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בראשית ברא אלהים את השמים ואת הארץ | 1 |
ख़ुदा ने सबसे पहले ज़मीन — ओ — आसमान को पैदा किया।
והארץ היתה תהו ובהו וחשך על פני תהום ורוח אלהים מרחפת על פני המים | 2 |
और ज़मीन वीरान और सुनसान थी और गहराओ के ऊपर अँधेरा था: और ख़ुदा की रूह पानी की सतह पर जुम्बिश करती थी।
ויאמר אלהים יהי אור ויהי אור | 3 |
और ख़ुदा ने कहा कि रोशनी हो जा, और रोशनी हो गई।
וירא אלהים את האור כי טוב ויבדל אלהים בין האור ובין החשך | 4 |
और ख़ुदा ने देखा कि रोशनी अच्छी है, और ख़ुदा ने रोशनी को अँधेरे से जुदा किया।
ויקרא אלהים לאור יום ולחשך קרא לילה ויהי ערב ויהי בקר יום אחד | 5 |
और ख़ुदा ने रोशनी को तो दिन कहा और अँधेरे को रात। और शाम हुई और सुबह हुई तब पहला दिन हुआ।
ויאמר אלהים יהי רקיע בתוך המים ויהי מבדיל בין מים למים | 6 |
और ख़ुदा ने कहा कि पानियों के बीच फ़ज़ा हो ताकि पानी, पानी से जुदा हो जाए।
ויעש אלהים את הרקיע ויבדל בין המים אשר מתחת לרקיע ובין המים אשר מעל לרקיע ויהי כן | 7 |
फिर ख़ुदा ने फ़ज़ा को बनाया और फ़ज़ा के नीचे के पानी को फ़ज़ा के ऊपर के पानी से जुदा किया; और ऐसा ही हुआ।
ויקרא אלהים לרקיע שמים ויהי ערב ויהי בקר יום שני | 8 |
और ख़ुदा ने फ़ज़ा को आसमान कहा। और शाम हुई और सुबह हुई — तब दूसरा दिन हुआ।
ויאמר אלהים יקוו המים מתחת השמים אל מקום אחד ותראה היבשה ויהי כן | 9 |
और ख़ुदा ने कहा कि आसमान के नीचे का पानी एक जगह जमा हो कि ख़ुश्की नज़र आए, और ऐसा ही हुआ।
ויקרא אלהים ליבשה ארץ ולמקוה המים קרא ימים וירא אלהים כי טוב | 10 |
और ख़ुदा ने ख़ुश्की को ज़मीन कहा और जो पानी जमा हो गया था उसको समुन्दर; और ख़ुदा ने देखा कि अच्छा है।
ויאמר אלהים תדשא הארץ דשא עשב מזריע זרע עץ פרי עשה פרי למינו אשר זרעו בו על הארץ ויהי כן | 11 |
और ख़ुदा ने कहा कि ज़मीन घास और बीजदार बूटियों को, और फलदार दरख़्तों को जो अपनी — अपनी क़िस्म के मुताबिक़ फलें और जो ज़मीन पर अपने आप ही में बीज रख्खें उगाए और ऐसा ही हुआ।
ותוצא הארץ דשא עשב מזריע זרע למינהו ועץ עשה פרי אשר זרעו בו למינהו וירא אלהים כי טוב | 12 |
तब ज़मीन ने घास, और बूटियों को, जो अपनी — अपनी क़िस्म के मुताबिक़ बीज रख्खें और फलदार दरख़्तों को जिनके बीज उन की क़िस्म के मुताबिक़ उनमें हैं उगाया; और ख़ुदा ने देखा कि अच्छा है।
ויהי ערב ויהי בקר יום שלישי | 13 |
और शाम हुई और सुबह हुई — तब तीसरा दिन हुआ।
ויאמר אלהים יהי מארת ברקיע השמים להבדיל בין היום ובין הלילה והיו לאתת ולמועדים ולימים ושנים | 14 |
और ख़ुदा ने कहा कि फ़लक पर सितारे हों कि दिन को रात से अलग करें; और वह निशान और ज़मानो और दिनों और बरसों के फ़र्क़ के लिए हों।
והיו למאורת ברקיע השמים להאיר על הארץ ויהי כן | 15 |
और वह फ़लक पर रोशनी के लिए हों कि ज़मीन पर रोशनी डालें, और ऐसा ही हुआ।
ויעש אלהים את שני המארת הגדלים את המאור הגדל לממשלת היום ואת המאור הקטן לממשלת הלילה ואת הכוכבים | 16 |
फिर ख़ुदा ने दो बड़े चमकदार सितारे बनाए; एक बड़ा चमकदार सितारा, कि दिन पर हुक्म करे और एक छोटा चमकदार सितारा कि रात पर हुक्म करे और उसने सितारों को भी बनाया।
ויתן אתם אלהים ברקיע השמים להאיר על הארץ | 17 |
और ख़ुदा ने उनको फ़लक पर रख्खा कि ज़मीन पर रोशनी डालें,
ולמשל ביום ובלילה ולהבדיל בין האור ובין החשך וירא אלהים כי טוב | 18 |
और दिन पर और रात पर हुक्म करें, और उजाले को अन्धेरे से जुदा करें; और ख़ुदा ने देखा कि अच्छा है।
ויהי ערב ויהי בקר יום רביעי | 19 |
और शाम हुई और सुबह हुई — तब चौथा दिन हुआ।
ויאמר אלהים--ישרצו המים שרץ נפש חיה ועוף יעופף על הארץ על פני רקיע השמים | 20 |
और ख़ुदा ने कहा कि पानी जानदारों को कसरत से पैदा करे, और परिन्दे ज़मीन के ऊपर फ़ज़ा में उड़ें।
ויברא אלהים את התנינם הגדלים ואת כל נפש החיה הרמשת אשר שרצו המים למינהם ואת כל עוף כנף למינהו וירא אלהים כי טוב | 21 |
और ख़ुदा ने बड़े बड़े दरियाई जानवरों को, और हर क़िस्म के जानदार को जो पानी से बकसरत पैदा हुए थे, उनकी क़िस्म के मुताबिक़ और हर क़िस्म के परिन्दों को उनकी क़िस्म के मुताबिक़, पैदा किया; और ख़ुदा ने देखा कि अच्छा है।
ויברך אתם אלהים לאמר פרו ורבו ומלאו את המים בימים והעוף ירב בארץ | 22 |
और ख़ुदा ने उनको यह कह कर बरकत दी कि फलो और बढ़ो और इन समुन्दरों के पानी को भर दो, और परिन्दे ज़मीन पर बहुत बढ़ जाएँ।
ויהי ערב ויהי בקר יום חמישי | 23 |
और शाम हुई और सुबह हुई — तब पाँचवाँ दिन हुआ।
ויאמר אלהים תוצא הארץ נפש חיה למינה בהמה ורמש וחיתו ארץ למינה ויהי כן | 24 |
और ख़ुदा ने कहा कि ज़मीन जानदारों को, उनकी क़िस्म के मुताबिक़, चौपाये और रेंगनेवाले जानदार और जंगली जानवर उनकी क़िस्म के मुताबिक़ पैदा करे, और ऐसा ही हुआ।
ויעש אלהים את חית הארץ למינה ואת הבהמה למינה ואת כל רמש האדמה למינהו וירא אלהים כי טוב | 25 |
और ख़ुदा ने जंगली जानवरों और चौपायों को उनकी क़िस्म के मुताबिक़ और ज़मीन के रेंगने वाले जानदारों को उनकी क़िस्म के मुताबिक़ बनाया; और ख़ुदा ने देखा कि अच्छा है।
ויאמר אלהים נעשה אדם בצלמנו כדמותנו וירדו בדגת הים ובעוף השמים ובבהמה ובכל הארץ ובכל הרמש הרמש על הארץ | 26 |
फिर ख़ुदा ने कहा कि हम इंसान को अपनी सूरत पर अपनी शबीह की तरह बनाएँ और वह समुन्दर की मछलियों और आसमान के परिन्दों और चौपायों, और तमाम ज़मीन और सब जानदारों पर जो ज़मीन पर रेंगते हैं इख़्तियार रख्खें।
ויברא אלהים את האדם בצלמו בצלם אלהים ברא אתו זכר ונקבה ברא אתם | 27 |
और ख़ुदा ने इंसान को अपनी सूरत पर पैदा किया ख़ुदा की सूरत पर उसको पैदा किया — नर — ओ — नारी उनको पैदा किया।
ויברך אתם אלהים ויאמר להם אלהים פרו ורבו ומלאו את הארץ וכבשה ורדו בדגת הים ובעוף השמים ובכל חיה הרמשת על הארץ | 28 |
और ख़ुदा ने उनको बरकत दी और कहा कि फलो और बढ़ो और ज़मीन को भर दो और हुकूमत करो और समुन्दर की मछलियों और हवा के परिन्दों और कुल जानवरों पर जो ज़मीन पर चलते हैं इख़ितयार रख्खो।
ויאמר אלהים הנה נתתי לכם את כל עשב זרע זרע אשר על פני כל הארץ ואת כל העץ אשר בו פרי עץ זרע זרע לכם יהיה לאכלה | 29 |
और ख़ुदा ने कहा कि देखो, मैं तमाम रू — ए — ज़मीन की कुल बीजदार सब्ज़ी और हर दरख़्त जिसमें उसका बीजदार फल हो, तुम को देता हूँ; यह तुम्हारे खाने को हों।
ולכל חית הארץ ולכל עוף השמים ולכל רומש על הארץ אשר בו נפש חיה את כל ירק עשב לאכלה ויהי כן | 30 |
और ज़मीन के कुल जानवरों के लिए, और हवा के कुल परिन्दों के लिए और उन सब के लिए जो ज़मीन पर रेंगने वाले हैं जिनमें ज़िन्दगी का दम है, कुल हरी बूटियाँ खाने को देता हूँ, और ऐसा ही हुआ।
וירא אלהים את כל אשר עשה והנה טוב מאד ויהי ערב ויהי בקר יום הששי | 31 |
और ख़ुदा ने सब पर जो उसने बनाया था नज़र की, और देखा कि बहुत अच्छा है, और शाम हुई और सुबह हुई तब छठा दिन हुआ।