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1 Παύλος, δούλος Θεού, απόστολος δε Ιησού Χριστού κατά την πίστιν των εκλεκτών του Θεού και την επίγνωσιν της αληθείας της κατ' ευσέβειαν
पौलुस की ओर से, जो परमेश्वर का दास और यीशु मसीह का प्रेरित है, परमेश्वर के चुने हुए लोगों के विश्वास को स्थापित करने और सच्चाई का ज्ञान स्थापित करने के लिए जो भक्ति के साथ सहमत हैं,
2 επ' ελπίδι ζωής αιωνίου, την οποίαν υπεσχέθη ο αψευδής Θεός προ χρόνων αιωνίων, (aiōnios g166)
उस अनन्त जीवन की आशा पर, जिसकी प्रतिज्ञा परमेश्वर ने जो झूठ बोल नहीं सकता सनातन से की है, (aiōnios g166)
3 εφανέρωσε δε εν καιροίς ωρισμένοις τον λόγον αυτού διά του κηρύγματος, το οποίον ενεπιστεύθην εγώ κατ' επιταγήν του σωτήρος ημών Θεού,
पर ठीक समय पर अपने वचन को उस प्रचार के द्वारा प्रगट किया, जो हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार मुझे सौंपा गया।
4 προς Τίτον, γνήσιον τέκνον κατά κοινήν ημών πίστιν· είη χάρις, έλεος, ειρήνη από Θεού Πατρός και Κυρίου Ιησού Χριστού του Σωτήρος ημών.
तीतुस के नाम जो विश्वास की सहभागिता के विचार से मेरा सच्चा पुत्र है: परमेश्वर पिता और हमारे उद्धारकर्ता मसीह यीशु की ओर से तुझे अनुग्रह और शान्ति होती रहे।
5 Διά τούτο σε αφήκα εν Κρήτη, διά να διορθώσης τα ελλείποντα και να καταστήσης εν πάση πόλει πρεσβυτέρους, καθώς εγώ σε διέταξα,
मैं इसलिए तुझे क्रेते में छोड़ आया था, कि तू शेष रही हुई बातों को सुधारें, और मेरी आज्ञा के अनुसार नगर-नगर प्राचीनों को नियुक्त करे।
6 όστις είναι ανέγκλητος, μιας γυναικός ανήρ, έχων τέκνα πιστά, μη κατηγορούμενα ως άσωτα ή ανυπότακτα.
जो निर्दोष और एक ही पत्नी का पति हो, जिनके बच्चे विश्वासी हो, और जिन पर लुचपन और निरंकुशता का दोष नहीं।
7 Διότι πρέπει ο επίσκοπος να ήναι ανέγκλητος, ως οικονόμος Θεού, μη αυθάδης, μη οργίλος, μη μέθυσος, μη πλήκτης, μη αισχροκερδής,
क्योंकि अध्यक्ष को परमेश्वर का भण्डारी होने के कारण निर्दोष होना चाहिए; न हठी, न क्रोधी, न पियक्कड़, न मारपीट करनेवाला, और न नीच कमाई का लोभी।
8 αλλά φιλόξενος, φιλάγαθος, σώφρων, δίκαιος, όσιος, εγκρατής,
पर पहुनाई करनेवाला, भलाई का चाहनेवाला, संयमी, न्यायी, पवित्र और जितेन्द्रिय हो;
9 προσκεκολλημένος εις τον πιστόν λόγον της διδασκαλίας, διά να ήναι δυνατός και να προτρέπη διά της υγιαινούσης διδασκαλίας και να εξελέγχη τους αντιλέγοντας.
और विश्वासयोग्य वचन पर जो धर्मोपदेश के अनुसार है, स्थिर रहे; कि खरी शिक्षा से उपदेश दे सके; और विवादियों का मुँह भी बन्द कर सके।
10 Διότι υπάρχουσι πολλοί και ανυπότακτοι ματαιολόγοι και φρενοπλάνοι, μάλιστα οι εκ της περιτομής,
१०क्योंकि बहुत से अनुशासनहीन लोग, निरंकुश बकवादी और धोखा देनेवाले हैं; विशेष करके खतनावालों में से।
11 τους οποίους πρέπει να αποστομόνωμεν, οίτινες ανατρέπουσιν ολοκλήρους οίκους, διδάσκοντες όσα δεν πρέπει, χάριν αισχρού κέρδους.
११इनका मुँह बन्द करना चाहिए: ये लोग नीच कमाई के लिये अनुचित बातें सिखाकर घर के घर बिगाड़ देते हैं।
12 Είπε τις αυτών προφήτης ίδιος αυτών· Οι Κρήτες είναι πάντοτε ψεύσται, κακά θηρία, γαστέρες αργαί.
१२उन्हीं में से एक जन ने जो उन्हीं का भविष्यद्वक्ता है, कहा है, “क्रेती लोग सदा झूठे, दुष्ट पशु और आलसी पेटू होते हैं।”
13 Η μαρτυρία αύτη είναι αληθινή. Διά την οποίαν αιτίαν έλεγχε αυτούς αποτόμως, διά να υγιαίνωσιν εν τη πίστει,
१३यह गवाही सच है, इसलिए उन्हें कड़ाई से चेतावनी दिया कर, कि वे विश्वास में पक्के हो जाएँ।
14 και να μη προσέχωσιν εις Ιουδαϊκούς μύθους και εντολάς ανθρώπων αποστρεφομένων την αλήθειαν.
१४यहूदियों की कथा कहानियों और उन मनुष्यों की आज्ञाओं पर मन न लगाएँ, जो सत्य से भटक जाते हैं।
15 Εις μεν τους καθαρούς πάντα είναι καθαρά· εις δε τους μεμιασμένους και απίστους ουδέν καθαρόν, αλλά και ο νούς αυτών και η συνείδησις είναι μεμιασμένα.
१५शुद्ध लोगों के लिये सब वस्तुएँ शुद्ध हैं, पर अशुद्ध और अविश्वासियों के लिये कुछ भी शुद्ध नहीं वरन् उनकी बुद्धि और विवेक दोनों अशुद्ध हैं।
16 Ομολογούσιν ότι γνωρίζουσι τον Θεόν, με τα έργα όμως αρνούνται, βδελυκτοί όντες και απειθείς και εις παν έργον αγαθόν αδόκιμοι.
१६वे कहते हैं, कि हम परमेश्वर को जानते हैं पर अपने कामों से उसका इन्कार करते हैं, क्योंकि वे घृणित और आज्ञा न माननेवाले हैं और किसी अच्छे काम के योग्य नहीं।

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