< בראשית 28 >

ויקרא יצחק אל יעקב ויברך אתו ויצוהו ויאמר לו לא תקח אשה מבנות כנען 1
इसलिये यित्सहाक ने याकोब को आशीष दी और कहा: “कनानी कन्याओं से शादी मत करना.
קום לך פדנה ארם ביתה בתואל אבי אמך וקח לך משם אשה מבנות לבן אחי אמך 2
पर पद्दन-अराम में अपने नाना बेथुएल के यहां चले जाओ. और वहां अपने मामा लाबान की पुत्रियों में से किसी से विवाह कर लेना.
ואל שדי יברך אתך ויפרך וירבך והיית לקהל עמים 3
सर्वशक्तिमान परमेश्वर की दया तुम पर बनी रहे तथा सुख और शांति से आगे बढ़ो.
ויתן לך את ברכת אברהם לך ולזרעך אתך--לרשתך את ארץ מגריך אשר נתן אלהים לאברהם 4
परमेश्वर तुम्हें वे आशीषें दें, जिन्हें उन्होंने अब्राहाम को दी थी, तुम्हें और तुम्हारे वंश को, उस देश का अधिकारी बनाये.”
וישלח יצחק את יעקב וילך פדנה ארם--אל לבן בן בתואל הארמי אחי רבקה אם יעקב ועשו 5
इन सब आशीषित वचन के साथ यित्सहाक ने याकोब को विदा किया. याकोब अपनी और एसाव की माता रेबेकाह के भाई अरामवासी लाबान के यहां चले गए, जो पद्दन-अराम के बेथुएल के पुत्र थे.
וירא עשו כי ברך יצחק את יעקב ושלח אתו פדנה ארם לקחת לו משם אשה בברכו אתו--ויצו עליו לאמר לא תקח אשה מבנות כנען 6
एसाव को मालूम हो गया था कि यित्सहाक ने याकोब को आशीष देकर पद्दन-अराम में भेजा है ताकि वह अपने लिए पत्नी चुने, और आदेश भी दिया है कि वह कनानी स्त्री से विवाह न करे,
וישמע יעקב אל אביו ואל אמו וילך פדנה ארם 7
और याकोब अपने पिता एवं माता की बात को मानते हुए पद्दन-अराम में चले गये.
וירא עשו כי רעות בנות כנען בעיני יצחק אביו 8
तब एसाव को यह समझ में आ गया, कि उसके पिता को कनान देश की कन्याएं पसंद नहीं हैं.
וילך עשו אל ישמעאל ויקח את מחלת בת ישמעאל בן אברהם אחות נביות על נשיו--לו לאשה 9
इसलिये एसाव ने अपनी पत्नियों के अलावा अब्राहाम के पुत्र इशमाएल की पुत्री माहालाथ से, जो नेबाइयोथ की बहन थी, विवाह कर लिया.
ויצא יעקב מבאר שבע וילך חרנה 10
याकोब बेअरशेबा से हारान की ओर गए.
ויפגע במקום וילן שם כי בא השמש ויקח מאבני המקום וישם מראשתיו וישכב במקום ההוא 11
जब वह एक जगह पहुंचा तब रात को उन्हें वहां रुकना पड़ा, क्योंकि तब तक सूरज ढल चुका था. उन्होंने एक पत्थर अपने सिर के नीचे रखा और लेट गए.
ויחלם והנה סלם מצב ארצה וראשו מגיע השמימה והנה מלאכי אלהים עלים וירדים בו 12
तब उन्होंने एक स्वप्न देखा: एक सीढ़ी पृथ्वी पर खड़ी है, उसका दूसरा सिरा स्वर्ग तक पहुंचा हुआ था. उन्होंने देखा कि परमेश्वर के स्वर्गदूत इस पर चढ़ रहे और उतर रहे हैं.
והנה יהוה נצב עליו ויאמר אני יהוה אלהי אברהם אביך ואלהי יצחק הארץ אשר אתה שכב עליה--לך אתננה ולזרעך 13
उन्होंने देखा कि ऊपर याहवेह खड़े हैं, और कह रहे हैं, “मैं ही याहवेह हूं, तुम्हारे पिता अब्राहाम तथा यित्सहाक का परमेश्वर. जिस भूमि पर तुम इस समय लेटे हुए हो, मैं वह भूमि तुम्हें तथा तुम्हारे वंश को दूंगा.
והיה זרעך כעפר הארץ ופרצת ימה וקדמה וצפנה ונגבה ונברכו בך כל משפחת האדמה ובזרעך 14
तुम्हारा वंश भूमि की धूल के समान आशीषित होकर पृथ्वी के चारों दिशाओं में फैल जायेगा. पृथ्वी पर सभी लोग तुम्हारे और तुम्हारे वंश के द्वारा आशीषित होंगे.
והנה אנכי עמך ושמרתיך בכל אשר תלך והשבתיך אל האדמה הזאת כי לא אעזבך עד אשר אם עשיתי את אשר דברתי לך 15
मैं तुम्हारे साथ रहूंगा और जहां कहीं तुम जाओगे, मैं तुम्हारी रक्षा करूंगा. और तुम्हें इसी देश में लौटा ले आऊंगा. जब तक मैं अपनी बात पूरी न कर लूं तब तक तुम्हें न छोडूंगा.”
וייקץ יעקב משנתו ויאמר אכן יש יהוה במקום הזה ואנכי לא ידעתי 16
अचानक याकोब की नींद खुल गई और कहा, “निश्चय इस स्थान पर याहवेह की उपस्थिति है और मुझे यह मालूम ही न था.”
ויירא ויאמר מה נורא המקום הזה אין זה כי אם בית אלהים וזה שער השמים 17
याकोब भयभीत होकर कहने लगे, “अनोखा है यह स्थान! यह परमेश्वर के भवन के अलावा कुछ और नहीं हो सकता; ज़रूर यह स्वर्ग का द्वार ही होगा.”
וישכם יעקב בבקר ויקח את האבן אשר שם מראשתיו וישם אתה מצבה ויצק שמן על ראשה 18
याकोब ने उस पत्थर को, जिसे उसने अपने सिर के नीचे रखा था, एक स्तंभ के जैसे खड़ा कर उस पर तेल डाला,
ויקרא את שם המקום ההוא בית אל ואולם לוז שם העיר לראשנה 19
याकोब ने उस स्थान का नाम बेथेल रखा; जबकि उस स्थान का नाम लूज़ था.
וידר יעקב נדר לאמר אם יהיה אלהים עמדי ושמרני בדרך הזה אשר אנכי הולך ונתן לי לחם לאכל ובגד ללבש 20
फिर याकोब ने प्रण लिया, “यदि परमेश्वर की उपस्थिति मेरे साथ साथ बनी रहेगी, और मुझे सुरक्षित रखेंगे, मुझे भोजन एवं वस्त्रों की कमी नहीं होगी
ושבתי בשלום אל בית אבי והיה יהוה לי לאלהים 21
और मुझे मेरे पिता के घर तक सुरक्षित पहुंचा देंगे, तो याहवेह ही मेरे परमेश्वर होंगे.
והאבן הזאת אשר שמתי מצבה--יהיה בית אלהים וכל אשר תתן לי עשר אעשרנו לך 22
यह पत्थर, जिसे मैंने स्तंभ बनाकर खड़ा किया है, परमेश्वर का भवन होगा तथा आप मुझे जो कुछ देंगे, निश्चयतः मैं उसका दशमांश आपको ही समर्पित करूंगा.”

< בראשית 28 >