< Ἔσδρας Βʹ 6 >

1 καὶ ἐγένετο καθὼς ἠκούσθη τῷ Σαναβαλλατ καὶ Τωβια καὶ τῷ Γησαμ τῷ Αραβι καὶ τοῖς καταλοίποις τῶν ἐχθρῶν ἡμῶν ὅτι ᾠκοδόμησα τὸ τεῖχος καὶ οὐ κατελείφθη ἐν αὐτοῖς πνοή ἕως τοῦ καιροῦ ἐκείνου θύρας οὐκ ἐπέστησα ἐν ταῖς πύλαις
जब सनबल्लत और तूबियाह और जशम 'अरबी और हमारे बाक़ी दुश्मनों ने सुना कि मैं शहरपनाह को बना चुका, और उसमें कोई रख़ना बाक़ी नहीं रहा अगरचे उस वक़्त तक मैंने फाटकों में किवाड़े नहीं लगाए थे।
2 καὶ ἀπέστειλεν Σαναβαλλατ καὶ Γησαμ πρός με λέγων δεῦρο καὶ συναχθῶμεν ἐπὶ τὸ αὐτὸ ἐν ταῖς κώμαις ἐν πεδίῳ Ωνω καὶ αὐτοὶ λογιζόμενοι ποιῆσαί μοι πονηρίαν
तो सनबल्लत और जशम ने मुझे ये कहला भेजा कि आ, हम ओनू के मैदान के किसी गाँव में आपस में मुलाक़ात करें। लेकिन वह मुझ से बुराई करने की फ़िक्र में थे।
3 καὶ ἀπέστειλα ἐπ’ αὐτοὺς ἀγγέλους λέγων ἔργον μέγα ἐγὼ ποιῶ καὶ οὐ δυνήσομαι καταβῆναι μήποτε καταπαύσῃ τὸ ἔργον ὡς ἂν τελειώσω αὐτό καταβήσομαι πρὸς ὑμᾶς
इसलिए मैंने उनके पास कासिदों से कहला भेजा कि मैं बड़े काम में लगा हूँ और आ नहीं सकता; मेरे इसे छोड़कर तुम्हारे पास आने से ये काम क्यूँ बन्द रहे?
4 καὶ ἀπέστειλαν πρός με ὡς τὸ ῥῆμα τοῦτο καὶ ἀπέστειλα αὐτοῖς κατὰ ταῦτα
उन्होंने चार बार मेरे पास ऐसा ही पैग़ाम भेजा और मैंने उनको इसी तरह का जवाब दिया।
5 καὶ ἀπέστειλεν πρός με Σαναβαλλατ τὸν παῖδα αὐτοῦ καὶ ἐπιστολὴν ἀνεῳγμένην ἐν χειρὶ αὐτοῦ
फिर सनबल्लत ने पाँचवीं बार उसी तरह से अपने नौकर को मेरे पास हाथ में खुली चिट्ठी लिए हुए भेजा:
6 καὶ ἦν γεγραμμένον ἐν αὐτῇ ἐν ἔθνεσιν ἠκούσθη ὅτι σὺ καὶ οἱ Ιουδαῖοι λογίζεσθε ἀποστατῆσαι διὰ τοῦτο σὺ οἰκοδομεῖς τὸ τεῖχος καὶ σὺ γίνῃ αὐτοῖς εἰς βασιλέα
जिसमें लिखा था कि और क़ौमों में ये अफ़वाह है और जशम यही कहता है, कि तेरा और यहूदियों का इरादा बग़ावत करने का है, इसी वजह से तू शहरपनाह बनाता है; और तू इन बातों के मुताबिक़ उनका बादशाह बनना चाहता है।
7 καὶ πρὸς τούτοις προφήτας ἔστησας σεαυτῷ ἵνα καθίσῃς ἐν Ιερουσαλημ εἰς βασιλέα ἐν Ιουδα καὶ νῦν ἀπαγγελήσονται τῷ βασιλεῖ οἱ λόγοι οὗτοι καὶ νῦν δεῦρο βουλευσώμεθα ἐπὶ τὸ αὐτό
और तूने नबियों को भी मुक़र्रर किया कि येरूशलेम में तेरे हक़ में 'ऐलान करें और कहें, 'यहूदाह में एक बादशाह है। तब इन बातों के मुताबिक़ बादशाह को इत्तला' की जाएगी। इसलिए अब आ हम आपस में मशवरा करें।
8 καὶ ἀπέστειλα πρὸς αὐτὸν λέγων οὐκ ἐγενήθη ὡς οἱ λόγοι οὗτοι οὓς σὺ λέγεις ὅτι ἀπὸ καρδίας σου σὺ ψεύδῃ αὐτούς
तब मैंने उसके पास कहला भेजा, “जो तू कहता है, इस तरह की कोई बात नहीं हुई, बल्कि तू ये बातें अपने ही दिल से बनाता है।”
9 ὅτι πάντες φοβερίζουσιν ἡμᾶς λέγοντες ἐκλυθήσονται αἱ χεῖρες αὐτῶν ἀπὸ τοῦ ἔργου τούτου καὶ οὐ ποιηθήσεται καὶ νῦν ἐκραταίωσα τὰς χεῖράς μου
वह सब तो हम को डराना चाहते थे, और कहते थे कि इस काम में उनके हाथ ऐसे ढीले पड़ जाएँगे कि वह होने ही का नहीं। लेकिन अब ऐ ख़ुदा, तू मेरे हाथों को ताक़त बख़्श।
10 καὶ ἐγὼ εἰσῆλθον εἰς οἶκον Σεμεϊ υἱοῦ Δαλαια υἱοῦ Μεηταβηλ καὶ αὐτὸς συνεχόμενος καὶ εἶπεν συναχθῶμεν εἰς οἶκον τοῦ θεοῦ ἐν μέσῳ αὐτοῦ καὶ κλείσωμεν τὰς θύρας αὐτοῦ ὅτι ἔρχονται νυκτὸς φονεῦσαί σε
फिर मैं समा'याह बिन दिलायाह बिन मुहेतबेल के घर गया, वह घर में बन्द था; उसने कहा, “हम ख़ुदा के घर में, हैकल के अन्दर मिलें, और हैकल के दरवाज़ों को बन्द कर लें। क्यूँकि वह तुझे क़त्ल करने को आएँगे, वह ज़रूर रात को तुझे क़त्ल करने को आएँगे।”
11 καὶ εἶπα τίς ἐστιν ὁ ἀνήρ ὃς εἰσελεύσεται εἰς τὸν οἶκον καὶ ζήσεται
मैंने कहा, “क्या मुझसा आदमी भागे? और कौन है जो मुझ सा हो और अपनी जान बचाने को हैकल में घुसे'? मैं अन्दर नहीं जाने का।”
12 καὶ ἐπέγνων καὶ ἰδοὺ ὁ θεὸς οὐκ ἀπέστειλεν αὐτόν ὅτι ἡ προφητεία λόγος κατ’ ἐμοῦ καὶ Τωβιας καὶ Σαναβαλλατ ἐμισθώσαντο
और मैंने मा'लूम कर लिया कि ख़ुदा ने उसे नहीं भेजा था, लेकिन उसने मेरे ख़िलाफ़ पेशीनगोई की बल्कि सनबल्लत और तूबियाह ने उसे मज़दूरी पर रख्खा था।
13 ἐπ’ ἐμὲ ὄχλον ὅπως φοβηθῶ καὶ ποιήσω οὕτως καὶ ἁμάρτω καὶ γένωμαι αὐτοῖς εἰς ὄνομα πονηρόν ὅπως ὀνειδίσωσίν με
और उसको इसलिए मज़दूरी दी गई ताकि मैं डर जाऊँ और ऐसा काम करके ख़ताकार ठहरूँ, और उनको बुरी ख़बर फैलाने का मज़मून मिल जाए, ताकि मुझे मलामत करें।
14 μνήσθητι ὁ θεός τῷ Τωβια καὶ τῷ Σαναβαλλατ ὡς τὰ ποιήματα αὐτοῦ ταῦτα καὶ τῷ Νωαδια τῷ προφήτῃ καὶ τοῖς καταλοίποις τῶν προφητῶν οἳ ἦσαν φοβερίζοντές με
ऐ मेरे ख़ुदा! तूबियाह और सनबल्लत को उनके इन कामों के लिहाज़ से, और नौ'ईदियाह नबिया को भी और बाक़ी नबियों को जो मुझे डराना चाहते थे याद रख।
15 καὶ ἐτελέσθη τὸ τεῖχος πέμπτῃ καὶ εἰκάδι τοῦ Ελουλ εἰς πεντήκοντα καὶ δύο ἡμέρας
ग़रज़ बावन दिन में, अलूल महीने की पच्चीसवीं तारीख़ को शहरपनाह बन चुकी।
16 καὶ ἐγένετο ἡνίκα ἤκουσαν πάντες οἱ ἐχθροὶ ἡμῶν καὶ ἐφοβήθησαν πάντα τὰ ἔθνη τὰ κύκλῳ ἡμῶν καὶ ἐπέπεσεν φόβος σφόδρα ἐν ὀφθαλμοῖς αὐτῶν καὶ ἔγνωσαν ὅτι παρὰ τοῦ θεοῦ ἡμῶν ἐγενήθη τελειωθῆναι τὸ ἔργον τοῦτο
जब हमारे सब दुश्मनों ने ये सुना, तो हमारे आस — पास की सब क़ौमें डरने लगीं और अपनी ही नज़र में ख़ुद ज़लील हो गईं; क्यूँकि उन्होंने जान लिया कि ये काम हमारे ख़ुदा की तरफ़ से हुआ।
17 καὶ ἐν ταῖς ἡμέραις ἐκείναις ἀπὸ πολλῶν ἐντίμων Ιουδα ἐπιστολαὶ ἐπορεύοντο πρὸς Τωβιαν καὶ αἱ Τωβια ἤρχοντο πρὸς αὐτούς
इसके अलावा उन दिनों में यहूदाह के अमीर बहुत से ख़त तूबियाह को भेजते थे, और तूबियाह के ख़त उनके पास आते थे।
18 ὅτι πολλοὶ ἐν Ιουδα ἔνορκοι ἦσαν αὐτῷ ὅτι γαμβρὸς ἦν τοῦ Σεχενια υἱοῦ Ηραε καὶ Ιωαναν υἱὸς αὐτοῦ ἔλαβεν τὴν θυγατέρα Μεσουλαμ υἱοῦ Βαραχια εἰς γυναῖκα
क्यूँकि यहूदाह में बहुत लोगों ने उससे क़ौल — ओ — क़रार किया था, इसलिए कि वह सिकनियाह बिन अरख़ का दामाद था; और उसके बेटे यहूहानान ने मुसल्लाम बिन बरकियाह की बेटी को ब्याह लिया था।
19 καὶ τοὺς λόγους αὐτοῦ ἦσαν λέγοντες πρός με καὶ λόγους μου ἦσαν ἐκφέροντες αὐτῷ καὶ ἐπιστολὰς ἀπέστειλεν Τωβιας φοβερίσαι με
और वह मेरे आगे उसकी नेकियों का बयान भी करते थे और मेरी बातें उसे सुनाते थे, और तूबियाह मुझे डराने को चिट्ठियाँ भेजा करता था।

< Ἔσδρας Βʹ 6 >