< יחזקאל 15 >
याहवेह का यह वचन मेरे पास आया:
בן אדם מה יהיה עץ הגפן מכל עץ--הזמורה אשר היה בעצי היער | 2 |
“हे मनुष्य के पुत्र, एक अंगूर की लता की लकड़ी बंजर भूमि के किसी पेड़ की शाखा से किस प्रकार भिन्न है?
היקח ממנו עץ לעשות למלאכה אם יקחו ממנו יתד לתלות עליו כל כלי | 3 |
क्या कभी इसकी लकड़ी को लेकर कोई उपयोगी चीज़ बनाई गई है? क्या लोग वस्तुओं को टांगने के लिये इससे खूंटी बनाते हैं?
הנה לאש נתן לאכלה את שני קצותיו אכלה האש ותוכו נחר--היצלח למלאכה | 4 |
और जब इसे आग में ईंधन के रूप में डाला जाता है और इसके दोनों छोर आग से जल जाते हैं और बीच का भाग झुलस जाता है, तब क्या वह किसी काम का रह जाती है?
הנה בהיותו תמים לא יעשה למלאכה אף כי אש אכלתהו ויחר ונעשה עוד למלאכה | 5 |
जब यह अपने पूरे आकार में थी, तब यह किसी काम की न थी, तो फिर तब इसकी क्या उपयोगिता हो सकती है जब यह आग में जल गई और झुलस गई?
לכן כה אמר אדני יהוה כאשר עץ הגפן בעץ היער אשר נתתיו לאש לאכלה--כן נתתי את ישבי ירושלם | 6 |
“इसलिये परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: जैसा कि मैंने अंगूर की लता की लकड़ी को बंजर भूमि के पेड़ों के बीच आग के लिये ईंधन के रूप में दिया है, वैसा ही मैं येरूशलेम में रहनेवालों के साथ व्यवहार करूंगा.
ונתתי את פני בהם--מהאש יצאו והאש תאכלם וידעתם כי אני יהוה בשומי את פני בהם | 7 |
मैं अपना मुंह उनके विरुद्ध करूंगा. यद्यपि वे आग से बचकर निकल आये हैं, फिर भी आग ही उन्हें जलाकर नष्ट कर देगी. और जब मैं अपना मुंह उनके विरुद्ध करूंगा, तब तुम जानोगे कि मैं याहवेह हूं.
ונתתי את הארץ שממה--יען מעלו מעל נאם אדני יהוה | 8 |
मैं देश को उजाड़ दूंगा, क्योंकि उन्होंने विश्वासघात किया है, यह परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.”