< Ἀριθμοί 14 >

1 καὶ ἀναλαβοῦσα πᾶσα ἡ συναγωγὴ ἔδωκεν φωνήν καὶ ἔκλαιεν ὁ λαὸς ὅλην τὴν νύκτα ἐκείνην
तब सारा समुदाय ऊंची आवाज में रोने लगा. उस रात वे सभी रोते रहे.
2 καὶ διεγόγγυζον ἐπὶ Μωυσῆν καὶ Ααρων πάντες οἱ υἱοὶ Ισραηλ καὶ εἶπαν πρὸς αὐτοὺς πᾶσα ἡ συναγωγή ὄφελον ἀπεθάνομεν ἐν γῇ Αἰγύπτῳ ἢ ἐν τῇ ἐρήμῳ ταύτῃ εἰ ἀπεθάνομεν
हर एक इस्राएली मोशेह तथा अहरोन के विरुद्ध बड़बड़ा रहा था. एक स्वर में उन्होंने मोशेह तथा अहरोन से कहा, “अच्छा होता हमारी मृत्यु मिस्र देश में ही हो गई होती, यदि वहां नहीं तो इस निर्जन प्रदेश में!
3 καὶ ἵνα τί κύριος εἰσάγει ἡμᾶς εἰς τὴν γῆν ταύτην πεσεῖν ἐν πολέμῳ αἱ γυναῖκες ἡμῶν καὶ τὰ παιδία ἔσονται εἰς διαρπαγήν νῦν οὖν βέλτιον ἡμῖν ἐστιν ἀποστραφῆναι εἰς Αἴγυπτον
याहवेह हमें क्यों इस देश में ले जाने पर उतारू हैं, क्या तलवार से मरवाने के लिए? हमारी पत्नियां एवं हमारे बच्‍चे वहां उनकी लूट सामग्री होकर रह जाएंगे. क्या भला न होगा कि हम मिस्र देश ही लौट जाएं?”
4 καὶ εἶπαν ἕτερος τῷ ἑτέρῳ δῶμεν ἀρχηγὸν καὶ ἀποστρέψωμεν εἰς Αἴγυπτον
उन्होंने आपस में यह विचार-विमर्श किया, “चलो, हम अपने लिए एक प्रधान को नियुक्त करें और लौट जाएं, मिस्र देश को.”
5 καὶ ἔπεσεν Μωυσῆς καὶ Ααρων ἐπὶ πρόσωπον ἐναντίον πάσης συναγωγῆς υἱῶν Ισραηλ
यह सुन मोशेह एवं अहरोन सारी इस्राएली मण्डली के सामने मुंह के बल गिर पड़े.
6 Ἰησοῦς δὲ ὁ τοῦ Ναυη καὶ Χαλεβ ὁ τοῦ Ιεφοννη τῶν κατασκεψαμένων τὴν γῆν διέρρηξαν τὰ ἱμάτια αὐτῶν
नून के पुत्र यहोशू तथा येफुन्‍नेह के पुत्र कालेब ने, जो इस देश में भेद लेने के लिए गए थे, अपने वस्त्र फाड़ दिए.
7 καὶ εἶπαν πρὸς πᾶσαν συναγωγὴν υἱῶν Ισραηλ λέγοντες ἡ γῆ ἣν κατεσκεψάμεθα αὐτήν ἀγαθή ἐστιν σφόδρα σφόδρα
सारे इस्राएल के घराने को संबोधित कर उन्होंने कहा, “वह देश, जिसकी सारी भूमि का हमने भेद लिया है, बहुत ही उपजाऊ भूमि है.
8 εἰ αἱρετίζει ἡμᾶς κύριος εἰσάξει ἡμᾶς εἰς τὴν γῆν ταύτην καὶ δώσει αὐτὴν ἡμῖν γῆ ἥτις ἐστὶν ῥέουσα γάλα καὶ μέλι
यदि याहवेह की हम पर कृपादृष्टि बनी रहती है, तो वह हमें इस देश में ले जाएंगे तथा यह हमें दे देंगे; ऐसा देश जिसमें दूध एवं मधु का भण्ड़ार है.
9 ἀλλὰ ἀπὸ τοῦ κυρίου μὴ ἀποστάται γίνεσθε ὑμεῖς δὲ μὴ φοβηθῆτε τὸν λαὸν τῆς γῆς ὅτι κατάβρωμα ἡμῖν ἐστιν ἀφέστηκεν γὰρ ὁ καιρὸς ἀπ’ αὐτῶν ὁ δὲ κύριος ἐν ἡμῖν μὴ φοβηθῆτε αὐτούς
बस याहवेह के प्रति विद्रोह न करो. उस देश के निवासियों से भयभीत न हो जाओ, क्योंकि उन्हें तो हमारा शिकार होना ही है. उन पर से उनकी सुरक्षा हटाई जा चुकी है, तथा याहवेह हमारे साथ हैं. मत डरो उनसे.”
10 καὶ εἶπεν πᾶσα ἡ συναγωγὴ καταλιθοβολῆσαι αὐτοὺς ἐν λίθοις καὶ ἡ δόξα κυρίου ὤφθη ἐν νεφέλῃ ἐπὶ τῆς σκηνῆς τοῦ μαρτυρίου ἐν πᾶσι τοῖς υἱοῖς Ισραηλ
किंतु सारी मण्डली उन पर पथराव करने पर उतारू हो गई. तब मिलनवाले तंबू पर सारे इस्राएल के घराने पर याहवेह की ज्योति प्रकाशमान हुई.
11 καὶ εἶπεν κύριος πρὸς Μωυσῆν ἕως τίνος παροξύνει με ὁ λαὸς οὗτος καὶ ἕως τίνος οὐ πιστεύουσίν μοι ἐν πᾶσιν τοῖς σημείοις οἷς ἐποίησα ἐν αὐτοῖς
याहवेह ने मोशेह से प्रश्न किया, “और कब तक ये लोग मेरा तिरस्कार करते रहेंगे? कब तक वे मुझमें विश्वास न करेंगे, जबकि मैं उनके बीच में ये सारे चिन्ह दिखा चुका हूं?
12 πατάξω αὐτοὺς θανάτῳ καὶ ἀπολῶ αὐτοὺς καὶ ποιήσω σὲ καὶ τὸν οἶκον τοῦ πατρός σου εἰς ἔθνος μέγα καὶ πολὺ μᾶλλον ἢ τοῦτο
मैं उन पर महामारी डालकर उनको बाहर निकाल दूंगा. इसके बाद मैं तुमसे एक ऐसे राष्ट्र को उत्पन्‍न करूंगा, जो इनसे अधिक संख्या में और बलवान होगा.”
13 καὶ εἶπεν Μωυσῆς πρὸς κύριον καὶ ἀκούσεται Αἴγυπτος ὅτι ἀνήγαγες τῇ ἰσχύι σου τὸν λαὸν τοῦτον ἐξ αὐτῶν
किंतु मोशेह ने निवेदन करते हुए याहवेह से कहा, “तब तो मिस्रवासी इस विषय में सुन ही लेंगे, क्योंकि आपने अपने भुजबल के द्वारा इन लोगों को उनके बीच में से निकाला है.
14 ἀλλὰ καὶ πάντες οἱ κατοικοῦντες ἐπὶ τῆς γῆς ταύτης ἀκηκόασιν ὅτι σὺ εἶ κύριος ἐν τῷ λαῷ τούτῳ ὅστις ὀφθαλμοῖς κατ’ ὀφθαλμοὺς ὀπτάζῃ κύριε καὶ ἡ νεφέλη σου ἐφέστηκεν ἐπ’ αὐτῶν καὶ ἐν στύλῳ νεφέλης σὺ πορεύῃ πρότερος αὐτῶν τὴν ἡμέραν καὶ ἐν στύλῳ πυρὸς τὴν νύκτα
वे इसका वर्णन यहां के निवासियों से करेंगे. उन्हें यह मालूम है कि आप याहवेह, हम लोगों के बीच में ही हैं. याहवेह, जब आपका बादल उन पर छाया करता था, यह उनके द्वारा आमने-सामने देखा जा चुका है, तथा यह भी कि आप दिन के समय बादल का खंभा तथा रात में आग का खंभा बनकर इनके आगे-आगे चल रहे हैं.
15 καὶ ἐκτρίψεις τὸν λαὸν τοῦτον ὡσεὶ ἄνθρωπον ἕνα καὶ ἐροῦσιν τὰ ἔθνη ὅσοι ἀκηκόασιν τὸ ὄνομά σου λέγοντες
यदि आप इस राष्ट्र को इस रीति से खत्म कर देंगे, मानो यह जनता एक ही व्यक्ति है, तब जिन राष्ट्रों ने आपकी कीर्ति के विषय में सुन रखा है, यही कहेंगे,
16 παρὰ τὸ μὴ δύνασθαι κύριον εἰσαγαγεῖν τὸν λαὸν τοῦτον εἰς τὴν γῆν ἣν ὤμοσεν αὐτοῖς κατέστρωσεν αὐτοὺς ἐν τῇ ἐρήμῳ
‘यह इसलिये हुआ है कि याहवेह इस राष्ट्र को अपनी शपथ के साथ की गई प्रतिज्ञा के अनुसार उस देश में ले जाने में सफल नहीं रह पाए हैं, इसलिये उन्होंने इस राष्ट्र को निर्जन प्रदेश में ही मार डाला.’
17 καὶ νῦν ὑψωθήτω ἡ ἰσχύς σου κύριε ὃν τρόπον εἶπας λέγων
“किंतु अब, मेरे प्रभु, आपसे मेरी यह विनती है, आपकी सामर्थ्य की महिमा आपके कहने के अनुसार हो:
18 κύριος μακρόθυμος καὶ πολυέλεος καὶ ἀληθινός ἀφαιρῶν ἀνομίας καὶ ἀδικίας καὶ ἁμαρτίας καὶ καθαρισμῷ οὐ καθαριεῖ τὸν ἔνοχον ἀποδιδοὺς ἁμαρτίας πατέρων ἐπὶ τέκνα ἕως τρίτης καὶ τετάρτης
‘याहवेह क्रोध करने में धीरजवंत तथा अति करुणामय, वह अधर्म एवं अपराध के लिए क्षमा करनेवाले हैं, किंतु वह किसी भी स्थिति में दोषी को बिना दंड दिए नहीं छोड़ते. वह पूर्वजों के अधर्म का दंड उनके बेटों, पोतों और परपोतों तक को देते हैं.’
19 ἄφες τὴν ἁμαρτίαν τῷ λαῷ τούτῳ κατὰ τὸ μέγα ἔλεός σου καθάπερ ἵλεως αὐτοῖς ἐγένου ἀπ’ Αἰγύπτου ἕως τοῦ νῦν
याहवेह, आपके कभी न बदलनेवाले प्रेम की बहुतायत के अनुसार, मेरी विनती है, अपनी प्रजा के अपराध को क्षमा कर दीजिए, ठीक जिस प्रकार आप मिस्र से निकालने से लेकर अब तक अपनी प्रजा को क्षमा करते रहे हैं.”
20 καὶ εἶπεν κύριος πρὸς Μωυσῆν ἵλεως αὐτοῖς εἰμι κατὰ τὸ ῥῆμά σου
फिर याहवेह ने उन्हें उत्तर दिया, “तुम्हारी विनती के अनुसार मैं उन्हें क्षमा कर चुका हूं.
21 ἀλλὰ ζῶ ἐγὼ καὶ ζῶν τὸ ὄνομά μου καὶ ἐμπλήσει ἡ δόξα κυρίου πᾶσαν τὴν γῆν
किंतु याद रहे, शपथ मेरे जीवन की, सारी धरती याहवेह की महिमा से भर जाएगी,
22 ὅτι πάντες οἱ ἄνδρες οἱ ὁρῶντες τὴν δόξαν μου καὶ τὰ σημεῖα ἃ ἐποίησα ἐν Αἰγύπτῳ καὶ ἐν τῇ ἐρήμῳ ταύτῃ καὶ ἐπείρασάν με τοῦτο δέκατον καὶ οὐκ εἰσήκουσάν μου τῆς φωνῆς
उन सभी व्यक्तियों ने, जिन्होंने मेरी महिमा और मेरे द्वारा दिखाए गए चिन्हों को देख लिया है, जो मैंने मिस्र देश में तथा यहां निर्जन प्रदेश में दिखाए हैं, फिर भी दस अवसरों पर मेरे आदेशों की उपेक्षा की और मेरी परीक्षा की है,
23 ἦ μὴν οὐκ ὄψονται τὴν γῆν ἣν ὤμοσα τοῖς πατράσιν αὐτῶν ἀλλ’ ἢ τὰ τέκνα αὐτῶν ἅ ἐστιν μετ’ ἐμοῦ ὧδε ὅσοι οὐκ οἴδασιν ἀγαθὸν οὐδὲ κακόν πᾶς νεώτερος ἄπειρος τούτοις δώσω τὴν γῆν πάντες δὲ οἱ παροξύναντές με οὐκ ὄψονται αὐτήν
वे किसी भी रीति से उस देश को देख न पाएंगे, जिसकी शपथ मैंने उनके पूर्वजों से की थी, वैसे ही वे भी इस देश को न देख पाएंगे, जिन्होंने मेरा इनकार किया है.
24 ὁ δὲ παῖς μου Χαλεβ ὅτι ἐγενήθη πνεῦμα ἕτερον ἐν αὐτῷ καὶ ἐπηκολούθησέν μοι εἰσάξω αὐτὸν εἰς τὴν γῆν εἰς ἣν εἰσῆλθεν ἐκεῖ καὶ τὸ σπέρμα αὐτοῦ κληρονομήσει αὐτήν
किंतु मेरे सेवक कालेब में, एक अलग आत्मा है और जिसने पूरी-पूरी रीति से मेरा अनुसरण किया है, उसे ही मैं उस देश में ले जाऊंगा, जिसका वह भेद ले चुका है, उसके वंशज उस देश पर अधिकार कर लेंगे.
25 ὁ δὲ Αμαληκ καὶ ὁ Χαναναῖος κατοικοῦσιν ἐν τῇ κοιλάδι αὔριον ἐπιστράφητε ὑμεῖς καὶ ἀπάρατε εἰς τὴν ἔρημον ὁδὸν θάλασσαν ἐρυθράν
इस समय उन घाटियों में अमालेकियों तथा कनानियों का निवास है. कल तुम लाल सागर के मार्ग से निर्जन प्रदेश की ओर कूच करना.”
26 καὶ εἶπεν κύριος πρὸς Μωυσῆν καὶ Ααρων λέγων
याहवेह ने मोशेह तथा अहरोन को संबोधित किया:
27 ἕως τίνος τὴν συναγωγὴν τὴν πονηρὰν ταύτην ἃ αὐτοὶ γογγύζουσιν ἐναντίον ἐμοῦ τὴν γόγγυσιν τῶν υἱῶν Ισραηλ ἣν ἐγόγγυσαν περὶ ὑμῶν ἀκήκοα
“बताओ, मैं कब तक इस कुटिल सभा के प्रति सहानुभूति दिखाता रहूं, जो मेरे विरुद्ध बड़बड़ा रहे हैं? इस्राएल के घराने के अपशब्द मेरे कानों तक पहुंच चुके हैं, वे अपशब्द, जो वे मेरे विरुद्ध कह रहे हैं.
28 εἰπὸν αὐτοῖς ζῶ ἐγώ λέγει κύριος ἦ μὴν ὃν τρόπον λελαλήκατε εἰς τὰ ὦτά μου οὕτως ποιήσω ὑμῖν
तुम उनसे यह कहो, ‘मेरे जीवन की शपथ,’ यह याहवेह का वचन है, ‘ठीक जैसा जैसा तुमने मेरे सुनने में बातें की हैं,’ निश्चित ही तुम्हारे लिए मैं ठीक वैसा ही कर दूंगा.
29 ἐν τῇ ἐρήμῳ ταύτῃ πεσεῖται τὰ κῶλα ὑμῶν καὶ πᾶσα ἡ ἐπισκοπὴ ὑμῶν καὶ οἱ κατηριθμημένοι ὑμῶν ἀπὸ εἰκοσαετοῦς καὶ ἐπάνω ὅσοι ἐγόγγυσαν ἐπ’ ἐμοί
तुम्हारे शव इस निर्जन प्रदेश में धराशाई पड़े रहेंगे; उन सब की जिनकी गिनती की जा चुकी है. बीस वर्ष से ऊपर की आयु के सभी व्यक्ति, जिन्होंने मेरे विरुद्ध आवाज उठाकर बड़बड़ की है.
30 εἰ ὑμεῖς εἰσελεύσεσθε εἰς τὴν γῆν ἐφ’ ἣν ἐξέτεινα τὴν χεῖρά μου κατασκηνῶσαι ὑμᾶς ἐπ’ αὐτῆς ἀλλ’ ἢ Χαλεβ υἱὸς Ιεφοννη καὶ Ἰησοῦς ὁ τοῦ Ναυη
निश्चित ही तुम सब उस देश में प्रवेश नहीं करोगे, जिसमें तुम्हें बसा देने की शपथ मैंने तुमसे की थी; सिर्फ येफुन्‍नेह के पुत्र कालेब तथा नून के पुत्र यहोशू के अलावा.
31 καὶ τὰ παιδία ἃ εἴπατε ἐν διαρπαγῇ ἔσεσθαι εἰσάξω αὐτοὺς εἰς τὴν γῆν καὶ κληρονομήσουσιν τὴν γῆν ἣν ὑμεῖς ἀπέστητε ἀπ’ αὐτῆς
हां, तुम्हारी संतान, जिनके विषय में तुमने कहा था कि वे उनके भोजन हो जाएंगे, उन्हें मैं उस देश में ले जाऊंगा. वे ही उस देश पर अधिकार करेंगे, जिसे तुमने ठुकरा दिया है.
32 καὶ τὰ κῶλα ὑμῶν πεσεῖται ἐν τῇ ἐρήμῳ ταύτῃ
किंतु तुम्हारे लिए तो यही तय हो चुका है तुम्हारे शव इस निर्जन प्रदेश में पड़े रहेंगे.
33 οἱ δὲ υἱοὶ ὑμῶν ἔσονται νεμόμενοι ἐν τῇ ἐρήμῳ τεσσαράκοντα ἔτη καὶ ἀνοίσουσιν τὴν πορνείαν ὑμῶν ἕως ἂν ἀναλωθῇ τὰ κῶλα ὑμῶν ἐν τῇ ἐρήμῳ
तुम्हारे वंशज चालीस वर्ष इस निर्जन प्रदेश में चरवाहे होंगे तथा वे तुम्हारे द्वारा किए गए इस विश्वासघात के लिए कष्ट भोगेंगे और तुम्हारे शव निर्जन प्रदेश में पड़े पाए जाएंगे.
34 κατὰ τὸν ἀριθμὸν τῶν ἡμερῶν ὅσας κατεσκέψασθε τὴν γῆν τεσσαράκοντα ἡμέρας ἡμέραν τοῦ ἐνιαυτοῦ λήμψεσθε τὰς ἁμαρτίας ὑμῶν τεσσαράκοντα ἔτη καὶ γνώσεσθε τὸν θυμὸν τῆς ὀργῆς μου
यह उसी अनुपात में होगा, जितने दिन तुमने उस देश का भेद लिया था; चालीस दिन-भेद लेने के, एक दिन के लिए इस निर्जन प्रदेश में एक वर्ष, कुल चालीस वर्ष. तब तुम अपने पाप के कारण कष्ट भोगोगे और मुझसे विरोध का परिणाम समझ जाओगे.
35 ἐγὼ κύριος ἐλάλησα ἦ μὴν οὕτως ποιήσω τῇ συναγωγῇ τῇ πονηρᾷ ταύτῃ τῇ ἐπισυνεσταμένῃ ἐπ’ ἐμέ ἐν τῇ ἐρήμῳ ταύτῃ ἐξαναλωθήσονται καὶ ἐκεῖ ἀποθανοῦνται
मैं, याहवेह ने, यह घोषणा कर दी है, मैं इस पूरी बुरी सभा के साथ निश्चित ही यह करूंगा, जो मेरे विरुद्ध एकजुट हो गए हैं. इसी निर्जन प्रदेश में नष्ट हो जाएंगे; यहीं उनकी मृत्यु हो जाएगी.”
36 καὶ οἱ ἄνθρωποι οὓς ἀπέστειλεν Μωυσῆς κατασκέψασθαι τὴν γῆν καὶ παραγενηθέντες διεγόγγυσαν κατ’ αὐτῆς πρὸς τὴν συναγωγὴν ἐξενέγκαι ῥήματα πονηρὰ περὶ τῆς γῆς
वैसे उन लोगों की नियति, जिन्हें मोशेह ने उस देश का भेद लेने के उद्देश्य से भेजा था और जिन्होंने लौटने पर उस देश का उलटा चित्रण किया था, जिन्होंने सारी सभा को बड़बड़ाने के लिए उभार दिया था,
37 καὶ ἀπέθανον οἱ ἄνθρωποι οἱ κατείπαντες κατὰ τῆς γῆς πονηρὰ ἐν τῇ πληγῇ ἔναντι κυρίου
ये वे ही थे, जिन्होंने उस देश का अत्यंत भयानक चित्र प्रस्तुत किया था, याहवेह ही के सामने महामारी से उनकी मृत्यु हो गई.
38 καὶ Ἰησοῦς υἱὸς Ναυη καὶ Χαλεβ υἱὸς Ιεφοννη ἔζησαν ἀπὸ τῶν ἀνθρώπων ἐκείνων τῶν πεπορευμένων κατασκέψασθαι τὴν γῆν
किंतु नून के पुत्र यहोशू तथा येफुन्‍नेह के पुत्र कालेब ही उनमें से जीवित रहे, जो उस देश का भेद लेने के लिए गए हुए थे.
39 καὶ ἐλάλησεν Μωυσῆς τὰ ῥήματα ταῦτα πρὸς πάντας υἱοὺς Ισραηλ καὶ ἐπένθησεν ὁ λαὸς σφόδρα
जब मोशेह ने सभी इस्राएलियों के सामने यह बातें दोहराई, वे घोर विलाप करने लगे.
40 καὶ ὀρθρίσαντες τὸ πρωὶ ἀνέβησαν εἰς τὴν κορυφὴν τοῦ ὄρους λέγοντες ἰδοὺ οἵδε ἡμεῖς ἀναβησόμεθα εἰς τὸν τόπον ὃν εἶπεν κύριος ὅτι ἡμάρτομεν
फिर भी, वे बड़े तड़के उठे और इस विचार से, “निश्चयतः हमने पाप किया है. अब हम यहां तक पहुंच चुके हैं, हम याहवेह के प्रतिज्ञा किए हुए देश को चले जाएंगे!”
41 καὶ εἶπεν Μωυσῆς ἵνα τί ὑμεῖς παραβαίνετε τὸ ῥῆμα κυρίου οὐκ εὔοδα ἔσται ὑμῖν
किंतु मोशेह ने आपत्ति की, “तुम लोग याहवेह के आदेश का उल्लंघन करने पर उतारू क्यों हो? यह कार्य हो ही नहीं सकता!
42 μὴ ἀναβαίνετε οὐ γάρ ἐστιν κύριος μεθ’ ὑμῶν καὶ πεσεῖσθε πρὸ προσώπου τῶν ἐχθρῶν ὑμῶν
मत जाओ वहां, नहीं तो तुम शत्रुओं द्वारा हरा दिए जाओगे, क्योंकि अब तुम पर याहवेह का आश्रय नहीं रहा,
43 ὅτι ὁ Αμαληκ καὶ ὁ Χαναναῖος ἐκεῖ ἔμπροσθεν ὑμῶν καὶ πεσεῖσθε μαχαίρᾳ οὗ εἵνεκεν ἀπεστράφητε ἀπειθοῦντες κυρίῳ καὶ οὐκ ἔσται κύριος ἐν ὑμῖν
वहां तुम स्वयं को अमालेकियों एवं कनानियों के सामने पाओगे और तुम तलवार से मार दिए जाओगे, क्योंकि तुमने याहवेह का अनुसरण करने को तुच्छ जाना है. यहां याहवेह तुम्हारे साथ न रहेंगे.”
44 καὶ διαβιασάμενοι ἀνέβησαν ἐπὶ τὴν κορυφὴν τοῦ ὄρους ἡ δὲ κιβωτὸς τῆς διαθήκης κυρίου καὶ Μωυσῆς οὐκ ἐκινήθησαν ἐκ τῆς παρεμβολῆς
किंतु वे मोशेह की चेतावनी को न मानते हुए उस पर्वतीय क्षेत्र के टीले पर चढ़ गए. न तो मोशेह ने छावनी छोड़ी थी और न ही वाचा के संदूक को छावनी के बाहर लाया गया था.
45 καὶ κατέβη ὁ Αμαληκ καὶ ὁ Χαναναῖος ὁ ἐγκαθήμενος ἐν τῷ ὄρει ἐκείνῳ καὶ ἐτρέψαντο αὐτοὺς καὶ κατέκοψαν αὐτοὺς ἕως Ερμαν καὶ ἀπεστράφησαν εἰς τὴν παρεμβολήν
तब उस पर्वतीय क्षेत्र के निवासी अमालेकी तथा कनानी उन पर टूट पड़े और होरमाह नामक स्थान तक उनका पीछा करते हुए उनको मारते चले गए.

< Ἀριθμοί 14 >