< ירמיה 2 >
फिर ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ और उसने फ़रमाया कि
הלך וקראת באזני ירושלם לאמר כה אמר יהוה זכרתי לך חסד נעוריך אהבת כלולתיך--לכתך אחרי במדבר בארץ לא זרועה | 2 |
“तू जा और येरूशलेम के कान में पुकार कर कह कि ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि 'मैं तेरी जवानी की उल्फ़त, और तेरी शादी की मुहब्बत को याद करता हूँ कि तू वीरान या'नी बंजर ज़मीन में मेरे पीछे पीछे चली।
קדש ישראל ליהוה ראשית תבואתה כל אכליו יאשמו רעה תבא אליהם נאם יהוה | 3 |
इस्राईल ख़ुदावन्द का पाक, और उसकी अफ़्ज़ाइश का पहला फल था; ख़ुदावन्द फ़रमाता है, उसे निगलने वाले सब मुजरिम ठहरेंगे, उन पर आफ़त आएगी।”
שמעו דבר יהוה בית יעקב וכל משפחות בית ישראל | 4 |
ऐ अहल — ए — या'क़ूब और अहल — ए — इस्राईल के सब ख़ानदानों ख़ुदावन्द का कलाम सुनो:
כה אמר יהוה מה מצאו אבותיכם בי עול--כי רחקו מעלי וילכו אחרי ההבל ויהבלו | 5 |
ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि “तुम्हारे बाप — दादा ने मुझ में कौन सी बे — इन्साफ़ी पाई, जिसकी वजह से वह मुझसे दूर हो गए और झूठ की पैरवी करके बेकार हुए?
ולא אמרו--איה יהוה המעלה אתנו מארץ מצרים המוליך אתנו במדבר בארץ ערבה ושוחה בארץ ציה וצלמות--בארץ לא עבר בה איש ולא ישב אדם שם | 6 |
और उन्होंने यह न कहा कि 'ख़ुदावन्द कहाँ है जो हमको मुल्क — ए — मिस्र से निकाल लाया, और वीरान और बंजर और गढ़ों की ज़मीन में से, ख़ुश्की और मौत के साये की सरज़मीन में से, जहाँ से न कोई गुज़रता और न कोई क़याम करता था, हमको ले आया?”
ואביא אתכם אל ארץ הכרמל לאכל פריה וטובה ותבאו ותטמאו את ארצי ונחלתי שמתם לתועבה | 7 |
और मैं तुम को बाग़ों वाली ज़मीन में लाया कि तुम उसके मेवे और उसके अच्छे फल खाओ; लेकिन जब तुम दाख़िल हुए, तो तुम ने मेरी ज़मीन को नापाक कर दिया और मेरी मीरास को मकरूह बनाया।
הכהנים לא אמרו איה יהוה ותפשי התורה לא ידעוני והרעים פשעו בי והנבאים נבאו בבעל ואחרי לא יועלו הלכו | 8 |
काहिनों ने न कहा, कि 'ख़ुदावन्द कहाँ है?' और अहल — ए — शरी'अत ने मुझे न जाना; और चरवाहों ने मुझसे सरकशी की, और नबियों ने बा'ल के नाम से नबुव्वत की और उन चीज़ों की पैरवी की जिनसे कुछ फ़ायदा नहीं।
לכן עד אריב אתכם--נאם יהוה ואת בני בניכם אריב | 9 |
इसलिए ख़ुदावन्द फ़रमाता है, मैं फिर तुम से झगड़ूँगा और तुम्हारे बेटों के बेटों से झगड़ा करूँगा।
כי עברו איי כתיים וראו וקדר שלחו והתבוננו מאד וראו הן היתה כזאת | 10 |
क्यूँकि पार गुज़रकर कित्तीम के जज़ीरों में देखो, और क़ीदार में क़ासिद भेजकर दरियाफ़्त करो, और देखो कि ऐसी बात कहीं हुई है?
ההימיר גוי אלהים והמה לא אלהים ועמי המיר כבודו בלוא יועיל | 11 |
क्या किसी क़ौम ने अपने मा'बूदों को, हालाँकि वह ख़ुदा नहीं, बदल डाला? लेकिन मेरी क़ौम ने अपने जलाल को बेफ़ायदा चीज़ से बदला।
שמו שמים על זאת ושערו חרבו מאד נאם יהוה | 12 |
ख़ुदावन्द फ़रमाता है, ऐ आसमानो, इससे हैरान हो; शिद्दत से थरथराओ और बिल्कुल वीरान हो जाओ'।
כי שתים רעות עשה עמי אתי עזבו מקור מים חיים לחצב להם בארות--בארת נשברים אשר לא יכלו המים | 13 |
क्यूँकि मेरे लोगों ने दो बुराइयाँ कीं: उन्होंने मुझ आब — ए — हयात के चश्मे को छोड़ दिया और अपने लिए हौज़ खोदे हैं शिकस्ता हौज़ जिनमें पानी नहीं ठहर सकता।
העבד ישראל--אם יליד בית הוא מדוע היה לבז | 14 |
क्या इस्राईल ग़ुलाम है? क्या वह ख़ानाज़ाद है? वह किस लिए लूटा गया?
עליו ישאגו כפרים נתנו קולם וישיתו ארצו לשמה עריו נצתה (נצתו) מבלי ישב | 15 |
जवान शेर — ए — बबर उस पर गु़र्राए और गरजे, और उन्होंने उसका मुल्क उजाड़ दिया। उसके शहर जल गए, वहाँ कोई बसने वाला न रहा।
גם בני נף ותחפנס (ותחפנחס) ירעוך קדקד | 16 |
बनी नूफ़ और बनी तहफ़नीस ने भी तेरी खोपड़ी फोड़ी।
הלוא זאת תעשה לך עזבך את יהוה אלהיך בעת מולכך בדרך | 17 |
क्या तू ख़ुद ही यह अपने ऊपर नहीं लाई कि तूने ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा को छोड़ दिया, जब कि वह तेरी रहबरी करता था?
ועתה מה לך לדרך מצרים לשתות מי שחור ומה לך לדרך אשור לשתות מי נהר | 18 |
और अब सीहोर “का पानी पीने को मिस्र की राह में तुझे क्या काम? और दरिया — ए — फ़रात का पानी पीने को असूर की राह में तेरा क्या मतलब?
תיסרך רעתך ומשבותיך תוכחך ודעי וראי כי רע ומר עזבך את יהוה אלהיך ולא פחדתי אליך נאם אדני יהוה צבאות | 19 |
तेरी ही शरारत तेरी तादीब करेगी, और तेरी नाफ़रमानी तुझ को सज़ा देगी। ख़ुदावन्द रब्ब — उल — अफ़वाज, फ़रमाता है, देख और जान ले कि यह बुरा और बहुत ही ज़्यादा बेजा काम है कि तूने ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा को छोड़ दिया, और तुझ को मेरा ख़ौफ़ नहीं।
כי מעולם שברתי עלך נתקתי מוסרותיך ותאמרי לא אעבוד (אעבור) כי על כל גבעה גבהה ותחת כל עץ רענן את צעה זנה | 20 |
क्यूँकि मुद्दत हुई कि तूने अपने जुए को तोड़ डाला और अपने बन्धनों के टुकड़े कर डाले, और कहा, 'मैं ताबे' न रहूँगी।” हाँ, हर एक ऊँचे पहाड़ पर और हर एक हरे दरख़्त के नीचे तू बदकारी के लिए लेट गई।
ואנכי נטעתיך שורק כלה זרע אמת ואיך נהפכת לי סורי הגפן נכריה | 21 |
मैंने तो तुझे कामिल ताक लगाया और उम्दा बीज बोया था, फिर तू क्यूँकर मेरे लिए बेहक़ीक़त जंगली अंगूर का दरख़्त हो गई?
כי אם תכבסי בנתר ותרבי לך ברית--נכתם עונך לפני נאם אדני יהוה | 22 |
हर तरह तू अपने को सज्जी से धोए और बहुत सा साबुन इस्ते'माल करे, तो भी ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है, तेरी शरारत का दाग़ मेरे सामने ज़ाहिर है।
איך תאמרי לא נטמאתי אחרי הבעלים לא הלכתי--ראי דרכך בגיא דעי מה עשית בכרה קלה משרכת דרכיה | 23 |
तू क्यूँकर कहती है, 'मैं नापाक नहीं हूँ, मैंने बा'लीम की पैरवी नहीं की'? वादी में अपने चाल — चलन देख, और जो कुछ तूने किया है मा'लूम कर। तू तेज़रौ ऊँटनी की तरह है जो इधर — उधर दौड़ती है;
פרה למד מדבר באות נפשו (נפשה) שאפה רוח--תאנתה מי ישיבנה כל מבקשיה לא ייעפו בחדשה ימצאונה | 24 |
मादा गोरख़र की तरह जो वीराने की 'आदी है, जो शहवत के जोश में हवा को सूँघती है; उसकी मस्ती की हालत में कौन उसे रोक सकता है? उसके तालिब मान्दा न होंगे, उसकी मस्ती के दिनों में “वह उसे पा लेंगे।
מנעי רגלך מיחף וגורנך (וגרונך) מצמאה ותאמרי נואש--לוא כי אהבתי זרים ואחריהם אלך | 25 |
तू अपने पाँव को नंगे पन से और अपने हलक़ को प्यास से बचा। लेकिन तूने कहा, 'कुछ उम्मीद नहीं, हरगिज़ नहीं; क्यूँकि मैं बेगानों पर आशिक़ हूँ और उन्हीं के पीछे जाऊँगी।”
כבשת גנב כי ימצא כן הבישו בית ישראל המה מלכיהם שריהם וכהניהם ונביאיהם | 26 |
जिस तरह चोर पकड़ा जाने पर रुस्वा होता है, उसी तरह इस्राईल का घराना रुस्वा हुआ; वह और उसके बादशाह, और हाकिम और काहिन, और नबी;
אמרים לעץ אבי אתה ולאבן את ילדתני (ילדתנו) כי פנו אלי ערף ולא פנים ובעת רעתם יאמרו קומה והושיענו | 27 |
जो लकड़ी से कहते हैं, 'तू मेरा बाप है, और पत्थर से, 'तू ने मुझे पैदा किया। क्यूँकि उन्होंने मेरी तरफ़ मुँह न किया बल्कि पीठ की; लेकिन अपनी मुसीबत के वक़्त वह कहेंगे, 'उठकर हमको बचा!
ואיה אלהיך אשר עשית לך--יקומו אם יושיעוך בעת רעתך כי מספר עריך היו אלהיך יהודה | 28 |
लेकिन तेरे बुत कहाँ हैं, जिनको तूने अपने लिए बनाया? अगर वह तेरी मुसीबत के वक़्त तुझे बचा सकते हैं तो उठें; क्यूँकि ऐ यहूदाह, जितने तेरे शहर हैं उतने ही तेरे मा'बूद हैं।
למה תריבו אלי כלכם פשעתם בי נאם יהוה | 29 |
“तुम मुझसे क्यूँ हुज्जत करोगे? तुम सब ने मुझसे बग़ावत की है,” ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
לשוא הכיתי את בניכם מוסר לא לקחו אכלה חרבכם נביאיכם כאריה משחית | 30 |
मैंने बेफ़ायदा तुम्हारे बेटों को पीटा, वह तरबियत पज़ीर न हुए; तुम्हारी ही तलवार फाड़ने वाले शेर — ए — बबर की तरह तुम्हारे नबियों को खा गई।
הדור אתם ראו דבר יהוה המדבר הייתי לישראל אם ארץ מאפליה מדוע אמרו עמי רדנו--לוא נבוא עוד אליך | 31 |
ऐ इस नसल के लोगों, ख़ुदावन्द के कलाम का लिहाज़ करो। क्या मैं इस्राईल के लिए वीरान या तारीकी की ज़मीन हुआ? मेरे लोग क्यूँ कहते हैं, 'हम आज़ाद हो गए, फिर तेरे पास न आएँगे?'
התשכח בתולה עדיה כלה קשריה ועמי שכחוני ימים אין מספר | 32 |
क्या कुँवारी अपने ज़ेवर, या दुल्हन अपनी आराइश भूल सकती है? लेकिन मेरे लोग तो मुद्दत — ए — मदीद से मुझ को भूल गए।
מה תיטבי דרכך לבקש אהבה לכן גם את הרעות למדתי (למדת) את דרכיך | 33 |
तू तलब — ए इश्क में अपनी राह को कैसी आरास्ता करती है। यक़ीनन तूने फ़ाहिशा 'औरतों को भी अपनी राहें सिखाई हैं।
גם בכנפיך נמצאו דם נפשות אביונים נקיים לא במחתרת מצאתים כי על כל אלה | 34 |
तेरे ही दामन पर बेगुनाह ग़रीबों का ख़ून भी पाया गया; तूने उनको नक़ब लगाते नहीं पकड़ा; बल्कि इन्हीं सब बातों की वजह से,
ותאמרי כי נקיתי אך שב אפו ממני הנני נשפט אותך על אמרך לא חטאתי | 35 |
तो भी तू कहती है, 'मैं बेक़ुसूर हूँ, उसका ग़ज़ब यक़ीनन मुझ पर से टल जाएगा; देख, मैं तुझ पर फ़तवा दूँगा क्यूँकि तू कहती है, 'मैंने गुनाह नहीं किया।
מה תזלי מאד לשנות את דרכך גם ממצרים תבשי כאשר בשת מאשור | 36 |
तू अपनी राह बदलने को ऐसी बेक़रार क्यूँ फिरती है? तू मिस्र से भी शर्मिन्दा होगी, जैसे असूर से हुई।
גם מאת זה תצאי וידיך על ראשך כי מאס יהוה במבטחיך ולא תצליחי להם | 37 |
वहाँ से भी तू अपने सिर पर हाथ रख कर निकलेगी; क्यूँकि ख़ुदावन्द ने उनको जिन पर तूने भरोसा किया हक़ीर जाना, और तू उनसे कामयाब न होगी।