< Ἆσμα Ἀσμάτων 4 >
1 Ιδού, είσαι ώραία, αγαπητή μου· ιδού, είσαι ώραία· οι οφθαλμοί σου είναι ως περιστερών μεταξύ των πλοκάμων σου· τα μαλλία σου είναι ως ποίμνιον αιγών, καταβαινόντων από του όρους Γαλαάδ.
१हे मेरी प्रिय तू सुन्दर है, तू सुन्दर है! तेरी आँखें तेरी लटों के बीच में कबूतरों के समान दिखाई देती है। तेरे बाल उन बकरियों के झुण्ड के समान हैं जो गिलाद पहाड़ के ढाल पर लेटी हुई हों।
2 Οι οδόντες σου είναι ως ποίμνιον προβάτων κεκουρευμένων, αναβαινόντων από της λούσεως, τα οποία πάντα γεννώσι δίδυμα, και δεν υπάρχει άτεκνον μεταξύ αυτών·
२तेरे दाँत उन ऊन कतरी हुई भेड़ों के झुण्ड के समान हैं, जो नहाकर ऊपर आई हों, उनमें हर एक के दो-दो जुड़वा बच्चे होते हैं। और उनमें से किसी का साथी नहीं मरा।
3 τα χείλη σου ως ταινία ερυθρά, και η λαλιά σου εύχαρις· αι παρειαί σου ως τμήμα ροϊδίου μεταξύ των πλοκάμων σου·
३तेरे होंठ लाल रंग की डोरी के समान हैं, और तेरा मुँह मनोहर है, तेरे कपोल तेरी लटों के नीचे अनार की फाँक से देख पड़ते हैं।
4 Ο τράχηλός σου ως ο πύργος του Δαβίδ, ο ωκοδομημένος διά οπλοθήκην, επί του οποίου κρέμανται χίλιοι θυρεοί, πάντες ασπίδες ισχυρών·
४तेरा गला दाऊद की मीनार के समान है, जो अस्त्र-शस्त्र के लिये बना हो, और जिस पर हजार ढालें टँगी हुई हों, वे सब ढालें शूरवीरों की हैं।
5 οι δύο μαστοί σου ως δύο σκύμνοι δορκάδος δίδυμοι, βόσκοντες μεταξύ των κρίνων.
५तेरी दोनों छातियाँ मृग के दो जुड़वे बच्चों के तुल्य हैं, जो सोसन फूलों के बीच में चरते हों।
6 Εωσού πνεύση η αύρα της ημέρας και φύγωσιν αι σκιαί, εγώ θέλω υπάγει εις το όρος της σμύρνης, και εις τον λόφον του θυμιάματος.
६जब तक दिन ठंडा न हो, और छाया लम्बी होते-होते मिट न जाए, तब तक मैं शीघ्रता से गन्धरस के पहाड़ और लोबान की पहाड़ी पर चला जाऊँगा।
7 Όλη ώραία είσαι, αγαπητή μου· και μώμος δεν υπάρχει εν σοι.
७हे मेरी प्रिय तू सर्वांग सुन्दरी है; तुझ में कोई दोष नहीं।
8 Ελθέ μετ' εμού από του Λιβάνου, νύμφη από του Λιβάνου μετ' εμού· βλέψον από της κορυφής του Αμανά, από της κορυφής του Σενείρ και του Αερμών, από των φωλεών των λεόντων, από των ορέων των παρδάλεων.
८हे मेरी दुल्हन, तू मेरे संग लबानोन से, मेरे संग लबानोन से चली आ। तू अमाना की चोटी पर से, सनीर और हेर्मोन की चोटी पर से, सिंहों की गुफाओं से, चीतों के पहाड़ों पर से दृष्टि कर।
9 Έτρωσας την καρδίαν μου, αδελφή μου, νύμφη· έτρωσας την καρδίαν μου, δι' ενός των οφθαλμών σου, δι' ενός πλοκάμου του τραχήλου σου.
९हे मेरी बहन, हे मेरी दुल्हन, तूने मेरा मन मोह लिया है, तूने अपनी आँखों की एक ही चितवन से, और अपने गले के एक ही हीरे से मेरा हृदय मोह लिया है।
10 Πόσον ώραία είναι η αγάπη σου, αδελφή μου, νύμφη πόσον καλητέρα η αγάπη σου παρά τον οίνον και η οσμή των μύρων σου παρά πάντα τα αρώματα
१०हे मेरी बहन, हे मेरी दुल्हन, तेरा प्रेम क्या ही मनोहर है! तेरा प्रेम दाखमधु से क्या ही उत्तम है, और तेरे इत्रों का सुगन्ध सब प्रकार के मसालों के सुगन्ध से!
11 Τα χείλη σου, νύμφη, στάζουσιν ως κηρήθρα· μέλι και γάλα είναι υπό την γλώσσαν σου· και η οσμή των ιματίων σου ως οσμή του Λιβάνου.
११हे मेरी दुल्हन, तेरे होठों से मधु टपकता है; तेरी जीभ के नीचे मधु और दूध रहता है; तेरे वस्त्रों का सुगन्ध लबानोन के समान है।
12 Κήπος κεκλεισμένος είναι η αδελφή μου, η νύμφη μου· βρύσις κεκλεισμένη, πηγή εσφραγισμένη.
१२मेरी बहन, मेरी दुल्हन, किवाड़ लगाई हुई बारी के समान, किवाड़ बन्द किया हुआ सोता, और छाप लगाया हुआ झरना है।
13 Οι βλαστοί σου είναι παράδεισος ροϊδίων, μετά εκλεκτών καρπών· κύπρος μετά νάρδου·
१३तेरे अंकुर उत्तम फलवाली अनार की बारी के तुल्य हैं, जिसमें मेंहदी और जटामासी,
14 νάρδος και κρόκος· κάλαμος και κιννάμωμον, μετά πάντων των δένδρων του θυμιάματος· σμύρνα και αλόη, μετά πάντων των πρωτίστων αρωμάτων·
१४जटामासी और केसर, लोबान के सब भाँति के पेड़, मुश्क और दालचीनी, गन्धरस, अगर, आदि सब मुख्य-मुख्य सुगन्ध-द्रव्य होते हैं।
15 πηγή κήπων, φρέαρ ύδατος ζώντος, και ρύακες από του Λιβάνου.
१५तू बारियों का सोता है, फूटते हुए जल का कुआँ, और लबानोन से बहती हुई धाराएँ हैं। वधू
16 Εγέρθητι, Βορρά· και έρχου, Νότε· πνεύσον εις τον κήπόν μου· διά να εκχυθώσι τα αρώματα αυτού. Ας έλθη ο αγαπητός μου εις τον κήπον αυτού, και ας φάγη τους εξαιρέτους καρπούς αυτού.
१६हे उत्तर वायु जाग, और हे दक्षिण वायु चली आ! मेरी बारी पर बह, जिससे उसका सुगन्ध फैले। मेरा प्रेमी अपनी बारी में आए, और उसके उत्तम-उत्तम फल खाए।