< איוב 33 >
ואולם--שמע-נא איוב מלי וכל-דברי האזינה | 1 |
“तोभी ऐ अय्यूब ज़रा मेरी तक़रीर सुन ले, और मेरी सब बातों पर कान लगा।
הנה-נא פתחתי פי דברה לשוני בחכי | 2 |
देख, मैंने अपना मुँह खोला है; मेरी ज़बान ने मेरे मुँह में सुखन आराई की है।
ישר-לבי אמרי ודעת שפתי ברור מללו | 3 |
मेरी बातें मेरे दिल की रास्तबाज़ी को ज़ाहिर करेंगी। और मेरे लब जो कुछ जानते हैं, उसी को सच्चाई से कहेंगे।
רוח-אל עשתני ונשמת שדי תחיני | 4 |
ख़ुदा की रूह ने मुझे बनाया है, और क़ादिर — ए — मुतलक़ का दम मुझे ज़िन्दगी बख़्शता है।
אם-תוכל השיבני ערכה לפני התיצבה | 5 |
अगर तू मुझे जवाब दे सकता है तो दे, और अपनी बातों को मेरे सामने तरतीब देकर खड़ा हो जा।
הן-אני כפיך לאל מחמר קרצתי גם-אני | 6 |
देख, ख़ुदा के सामने मैं तेरे बराबर हूँ। मैं भी मिट्टी से बना हूँ।
הנה אמתי לא תבעתך ואכפי עליך לא-יכבד | 7 |
देख, मेरा रौ'ब तुझे परेशान न करेगा, मेरा दबाव तुझ पर भारी न होगा।
אך אמרת באזני וקול מלין אשמע | 8 |
“यक़ीनन तू मेरे सुनते ही कहा है, और मैंने तेरी बातें सुनी हैं,
זך אני בלי-פשע חף אנכי ולא עון לי | 9 |
कि 'मैं साफ़ और में बे तकसीर हूँ, मैं बे गुनाह हूँ, और मुझ में गुनाह नहीं।
הן תנואות עלי ימצא יחשבני לאויב לו | 10 |
वह मेरे ख़िलाफ़ मौक़ा' ढूँडता है, वह मुझे अपना दुश्मन समझता है;
ישם בסד רגלי ישמר כל-ארחתי | 11 |
वह मेरे दोनों पाँव को काठ में ठोंक देता है, वह मेरी सब राहों की निगरानी करता है।
הן-זאת לא-צדקת אענך כי-ירבה אלוה מאנוש | 12 |
“देख, मैं तुझे जवाब देता हूँ, इस बात में तू हक़ पर नहीं। क्यूँकि ख़ुदा इंसान से बड़ा है।
מדוע אליו ריבות כי כל-דבריו לא יענה | 13 |
तू क्यूँ उससे झगड़ता है? क्यूँकि वह अपनी बातों में से किसी का हिसाब नहीं देता।
כי-באחת ידבר-אל ובשתים לא ישורנה | 14 |
क्यूँकि ख़ुदा एक बार बोलता है, बल्कि दो बार, चाहे इंसान इसका ख़याल न करे।
בחלום חזיון לילה--בנפל תרדמה על-אנשים בתנומות עלי משכב | 15 |
ख़्वाब में, रात के ख़्वाब में, जब लोगों को गहरी नींद आती है, और बिस्तर पर सोते वक़्त;
אז יגלה אזן אנשים ובמסרם יחתם | 16 |
तब वह लोगों के कान खोलता है, और उनकी ता'लीम पर मुहर लगाता है,
להסיר אדם מעשה וגוה מגבר יכסה | 17 |
ताकि इंसान को उसके मक़सद से रोके, और गु़रूर को इंसान में से दूर करे।
יחשך נפשו מני-שחת וחיתו מעבר בשלח | 18 |
वह उसकी जान को गढ़े से बचाता है, और उसकी ज़िन्दगी तलवार की मार से।
והוכח במכאוב על-משכבו וריב (ורוב) עצמיו אתן | 19 |
“वह अपने बिस्तर पर दर्द से तम्बीह पाता है, और उसकी हड्डियों में दाइमी जंग है।
וזהמתו חיתו לחם ונפשו מאכל תאוה | 20 |
यहाँ तक कि उसका जी रोटी से, और उसकी जान लज़ीज़ खाने से नफ़रत करने लगती है।
יכל בשרו מראי ושפי (ושפו) עצמתיו לא ראו | 21 |
उसका गोश्त ऐसा सूख जाता है कि दिखाई नहीं देता; और उसकी हड्डियाँ जो दिखाई नहीं देती थीं, निकल आती हैं'।
ותקרב לשחת נפשו וחיתו לממתים | 22 |
बल्कि उसकी जान गढ़े के क़रीब पहुँचती है, और उसकी ज़िन्दगी हलाक करने वालों के नज़दीक।
אם-יש עליו מלאך--מליץ אחד מני-אלף להגיד לאדם ישרו | 23 |
वहाँ अगर उसके साथ कोई फ़रिश्ता हो, या हज़ार में एक ता'बीर करने वाला, जो इंसान को बताए कि उसके लिए क्या ठीक है;
ויחננו--ויאמר פדעהו מרדת שחת מצאתי כפר | 24 |
तो वह उस पर रहम करता और कहता है, कि 'उसे गढ़े में जाने से बचा ले; मुझे फ़िदिया मिल गया है।
רטפש בשרו מנער ישוב לימי עלומיו | 25 |
तब उसका जिस्म बच्चे के जिस्म से भी ताज़ा होगा; और उसकी जवानी के दिन लौट आते हैं।
יעתר אל-אלוה וירצהו וירא פניו בתרועה וישב לאנוש צדקתו | 26 |
वह ख़ुदा से दुआ करता है। और वह उस पर महेरबान होता है, ऐसा कि वह ख़ुशी से उसका मुँह देखता है; और वह इंसान की सच्चाई को बहाल कर देता है।
ישר על-אנשים ויאמר חטאתי וישר העויתי ולא-שוה לי | 27 |
वह लोगों के सामने गाने और कहने लगता है, कि'मैंने गुनाह किया और हक़ को उलट दिया, और इससे मुझे फ़ायदा न हुआ।
פדה נפשי (נפשו) מעבר בשחת וחיתי (וחיתו) באור תראה | 28 |
उसने मेरी जान को गढ़े में जाने से बचाया, और मेरी ज़िन्दगी रोशनी को देखेगी।
הן-כל-אלה יפעל-אל-- פעמים שלוש עם-גבר | 29 |
“देखो, ख़ुदा आदमी के साथ यह सब काम, दो बार बल्कि तीन बार करता है;
להשיב נפשו מני-שחת-- לאור באור החיים | 30 |
ताकि उसकी जान को गढ़े से लौटा लाए, और वह ज़िन्दों के नूर से मुनव्वर हो।
הקשב איוב שמע-לי החרש ואנכי אדבר | 31 |
ऐ अय्यूब! ग़ौर से मेरी सुन; ख़ामोश रह और मैं बोलूँगा।
אם-יש-מלין השיבני דבר כי-חפצתי צדקך | 32 |
अगर तुझे कुछ कहना है तो मुझे जवाब दे; बोल, क्यूँकि मैं तुझे रास्त ठहराना चाहता हूँ।
אם-אין אתה שמע-לי החרש ואאלפך חכמה | 33 |
अगर नहीं, तो मेरी सुन; ख़ामोश रह और मैं तुझे समझ सिखाऊँगा।”