< प्रेरितों के काम 26 >
1 अग्रिप्पा नै पौलुस तै कह्या, “तेरे ताहीं अपणे बाबत बोल्लण की आज्ञा सै।” फेर पौलुस हाथ तै इशारा करकै जवाब देण लाग्या,
2 “हे राजा अग्रिप्पा, जितनी बात्तां का यहूदी अगुवें मेरै पै इल्जाम लावै सै, आज तेरे स्याम्ही उनका जवाब देण म्ह अपणे ताहीं धन्य समझूँ सूं,
3 खास करकै ज्यांतै के तू सारी यहूदी प्रथा अर परेशानियाँ नै भली-भाँति जाणै सै। इस करकै मै बिनती करुँ सूं, धीरज तै मेरी सुण।”
4 “मेरा चाल-चलण शरुआत तै अपणी जात कै बिचाळै अर यरुशलेम नगर म्ह जिसा था, उसका सारे यहूदियाँ नै बेरा सै।
5 जै वे गवाही देणा चाहवैं, तो तू मेरै ताहीं तब तै पिच्छाणै सै जिब मै जवान था, के मै फरीसी होकै अपणे धर्म कै सबतै खरे पन्थ कै मुताबिक चाल्या।
6 अर आज मै परमेसवर के जरिये म्हारे पूर्वजां नै दिए गये उस वादे की आस के कारण उरै दोषी के रूप म्ह खड्या सूं।
7 यो वोए वादा सै, जिसके पूरे होण की आस म्हारे बारहां कुल दिन-रात सच्चाई म्ह परमेसवर की भगति-आराधना करदे होए आये सै। हे राजा, आज मेरे पै यहूदियाँ के जरिये मुकद्दमा इस्से आस कै कारण चलाया जाण लागरया सै।
8 जिब के परमेसवर मरे होया नै जिन्दा करै सै, तो थारे उरै या बात क्यांतै बिश्वास कै जोग्गी कोनी समझी जान्दी?”
9 “मन्नै भी समझया था के यीशु नासरी कै नाम कै बिरोध म्ह मन्नै भोत कुछ करणा चाहिये।
10 अर मन्नै यरुशलेम नगर म्ह न्यूए करया, अर प्रधान याजकां तै हक पाकै घणखरे पवित्र माणसां ताहीं जेळ म्ह गेरया, अर जिब वे मार दिये जावै थे तो मै भी उनकै बिरोध म्ह अपणी राय द्यु था।
11 हरेक आराधनालय म्ह मै उन ताहीं कांल कर-करकै यीशु की बुराई करवाऊँ था, उरै ताहीं के छो के मारे इसा बावळा होग्या के दुसरे नगरां म्ह भी जाकै उन ताहीं कांल करुँ था।”
12 “इस्से धुन म्ह जिब मै प्रधान याजकां तै अधिकार अर हुकम-चिट्ठी लेकै दमिश्क नगर नै जाण लागरया था,
13 तो हे राजा, राह म्ह दोफारी कै बखत मन्नै अकास तै सूरज कै तेज तै भी बढ़कै एक चाँदणा, अपणे अर अपणे गेल्या चाल्लण आळा कै चौगरदे नै चमकदा होड़ देख्या।
14 जिब हम सारे धरती पै पड़गे, तो मन्नै इब्रानी भाषा म्ह, मेरै तै न्यू कहन्दे होए एक बोल सुण्या, ‘हे शाऊल, हे शाऊल, तू मन्नै क्यांतै सतावै सै? पैने पै लात मारणा तेरे खात्तर ओक्खा सै। (जै तू मन्नै सतावैगा तो तू खुद नै सतावैगा)’”
15 फेर मै बोल्या, “हे प्रभु, तू कौण सै?” प्रभु नै कह्या, “‘मै यीशु सूं, जिस ताहीं तू सतावै सै।
16 पर तू उठ, अपणे पायां पै खड्या हो, क्यूँके मन्नै तेरे ताहीं ज्यांतै दर्शन दिया सै के तन्नै उन बात्तां का भी सेवक अर गवाह ठहराऊँ, जो तन्नै देक्खी सै, अर उनका भी जिनकै खात्तर मै तन्नै दर्शन दियुँगा।
17 अर मै तन्नै तेरे माणसां तै अर गैर यहूदियाँ तै बचान्दा रहूँगा, जिनकै धोरै मै इब तन्नै इस करकै भेज्जू सूं
18 के तू उनकी आँख खोल्लै के वे अन्धेरै तै चाँदणे कान्ही, अर शैतान कै अधिकार तै परमेसवर कै कान्ही पलटै, इस करकै के पापां की माफी अर उन माणसां कै गेल्या जो मेरै पै बिश्वास करण तै पवित्र करे गये सै, वसियत पावैं।’”
19 “इस करकै हे राजा अग्रिप्पा, मन्नै उस सुर्गीय दर्शन की बात कोनी टाळी,
20 मन्नै सबतै पैहल्या दमिश्क नगर कै, फेर यरुशलेम नगर कै, अर फेर यहूदिया परदेस के बासिन्दा ताहीं, अर गैर यहूदियाँ म्ह भी यो प्रचार करदा रहया के पाप करणा छोड़कै परमेसवर कान्ही बोहड़ आओ, अर अपणे सुभाव के जरिये यो साबित करो के थमनै पाप करणा छोड़ दिया सै।
21 इन बात्तां कै कारण यहूदी मन्नै मन्दर म्ह पकड़कै मार देण की कोशिश करै थे।
22 पर परमेसवर की मदद तै मै आज ताहीं बण्या सूं छोट्या-बड़या सारया कै स्याम्ही गवाही द्यूँ सूं, अर उन बात्तां नै छोड़ किमे कोनी कहन्दा जो नबियाँ अर मूसा नबी नै भी कह्या के होण आळी सै,
23 के मसीह नै दुख ठाणा होगा, अर वोए सब तै पैहल्या मरे होया म्ह तै जी उठकै, म्हारै माणसां म्ह गैर यहूदियाँ म्ह चाँदणे का प्रचार करैगा।”
24 जिब वो इस तरियां तै जवाब देण लागरया था, तो फेस्तुस नै ऊँच्ची आवाज म्ह कह्या, “हे पौलुस, तू बावळा सै। घणे ज्ञान नै तेरे ताहीं बावळा कर दिया सै।”
25 पर पौलुस नै कह्या, “हे महामहिम फेस्तुस, मै बावळा कोनी, पर सच्चाई अर बुद्धि की बात कहूँ सूं।
26 राजा नै भी जिसकै स्याम्ही मै बिना डरे बोल्लण लागरया सूं, इन बात्तां का बेरा सै, अर मन्नै बिश्वास सै के इन बात्तां म्ह तै कोए उसतै लुक्ही कोनी, क्यूँके यो वाक्या गुप्त म्ह कोनी होया।
27 हे राजा अग्रिप्पा, के तू नबियाँ का बिश्वास करै सै? हाँ, मन्नै बेरा सै के तू बिश्वास करै सै।”
28 फेर अग्रिप्पा नै पौलुस तै कह्या, “तू माड़े-से समझाण तै मन्नै मसीह बणाणा चाहवै सै?”
29 पौलुस बोल्या, “परमेसवर तै मेरी प्रार्थना सै के, देर या सबेर तै, पर ये सारे सुणण आळे, जो आज मेरी बात सुणै सै, वे मेरै समान हो जावै।”
30 फेर राजा अर अधिकारी अर बिरनीके अर उनकै गेल्या बैठणीये उठ खड़े होए,
31 न्यायालय तै बाहर लिकाड़कै आप्पस म्ह कहण लाग्गे, “यो माणस इसा तो किमे कोनी करदा, जो मौत की सजा या जेळ, म्ह गेरण जोग्गा हो।”
32 अग्रिप्पा नै फेस्तुस तै कह्या, “जै यो माणस कैसर की दुहाई न्ही देंदा, तो छूट सकै था।”