< איוב 6 >
לו--שקול ישקל כעשי והיתי (והותי) במאזנים ישאו-יחד | 2 |
“कैसा होता यदि मेरी पीड़ा मापी जा सकती, इसे तराजू में रखा जाता!
כי-עתה--מחול ימים יכבד על-כן דברי לעו | 3 |
तब तो इसका माप सागर तट की बालू से अधिक होता. इसलिये मेरे शब्द मूर्खता भरे लगते हैं.
כי חצי שדי עמדי--אשר חמתם שתה רוחי בעותי אלוה יערכוני | 4 |
क्योंकि सर्वशक्तिमान के बाण मुझे बेधे हुए हैं, उनका विष रिसकर मेरी आत्मा में पहुंच रहा है. परमेश्वर का आतंक आक्रमण के लिए मेरे विरुद्ध खड़ा है!
הינהק-פרא עלי-דשא אם יגעה-שור על-בלילו | 5 |
क्या जंगली गधा घास के सामने आकर रेंकता है? क्या बछड़ा अपना चारा देख रम्भाता है?
היאכל תפל מבלי-מלח אם-יש-טעם בריר חלמות | 6 |
क्या किसी स्वादरहित वस्तु का सेवन नमक के बिना संभव है? क्या अंडे की सफेदी में कोई भी स्वाद होता है?
מאנה לנגוע נפשי המה כדוי לחמי | 7 |
मैं उनका स्पर्श ही नहीं चाहता; मेरे लिए ये घृणित भोजन-समान हैं.
מי-יתן תבוא שאלתי ותקותי יתן אלוה | 8 |
“कैसा होता यदि मेरा अनुरोध पूर्ण हो जाता तथा परमेश्वर मेरी लालसा को पूर्ण कर देते,
ויאל אלוה וידכאני יתר ידו ויבצעני | 9 |
तब ऐसा हो जाता कि परमेश्वर मुझे कुचलने के लिए तत्पर हो जाते, कि वह हाथ बढ़ाकर मेरा नाश कर देते!
ותהי-עוד נחמתי-- ואסלדה בחילה לא יחמול כי-לא כחדתי אמרי קדוש | 10 |
किंतु तब भी मुझे तो संतोष है, मैं असह्य दर्द में भी आनंदित होता हूं, क्योंकि मैंने पवित्र वचनों के आदेशों का विरोध नहीं किया है.
מה-כחי כי-איחל ומה-קצי כי-אאריך נפשי | 11 |
“क्या है मेरी शक्ति, जो मैं आशा करूं? क्या है मेरी नियति, जो मैं धैर्य रखूं?
אם-כח אבנים כחי אם-בשרי נחוש | 12 |
क्या मेरा बल वह है, जो चट्टानों का होता है? अथवा क्या मेरी देह की रचना कांस्य से हुई है?
האם אין עזרתי בי ותשיה נדחה ממני | 13 |
क्या मेरी सहायता का मूल मेरे अंतर में निहित नहीं, क्या मेरी विमुक्ति मुझसे दूर हो चुकी?
למס מרעהו חסד ויראת שדי יעזוב | 14 |
“जो अपने दुःखी मित्र पर करुणा नहीं दिखाता, वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रति श्रद्धा छोड़ देता है.
אחי בגדו כמו-נחל כאפיק נחלים יעברו | 15 |
मेरे भाई तो जलधाराओं समान विश्वासघाती ही प्रमाणित हुए, वे जलधाराएं, जो विलीन हो जाती हैं,
הקדרים מני-קרח עלימו יתעלם-שלג | 16 |
जिनमें हिम पिघल कर जल बनता है और उनका जल छिप जाता है.
בעת יזרבו נצמתו בחמו נדעכו ממקומם | 17 |
वे जलहीन शांत एवं सूनी हो जाती हैं, वे ग्रीष्मऋतु में अपने स्थान से विलीन हो जाती हैं.
ילפתו ארחות דרכם יעלו בתהו ויאבדו | 18 |
वे अपने रास्ते से भटक जाते हैं; उसके बाद वे मरुभूमि में विलीन हो जाती हैं.
הביטו ארחות תמא הליכת שבא קוו-למו | 19 |
तेमा के यात्री दल उन्हें खोजते रहे, शीबा के यात्रियों ने उन पर आशा रखी थी.
בשו כי-בטח באו עדיה ויחפרו | 20 |
उन पर भरोसा कर उन्हें पछतावा हुआ; वे वहां पहुंचे और निराश हो गए.
כי-עתה הייתם לא תראו חתת ותיראו | 21 |
अब स्थिति यह है, कि तुम इन्हीं जलधाराओं के समान हो चुके हो; तुम आतंक को देखकर डर जाते हो.
הכי-אמרתי הבו לי ומכחכם שחדו בעדי | 22 |
क्या मैंने कभी यह आग्रह किया है, ‘कुछ तो दे दो मुझे, अथवा, अपनी संपत्ति में से कुछ देकर मुझे मुक्त करा लो,
ומלטוני מיד-צר ומיד עריצים תפדוני | 23 |
अथवा, शत्रु के बंधन से मुझे मुक्त करा लो, इस उपद्रव करनेवाले व्यक्ति के अधिकार से मुझे छुड़ा लो?’
הורוני ואני אחריש ומה-שגיתי הבינו לי | 24 |
“मुझे शिक्षा दीजिए, मैं चुप रहूंगा; मेरी त्रुटियां मुझ पर प्रकट कर दीजिए.
מה-נמרצו אמרי-ישר ומה-יוכיח הוכח מכם | 25 |
सच्चाई में कहे गए उद्गार कितने सुखदायक होते हैं! किंतु आपके विवाद से क्या प्रकट होता है?
הלהוכח מלים תחשבו ולרוח אמרי נואש | 26 |
क्या तुम्हारा अभिप्राय मेरे कहने की निंदा करना है, निराश व्यक्ति के उद्गार तो निरर्थक ही होते हैं?
אף-על-יתום תפילו ותכרו על-ריעכם | 27 |
तुम तो पितृहीनों के लिए चिट्ठी डालोगे तथा अपने मित्र को ही बेच दोगे.
ועתה הואילו פנו-בי ועל-פניכם אם-אכזב | 28 |
“अब कृपा करो और मेरी ओर देखो. फिर देखना कि क्या मैं तुम्हारे मुख पर झूठ बोल सकूंगा?
שובו-נא אל-תהי עולה ושבי (ושבו) עוד צדקי-בה | 29 |
अब कोई अन्याय न होने पाए; छोड़ दो यह सब, मैं अब भी सत्यनिष्ठ हूं.
היש-בלשוני עולה אם-חכי לא-יבין הוות | 30 |
क्या मेरी जीभ अन्यायपूर्ण है? क्या मुझमें बुराई और अच्छाई का बोध न रहा?