< בראשית 37 >
וישב יעקב בארץ מגורי אביו--בארץ כנען | 1 |
और या'क़ूब मुल्क — ए — कना'न में रहता था, जहाँ उसका बाप मुसाफ़िर की तरह रहा था।
אלה תלדות יעקב יוסף בן שבע עשרה שנה היה רעה את אחיו בצאן והוא נער את בני בלהה ואת בני זלפה נשי אביו ויבא יוסף את דבתם רעה אל אביהם | 2 |
या'क़ूब की नसल का हाल यह है: कि यूसुफ़ सत्रह साल की उम्र में अपने भाइयों के साथ भेड़ — बकरियाँ चराया करता था। यह लड़का अपने बाप की बीवियों, बिल्हाह और ज़िल्फ़ा के बेटों के साथ रहता था और वह उनके बुरे कामों की ख़बर बाप तक पहुँचा देता था।
וישראל אהב את יוסף מכל בניו--כי בן זקנים הוא לו ועשה לו כתנת פסים | 3 |
और इस्राईल यूसुफ़ को अपने सब बेटों से ज़्यादा प्यार करता था क्यूँकि वह उसके बुढ़ापे का बेटा था, और उसने उसे एक बूक़लमून क़बा भी बनवा दी।
ויראו אחיו כי אתו אהב אביהם מכל אחיו--וישנאו אתו ולא יכלו דברו לשלם | 4 |
और उसके भाइयों ने देखा कि उनका बाप उसके सब भाइयों से ज़्यादा उसी को प्यार करता है, इसलिए वह उससे अदावत रखने लगे और ठीक तौर से बात भी नहीं करते थे।
ויחלם יוסף חלום ויגד לאחיו ויוספו עוד שנא אתו | 5 |
और यूसुफ़ ने एक ख़्वाब देखा जिसे उसने अपने भाइयों को बताया, तो वह उससे और भी अदावत रखने लगे।
ויאמר אליהם שמעו נא החלום הזה אשר חלמתי | 6 |
और उसने उनसे कहा, “ज़रा वह ख़्वाब तो सुनो, जो मैंने देखा है:
והנה אנחנו מאלמים אלמים בתוך השדה והנה קמה אלמתי וגם נצבה והנה תסבינה אלמתיכם ותשתחוין לאלמתי | 7 |
हम खेत में पूले बांधते थे और क्या देखता हूँ कि मेरा पूला उठा और सीधा खड़ा हो गया, और तुम्हारे पूलों ने मेरे पूले को चारों तरफ़ से घेर लिया और उसे सिज्दा किया।”
ויאמרו לו אחיו המלך תמלך עלינו אם משול תמשל בנו ויוספו עוד שנא אתו על חלמתיו ועל דבריו | 8 |
तब उसके भाइयों ने उससे कहा, कि क्या तू सचमुच हम पर सल्तनत करेगा या हम पर तेरा तसल्लुत होगा? और उन्होंने उसके ख़्वाबों और उसकी बातों की वजह से उससे और भी ज़्यादा अदावत रख्खा।
ויחלם עוד חלום אחר ויספר אתו לאחיו ויאמר הנה חלמתי חלום עוד והנה השמש והירח ואחד עשר כוכבים משתחוים לי | 9 |
फिर उसने दूसरा ख़्वाब देखा और अपने भाइयों को बताया। उसने कहा, “देखो! मुझे एक और ख़्वाब दिखाई दिया है, कि सूरज और चाँद और ग्यारह सितारों ने मुझे सिज्दा किया।”
ויספר אל אביו ואל אחיו ויגער בו אביו ויאמר לו מה החלום הזה אשר חלמת הבוא נבוא אני ואמך ואחיך להשתחות לך ארצה | 10 |
और उसने इसे अपने बाप और भाइयों दोनों को बताया; तब उसके बाप ने उसे डाँटा और कहा कि यह ख़्वाब क्या है जो तूने देखा है? क्या मैं और तेरी माँ और तेरे भाई सचमुच तेरे आगे ज़मीन पर झुक कर तुझे सिज्दा करेंगे?
ויקנאו בו אחיו ואביו שמר את הדבר | 11 |
और उसके भाइयों को उससे हसद हो गया, लेकिन उसके बाप ने यह बात याद रख्खी।
וילכו אחיו לרעות את צאן אביהם בשכם | 12 |
और उसके भाई अपने बाप की भेड़ — बकरियाँ चराने सिकम को गए।
ויאמר ישראל אל יוסף הלוא אחיך רעים בשכם--לכה ואשלחך אליהם ויאמר לו הנני | 13 |
तब इस्राईल ने यूसुफ़ से कहा, “तेरे भाई सिकम में भेड़ — बकरियों को चरा रहे होंगे, इसलिए आ कि मैं तुझे उनके पास भेज़ें।” उसने उसे कहा, “मैं तैयार हूँ।”
ויאמר לו לך נא ראה את שלום אחיך ואת שלום הצאן והשבני דבר וישלחהו מעמק חברון ויבא שכמה | 14 |
तब उसने कहा, “तू जा कर देख कि तेरे भाइयों का और भेड़ — बकरियों का क्या हाल है, और आकर मुझे ख़बर दे।” तब उसने उसे हबरून की वादी से भेजा और वह सिकम में आया।
וימצאהו איש והנה תעה בשדה וישאלהו האיש לאמר מה תבקש | 15 |
और एक शख़्स ने उसे मैदान में इधर — उधर आवारा फिरते पाया; यह देख कर उस शख़्स ने उससे पूछा, “तू क्या ढूंडता है?”
ויאמר את אחי אנכי מבקש הגידה נא לי איפה הם רעים | 16 |
उसने कहा, “मैं अपने भाइयों को ढूंडता हूँ। ज़रा मुझे बता दे कि वह भेड़ बकरियों को कहाँ चरा रहे हैं?”
ויאמר האיש נסעו מזה--כי שמעתי אמרים נלכה דתינה וילך יוסף אחר אחיו וימצאם בדתן | 17 |
उस शख़्स ने कहा, “वह यहाँ से चले गए, क्यूँकि मैंने उनको यह कहते सुना, 'चलो, हम दूतैन को जाएँ।” चुनाँचे यूसुफ़ अपने भाइयों की तलाश में चला और उनको दूतैन में पाया।
ויראו אתו מרחק ובטרם יקרב אליהם ויתנכלו אתו להמיתו | 18 |
और जूँ ही उन्होंने उसे दूर से देखा, इससे पहले कि वह नज़दीक पहुँचे, उसके क़त्ल का मन्सूबा बाँधा।
ויאמרו איש אל אחיו הנה בעל החלמות הלזה--בא | 19 |
और आपस में कहने लगे, “देखो! ख़्वाबों का देखने वाला आ रहा है।
ועתה לכו ונהרגהו ונשלכהו באחד הברות ואמרנו חיה רעה אכלתהו ונראה מה יהיו חלמתיו | 20 |
आओ, अब हम उसे मार डालें और किसी गढ़े में डाल दें और यह कह देंगे कि कोई बुरा दरिन्दा उसे खा गया; फिर देखेंगे कि उसके ख़्वाबों का अन्जाम क्या होता है।”
וישמע ראובן ויצלהו מידם ויאמר לא נכנו נפש | 21 |
तब, रूबिन ने यह सुन कर उसे उनके हाथों से बचाया और कहा, “हम उसकी जान न लें।”
ויאמר אלהם ראובן אל תשפכו דם--השליכו אתו אל הבור הזה אשר במדבר ויד אל תשלחו בו למען הציל אתו מידם להשיבו אל אביו | 22 |
और रूबिन ने उनसे यह भी कहा कि ख़ून न बहाओ बल्कि उसे इस गढ़े में जो वीराने में है डाल दो, लेकिन उस पर हाथ न उठाओ। वह चाहता था कि उसे उनके हाथ से बचा कर उसके बाप के पास सलामत पहुँचा दे।
ויהי כאשר בא יוסף אל אחיו ויפשיטו את יוסף את כתנתו את כתנת הפסים אשר עליו | 23 |
और यूँ हुआ कि जब यूसुफ़ अपने भाइयों के पास पहुँचा, तो उन्होंने उसकी बू क़लमून क़बा की जो वह पहने था उतार लिया;
ויקחהו--וישלכו אתו הברה והבור רק אין בו מים | 24 |
और उसे उठा कर गढ़े में डाल दिया। वह गढ़ा सूखा था, उसमें ज़रा भी पानी न था।
וישבו לאכל לחם וישאו עיניהם ויראו והנה ארחת ישמעאלים באה מגלעד וגמליהם נשאים נכאת וצרי ולט--הולכים להוריד מצרימה | 25 |
और वह खाना खाने बैठे और ऑखें उठाई तो देखा कि इस्माईलियों का एक काफ़िला जिल'आद से आ रहा है, और गर्म मसाल्हे और रौग़न बलसान और मुर्र ऊँटों पर लादे हुए मिस्र को लिए जा रहा है।
ויאמר יהודה אל אחיו מה בצע כי נהרג את אחינו וכסינו את דמו | 26 |
तब यहूदाह ने अपने भाइयों से कहा किअगर हम अपने भाई को मार डालें और उसका खू़न छिपाएँ तो क्या नफ़ा' होगा?
לכו ונמכרנו לישמעאלים וידנו אל תהי בו כי אחינו בשרנו הוא וישמעו אחיו | 27 |
आओ, उसे इस्माईलियों के हाथ बेच डालें कि हमारे हाथ उस पर न उठे क्यूँकि वह हमारा भाई और हमारा खू़न है। उसके भाइयों ने उसकी बात मान ली।
ויעברו אנשים מדינים סחרים וימשכו ויעלו את יוסף מן הבור וימכרו את יוסף לישמעאלים בעשרים כסף ויביאו את יוסף מצרימה | 28 |
फिर वह मिदिया'नी सौदागर उधर से गुज़रे, तब उन्होंने यूसुफ़ को खींच कर गढ़े से बाहर निकाला और उसे इस्माईलियों के हाथ बीस रुपये को बेच डाला और वह यूसुफ़ को मिस्र में ले गए।
וישב ראובן אל הבור והנה אין יוסף בבור ויקרע את בגדיו | 29 |
जब रूबिन गढ़े पर लौट कर आया और देखा कि यूसुफ़ उसमें नहीं है तो अपना लिबास चाक किया।
וישב אל אחיו ויאמר הילד איננו ואני אנה אני בא | 30 |
और अपने भाइयों के पास उल्टा फिरा और कहने लगा, कि लड़का तो वहाँ नहीं है, अब मैं कहाँ जाऊँ?
ויקחו את כתנת יוסף וישחטו שעיר עזים ויטבלו את הכתנת בדם | 31 |
फिर उन्होंने यूसुफ़ की क़बा लेकर और एक बकरा ज़बह करके उसे उसके खू़न में तर किया।
וישלחו את כתנת הפסים ויביאו אל אביהם ויאמרו זאת מצאנו הכר נא הכתנת בנך הוא--אם לא | 32 |
और उन्होंने उस बूक़लमून क़बा को भिजवा दिया। फिर वह उसे उनके बाप के पास ले आए और कहा, “हम को यह चीज़ पड़ी मिली; अब तू पहचान कि यह तेरे बेटे की क़बा है या नहीं?”
ויכירה ויאמר כתנת בני חיה רעה אכלתהו טרף טרף יוסף | 33 |
और उसने उसे पहचान लिया और कहा, “यह तो मेरे बेटे की क़बा है। कोई बुरा दरिन्दा उसे खा गया है, यूसुफ़ बेशक फाड़ा गया।”
ויקרע יעקב שמלתיו וישם שק במתניו ויתאבל על בנו ימים רבים | 34 |
तब या'क़ूब ने अपना लिबास चाक किया और टाट अपनी कमर से लपेटा, और बहुत दिनों तक अपने बेटे के लिए मातम करता रहा।
ויקמו כל בניו וכל בנתיו לנחמו וימאן להתנחם ויאמר כי ארד אל בני אבל שאלה ויבך אתו אביו (Sheol ) | 35 |
और उसके सब बेटे बेटियाँ उसे तसल्ली देने जाते थे, लेकिन उसे तसल्ली न होती थी। वह यही कहता रहा, कि मैं तो मातम ही करता हुआ क़ब्र में अपने बेटे से जा मिलूँगा। इसलिए उसका बाप उसके लिए रोता रहा। (Sheol )
והמדנים--מכרו אתו אל מצרים לפוטיפר סריס פרעה שר הטבחים | 36 |
और मिदियानियों ने उसे मिस्र में फूतीफ़ार के हाथ जो फ़िर'औन का एक हाकिम और जिलौदारों का सरदार था बेचा।