< יחזקאל 4 >

ואתה בן אדם קח לך לבנה ונתתה אותה לפניך וחקות עליה עיר את ירושלם 1
और ऐ आदमज़ाद, तू एक खपरा ले और अपने सामने रख कर उस पर एक शहर, हाँ, येरूशलेम ही की तस्वीर खींच।
ונתתה עליה מצור ובנית עליה דיק ושפכת עליה סללה ונתתה עליה מחנות ושים עליה כרים סביב 2
और उसका घेराव कर, और उसके सामने बुर्ज बना, और उसके सामने दमदमा बाँध और उसके चारों तरफ़ ख़ेमें खड़े कर और उसके चारों तरफ़ मन्जनीक लगा।
ואתה קח לך מחבת ברזל ונתתה אותה קיר ברזל בינך ובין העיר והכינתה את פניך אליה והיתה במצור וצרת עליה--אות היא לבית ישראל 3
फिर तू लोहे का एक तवा ले, और अपने और शहर के बीच उसे नस्ब कर कि वह लोहे की दीवार ठहरे और तू अपना मुँह उसके सामने कर और वह घेराव की हालत में हो, और तू उसको घेरने वाला होगा; यह बनी इस्राईल के लिए निशान है।
ואתה שכב על צדך השמאלי ושמת את עון בית ישראל עליו מספר הימים אשר תשכב עליו תשא את עונם 4
फिर तू अपनी ईं करवट पर लेट रह और बनी — इस्राईल की बदकिरदारी इस पर रख दे; जितने दिनों तक तू लेटा रहेगा, तू उनकी बदकिरदारी बर्दाश्त करेगा।
ואני נתתי לך את שני עונם למספר ימים שלש מאות ותשעים יום ונשאת עון בית ישראל 5
और मैंने उनकी बदकिरदारी के बरसों को उन दिनों के शुमार के मुताबिक़ जो तीन — सौ — नब्बे दिन हैं तुझ पर रख्खा है, इसलिए तू बनी — इस्राईल की बदकिरदारी बर्दाश्त करेगा।
וכלית את אלה ושכבת על צדך הימיני (הימני) שנית ונשאת את עון בית יהודה--ארבעים יום יום לשנה יום לשנה נתתיו לך 6
और जब तू इनको पूरा कर चुके तो फिर अपनी दहनी करवट पर लेट रह, और चालीस दिन तक बनी यहूदाह की बदकिरदारी को बर्दाश्त कर; मैंने तेरे लिए एक एक साल के बदले एक एक दिन मुक़र्रर किया है।
ואל מצור ירושלם תכין פניך וזרעך חשופה ונבאת עליה 7
फिर तू येरूशलेम के घेराव की तरफ़ मुँह कर और अपना बाज़ू नंगा कर और उसके ख़िलाफ़ नबुव्वत कर।
והנה נתתי עליך עבותים ולא תהפך מצדך אל צדך עד כלותך ימי מצורך 8
और देख, मैं तुझ पर बन्धन डालूँगा कि तू करवट न ले सके, जब तक अपने घेराव के दिनों को पूरा न कर ले।
ואתה קח לך חטין ושערים ופול ועדשים ודחן וכסמים ונתתה אותם בכלי אחד ועשית אותם לך ללחם מספר הימים אשר אתה שוכב על צדך שלש מאות ותשעים יום--תאכלנו 9
और तू अपने लिए गेहूँ और जौ और बाक़ला और मसूर और चना और बाजरा ले, और उनको एक ही बर्तन में रख, और उनकी इतनी रोटियाँ पका जितने दिनों तक तू पहली करवट पर लेटा रहेगा; तू तीन सौ नब्बे दिन तक उनको खाना।
ומאכלך אשר תאכלנו--במשקול עשרים שקל ליום מעת עד עת תאכלנו 10
और तेरा खाना वज़न करके बीस मिस्काल “रोज़ाना होगा जो तू खाएगा, तू थोड़ा — थोड़ा खाना।
ומים במשורה תשתה ששית ההין מעת עד עת תשתה 11
तू पानी भी नाप कर एक हीन का छटा हिस्सा पिएगा, तू थोड़ा — थोड़ा पीना।
ועגת שערים תאכלנה והיא בגללי צאת האדם--תעגנה לעיניהם 12
और तू जौ के फुल्के खाना, और तू उनकी आँखों के सामने इंसान की नजासत से उनको पकाना।”
ויאמר יהוה ככה יאכלו בני ישראל את לחמם טמא בגוים אשר אדיחם שם 13
और ख़ुदावन्द ने फ़रमाया, कि “इसी तरह से बनी — इस्राईल अपनी नापाक रोटियों को उन क़ौमों के बीच जिनमें मैं उनको आवारा करूँगा, खाया करेंगे।”
ואמר אהה אדני יהוה הנה נפשי לא מטמאה ונבלה וטרפה לא אכלתי מנעורי ועד עתה ולא בא בפי בשר פגול 14
तब मैंने कहा, कि “हाय, ख़ुदावन्द ख़ुदा! देख, मेरी जान कभी नापाक नहीं हुई; और अपनी जवानी से अब तक कोई मुरदार चीज़ जो आप ही मर जाए या किसी जानवर से फाड़ी जाए, मैंने हरगिज़ नहीं खाई, और हराम गोश्त मेरे मुँह में कभी नहीं गया।”
ויאמר אלי--ראה נתתי לך את צפועי (צפיעי) הבקר תחת גללי האדם ועשית את לחמך עליהם 15
तब उसने मुझे फ़रमाया, देख, मैं इंसान की नजासत के बदले तुझे गोबर देता हूँ, इसलिए तू अपनी रोटी उससे पकाना।
ויאמר אלי בן אדם הנני שבר מטה לחם בירושלם ואכלו לחם במשקל ובדאגה ומים במשורה ובשממון ישתו 16
उसने मुझे फ़रमाया, कि ऐ आदमज़ाद, देख, मैं येरूशलेम में रोटी का 'असा तोड़ डालूँगा; और वह रोटी तौल कर फ़िक्रमन्दी से खाएँगे, और पानी नाप कर हैरत से पिएँगे।
למען יחסרו לחם ומים ונשמו איש ואחיו ונמקו בעונם 17
ताकि वह रोटी पानी के मोहताज हों, और एक साथ शर्मिन्दा हों और अपनी बदकिरदारी में हलाक हों।

< יחזקאל 4 >