מצותך כי לעולם היא-לי | 98 |
तेरे फ़रमान मुझे मेरे दुश्मनों से ज़्यादा 'अक़्लमंद बनाते हैं, क्यूँकि वह हमेशा मेरे साथ हैं।
מכל-מלמדי השכלתי כי עדותיך שיחה לי | 99 |
मैं अपने सब उस्तादों से 'अक़्लमंद हैं, क्यूँकि तेरी शहादतों पर मेरा ध्यान रहता है।
מזקנים אתבונן כי פקודיך נצרתי | 100 |
मैं उम्र रसीदा लोगों से ज़्यादा समझ रखता हूँ क्यूँकि मैंने तेरे क़वानीन को माना है।
מכל-ארח רע כלאתי רגלי-- למען אשמר דברך | 101 |
मैंने हर बुरी राह से अपने क़दम रोक रख्खें हैं, ताकि तेरी शरी'अत पर 'अमल करूँ।
ממשפטיך לא-סרתי כי-אתה הורתני | 102 |
मैंने तेरे अहकाम से किनारा नहीं किया, क्यूँकि तूने मुझे ता'लीम दी है।
מה-נמלצו לחכי אמרתך-- מדבש לפי | 103 |
तेरी बातें मेरे लिए कैसी शीरीन हैं, वह मेरे मुँह को शहद से भी मीठी मा'लूम होती हैं!
מפקודיך אתבונן על כן שנאתי כל-ארח שקר | 104 |
तेरे क़वानीन से मुझे समझ हासिल होता है, इसलिए मुझे हर झूटी राह से नफ़रत है। नून
נר-לרגלי דברך ואור לנתיבתי | 105 |
तेरा कलाम मेरे क़दमों के लिए चराग़, और मेरी राह के लिए रोशनी है।
נשבעתי ואקימה-- לשמר משפטי צדקך | 106 |
मैंने क़सम खाई है और उस पर क़ाईम हूँ, कि तेरी सदाक़त के अहकाम पर'अमल करूँगा।
נעניתי עד-מאד יהוה חיני כדברך | 107 |
मैं बड़ी मुसीबत में हूँ। ऐ ख़ुदावन्द! अपने कलाम के मुताबिक़ मुझे ज़िन्दा कर।
נדבות פי רצה-נא יהוה ומשפטיך למדני | 108 |
ऐ ख़ुदावन्द, मेरे मुँह से रज़ा की क़ुर्बानियाँ क़ुबूल फ़रमा और मुझे अपने अहकाम की ता'लीम दे।
נפשי בכפי תמיד ותורתך לא שכחתי | 109 |
मेरी जान हमेशा हथेली पर है, तोभी मैं तेरी शरी'अत को नहीं भूलता।
נתנו רשעים פח לי ומפקודיך לא תעיתי | 110 |
शरीरों ने मेरे लिए फंदा लगाया है, तोभी मैं तेरे क़वानीन से नहीं भटका।
נחלתי עדותיך לעולם כי-ששון לבי המה | 111 |
मैंने तेरी शहादतों को अपनी हमेशा की मीरास बनाया है, क्यूँकि उनसे मेरे दिल को ख़ुशी होती है।
נטיתי לבי לעשות חקיך-- לעולם עקב | 112 |
मैंने हमेशा के लिए आख़िर तक, तेरे क़ानून मानने पर दिल लगाया है। सामेख
סעפים שנאתי ותורתך אהבתי | 113 |
मुझे दो दिलों से नफ़रत है, लेकिन तेरी शरी'अत से मुहब्बत रखता हूँ।
סתרי ומגני אתה לדברך יחלתי | 114 |
तू मेरे छिपने की जगह और मेरी ढाल है; मुझे तेरे कलाम पर भरोसा है।
סורו-ממני מרעים ואצרה מצות אלהי | 115 |
ऐ बदकिरदारो! मुझ से दूर हो जाओ, ताकि मैं अपने ख़ुदा के फ़रमान पर'अमल करूँ!
סמכני כאמרתך ואחיה ואל-תבישני משברי | 116 |
तू अपने कलाम के मुताबिक़ मुझे संभाल ताकि ज़िन्दा रहूँ, और मुझे अपने भरोसा से शर्मिन्दगी न उठाने दे।
סעדני ואושעה ואשעה בחקיך תמיד | 117 |
मुझे संभाल और मैं सलामत रहूँगा, और हमेशा तेरे क़ानून का लिहाज़ रखूँगा।
סלית כל-שוגים מחקיך כי-שקר תרמיתם | 118 |
तूने उन सबको हक़ीर जाना है, जो तेरे क़ानून से भटक जाते हैं; क्यूँकि उनकी दग़ाबाज़ी 'बेकार है।
סגים--השבת כל-רשעי-ארץ לכן אהבתי עדתיך | 119 |
तू ज़मीन के सब शरीरों को मैल की तरह छाँट देता है; इसलिए में तेरी शहादतों को 'अज़ीज़ रखता हूँ।
סמר מפחדך בשרי וממשפטיך יראתי | 120 |
मेरा जिस्म तेरे ख़ौफ़ से काँपता है, और मैं तेरे अहकाम से डरता हूँ। ऐन
עשיתי משפט וצדק בל-תניחני לעשקי | 121 |
मैंने 'अद्ल और इन्साफ़ किया है; मुझे उनके हवाले न कर जो मुझ पर ज़ुल्म करते हैं।
ערב עבדך לטוב אל-יעשקני זדים | 122 |
भलाई के लिए अपने बन्दे का ज़ामिन हो, मग़रूर मुझ पर ज़ुल्म न करें।
עיני כלו לישועתך ולאמרת צדקך | 123 |
तेरी नजात और तेरी सदाक़त के कलाम के इन्तिज़ार में मेरी आँखें रह गई।
עשה עם-עבדך כחסדך וחקיך למדני | 124 |
अपने बन्दे से अपनी शफ़क़त के मुताबिक़ सुलूक कर, और मुझे अपने क़ानून सिखा।
עבדך-אני הבינני ואדעה עדתיך | 125 |
मैं तेरा बन्दा हूँ! मुझ को समझ 'अता कर, ताकि तेरी शहादतों को समझ लूँ।
עת לעשות ליהוה-- הפרו תורתך | 126 |
अब वक़्त आ गया, कि ख़ुदावन्द काम करे, क्यूँकि उन्होंने तेरी शरी'अत को बेकार कर दिया है।
על-כן אהבתי מצותיך-- מזהב ומפז | 127 |
इसलिए मैं तेरे फ़रमान को सोने से बल्कि कुन्दन से भी ज़्यादा अज़ीज़ रखता हूँ।
על-כן כל-פקודי כל ישרתי כל-ארח שקר שנאתי | 128 |
इसलिए मैं तेरे सब कवानीन को बरहक़ जानता हूँ, और हर झूटी राह से मुझे नफ़रत है। पे
פלאות עדותיך על-כן נצרתם נפשי | 129 |
तेरी शहादतें 'अजीब हैं, इसलिए मेरा दिल उनको मानता है।
פתח דבריך יאיר מבין פתיים | 130 |
तेरी बातों की तशरीह नूर बख़्शती है, वह सादा दिलों को 'अक़्लमन्द बनाती है।
פי-פערתי ואשאפה כי למצותיך יאבתי | 131 |
मैं खू़ब मुँह खोलकर हाँपता रहा, क्यूँकि मैं तेरे फ़रमान का मुश्ताक़ था।
פנה-אלי וחנני-- כמשפט לאהבי שמך | 132 |
मेरी तरफ़ तवज्जुह कर और मुझ पर रहम फ़रमा, जैसा तेरे नाम से मुहब्बत रखने वालों का हक़ है।
פעמי הכן באמרתך ואל-תשלט-בי כל-און | 133 |
अपने कलाम में मेरी रहनुमाई कर, कोई बदकारी मुझ पर तसल्लुत न पाए।
פדני מעשק אדם ואשמרה פקודיך | 134 |
इंसान के ज़ुल्म से मुझे छुड़ा ले, तो तेरे क़वानीन पर 'अमल करूँगा।
פניך האר בעבדך ולמדני את-חקיך | 135 |
अपना चेहरा अपने बन्दे पर जलवागर फ़रमा, और मुझे अपने क़ानून सिखा।
פלגי-מים ירדו עיני-- על לא-שמרו תורתך | 136 |
मेरी आँखों से पानी के चश्मे जारी हैं, इसलिए कि लोग तेरी शरी'अत को नहीं मानते। सांदे
צדיק אתה יהוה וישר משפטיך | 137 |
ऐ ख़ुदावन्द तू सादिक़ है, और तेरे अहकाम बरहक़ हैं।
צוית צדק עדתיך ואמונה מאד | 138 |
तूने सदाक़त और कमाल वफ़ादारी से, अपनी शहादतों को ज़ाहिर फ़रमाया है।
צמתתני קנאתי כי-שכחו דבריך צרי | 139 |
मेरी गै़रत मुझे खा गई, क्यूँकि मेरे मुख़ालिफ़ तेरी बातें भूल गए।
צרופה אמרתך מאד ועבדך אהבה | 140 |
तेरा कलाम बिल्कुल ख़ालिस है, इसलिए तेरे बन्दे को उससे मुहब्बत है।
צעיר אנכי ונבזה פקדיך לא שכחתי | 141 |
मैं अदना और हक़ीर हूँ, तौ भी मैं तेरे क़वानीन को नहीं भूलता।
צדקתך צדק לעולם ותורתך אמת | 142 |
तेरी सदाक़त हमेशा की सदाक़त है, और तेरी शरी'अत बरहक़ है।
צר-ומצוק מצאוני מצותיך שעשעי | 143 |
मैं तकलीफ़ और ऐज़ाब में मुब्तिला, हूँ तोभी तेरे फ़रमान मेरी ख़ुशनूदी हैं।
צדק עדותיך לעולם הבינני ואחיה | 144 |
तेरी शहादतें हमेशा रास्त हैं; मुझे समझ 'अता कर तो मैं ज़िन्दा रहूँगा। क़ाफ
קראתי בכל-לב ענני יהוה חקיך אצרה | 145 |
मैं पूरे दिल से दुआ करता हूँ, ऐ ख़ुदावन्द, मुझे जवाब दे। मैं तेरे क़ानून पर 'अमल करूँगा।
קראתיך הושיעני ואשמרה עדתיך | 146 |
मैंने तुझ से दुआ की है, मुझे बचा ले, और मैं तेरी शहादतों को मानूँगा।
קדמתי בנשף ואשועה לדבריך (לדברך) יחלתי | 147 |
मैंने पौ फटने से पहले फ़रियाद की; मुझे तेरे कलाम पर भरोसा है।
קדמו עיני אשמרות-- לשיח באמרתך | 148 |
मेरी आँखें रात के हर पहर से पहले खुल गई, ताकि तेरे कलाम पर ध्यान करूँ।
קולי שמעה כחסדך יהוה כמשפטך חיני | 149 |
अपनी शफ़क़त के मुताबिक़ मेरी फ़रियाद सुन: ऐ ख़ुदावन्द! अपने अहकाम के मुताबिक़ मुझे ज़िन्दा कर।
קרבו רדפי זמה מתורתך רחקו | 150 |
जो शरारत के दर पै रहते हैं, वह नज़दीक आ गए; वह तेरी शरी'अत से दूर हैं।
קרוב אתה יהוה וכל-מצותיך אמת | 151 |
ऐ ख़ुदावन्द, तू नज़दीक है, और तेरे सब फ़रमान बरहक़ हैं।
קדם ידעתי מעדתיך כי לעולם יסדתם | 152 |
तेरी शहादतों से मुझे क़दीम से मा'लूम हुआ, कि तूने उनको हमेशा के लिए क़ाईम किया है। रेश
ראה-עניי וחלצני כי-תורתך לא שכחתי | 153 |
मेरी मुसीबत का ख़याल करऔर मुझे छुड़ा, क्यूँकि मैं तेरी शरी'अत को नहीं भूलता।
ריבה ריבי וגאלני לאמרתך חיני | 154 |
मेरी वकालत कर और मेरा फ़िदिया दे: अपने कलाम के मुताबिक़ मुझे ज़िन्दा कर।
רחוק מרשעים ישועה כי חקיך לא דרשו | 155 |
नजात शरीरों से दूर है, क्यूँकि वह तेरे क़ानून के तालिब नहीं हैं।
רחמיך רבים יהוה כמשפטיך חיני | 156 |
ऐ ख़ुदावन्द! तेरी रहमत बड़ी है; अपने अहकाम के मुताबिक़ मुझे ज़िन्दा कर।
רבים רדפי וצרי מעדותיך לא נטיתי | 157 |
मेरे सताने वाले और मुखालिफ़ बहुत हैं, तोभी मैंने तेरी शहादतों से किनारा न किया।
ראיתי בגדים ואתקוטטה-- אשר אמרתך לא שמרו | 158 |
मैं दग़ाबाज़ों को देख कर मलूल हुआ, क्यूँकि वह तेरे कलाम को नहीं मानते।
ראה כי-פקודיך אהבתי יהוה כחסדך חיני | 159 |
ख़याल फ़रमा कि मुझे तेरे क़वानीन से कैसी मुहब्बत है! ऐ ख़ुदावन्द! अपनी शफ़क़त के मुताबिक मुझे ज़िन्दा कर।
ראש-דברך אמת ולעולם כל-משפט צדקך | 160 |
तेरे कलाम का ख़ुलासा सच्चाई है, तेरी सदाक़त के कुल अहकाम हमेशा के हैं। शीन
שרים רדפוני חנם ומדבריך (ומדברך) פחד לבי | 161 |
उमरा ने मुझे बे वजह सताया है, लेकिन मेरे दिल में तेरी बातों का ख़ौफ़ है।
שש אנכי על-אמרתך-- כמוצא שלל רב | 162 |
मैं बड़ी लूट पाने वाले की तरह, तेरे कलाम से ख़ुश हूँ।
שקר שנאתי ואתעבה תורתך אהבתי | 163 |
मुझे झूट से नफ़रत और कराहियत है, लेकिन तेरी शरी'अत से मुहब्बत है।
שבע ביום הללתיך-- על משפטי צדקך | 164 |
मैं तेरी सदाक़त के अहकाम की वजह से, दिन में सात बार तेरी सिताइश करता हूँ।
שלום רב לאהבי תורתך ואין-למו מכשול | 165 |
तेरी शरी'अत से मुहब्बत रखने वाले मुत्मइन हैं; उनके लिए ठोकर खाने का कोई मौक़ा' नहीं।
שברתי לישועתך יהוה ומצותיך עשיתי | 166 |
ऐ ख़ुदावन्द! मैं तेरी नजात का उम्मीदवार रहा हूँ और तेरे फ़रमान बजा लाया हूँ।
שמרה נפשי עדתיך ואהבם מאד | 167 |
मेरी जान ने तेरी शहादतें मानी हैं, और वह मुझे बहुत 'अज़ीज़ हैं।
שמרתי פקודיך ועדתיך כי כל-דרכי נגדך | 168 |
मैंने तेरे क़वानीन और शहादतों को माना है, क्यूँकि मेरे सब चाल चलन तेरे सामने हैं। ताव
תקרב רנתי לפניך יהוה כדברך הבינני | 169 |
ऐ ख़ुदावन्द! मेरी फ़रियाद तेरे सामने पहुँचे; अपने कलाम के मुताबिक़ मुझे समझ 'अता कर।
תבוא תחנתי לפניך כאמרתך הצילני | 170 |
मेरी इल्तिजा तेरे सामने पहुँचे, अपने कलाम के मुताबिक़ मुझे छुड़ा।
תבענה שפתי תהלה כי תלמדני חקיך | 171 |
मेरे लबों से तेरी सिताइश हो। क्यूँकि तू मुझे अपने क़ानून सिखाता है।
תען לשוני אמרתך כי כל-מצותיך צדק | 172 |
मेरी ज़बान तेरे कलाम का हम्द गाए, क्यूँकि तेरे सब फ़रमान बरहक़ हैं।
תהי-ידך לעזרני כי פקודיך בחרתי | 173 |
तेरा हाथ मेरी मदद को तैयार है क्यूँकि मैंने तेरे क़वानीन इख़्तियार, किए हैं।
תאבתי לישועתך יהוה ותורתך שעשעי | 174 |
ऐ ख़ुदावन्द! मैं तेरी नजात का मुश्ताक़ रहा हूँ, और तेरी शरी'अत मेरी ख़ुशनूदी है।
תחי-נפשי ותהללך ומשפטך יעזרני | 175 |
मेरी जान ज़िन्दा रहे तो वह तेरी सिताइश करेगी, और तेरे अहकाम मेरी मदद करें।
תעיתי-- כשה אבד בקש עבדך כי מצותיך לא שכחתי | 176 |
मैं खोई हुई भेड़ की तरह भटक गया हूँ अपने बन्दे की तलाश कर, क्यूँकि मैं तेरे फ़रमान को नहीं भूलता।