< ישעה 37 >
ויהי כשמע המלך חזקיהו ויקרע את בגדיו ויתכס בשק ויבא בית יהוה | 1 |
१जब हिजकिय्याह राजा ने यह सुना, तब वह अपने वस्त्र फाड़ और टाट ओढ़कर यहोवा के भवन में गया।
וישלח את אליקים אשר על הבית ואת שבנא הסופר ואת זקני הכהנים מתכסים בשקים--אל ישעיהו בן אמוץ הנביא | 2 |
२और उसने एलयाकीम को जो राजघराने के काम पर नियुक्त था और शेबना मंत्री को और याजकों के पुरनियों को जो सब टाट ओढ़े हुए थे, आमोस के पुत्र यशायाह नबी के पास भेज दिया।
ויאמרו אליו כה אמר חזקיהו יום צרה ותוכחה ונאצה היום הזה כי באו בנים עד משבר וכח אין ללדה | 3 |
३उन्होंने उससे कहा, “हिजकिय्याह यह कहता है कि ‘आज का दिन संकट और उलाहने और निन्दा का दिन है, बच्चे जन्मने पर हुए पर जच्चा को जनने का बल न रहा।
אולי ישמע יהוה אלהיך את דברי רבשקה אשר שלחו מלך אשור אדניו לחרף אלהים חי והוכיח בדברים אשר שמע יהוה אלהיך ונשאת תפלה בעד השארית הנמצאה | 4 |
४सम्भव है कि तेरे परमेश्वर यहोवा ने रबशाके की बातें सुनी जिसे उसके स्वामी अश्शूर के राजा ने जीविते परमेश्वर की निन्दा करने को भेजा है, और जो बातें तेरे परमेश्वर यहोवा ने सुनी हैं उसके लिये उन्हें दपटे; अतः तू इन बचे हुओं के लिये जो रह गए हैं, प्रार्थना कर।’”
ויבאו עבדי המלך חזקיהו--אל ישעיהו | 5 |
५जब हिजकिय्याह राजा के कर्मचारी यशायाह के पास आए।
ויאמר אליהם ישעיהו כה תאמרון אל אדניכם כה אמר יהוה אל תירא מפני הדברים אשר שמעת אשר גדפו נערי מלך אשור אותי | 6 |
६तब यशायाह ने उनसे कहा, “अपने स्वामी से कहो, ‘यहोवा यह कहता है कि जो वचन तूने सुने हैं जिनके द्वारा अश्शूर के राजा के जनों ने मेरी निन्दा की है, उनके कारण मत डर।
הנני נותן בו רוח ושמע שמועה ושב אל ארצו והפלתיו בחרב בארצו | 7 |
७सुन, मैं उसके मन में प्रेरणा उत्पन्न करूँगा जिससे वह कुछ समाचार सुनकर अपने देश को लौट जाए; और मैं उसको उसी देश में तलवार से मरवा डालूँगा।’”
וישב רבשקה וימצא את מלך אשור נלחם על לבנה כי שמע כי נסע מלכיש | 8 |
८तब रबशाके ने लौटकर अश्शूर के राजा को लिब्ना नगर से युद्ध करते पाया; क्योंकि उसने सुना था कि वह लाकीश के पास से उठ गया है।
וישמע על תרהקה מלך כוש לאמר יצא להלחם אתך וישמע וישלח מלאכים אל חזקיהו לאמר | 9 |
९उसने कूश के राजा तिर्हाका के विषय यह सुना कि वह उससे लड़ने को निकला है। तब उसने हिजकिय्याह के पास दूतों को यह कहकर भेजा।
כה תאמרון אל חזקיהו מלך יהודה לאמר אל ישאך אלהיך אשר אתה בוטח בו לאמר לא תנתן ירושלם ביד מלך אשור | 10 |
१०“तुम यहूदा के राजा हिजकिय्याह से यह कहना, ‘तेरा परमेश्वर जिस पर तू भरोसा करता है, यह कहकर तुझे धोखा न देने पाए कि यरूशलेम अश्शूर के राजा के वश में न पड़ेगा।
הנה אתה שמעת אשר עשו מלכי אשור לכל הארצות--להחרימם ואתה תנצל | 11 |
११देख, तूने सुना है कि अश्शूर के राजाओं ने सब देशों से कैसा व्यवहार किया कि उन्हें सत्यानाश ही कर दिया।
ההצילו אותם אלהי הגוים אשר השחיתו אבותי את גוזן ואת חרן ורצף ובני עדן אשר בתלשר | 12 |
१२फिर क्या तू बच जाएगा? गोजान और हारान और रेसेप में रहनेवाली जिन जातियों को और तलस्सार में रहनेवाले एदेनी लोगों को मेरे पुरखाओं ने नाश किया, क्या उनके देवताओं ने उन्हें बचा लिया?
איה מלך חמת ומלך ארפד ומלך לעיר ספרוים הנע ועוה | 13 |
१३हमात का राजा, अर्पाद का राजा, सपर्वैम नगर का राजा, और हेना और इव्वा के राजा, ये सब कहाँ गए?’”
ויקח חזקיהו את הספרים מיד המלאכים ויקראהו ויעל בית יהוה ויפרשהו חזקיהו לפני יהוה | 14 |
१४इस पत्री को हिजकिय्याह ने दूतों के हाथ से लेकर पढ़ा; तब उसने यहोवा के भवन में जाकर उस पत्री को यहोवा के सामने फैला दिया।
ויתפלל חזקיהו אל יהוה לאמר | 15 |
१५और यहोवा से यह प्रार्थना की,
יהוה צבאות אלהי ישראל ישב הכרבים אתה הוא האלהים לבדך לכל ממלכות הארץ אתה עשית את השמים ואת הארץ | 16 |
१६“हे सेनाओं के यहोवा, हे करूबों पर विराजमान इस्राएल के परमेश्वर, पृथ्वी के सब राज्यों के ऊपर केवल तू ही परमेश्वर है; आकाश और पृथ्वी को तू ही ने बनाया है।
הטה יהוה אזנך ושמע פקח יהוה עינך וראה ושמע את כל דברי סנחריב אשר שלח לחרף אלהים חי | 17 |
१७हे यहोवा, कान लगाकर सुन; हे यहोवा आँख खोलकर देख; और सन्हेरीब के सब वचनों को सुन ले, जिसने जीविते परमेश्वर की निन्दा करने को लिख भेजा है।
אמנם יהוה החריבו מלכי אשור את כל הארצות--ואת ארצם | 18 |
१८हे यहोवा, सच तो है कि अश्शूर के राजाओं ने सब जातियों के देशों को उजाड़ा है
ונתן את אלהיהם באש כי לא אלהים המה כי אם מעשה ידי אדם עץ ואבן--ויאבדום | 19 |
१९और उनके देवताओं को आग में झोंका है; क्योंकि वे ईश्वर न थे, वे केवल मनुष्यों की कारीगरी, काठ और पत्थर ही थे; इस कारण वे उनको नाश कर सके।
ועתה יהוה אלהינו הושיענו מידו וידעו כל ממלכות הארץ כי אתה יהוה לבדך | 20 |
२०अब हे हमारे परमेश्वर यहोवा, तू हमें उसके हाथ से बचा जिससे पृथ्वी के राज्य-राज्य के लोग जान लें कि केवल तू ही यहोवा है।”
וישלח ישעיהו בן אמוץ אל חזקיהו לאמר כה אמר יהוה אלהי ישראל אשר התפללת אלי אל סנחריב מלך אשור | 21 |
२१तब आमोस के पुत्र यशायाह ने हिजकिय्याह के पास यह कहला भेजा, “इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यह कहता है, तूने जो अश्शूर के राजा सन्हेरीब के विषय में मुझसे प्रार्थना की है,
זה הדבר אשר דבר יהוה עליו בזה לך לעגה לך בתולת בת ציון--אחריך ראש הניעה בת ירושלם | 22 |
२२उसके विषय यहोवा ने यह वचन कहा है, ‘सिय्योन की कुँवारी कन्या तुझे तुच्छ जानती है और उपहास में उड़ाती है; यरूशलेम की पुत्री तुझ पर सिर हिलाती है।
את מי חרפת וגדפת ועל מי הרימותה קול ותשא מרום עיניך אל קדוש ישראל | 23 |
२३“‘तूने किसकी नामधराई और निन्दा की है? और तू जो बड़ा बोल बोला और घमण्ड किया है, वह किसके विरुद्ध किया है? इस्राएल के पवित्र के विरुद्ध!
ביד עבדיך חרפת אדני ותאמר ברב רכבי אני עליתי מרום הרים ירכתי לבנון ואכרת קומת ארזיו מבחר ברשיו ואבוא מרום קצו יער כרמלו | 24 |
२४अपने कर्मचारियों के द्वारा तूने प्रभु की निन्दा करके कहा है कि बहुत से रथ लेकर मैं पर्वतों की चोटियों पर वरन् लबानोन के बीच तक चढ़ आया हूँ; मैं उसके ऊँचे-ऊँचे देवदारों और अच्छे-अच्छे सनोवर वृक्षों को काट डालूँगा और उसके दूर-दूर के ऊँचे स्थानों में और उसके वन की फलदाई बारियों में प्रवेश करूँगा।
אני קרתי ושתיתי מים ואחרב בכף פעמי כל יארי מצור | 25 |
२५मैंने खुदवाकर पानी पिया और मिस्र की नहरों में पाँव धरते ही उन्हें सूखा दिया।
הלוא שמעת למרחוק אותה עשיתי מימי קדם ויצרתיה עתה הבאתיה--ותהי להשאות גלים נצים ערים בצרות | 26 |
२६क्या तूने नहीं सुना कि प्राचीनकाल से मैंने यही ठाना और पूर्वकाल से इसकी तैयारी की थी? इसलिए अब मैंने यह पूरा भी किया है कि तू गढ़वाले नगरों को खण्डहर ही खण्डहर कर दे।
וישביהן קצרי יד חתו ובשו היו עשב שדה וירק דשא חציר גגות ושדמה לפני קמה | 27 |
२७इसी कारण उनके रहनेवालों का बल घट गया और वे विस्मित और लज्जित हुए: वे मैदान के छोटे-छोटे पेड़ों और हरी घास और छत पर की घास और ऐसे अनाज के समान हो गए जो बढ़ने से पहले ही सूख जाता है।
ושבתך וצאתך ובואך ידעתי ואת התרגזך אלי | 28 |
२८“‘मैं तो तेरा बैठना, कूच करना और लौट आना जानता हूँ; और यह भी कि तू मुझ पर अपना क्रोध भड़काता है।
יען התרגזך אלי ושאננך עלה באזני--ושמתי חחי באפך ומתגי בשפתיך והשיבתיך בדרך אשר באת בה | 29 |
२९इस कारण कि तू मुझ पर अपना क्रोध भड़काता और तेरे अभिमान की बातें मेरे कानों में पड़ी हैं, मैं तेरी नाक में नकेल डालकर और तेरे मुँह में अपनी लगाम लगाकर जिस मार्ग से तू आया है उसी मार्ग से तुझे लौटा दूँगा।’
וזה לך האות--אכול השנה ספיח ובשנה השנית שחיס ובשנה השלישית זרעו וקצרו ונטעו כרמים--ואכול (ואכלו) פרים | 30 |
३०“और तेरे लिये यह चिन्ह होगा कि इस वर्ष तो तुम उसे खाओगे जो आप से आप उगें, और दूसरे वर्ष वह जो उससे उत्पन्न हो, और तीसरे वर्ष बीज बोकर उसे लवने पाओगे और दाख की बारियाँ लगाने और उनका फल खाने पाओगे।
ויספה פליטת בית יהודה הנשארה--שרש למטה ועשה פרי למעלה | 31 |
३१और यहूदा के घराने के बचे हुए लोग फिर जड़ पकड़ेंगे और फूलें-फलेंगे;
כי מירושלם תצא שארית ופליטה מהר ציון קנאת יהוה צבאות תעשה זאת | 32 |
३२क्योंकि यरूशलेम से बचे हुए और सिय्योन पर्वत से भागे हुए लोग निकलेंगे। सेनाओं का यहोवा अपनी जलन के कारण यह काम करेगा।
לכן כה אמר יהוה אל מלך אשור לא יבוא אל העיר הזאת ולא יורה שם חץ ולא יקדמנה מגן ולא ישפך עליה סללה | 33 |
३३“इसलिए यहोवा अश्शूर के राजा के विषय यह कहता है कि वह इस नगर में प्रवेश करने, वरन् इस पर एक तीर भी मारने न पाएगा; और न वह ढाल लेकर इसके सामने आने या इसके विरुद्ध दमदमा बाँधने पाएगा।
בדרך אשר בא בה ישוב ואל העיר הזאת לא יבוא נאם יהוה | 34 |
३४जिस मार्ग से वह आया है उसी से वह लौट भी जाएगा और इस नगर में प्रवेश न करने पाएगा, यहोवा की यही वाणी है।
וגנותי על העיר הזאת להושיעה--למעני ולמען דוד עבדי | 35 |
३५क्योंकि मैं अपने निमित्त और अपने दास दाऊद के निमित्त, इस नगर की रक्षा करके उसे बचाऊँगा।”
ויצא מלאך יהוה ויכה במחנה אשור מאה ושמנים וחמשה אלף וישכימו בבקר והנה כלם פגרים מתים | 36 |
३६तब यहोवा के दूत ने निकलकर अश्शूरियों की छावनी में एक लाख पचासी हजार पुरुषों को मारा; और भोर को जब लोग उठे तब क्या देखा कि शव ही शव पड़े हैं।
ויסע וילך וישב סנחריב מלך אשור וישב בנינוה | 37 |
३७तब अश्शूर का राजा सन्हेरीब चल दिया और लौटकर नीनवे में रहने लगा।
ויהי הוא משתחוה בית נסרך אלהיו ואדרמלך ושראצר בניו הכהו בחרב והמה נמלטו ארץ אררט וימלך אסר חדן בנו תחתיו | 38 |
३८वहाँ वह अपने देवता निस्रोक के मन्दिर में दण्डवत् कर रहा था कि इतने में उसके पुत्र अद्रम्मेलेक और शरेसेर ने उसको तलवार से मारा और अरारात देश में भाग गए। और उसका पुत्र एसर्हद्दोन उसके स्थान पर राज्य करने लगा।