< איוב 22 >
הלאל יסכן-גבר-- כי-יסכן עלימו משכיל | 2 |
२“क्या मनुष्य से परमेश्वर को लाभ पहुँच सकता है? जो बुद्धिमान है, वह स्वयं के लिए लाभदायक है।
החפץ לשדי כי תצדק ואם-בצע כי-תתם דרכיך | 3 |
३क्या तेरे धर्मी होने से सर्वशक्तिमान सुख पा सकता है? तेरी चाल की खराई से क्या उसे कुछ लाभ हो सकता है?
המיראתך יכיחך יבוא עמך במשפט | 4 |
४वह तो तुझे डाँटता है, और तुझ से मुकद्दमा लड़ता है, तो क्या यह तेरी भक्ति के कारण है?
הלא רעתך רבה ואין-קץ לעונתיך | 5 |
५क्या तेरी बुराई बहुत नहीं? तेरे अधर्म के कामों का कुछ अन्त नहीं।
כי-תחבל אחיך חנם ובגדי ערומים תפשיט | 6 |
६तूने तो अपने भाई का बन्धक अकारण रख लिया है, और नंगे के वस्त्र उतार लिये हैं।
לא-מים עיף תשקה ומרעב תמנע-לחם | 7 |
७थके हुए को तूने पानी न पिलाया, और भूखे को रोटी देने से इन्कार किया।
ואיש זרוע לו הארץ ונשוא פנים ישב בה | 8 |
८जो बलवान था उसी को भूमि मिली, और जिस पुरुष की प्रतिष्ठा हुई थी, वही उसमें बस गया।
אלמנות שלחת ריקם וזרעות יתמים ידכא | 9 |
९तूने विधवाओं को खाली हाथ लौटा दिया। और अनाथों की बाहें तोड़ डाली गई।
על-כן סביבותיך פחים ויבהלך פחד פתאם | 10 |
१०इस कारण तेरे चारों ओर फंदे लगे हैं, और अचानक डर के मारे तू घबरा रहा है।
או-חשך לא-תראה ושפעת-מים תכסך | 11 |
११क्या तू अंधियारे को नहीं देखता, और उस बाढ़ को जिसमें तू डूब रहा है?
הלא-אלוה גבה שמים וראה ראש כוכבים כי-רמו | 12 |
१२“क्या परमेश्वर स्वर्ग के ऊँचे स्थान में नहीं है? ऊँचे से ऊँचे तारों को देख कि वे कितने ऊँचे हैं।
ואמרת מה-ידע אל הבעד ערפל ישפוט | 13 |
१३फिर तू कहता है, ‘परमेश्वर क्या जानता है? क्या वह घोर अंधकार की आड़ में होकर न्याय करेगा?
עבים סתר-לו ולא יראה וחוג שמים יתהלך | 14 |
१४काली घटाओं से वह ऐसा छिपा रहता है कि वह कुछ नहीं देख सकता, वह तो आकाशमण्डल ही के ऊपर चलता फिरता है।’
הארח עולם תשמור-- אשר דרכו מתי-און | 15 |
१५क्या तू उस पुराने रास्ते को पकड़े रहेगा, जिस पर वे अनर्थ करनेवाले चलते हैं?
אשר-קמטו ולא-עת נהר יוצק יסודם | 16 |
१६वे अपने समय से पहले उठा लिए गए और उनके घर की नींव नदी बहा ले गई।
האמרים לאל סור ממנו ומה-יפעל שדי למו | 17 |
१७उन्होंने परमेश्वर से कहा था, ‘हम से दूर हो जा;’ और यह कि ‘सर्वशक्तिमान परमेश्वर हमारा क्या कर सकता है?’
והוא מלא בתיהם טוב ועצת רשעים רחקה מני | 18 |
१८तो भी उसने उनके घर अच्छे-अच्छे पदार्थों से भर दिए परन्तु दुष्ट लोगों का विचार मुझसे दूर रहे।
יראו צדיקים וישמחו ונקי ילעג-למו | 19 |
१९धर्मी लोग देखकर आनन्दित होते हैं; और निर्दोष लोग उनकी हँसी करते हैं, कि
אם-לא נכחד קימנו ויתרם אכלה אש | 20 |
२०‘जो हमारे विरुद्ध उठे थे, निःसन्देह मिट गए और उनका बड़ा धन आग का कौर हो गया है।’
הסכן-נא עמו ושלם בהם תבואתך טובה | 21 |
२१“परमेश्वर से मेल मिलाप कर तब तुझे शान्ति मिलेगी; और इससे तेरी भलाई होगी।
קח-נא מפיו תורה ושים אמריו בלבבך | 22 |
२२उसके मुँह से शिक्षा सुन ले, और उसके वचन अपने मन में रख।
אם-תשוב עד-שדי תבנה תרחיק עולה מאהלך | 23 |
२३यदि तू सर्वशक्तिमान परमेश्वर की ओर फिरके समीप जाए, और अपने तम्बू से कुटिल काम दूर करे, तो तू बन जाएगा।
ושית-על-עפר בצר ובצור נחלים אופיר | 24 |
२४तू अपनी अनमोल वस्तुओं को धूलि पर, वरन् ओपीर का कुन्दन भी नालों के पत्थरों में डाल दे,
והיה שדי בצריך וכסף תועפות לך | 25 |
२५तब सर्वशक्तिमान आप तेरी अनमोल वस्तु और तेरे लिये चमकीली चाँदी होगा।
כי-אז על-שדי תתענג ותשא אל-אלוה פניך | 26 |
२६तब तू सर्वशक्तिमान से सुख पाएगा, और परमेश्वर की ओर अपना मुँह बेखटके उठा सकेगा।
תעתיר אליו וישמעך ונדריך תשלם | 27 |
२७और तू उससे प्रार्थना करेगा, और वह तेरी सुनेगा; और तू अपनी मन्नतों को पूरी करेगा।
ותגזר-אמר ויקם לך ועל-דרכיך נגה אור | 28 |
२८जो बात तू ठाने वह तुझ से बन भी पड़ेगी, और तेरे मार्गों पर प्रकाश रहेगा।
כי-השפילו ותאמר גוה ושח עינים יושע | 29 |
२९मनुष्य जब गिरता है, तो तू कहता है की वह उठाया जाएगा; क्योंकि वह नम्र मनुष्य को बचाता है।
ימלט אי-נקי ונמלט בבר כפיך | 30 |
३०वरन् जो निर्दोष न हो उसको भी वह बचाता है; तेरे शुद्ध कामों के कारण तू छुड़ाया जाएगा।”