< Κατα Μαρκον 14 >

1 Ἦν δὲ τὸ Πάσχα καὶ τὰ ἄζυμα μετὰ δύο ἡμέρας· καὶ ἐζήτουν οἱ ἀρχιερεῖς καὶ οἱ γραμματεῖς πῶς αὐτὸν ἐν δόλῳ κρατήσαντες ἀποκτείνωσιν.
दो दिन के बाद फ़सह और 'ईद — ए — फ़ितर होने वाली थी और सरदार काहिन और फ़क़ीह मौक़ा ढूँड रहे थे कि उसे क्यूँकर धोखे से पकड़ कर क़त्ल करें।
2 Ἔλεγον δέ, Μὴ ἐν τῇ ἑορτῇ, μήποτε θόρυβος ἔσται τοῦ λαοῦ.
क्यूँकि कहते थे ई'द में नहीं “ऐसा न हो कि लोगों में बलवा हो जाए”
3 Καὶ ὄντος αὐτοῦ ἐν Βηθανίᾳ, ἐν τῇ οἰκίᾳ Σίμωνος τοῦ λεπροῦ, κατακειμένου αὐτοῦ, ἦλθε γυνὴ ἔχουσα ἀλάβαστρον μύρου νάρδου πιστικῆς πολυτελοῦς· καὶ συντρίψασα τὸ ἀλάβαστρον, κατέχεεν αὐτοῦ κατὰ τῆς κεφαλῆς.
जब वो बैत अन्नियाह में शमौन जो पहले कौढ़ी था उसके घर में खाना खाने बैठा तो एक औरत जटामासी का बेशक़ीमती इत्र संगे मरमर के इत्र दान में लाई और इत्र दान तोड़ कर इत्र को उसके सिर पर डाला।
4 Ἦσαν δέ τινες ἀγανακτοῦντες πρὸς ἑαυτούς, καὶ λέγοντες, Εἰς τί ἡ ἀπώλεια αὕτη τοῦ μύρου γέγονεν;
मगर कुछ अपने दिल में ख़फ़ा हो कर कहने लगे “ये इत्र किस लिए ज़ाया किया गया।
5 Ἠδύνατο γὰρ τοῦτο πραθῆναι ἐπάνω τριακοσίων δηναρίων, καὶ δοθῆναι τοῖς πτωχοῖς. Καὶ ἐνεβριμῶντο αὐτῇ.
क्यूँकि ये इत्र तक़रीबन तीन सौ दिन की मज़दूरी से ज़्यादा की क़ीमत में बिक कर ग़रीबों को दिया जा सकता था” और वो उसे मलामत करने लगे।
6 Ὁ δὲ Ἰησοῦς εἶπεν, Ἄφετε αὐτήν· τί αὐτῇ κόπους παρέχετε; Καλὸν ἔργον εἰργάσατο ἐν ἐμοί.
ईसा ने कहा “उसे छोड़ दो उसे क्यूँ दिक़ करते हो उसने मेरे साथ भलाई की है।
7 Πάντοτε γὰρ τοὺς πτωχοὺς ἔχετε μεθ᾽ ἑαυτῶν, καὶ ὅταν θέλητε δύνασθε αὐτοὺς εὖ ποιῆσαι· ἐμὲ δὲ οὐ πάντοτε ἔχετε.
क्यूँकि ग़रीब और ग़ुरबा तो हमेशा तुम्हारे पास हैं जब चाहो उनके साथ नेकी कर सकते हो; लेकिन मैं तुम्हारे पास हमेशा न रहूँगा।
8 Ὃ ἔσχεν αὕτη ἐποίησε· προέλαβε μυρίσαι μου τὸ σῶμα εἰς τὸν ἐνταφιασμόν.
जो कुछ वो कर सकी उसने किया उसने दफ़्न के लिए मेरे बदन पर पहले ही से इत्र मला।
9 Ἀμὴν λέγω ὑμῖν, ὅπου ἐὰν κηρυχθῇ τὸ εὐαγγέλιον τοῦτο εἰς ὅλον τὸν κόσμον, καὶ ὃ ἐποίησεν αὕτη λαληθήσεται εἰς μνημόσυνον αὐτῆς.
मैं तुम से सच कहता हूँ कि, तमाम दुनिया में जहाँ कहीं इन्जील की मनादी की जाएगी, ये भी जो इस ने किया उस की यादगारी में बयान किया जाएगा।”
10 Καὶ ὁ Ἰούδας ὁ Ἰσκαριώτης, εἷς τῶν δώδεκα, ἀπῆλθε πρὸς τοὺς ἀρχιερεῖς, ἵνα παραδῷ αὐτὸν αὐτοῖς.
फिर यहूदाह इस्करियोती जो उन बारह में से था, सरदार काहिन के पास चला गया ताकि उसे उनके हवाले कर दे।
11 Οἱ δὲ ἀκούσαντες ἐχάρησαν, καὶ ἐπηγγείλαντο αὐτῷ ἀργύριον δοῦναι, καὶ ἐζήτει πῶς εὐκαίρως αὐτὸν παραδῷ.
वो ये सुन कर ख़ुश हुए और उसको रुपऐ देने का इक़रार किया और वो मौक़ा ढूँडने लगा कि किस तरह क़ाबू पाकर उसे पकड़वा दे।
12 Καὶ τῇ πρώτῃ ἡμέρᾳ τῶν ἀζύμων, ὅτε τὸ Πάσχα ἔθυον, λέγουσιν αὐτῷ οἱ μαθηταὶ αὐτοῦ, Ποῦ θέλεις ἀπελθόντες ἑτοιμάσωμεν ἵνα φάγῃς τὸ Πάσχα;
ई'द 'ए फ़ितर के पहले दिन या'नी जिस रोज़ फ़सह को ज़बह किया करते थे “उसके शागिर्दों ने उससे कहा? तू कहाँ चाहता है कि हम जाकर तेरे लिए फ़सह खाने की तैयारी करें।”
13 Καὶ ἀποστέλλει δύο τῶν μαθητῶν αὐτοῦ, καὶ λέγει αὐτοῖς, Ὑπάγετε εἰς τὴν πόλιν, καὶ ἀπαντήσει ὑμῖν ἄνθρωπος κεράμιον ὕδατος βαστάζων· ἀκολουθήσατε αὐτῷ,
उसने अपने शागिर्दो में से दो को भेजा और उनसे कहा “शहर में जाओ एक शख़्स पानी का घड़ा लिए हुए तुम्हें मिलेगा, उसके पीछे हो लेना।
14 καὶ ὅπου ἐὰν εἰσέλθῃ, εἴπατε τῷ οἰκοδεσπότῃ ὅτι Ὁ διδάσκαλος λέγει, Ποῦ ἐστι τὸ κατάλυμα, ὅπου τὸ Πάσχα μετὰ τῶν μαθητῶν μου φάγω;
और जहाँ वो दाख़िल हो उस घर के मालिक से कहना ‘उस्ताद कहता है? मेरा मेहमानख़ाना जहाँ मैं अपने शागिर्दों के साथ फ़सह खाउँ कहाँ है।’
15 Καὶ αὐτὸς ὑμῖν δείξει ἀνώγεον μέγα ἐστρωμένον ἕτοιμον· ἐκεῖ ἑτοιμάσατε ἡμῖν.
वो आप तुम को एक बड़ा मेहमानख़ाना आरास्ता और तैयार दिखाएगा वहीं हमारे लिए तैयारी करना।”
16 Καὶ ἐξῆλθον οἱ μαθηταὶ αὐτοῦ, καὶ ἦλθον εἰς τὴν πόλιν, καὶ εὗρον καθὼς εἶπεν αὐτοῖς, καὶ ἡτοίμασαν τὸ Πάσχα.
पस शागिर्द चले गए और शहर में आकर जैसा ईसा ने उन से कहा था वैसा ही पाया और फ़सह को तैयार किया।
17 Καὶ ὀψίας γενομένης ἔρχεται μετὰ τῶν δώδεκα.
जब शाम हुई तो वो उन बारह के साथ आया।
18 Καὶ ἀνακειμένων αὐτῶν καὶ ἐσθιόντων, εἶπεν ὁ Ἰησοῦς, Ἀμὴν λέγω ὑμῖν ὅτι εἷς ἐξ ὑμῶν παραδώσει με, ὁ ἐσθίων μετ᾽ ἐμοῦ.
और जब वो बैठे खा रहे थे तो ईसा ने कहा “मैं तुम से सच कहता हूँ कि तुम में से एक जो मेरे साथ खाता है मुझे पकड़वाएगा।”
19 Οἱ δὲ ἤρξαντο λυπεῖσθαι, καὶ λέγειν αὐτῷ εἷς καθ᾽ εἷς, Μήτι ἐγώ; Καὶ ἄλλος, Μήτι ἐγώ;
वो दुखी होकर और एक एक करके उससे कहने लगे, “क्या मैं हूँ?”
20 Ὁ δὲ ἀποκριθεὶς εἶπεν αὐτοῖς, Εἷς ἐκ τῶν δώδεκα, ὁ ἐμβαπτόμενος μετ᾽ ἐμοῦ εἰς τὸ τρυβλίον.
उसने उनसे कहा, “वो बारह में से एक है जो मेरे साथ थाल में हाथ डालता है।
21 Ὁ μὲν υἱὸς τοῦ ἀνθρώπου ὑπάγει, καθὼς γέγραπται περὶ αὐτοῦ· οὐαὶ δὲ τῷ ἀνθρώπῳ ἐκείνῳ δι᾽ οὗ ὁ υἱὸς τοῦ ἀνθρώπου παραδίδοται· καλὸν ἦν αὐτῷ εἰ οὐκ ἐγεννήθη ὁ ἄνθρωπος ἐκεῖνος.
क्यूँकि इब्न — ए आदम तो जैसा उसके हक़ में लिखा है जाता ही है लेकिन उस आदमी पर अफ़सोस जिसके वसीले से इब्न — ए आदम पकड़वाया जाता है, अगर वो आदमी पैदा ही न होता तो उसके लिए अच्छा था।”
22 Καὶ ἐσθιόντων αὐτῶν, λαβὼν ὁ Ἰησοῦς ἄρτον, εὐλογήσας ἔκλασε καὶ ἔδωκεν αὐτοῖς, καὶ εἶπε, Λάβετε, φάγετε· τοῦτό ἐστι τὸ σῶμά μου.
और वो खा ही रहे थे कि उसने रोटी ली और बर्क़त देकर तोड़ी और उनको दी और कहा “लो ये मेरा बदन है।”
23 Καὶ λαβὼν τὸ ποτήριον, εὐχαριστήσας ἔδωκεν αὐτοῖς, καὶ ἔπιον ἐξ αὐτοῦ πάντες.
फिर उसने प्याला लेकर शुक्र किया और उनको दिया और उन सभों ने उस में से पिया।
24 Καὶ εἶπεν αὐτοῖς, Τοῦτό ἐστι τὸ αἷμά μου, τὸ τῆς καινῆς διαθήκης, τὸ περὶ πολλῶν ἐκχυνόμενον.
उसने उनसे कहा “ये मेरा वो अहद का ख़ून है जो बहुतेरों के लिए बहाया जाता है।
25 Ἀμὴν λέγω ὑμῖν ὅτι οὐκέτι οὐ μὴ πίω ἐκ τοῦ γενήματος τῆς ἀμπέλου, ἕως τῆς ἡμέρας ἐκείνης ὅταν αὐτὸ πίνω καινὸν ἐν τῇ βασιλείᾳ τοῦ Θεοῦ.
मैं तुम से सच कहता हूँ कि अंगूर का शीरा फिर कभी न पिऊँगा; उस दिन तक कि ख़ुदा की बादशाही में नया न पिऊँ।”
26 Καὶ ὑμνήσαντες ἐξῆλθον εἰς τὸ ὄρος τῶν Ἐλαιῶν.
फिर हम्द गा कर बाहर ज़ैतून के पहाड़ पर गए।
27 Καὶ λέγει αὐτοῖς ὁ Ἰησοῦς ὅτι Πάντες σκανδαλισθήσεσθε ἐν ἐμοὶ ἐν τῇ νυκτὶ ταύτῃ· ὅτι γέγραπται, Πατάξω τὸν ποιμένα, καὶ διασκορπισθήσεται τὰ πρόβατα.
और ईसा ने उनसे कहा “तुम सब ठोकर खाओगे क्यूँकि लिखा है, ‘मैं चरवाहे को मारूँगा और भेड़ें इधर उधर हो जाएँगी।’
28 Ἀλλὰ μετὰ τὸ ἐγερθῆναί με, προάξω ὑμᾶς εἰς τὴν Γαλιλαίαν.
मगर मैं अपने जी उठने के बाद तुम से पहले गलील को जाऊँगा।”
29 Ὁ δὲ Πέτρος ἔφη αὐτῷ, Καὶ εἰ πάντες σκανδαλισθήσονται, ἀλλ᾽ οὐκ ἐγώ.
पतरस ने उससे कहा, “चाहे सब ठोकर खाएँ लेकिन मैं न खाउँगा।”
30 Καὶ λέγει αὐτῷ ὁ Ἰησοῦς, Ἀμὴν λέγω σοι ὅτι σὺ σήμερον ἐν τῇ νυκτὶ ταύτῃ, πρὶν ἢ δὶς ἀλέκτορα φωνῆσαι, τρὶς ἀπαρνήσῃ με.
ईसा ने उससे कहा, “मैं तुझ से सच कहता हूँ। कि तू आज इसी रात मुर्ग़ के दो बार बाँग देने से पहले तीन बार मेरा इन्कार करेगा।”
31 Ὁ δὲ ἐκπερισσοῦ ἔλεγε μᾶλλον, Ἐάν με δέῃ συναποθανεῖν σοι, οὐ μή σε ἀπαρνήσωμαι. Ὡσαύτως δὲ καὶ πάντες ἔλεγον.
लेकिन उसने बहुत ज़ोर देकर कहा, “अगर तेरे साथ मुझे मरना भी पड़े तोभी तेरा इन्कार हरगिज़ न करूँगा।” इसी तरह और सब ने भी कहा।
32 Καὶ ἔρχονται εἰς χωρίον οὗ τὸ ὄνομα Γεθσημανῆ, καὶ λέγει τοῖς μαθηταῖς αὐτοῦ, Καθίσατε ὧδε, ἕως προσεύξωμαι.
फिर वो एक जगह आए जिसका नाम गतसिमनी था और उसने अपने शागिर्दों से कहा, “यहाँ बैठे रहो जब तक मैं दुआ करूँ।”
33 Καὶ παραλαμβάνει τὸν Πέτρον καὶ Ἰάκωβον καὶ Ἰωάννην μεθ᾽ ἑαυτοῦ, καὶ ἤρξατο ἐκθαμβεῖσθαι καὶ ἀδημονεῖν.
और पतरस और या'क़ूब और यूहन्ना को अपने साथ लेकर निहायत हैरान और बेक़रार होने लगा।
34 Καὶ λέγει αὐτοῖς, Περίλυπός ἐστιν ἡ ψυχή μου ἕως θανάτου· μείνατε ὧδε καὶ γρηγορεῖτε.
और उसने कहा “मेरी जान निहायत ग़मगीन है यहाँ तक कि मरने की नौबत पहुँच गई है तुम यहाँ ठहरो और जागते रहो।”
35 Καὶ προσελθὼν μικρόν, ἔπεσεν ἐπὶ τῆς γῆς, καὶ προσηύχετο ἵνα, εἰ δυνατόν ἐστι, παρέλθῃ ἀπ᾽ αὐτοῦ ἡ ὥρα.
और वो थोड़ा आगे बढ़ा और ज़मीन पर गिर कर दुआ करने लगा, कि अगर हो सके तो ये वक़्त मुझ पर से टल जाए।
36 Καὶ ἔλεγεν, Ἀββᾶ, ὁ πατήρ, πάντα δυνατά σοι. Παρένεγκε τὸ ποτήριον ἀπ᾽ ἐμοῦ τοῦτο· ἀλλ᾽ οὐ τί ἐγὼ θέλω, ἀλλὰ τί σύ.
और कहा “ऐ अब्बा ऐ बाप तुझ से सब कुछ हो सकता है इस प्याले को मेरे पास से हटा ले तोभी जो मैं चाहता हूँ वो नहीं बल्कि जो तू चाहता है वही हो।”
37 Καὶ ἔρχεται καὶ εὑρίσκει αὐτοὺς καθεύδοντας, καὶ λέγει τῷ Πέτρῳ, Σίμων, καθεύδεις; Οὐκ ἴσχυσας μίαν ὥραν γρηγορῆσαι;
फिर वो आया और उन्हें सोते पाकर पतरस से कहा “ऐ शमौन तू सोता है? क्या तू एक घड़ी भी न जाग सका।
38 Γρηγορεῖτε καὶ προσεύχεσθε, ἵνα μὴ εἰσέλθητε εἰς πειρασμόν. Τὸ μὲν πνεῦμα πρόθυμον, ἡ δὲ σὰρξ ἀσθενής.
जागो और दुआ करो, ताकि आज़माइश में न पड़ो रूह तो मुसतैद है मगर जिस्म कमज़ोर है।”
39 Καὶ πάλιν ἀπελθὼν προσηύξατο, τὸν αὐτὸν λόγον εἰπών.
वो फिर चला गया और वही बात कह कर दुआ की।
40 Καὶ ὑποστρέψας εὗρεν αὐτοὺς πάλιν καθεύδοντας· ἦσαν γὰρ οἱ ὀφθαλμοὶ αὐτῶν βεβαρημένοι, καὶ οὐκ ᾔδεισαν τί αὐτῷ ἀποκριθῶσι.
और फिर आकर उन्हें सोते पाया क्यूँकि उनकी आँखें नींद से भरी थीं और वो न जानते थे कि उसे क्या जवाब दें।
41 Καὶ ἔρχεται τὸ τρίτον, καὶ λέγει αὐτοῖς, Καθεύδετε λοιπὸν καὶ ἀναπαύεσθε. Ἀπέχει· ἦλθεν ἡ ὥρα. Ἰδού, παραδίδοται ὁ υἱὸς τοῦ ἀνθρώπου εἰς τὰς χεῖρας τῶν ἁμαρτωλῶν.
फिर तीसरी बार आकर उनसे कहा “अब सोते रहो और आराम करो बस वक़्त आ पहुँचा है देखो; इब्न — ए आदम गुनाहगारों के हाथ में हवाले किया जाता है।
42 Ἐγείρεσθε, ἄγωμεν. Ἰδού, ὁ παραδιδούς με ἤγγικε.
उठो चलो देखो मेरा पकड़वाने वाला नज़दीक आ पहुँचा है।”
43 Καὶ εὐθέως, ἔτι αὐτοῦ λαλοῦντος, παραγίνεται Ἰούδας, εἷς ὢν τῶν δώδεκα, καὶ μετ᾽ αὐτοῦ ὄχλος πολὺς μετὰ μαχαιρῶν καὶ ξύλων, παρὰ τῶν ἀρχιερέων καὶ τῶν γραμματέων καὶ τῶν πρεσβυτέρων.
वो ये कह ही रहा था कि फ़ौरन यहूदाह जो उन बारह में से था और उसके साथ एक बड़ी भीड़ तलवारें और लाठियाँ लिए हुए सरदार काहिनों और फ़क़ीहों की तरफ़ से आ पहुँची।
44 Δεδώκει δὲ ὁ παραδιδοὺς αὐτὸν σύσσημον αὐτοῖς, λέγων, Ὃν ἂν φιλήσω, αὐτός ἐστι· κρατήσατε αὐτόν, καὶ ἀπαγάγετε ἀσφαλῶς.
और उसके पकड़वाने वाले ने उन्हें ये निशान दिया था जिसका मैं बोसा लूँ वही है उसे पकड़ कर हिफ़ाज़त से ले जाना।
45 Καὶ ἐλθών, εὐθέως προσελθὼν αὐτῷ λέγει αὐτῷ, Ῥαββί, ῥαββί· καὶ κατεφίλησεν αὐτόν.
वो आकर फ़ौरन उसके पास गया और कहा, “ऐ रब्बी!” और उसके बोसे लिए।
46 Οἱ δὲ ἐπέβαλον ἐπ᾽ αὐτὸν τὰς χεῖρας αὐτῶν, καὶ ἐκράτησαν αὐτόν.
उन्होंने उस पर हाथ डाल कर उसे पकड़ लिया।
47 Εἷς δέ τις τῶν παρεστηκότων σπασάμενος τὴν μάχαιραν ἔπαισε τὸν δοῦλον τοῦ ἀρχιερέως, καὶ ἀφεῖλεν αὐτοῦ τὸ ὠτίον.
उन में से जो पास खड़े थे एक ने तलवार खींचकर सरदार काहिन के नौकर पर चलाई और उसका कान उड़ा दिया।
48 Καὶ ἀποκριθεὶς ὁ Ἰησοῦς εἶπεν αὐτοῖς, Ὡς ἐπὶ λῃστὴν ἐξήλθετε μετὰ μαχαιρῶν καὶ ξύλων συλλαβεῖν με;
ईसा ने उनसे कहा “क्या तुम तलवारें और लाठियाँ लेकर मुझे डाकू की तरह पकड़ने निकले हो?
49 Καθ᾽ ἡμέραν ἤμην πρὸς ὑμᾶς ἐν τῷ ἱερῷ διδάσκων, καὶ οὐκ ἐκρατήσατέ με· ἀλλ᾽ ἵνα πληρωθῶσιν αἱ γραφαί.
मैं हर रोज़ तुम्हारे पास हैकल में ता'लीम देता था, और तुम ने मुझे नहीं पकड़ा लेकिन ये इसलिए हुआ कि लिखा हुआ पूरा हों।”
50 Καὶ ἀφέντες αὐτὸν πάντες ἔφυγον.
इस पर सब शगिर्द उसे छोड़कर भाग गए।
51 Καὶ εἷς τις νεανίσκος ἠκολούθησεν αὐτῷ, περιβεβλημένος σινδόνα ἐπὶ γυμνοῦ. Καὶ κρατοῦσιν αὐτὸν οἱ νεανίσκοι·
मगर एक जवान अपने नंगे बदन पर महीन चादर ओढ़े हुए उसके पीछे हो लिया, उसे लोगों ने पकड़ा।
52 ὁ δὲ καταλιπὼν τὴν σινδόνα γυμνὸς ἔφυγεν ἀπ᾽ αὐτῶν.
मगर वो चादर छोड़ कर नंगा भाग गया।
53 Καὶ ἀπήγαγον τὸν Ἰησοῦν πρὸς τὸν ἀρχιερέα· καὶ συνέρχονται αὐτῷ πάντες οἱ ἀρχιερεῖς καὶ οἱ πρεσβύτεροι καὶ οἱ γραμματεῖς.
फिर वो ईसा को सरदार काहिन के पास ले गए; और अब सरदार काहिन और बुज़ुर्ग और फ़क़ीह उसके यहाँ जमा हुए।
54 Καὶ ὁ Πέτρος ἀπὸ μακρόθεν ἠκολούθησεν αὐτῷ ἕως ἔσω εἰς τὴν αὐλὴν τοῦ ἀρχιερέως· καὶ ἦν συγκαθήμενος μετὰ τῶν ὑπηρετῶν, καὶ θερμαινόμενος πρὸς τὸ φῶς.
पतरस फ़ासले पर उसके पीछे पीछे सरदार काहिन के दिवानख़ाने के अन्दर तक गया और सिपाहियों के साथ बैठ कर आग तापने लगा।
55 Οἱ δὲ ἀρχιερεῖς καὶ ὅλον τὸ συνέδριον ἐζήτουν κατὰ τοῦ Ἰησοῦ μαρτυρίαν, εἰς τὸ θανατῶσαι αὐτόν, καὶ οὐχ εὕρισκον.
और सरदार काहिन सब सद्रे — अदालत वाले ईसा को मार डालने के लिए उसके ख़िलाफ़ गवाही ढूँडने लगे मगर न पाई।
56 Πολλοὶ γὰρ ἐψευδομαρτύρουν κατ᾽ αὐτοῦ, καὶ ἴσαι αἱ μαρτυρίαι οὐκ ἦσαν.
क्यूँकि बहुतेरों ने उस पर झूठी गवाहियाँ तो दीं लेकिन उनकी गवाहियाँ सहीह न थीं।
57 Καί τινες ἀναστάντες ἐψευδομαρτύρουν κατ᾽ αὐτοῦ, λέγοντες
फिर कुछ ने उठकर उस पर ये झूठी गवाही दी।
58 ὅτι Ἡμεῖς ἠκούσαμεν αὐτοῦ λέγοντος ὅτι Ἐγὼ καταλύσω τὸν ναὸν τοῦτον τὸν χειροποίητον, καὶ διὰ τριῶν ἡμερῶν ἄλλον ἀχειροποίητον οἰκοδομήσω.
“हम ने उसे ये कहते सुना है मैं इस मक़दिस को जो हाथ से बना है ढाऊँगा और तीन दिन में दूसरा बनाऊँगा जो हाथ से न बना हो।”
59 Καὶ οὐδὲ οὕτως ἴση ἦν ἡ μαρτυρία αὐτῶν.
लेकिन इस पर भी उसकी गवाही सही न निकली।
60 Καὶ ἀναστὰς ὁ ἀρχιερεὺς εἰς μέσον ἐπηρώτησε τὸν Ἰησοῦν, λέγων, Οὐκ ἀποκρίνῃ οὐδέν; Τί οὗτοί σου καταμαρτυροῦσιν;
“फिर सरदार काहिन ने बीच में खड़े हो कर ईसा से पूछा तू कुछ जवाब नहीं देता? ये तेरे ख़िलाफ़ क्या गवाही देते हैं।”
61 Ὁ δὲ ἐσιώπα, καὶ οὐδὲν ἀπεκρίνατο. Πάλιν ὁ ἀρχιερεὺς ἐπηρώτα αὐτόν, καὶ λέγει αὐτῷ, Σὺ εἶ ὁ Χριστός, ὁ υἱὸς τοῦ εὐλογητοῦ;
“मगर वो ख़ामोश ही रहा और कुछ जवाब न दिया? सरदार काहिन ने उससे फिर सवाल किया और कहा क्या तू उस यूसुफ़ का बेटा मसीह है।”
62 Ὁ δὲ Ἰησοῦς εἶπεν, Ἐγώ εἰμι. Καὶ ὄψεσθε τὸν υἱὸν τοῦ ἀνθρώπου ἐκ δεξιῶν καθήμενον τῆς δυνάμεως, καὶ ἐρχόμενον μετὰ τῶν νεφελῶν τοῦ οὐρανοῦ.
ईसा ने कहा, “हाँ मैं हूँ। और तुम इब्न — ए आदम को क़ादिर ए मुतल्लिक़ की दहनी तरफ़ बैठे और आसमान के बादलों के साथ आते देखोगे।”
63 Ὁ δὲ ἀρχιερεὺς διαρρήξας τοὺς χιτῶνας αὐτοῦ λέγει, Τί ἔτι χρείαν ἔχομεν μαρτύρων;
सरदार काहिन ने अपने कपड़े फाड़ कर कहा “अब हमें गवाहों की क्या ज़रूरत रही।
64 Ἠκούσατε τῆς βλασφημίας. Τί ὑμῖν φαίνεται; Οἱ δὲ πάντες κατέκριναν αὐτὸν εἶναι ἔνοχον θανάτου.
तुम ने ये कुफ़्र सुना तुम्हारी क्या राय है? उन सब ने फ़तवा दिया कि वो क़त्ल के लायक़ है।”
65 Καὶ ἤρξαντό τινες ἐμπτύειν αὐτῷ, καὶ περικαλύπτειν τὸ πρόσωπον αὐτοῦ, καὶ κολαφίζειν αὐτόν, καὶ λέγειν αὐτῷ, Προφήτευσον. Καὶ οἱ ὑπηρέται ῥαπίσμασιν αὐτὸν ἔβαλλον.
तब कुछ उस पर थूकने और उसका मुँह ढाँपने और उसके मुक्के मारने और उससे कहने लगे “नबुव्वत की बातें सुना! और सिपाहियों ने उसे तमाचे मार मार कर अपने क़ब्ज़े में लिया।”
66 Καὶ ὄντος τοῦ Πέτρου ἐν τῇ αὐλῇ κάτω, ἔρχεται μία τῶν παιδισκῶν τοῦ ἀρχιερέως,
जब पतरस नीचे सहन में था तो सरदार काहिन की लौंडियों में से एक वहाँ आई।
67 καὶ ἰδοῦσα τὸν Πέτρον θερμαινόμενον, ἐμβλέψασα αὐτῷ λέγει, Καὶ σὺ μετὰ τοῦ Ναζαρηνοῦ Ἰησοῦ ἦσθα.
और पतरस को आग तापते देख कर उस पर नज़र की और कहने लगी “तू भी उस नासरी ईसा के साथ था।”
68 Ὁ δὲ ἠρνήσατο, λέγων, Οὐκ οἶδα, οὐδὲ ἐπίσταμαι τί σὺ λέγεις. Καὶ ἐξῆλθεν ἔξω εἰς τὸ προαύλιον· καὶ ἀλέκτωρ ἐφώνησε.
उसने इन्कार किया और कहा “मैं तो न जानता और न समझता हूँ।” कि तू क्या कहती है फिर वो बाहर सहन में गया [और मुर्ग़ ने बाँग दी]।
69 Καὶ ἡ παιδίσκη ἰδοῦσα αὐτὸν πάλιν ἤρξατο λέγειν τοῖς παρεστηκόσιν ὅτι Οὗτος ἐξ αὐτῶν ἐστιν.
वो लौंडी उसे देख कर उन से जो पास खड़े थे, फिर कहने लगी “ये उन में से है।”
70 Ὁ δὲ πάλιν ἠρνεῖτο. Καὶ μετὰ μικρὸν πάλιν οἱ παρεστῶτες ἔλεγον τῷ Πέτρῳ, Ἀληθῶς ἐξ αὐτῶν εἶ· καὶ γὰρ Γαλιλαῖος εἶ, καὶ ἡ λαλιά σου ὁμοιάζει.
“मगर उसने फिर इन्कार किया और थोड़ी देर बाद उन्होंने जो पास खड़े थे पतरस से फिर कहा बेशक तू उन में से है क्यूँकि तू गलीली भी है।”
71 Ὁ δὲ ἤρξατο ἀναθεματίζειν καὶ ὀμνύναι ὅτι Οὐκ οἶδα τὸν ἄνθρωπον τοῦτον ὃν λέγετε.
“मगर वो ला'नत करने और क़सम खाने लगा में इस आदमी को जिसका तुम ज़िक्र करते हो नहीं जानता।”
72 Καὶ ἐκ δευτέρου ἀλέκτωρ ἐφώνησε. Καὶ ἀνεμνήσθη ὁ Πέτρος τὸ ῥῆμα ὃ εἶπεν αὐτῷ ὁ Ἰησοῦς ὅτι Πρὶν ἀλέκτορα φωνῆσαι δίς, ἀπαρνήσῃ με τρίς. Καὶ ἐπιβαλὼν ἔκλαιε.
और फ़ौरन मुर्ग़ ने दूसरी बार बाँग दी पतरस को वो बात जो ईसा ने उससे कही थी याद आई “मुर्ग़ के दो बार बाँग देने से पहले तू तीन बार इन्कार करेगा” और उस पर ग़ौर करके रो पड़ा।

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