< נחמיה 9 >
וביום עשרים וארבעה לחדש הזה נאספו בני ישראל בצום ובשקים ואדמה עליהם | 1 |
फिर इसी महीने की चौबीसवीं तारीख़ को बनी — इस्राईल रोज़ा रखकर और टाट ओढ़कर और मिट्टी अपने सिर पर डालकर इकट्ठे हुए।
ויבדלו זרע ישראל מכל בני נכר ויעמדו ויתודו על חטאתיהם ועונות אבתיהם | 2 |
और इस्राईल की नसल के लोग सब परदेसियों से अलग हो गए, और खड़े होकर अपने गुनाहों और अपने बाप — दादा की ख़ताओं का इक़रार किया।
ויקומו על עמדם ויקראו בספר תורת יהוה אלהיהם רבעית היום ורבעית מתודים ומשתחוים ליהוה אלהיהם | 3 |
और उन्होंने अपनी अपनी जगह पर खड़े होकर एक पहर तक ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की किताब पढ़ी; और दूसरे पहर में, इक़रार करके ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा को सिज्दा करते रहे।
ויקם על מעלה הלוים ישוע ובני קדמיאל שבניה בני שרביה--בני כנני ויזעקו בקול גדול אל יהוה אלהיהם | 4 |
तब क़दमीएल, यशू'अ, और बानी, और सबनियाह, बुन्नी और सरीबियाह, और बानी, और कना'नी ने लावियों की सीढ़ियों पर खड़े होकर बलन्द आवाज़ से ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा से फ़रियाद की।
ויאמרו הלוים ישוע וקדמיאל בני חשבניה שרביה הודיה שבניה פתחיה קומו ברכו את יהוה אלהיכם מן העולם עד העולם ויברכו שם כבדך ומרומם על כל ברכה ותהלה | 5 |
फिर यशू'अ, और क़दमिएल और बानी और हसबनियाह और सरीबियाह और हूदियाह, और सबनियाह, और फ़तहियाह लावियों ने कहा, खड़े हो जाओ, और कहो, ख़ुदावन्द हमारा ख़ुदा इब्तिदा से हमेशा तक मुबारक है; तेरा जलाली नाम मुबारक हो, जो सब हम्द — ओ — ता'रीफ़ से बाला है।
אתה הוא יהוה לבדך--את (אתה) עשית את השמים שמי השמים וכל צבאם הארץ וכל אשר עליה הימים וכל אשר בהם ואתה מחיה את כלם וצבא השמים לך משתחוים | 6 |
तू ही अकेला ख़ुदावन्द है; तूने आसमान और आसमानों के आसमान को और उनके सारे लश्कर को, और ज़मीन को और जो कुछ उसपर है, और समन्दरों को और जो कुछ उनमें है बनाया और तू उन सभों का परवरदिगार है; और आसमान का लश्कर तुझे सिज्दा करता है।
אתה הוא יהוה האלהים אשר בחרת באברם והוצאתו מאור כשדים ושמת שמו אברהם | 7 |
तू वह ख़ुदावन्द ख़ुदा है जिसने इब्रहाम को चुन लिया, और उसे कसदियों के ऊर से निकाल लाया, और उसका नाम अब्रहाम रख्खा;
ומצאת את לבבו נאמן לפניך וכרות עמו הברית לתת את ארץ הכנעני החתי האמרי והפרזי והיבוסי והגרגשי לתת לזרעו ותקם את דבריך כי צדיק אתה | 8 |
तूने उसका दिल अपने सामने वफ़ादार पाया, और कना'नियों हित्तियों और अमोरियों फ़रिज़्ज़ियों और यबूसियों और जिरजासियों का मुल्क देने का 'अहद उससे बाँधा ताकि उसे उसकी नसल को दे; और तूने अपने सुख़न पूरे किए क्यूँकि तू सादिक़ है।
ותרא את עני אבתינו במצרים ואת זעקתם שמעת על ים סוף | 9 |
और तूने मिस्र में हमारे बाप — दादा की मुसीबत पर नज़र की, और बहर — ए — कु़लजु़म के किनारे उनकी फ़रियाद सुनी।
ותתן אתת ומפתים בפרעה ובכל עבדיו ובכל עם ארצו--כי ידעת כי הזידו עליהם ותעש לך שם כהיום הזה | 10 |
और फ़िर'औन और उसके सब नौकरों, और उसके मुल्क की सब र'इयत पर निशान और 'अजायब कर दिखाए; क्यूँकि तू जानता था कि वह ग़ुरूर के साथ उनसे पेश आए। इसलिए तेरा बड़ा नाम हुआ, जैसा आज है।
והים בקעת לפניהם ויעברו בתוך הים ביבשה ואת רדפיהם השלכת במצולת כמו אבן--במים עזים | 11 |
और तूने उनके आगे समन्दर को दो हिस्से किया, ऐसा कि वह समन्दर के बीच सूखी ज़मीन पर होकर चले; और तूने उनका पीछा करनेवालों को गहराओ में डाला, जैसा पत्थर समन्दर में फेंका जाता है।
ובעמוד ענן הנחיתם יומם ובעמוד אש לילה להאיר להם את הדרך אשר ילכו בה | 12 |
और तूने दिन को बादल के सुतून में होकर उनकी रहनुमाई की और रात को आग के सुतून में, ताकि जिस रास्ते उनको चलना था उसमें उनको रोशनी मिले।
ועל הר סיני ירדת ודבר עמהם משמים ותתן להם משפטים ישרים ותורות אמת--חקים ומצות טובים | 13 |
और तू कोह-ए-सीना पर उतर आया, और तूने आसमान पर से उनके साथ बातें कीं, और रास्त अहकाम और सच्चे क़ानून और अच्छे आईन — ओ — फ़रमान उनको दिए,
ואת שבת קדשך הודעת להם ומצוות וחקים ותורה צוית להם ביד משה עבדך | 14 |
और उनको अपने पाक सबत से वाक़िफ़ किया, और अपने बन्दे मूसा के ज़रिए' उनको अहकाम और आईन और शरी'अत दी।
ולחם משמים נתתה להם לרעבם ומים מסלע הוצאת להם לצמאם ותאמר להם לבוא לרשת את הארץ אשר נשאת את ידך לתת להם | 15 |
और तूने उनकी भूक मिटाने को आसमान पर से रोटी दी, और उनकी प्यास बुझाने को चट्टान में से उनके लिए पानी निकाला, और उनको फ़रमाया कि वह जाकर उस मुल्क पर क़ब्ज़ा करें जिसको उनको देने की तूने क़सम खाई थी।
והם ואבתינו הזידו ויקשו את ערפם ולא שמעו אל מצותיך | 16 |
लेकिन उन्होंने और हमारे बाप — दादा ने ग़ुरूर किया, और बाग़ी बने और तेरे हुक्मों को न माना;
וימאנו לשמע ולא זכרו נפלאתיך אשר עשית עמהם ויקשו את ערפם ויתנו ראש לשוב לעבדתם במרים ואתה אלוה סליחות חנון ורחום ארך אפים ורב וחסד (חסד)--ולא עזבתם | 17 |
और फ़रमाँबरदारी से इन्कार किया, और तेरे 'अजायब को जो तूने उनके बीच किए याद न रख्खा; बल्कि बाग़ी बने और अपनी बग़ावत में अपने लिए एक सरदार मुक़र्रर किया, ताकि अपनी ग़ुलामी की तरफ़ लौट जाएँ। लेकिन तू वह ख़ुदा है जो रहीम — ओ — करीम मु'आफ़ करने को तैयार, और क़हर करने में धीमा, और शफ़क़त में ग़नी है, इसलिए तूने उनको छोड़ न दिया।
אף כי עשו להם עגל מסכה ויאמרו זה אלהיך אשר העלך ממצרים ויעשו נאצות גדלות | 18 |
लेकिन जब उन्होंने अपने लिए ढाला हुआ बछड़ा बनाकर कहा, 'ये तेरा ख़ुदा है, जो तुझे मुल्क — ए — मिस्र से निकाल लाया, और यूँ ग़ुस्सा दिलाने के बड़े बड़े काम किए;
ואתה ברחמיך הרבים לא עזבתם במדבר את עמוד הענן לא סר מעליהם ביומם להנחתם בהדרך ואת עמוד האש בלילה להאיר להם ואת הדרך אשר ילכו בה | 19 |
तो भी तूने अपनी गूँनागूँ रहमतों से उनको वीराने में छोड़ न दिया; दिन को बादल का सुतून उनके ऊपर से दूर न हुआ, ताकि रास्ते में उनकी रहनुमाई करे, और न रात को आग का सुतून दूर हुआ, ताकि वह उनको रोशनी और वह रास्ता दिखाए जिससे उनको चलना था।
ורוחך הטובה נתת להשכילם ומנך לא מנעת מפיהם ומים נתתה להם לצמאם | 20 |
और तूने अपनी नेक रूह भी उनकी तरबियत के लिए बख़्शी, और मन को उनके मुँह से न रोका, और उनको प्यास को बुझाने को पानी दिया।
וארבעים שנה כלכלתם במדבר לא חסרו שלמתיהם לא בלו ורגליהם לא בצקו | 21 |
चालीस बरस तक तू वीराने में उनकी परवरिश करता रहा; वह किसी चीज़ के मुहताज न हुए, न तो उनके कपड़े पुराने हुए और न उनके पाँव सूजे।
ותתן להם ממלכות ועממים ותחלקם לפאה ויירשו את ארץ סיחון ואת ארץ מלך חשבון ואת ארץ עוג מלך הבשן | 22 |
इसके सिवा तूने उनको ममलुकतें और उम्मतें बख़्शीं, जिनको तूने उनके हिस्सों के मुताबिक़ उनको बाँट दिया; चुनाँचे वह सीहोन के मुल्क, और शाह — ए — हस्बोन के मुल्क, और बसन के बादशाह 'ओज के मुल्क पर क़ाबिज़ हुए।
ובניהם הרבית כככבי השמים ותביאם אל הארץ אשר אמרת לאבתיהם לבוא לרשת | 23 |
तूने उनकी औलाद को बढ़ाकर आसमान के सितारों की तरह कर दिया, और उनको उस मुल्क में लाया जिसके बारे में तूने उनके बाप — दादा से कहा था कि वह जाकर उसपर क़ब्ज़ा करें।
ויבאו הבנים ויירשו את הארץ ותכנע לפניהם את ישבי הארץ הכנענים ותתנם בידם ואת מלכיהם ואת עממי הארץ לעשות בהם כרצונם | 24 |
तब उनकी औलाद ने आकर इस मुल्क पर क़ब्ज़ा किया, और तूने उनके आगे इस मुल्क के बाशिन्दों या'नी कना'नियों को मग़लूब किया, और उनको उनके बादशाहों और इस मुल्क के लोगों के साथ उनके हाथ में कर दिया कि जैसा चाहें वैसा उनसे करें।
וילכדו ערים בצורת ואדמה שמנה ויירשו בתים מלאים כל טוב ברות חצובים כרמים וזיתים ועץ מאכל לרב ויאכלו וישבעו וישמינו ויתעדנו בטובך הגדול | 25 |
तब उन्होंने फ़सीलदार शहरों और ज़रख़ेज़ मुल्क को ले लिया, और वह सब तरह के अच्छे माल से भरे हुए घरों और खोदे हुए कुँवों, और बहुत से अंगूरिस्तानों और ज़ैतून के बाग़ों और फलदार दरख़्तों के मालिक हुए; फिर वह खा कर सेर हुए और मोटे ताज़े हो गए, और तेरे बड़े एहसान से बहुत हज़ उठाया।
וימרו וימרדו בך וישלכו את תורתך אחרי גום ואת נביאיך הרגו אשר העידו בם להשיבם אליך ויעשו נאצות גדולת | 26 |
तो भी वह ना — फ़रमान होकर तुझ से बाग़ी हुए, और उन्होंने तेरी शरी'अत को पीठ पीछे फेंका, और तेरे नबियों को जो उनके ख़िलाफ़ गवाही देते थे ताकि उनको तेरी तरफ़ फिरा लायें क़त्ल किया और उन्होंने ग़ुस्सा दिलाने के बड़े — बड़े काम किए।
ותתנם ביד צריהם ויצרו להם ובעת צרתם יצעקו אליך ואתה משמים תשמע וכרחמיך הרבים תתן להם מושיעים ויושיעום מיד צריהם | 27 |
इसलिए तूने उनको उनके दुश्मनों के हाथ में कर दिया, जिन्होंने उनको सताया; और अपने दुख के वक़्त में जब उन्होंने तुझ से फ़रियाद की, तो तूने आसमान पर से सुन लिया और अपनी गूँनागूँ रहमतों के मुताबिक़ उनको छुड़ाने वाले दिए जिन्होंने उनको उनके दुश्मनों के हाथ से छुड़ाया।
וכנוח להם--ישובו לעשות רע לפניך ותעזבם ביד איביהם וירדו בהם וישובו ויזעקוך ואתה משמים תשמע ותצילם כרחמיך רבות עתים | 28 |
लेकिन जब उनको आराम मिला तो उन्होंने फिर तेरे आगे बदकारी की, इसलिए तूने उनको उनके दुश्मनों के क़ब्ज़े में छोड़ दिया इसलिए वह उन पर मुसल्लत रहे; तो भी जब वह रुजू' लाए और तुझ से फ़रियाद की, तो तूने आसमान पर से सुन लिया और अपनी रहमतों के मुताबिक़ उनको बार — बार छुड़ाया;
ותעד בהם להשיבם אל תורתך והמה הזידו ולא שמעו למצותיך ובמשפטיך חטאו בם אשר יעשה אדם וחיה בהם ויתנו כתף סוררת וערפם הקשו ולא שמעו | 29 |
और तूने उनके ख़िलाफ़ गवाही दी, ताकि अपनी शरी'अत की तरफ़ उनको फेर लाए। लेकिन उन्होंने ग़ुरूर किया और तेरे फ़रमान न माने, बल्कि तेरे अहकाम के बरख़िलाफ़ गुनाह किया जिनको अगर कोई माने, तो उनकी वजह से जीता रहेगा, और अपने कन्धे को हटाकर बाग़ी बन गए और न सुना।
ותמשך עליהם שנים רבות ותעד בם ברוחך ביד נביאיך ולא האזינו ותתנם ביד עמי הארצת | 30 |
तो भी तू बहुत बरसों तक उनकी बर्दाश्त करता रहा, और अपनी रूह से अपने नबियों के ज़रिए' उनके ख़िलाफ़ गवाही देता रहा; तो भी उन्होंने कान न लगाया, इसलिए तूने उनको और मुल्को के लोगों के हाथ में कर दिया।
וברחמיך הרבים לא עשיתם כלה ולא עזבתם כי אל חנון ורחום אתה | 31 |
बावजूद इसके तूने अपनी गूँनागूँ रहमतों के ज़रिए' उनको नाबूद न कर दिया और न उनको छोड़ा, क्यूँकि तू रहीम — ओ — करीम ख़ुदा है।
ועתה אלהינו האל הגדול הגבור והנורא שומר הברית והחסד--אל ימעט לפניך את כל התלאה אשר מצאתנו למלכינו לשרינו ולכהנינו ולנביאינו ולאבתינו ולכל עמך מימי מלכי אשור עד היום הזה | 32 |
“इसलिए अब, ऐ हमारे ख़ुदा, बुज़ुर्ग, और क़ादिर — ओ — मुहीब ख़ुदा जो 'अहद — ओ — रहमत को क़ाईम रखता है। वह दुख जो हम पर और हमारे बादशाहों पर, और हमारे सरदारों और हमारे काहिनों पर, और हमारे नबियों और हमारे बाप — दादा पर, और तेरे सब लोगों पर असूर के बादशाहों के ज़माने से आज तक पड़ा है, इसलिए तेरे सामने हल्का न मा'लूम हो;
ואתה צדיק על כל הבא עלינו כי אמת עשית ואנחנו הרשענו | 33 |
तो भी जो कुछ हम पर आया है उस सब में तू 'आदिल है क्यूँकि तू सच्चाई से पेश आया, लेकिन हम ने शरारत की।
ואת מלכינו שרינו כהנינו ואבתינו לא עשו תורתך ולא הקשיבו אל מצותיך ולעדותיך אשר העידת בהם | 34 |
और हमारे बादशाहों और सरदारों और हमारे काहिनों और बाप — दादा ने न तो तेरी शरी'अत पर 'अमल किया और न तेरे अहकाम और शहादतों को माना, जिनसे तू उनके ख़िलाफ़ गवाही देता रहा।
והם במלכותם ובטובך הרב אשר נתת להם ובארץ הרחבה והשמנה אשר נתת לפניהם--לא עבדוך ולא שבו ממעלליהם הרעים | 35 |
क्यूँकि उन्होंने अपनी ममलुकत में, और तेरे बड़े एहसान के वक़्त जो तूने उन पर किया, और इस वसी' और ज़रख़ेज़ मुल्क में जो तूने उनके हवाले कर दिया, तेरी इबादत न की और न वह अपनी बदकारियों से बाज़ आए।
הנה אנחנו היום עבדים והארץ אשר נתתה לאבתינו לאכל את פריה ואת טובה--הנה אנחנו עבדים עליה | 36 |
देख, आज हम ग़ुलाम हैं, बल्कि उसी मुल्क में जो तूने हमारे बाप — दादा को दिया कि उसका फल और पैदावार खाएँ; इसलिए देख, हम उसी में ग़ुलाम हैं।
ותבואתה מרבה למלכים אשר נתתה עלינו--בחטאותינו ועל גויתנו משלים ובבהמתנו כרצונם ובצרה גדלה אנחנו | 37 |
वह अपनी कसीर पैदावार उन बादशाहों को देता है, जिनको तूने हमारे गुनाहों की वजह से हम पर मुसल्लत किया है; वह हमारे जिस्मों और हमारी मवाशी पर भी जैसा चाहते हैं इख़्तियार रखते हैं, और हम सख़्त मुसीबत में हैं।”
ובכל זאת אנחנו כרתים אמנה וכתבים ועל החתום שרינו לוינו כהנינו | 38 |
“इन सब बातों की वजह से हम सच्चा 'अहद करते और लिख भी देते हैं, और हमारे हाकिम, और हमारे लावी, और हमारे काहिन उसपर मुहर करते हैं।”