< Ἰώβ 12 >
2 εἶτα ὑμεῖς ἐστε ἄνθρωποι ἦ μεθ’ ὑμῶν τελευτήσει σοφία
“निःसंदेह तुम्हीं हो वे लोग, तुम्हारे साथ ही ज्ञान का अस्तित्व मिट जाएगा!
3 κἀμοὶ μὲν καρδία καθ’ ὑμᾶς ἐστιν
किंतु तुम्हारे समान बुद्धि मुझमें भी है; तुमसे कम नहीं है मेरा स्तर. किसे बोध नहीं है इस सत्य का?
4 δίκαιος γὰρ ἀνὴρ καὶ ἄμεμπτος ἐγενήθη εἰς χλεύασμα
“अपने मित्रों के लिए तो मैं हंसी मज़ाक का विषय होकर रह गया हूं, मैंने परमेश्वर को पुकारा और उन्होंने इसका प्रत्युत्तर भी दिया; और अब यहां खरा तथा निर्दोष व्यक्ति उपहास का पात्र हो गया है!
5 εἰς χρόνον γὰρ τακτὸν ἡτοίμαστο πεσεῖν ὑπὸ ἄλλους οἴκους τε αὐτοῦ ἐκπορθεῖσθαι ὑπὸ ἀνόμων
सुखी धनवान व्यक्ति को दुःखी व्यक्ति घृणित लग रहा है. जो पहले ही लड़खड़ा रहा है, उसी पर प्रहार किया जा रहा है.
6 οὐ μὴν δὲ ἀλλὰ μηδεὶς πεποιθέτω πονηρὸς ὢν ἀθῷος ἔσεσθαι ὅσοι παροργίζουσιν τὸν κύριον ὡς οὐχὶ καὶ ἔτασις αὐτῶν ἔσται
उन्हीं के घरों को सुरक्षित छोड़ा जा रहा है, जो हिंसक-विनाशक हैं, वे ही सुरक्षा में निवास कर रहे हैं, जो परमेश्वर को उकसाते रहे हैं, जो सोचते हैं कि ईश्वर अपनी मुट्ठी में है!
7 ἀλλὰ δὴ ἐπερώτησον τετράποδα ἐάν σοι εἴπωσιν πετεινὰ δὲ οὐρανοῦ ἐάν σοι ἀπαγγείλωσιν
“किंतु अब जाकर पशुओं से परामर्श लो, अब वे तुम्हें शिक्षा देने लगें, आकाश में उड़ते पक्षी तुम्हें सूचना देने लगें;
8 ἐκδιήγησαι δὲ γῇ ἐάν σοι φράσῃ καὶ ἐξηγήσονταί σοι οἱ ἰχθύες τῆς θαλάσσης
अन्यथा पृथ्वी से ही वार्तालाप करो, वही तुम्हें शिक्षा दे, महासागर की मछलियां तुम्हारे लिए शिक्षक हो जाएं.
9 τίς οὐκ ἔγνω ἐν πᾶσι τούτοις ὅτι χεὶρ κυρίου ἐποίησεν ταῦτα
कौन है तुम्हारे मध्य जो इस सत्य से अनजान है, कि यह सब याहवेह की कृति है?
10 εἰ μὴ ἐν χειρὶ αὐτοῦ ψυχὴ πάντων τῶν ζώντων καὶ πνεῦμα παντὸς ἀνθρώπου
किसका अधिकार है हर एक जीवधारी जीवन पर तथा समस्त मानव जाति के श्वास पर?
11 οὖς μὲν γὰρ ῥήματα διακρίνει λάρυγξ δὲ σῖτα γεύεται
क्या कान शब्दों की परख नहीं करता, जिस प्रकार जीभ भोजन के स्वाद को परखती है?
12 ἐν πολλῷ χρόνῳ σοφία ἐν δὲ πολλῷ βίῳ ἐπιστήμη
क्या, वृद्धों में बुद्धि पायी नहीं जाती है? क्या लंबी आयु समझ नहीं ले आती?
13 παρ’ αὐτῷ σοφία καὶ δύναμις αὐτῷ βουλὴ καὶ σύνεσις
“विवेक एवं बल परमेश्वर के साथ हैं; निर्णय तथा समझ भी उन्हीं में शामिल हैं.
14 ἐὰν καταβάλῃ τίς οἰκοδομήσει ἐὰν κλείσῃ κατὰ ἀνθρώπων τίς ἀνοίξει
जो कुछ उनके द्वारा गिरा दिया जाता है, उसे फिर से बनाया नहीं जा सकता; जब वह किसी को बंदी बना लेते हैं, असंभव है उसका छुटकारा.
15 ἐὰν κωλύσῃ τὸ ὥδωρ ξηρανεῖ τὴν γῆν ἐὰν δὲ ἐπαφῇ ἀπώλεσεν αὐτὴν καταστρέψας
सुनो! क्या कहीं सूखा पड़ा है? यह इसलिये कि परमेश्वर ने ही जल रोक कर रखा है; जब वह इसे प्रेषित कर देते हैं, पृथ्वी जलमग्न हो जाती है.
16 παρ’ αὐτῷ κράτος καὶ ἰσχύς αὐτῷ ἐπιστήμη καὶ σύνεσις
वही हैं बल एवं ज्ञान के स्रोत; धोखा देनेवाला तथा धोखा खानेवाला दोनों ही उनके अधीन हैं.
17 διάγων βουλευτὰς αἰχμαλώτους κριτὰς δὲ γῆς ἐξέστησεν
वह मंत्रियों को विवस्त्र कर छोड़ते हैं तथा न्यायाधीशों को मूर्ख बना देते हैं.
18 καθιζάνων βασιλεῖς ἐπὶ θρόνους καὶ περιέδησεν ζώνῃ ὀσφύας αὐτῶν
वह राजाओं द्वारा डाली गई बेड़ियों को तोड़ फेंकते हैं तथा उनकी कमर को बंधन से सुसज्जित कर देते हैं.
19 ἐξαποστέλλων ἱερεῖς αἰχμαλώτους δυνάστας δὲ γῆς κατέστρεψεν
वह पुरोहितों को नग्न पांव चलने के लिए मजबूर कर देते हैं तथा उन्हें, जो स्थिर थे, पराजित कर देते हैं.
20 διαλλάσσων χείλη πιστῶν σύνεσιν δὲ πρεσβυτέρων ἔγνω
वह विश्वास सलाहकारों को अवाक बना देते हैं तथा बड़ों की समझने की शक्ति समाप्त कर देते हैं
21 ἐκχέων ἀτιμίαν ἐπ’ ἄρχοντας ταπεινοὺς δὲ ἰάσατο
वह आदरणीय व्यक्ति को घृणा के पात्र बना छोड़ते हैं. तथा शूरवीरों को निकम्मा कर देते हैं.
22 ἀνακαλύπτων βαθέα ἐκ σκότους ἐξήγαγεν δὲ εἰς φῶς σκιὰν θανάτου
वह घोर अंधकार में बड़े रहस्य प्रकट कर देते हैं, तथा घोर अंधकार को प्रकाश में ले आते हैं.
23 πλανῶν ἔθνη καὶ ἀπολλύων αὐτά καταστρωννύων ἔθνη καὶ καθοδηγῶν αὐτά
वही राष्ट्रों को उन्नत करते और फिर उन्हें नष्ट भी कर देते हैं. वह राष्ट्रों को समृद्ध करते और फिर उसे निवास रहित भी कर देते हैं.
24 διαλλάσσων καρδίας ἀρχόντων γῆς ἐπλάνησεν δὲ αὐτοὺς ὁδῷ ᾗ οὐκ ᾔδεισαν
वह विश्व के शासकों की बुद्धि शून्य कर देते हैं तथा उन्हें रेगिस्तान प्रदेश में दिशाहीन भटकने के लिए छोड़ देते हैं.
25 ψηλαφήσαισαν σκότος καὶ μὴ φῶς πλανηθείησαν δὲ ὥσπερ ὁ μεθύων
वे घोर अंधकार में टटोलते रह जाते हैं तथा वह उन्हें इस स्थिति में डाल देते हैं, मानो कोई मतवाला लड़खड़ा रहा हो.