< Ἱερεμίας 32 >

1
यहूदा के राजा सिदकिय्याह के राज्य के दसवें वर्ष में जो नबूकदनेस्सर के राज्य का अठारहवाँ वर्ष था, यहोवा की ओर से यह वचन यिर्मयाह के पास पहुँचा।
2
उस समय बाबेल के राजा की सेना ने यरूशलेम को घेर लिया था और यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता यहूदा के राजा के पहरे के भवन के आँगन में कैदी था।
3
क्योंकि यहूदा के राजा सिदकिय्याह ने यह कहकर उसे कैद किया था, “तू ऐसी भविष्यद्वाणी क्यों करता है, ‘यहोवा यह कहता है: देखो, मैं यह नगर बाबेल के राजा के वश में कर दूँगा, वह इसको ले लेगा;
4
और यहूदा का राजा सिदकिय्याह कसदियों के हाथ से न बचेगा परन्तु वह बाबेल के राजा के वश में अवश्य ही पड़ेगा, और वह और बाबेल का राजा आपस में आमने-सामने बातें करेंगे; और अपनी-अपनी आँखों से एक दूसरे को देखेंगे।
5
और वह सिदकिय्याह को बाबेल में ले जाएगा, और जब तक मैं उसकी सुधि न लूँ, तब तक वह वहीं रहेगा, यहोवा की यह वाणी है। चाहे तुम लोग कसदियों से लड़ो भी, तो भी तुम्हारे लड़ने से कुछ बन न पड़ेगा।’”
6
यिर्मयाह ने कहा, “यहोवा का वचन मेरे पास पहुँचा,
7
देख, शल्लूम का पुत्र हनमेल जो तेरा चचेरा भाई है, वह तेरे पास यह कहने को आने पर है, ‘मेरा खेत जो अनातोत में है उसे मोल ले, क्योंकि उसे मोल लेकर छुड़ाने का अधिकार तेरा ही है।’
8
अतः यहोवा के वचन के अनुसार मेरा चचेरा भाई हनमेल पहरे के आँगन में मेरे पास आकर कहने लगा, ‘मेरा जो खेत बिन्यामीन क्षेत्र के अनातोत में है उसे मोल ले, क्योंकि उसके स्वामी होने और उसके छुड़ा लेने का अधिकार तेरा ही है; इसलिए तू उसे मोल ले।’ तब मैंने जान लिया कि वह यहोवा का वचन था।
9
“इसलिए मैंने उस अनातोत के खेत को अपने चचेरे भाई हनमेल से मोल ले लिया, और उसका दाम चाँदी के सत्रह शेकेल तौलकर दे दिए।
१०और मैंने दस्तावेज में दस्तखत और मुहर हो जाने पर, गवाहों के सामने वह चाँदी काँटे में तौलकर उसे दे दी।
११तब मैंने मोल लेने की दोनों दस्तावेजें जिनमें सब शर्तें लिखी हुई थीं, और जिनमें से एक पर मुहर थी और दूसरी खुली थी,
१२उन्हें लेकर अपने चचेरे भाई हनमेल के और उन गवाहों के सामने जिन्होंने दस्तावेज में दस्तखत किए थे, और उन सब यहूदियों के सामने भी जो पहरे के आँगन में बैठे हुए थे, नेरिय्याह के पुत्र बारूक को जो महसेयाह का पोता था, सौंप दिया।
13 ὅσα ἐπροφήτευσεν Ιερεμιας ἐπὶ πάντα τὰ ἔθνη
१३तब मैंने उनके सामने बारूक को यह आज्ञा दी
१४‘इस्राएल के परमेश्वर सेनाओं का यहोवा यह कहता है, इन मोल लेने की दस्तावेजों को जिन पर मुहर की हुई है और जो खुली हुई है, इन्हें लेकर मिट्टी के बर्तन में रख, ताकि ये बहुत दिन तक रहें।
15 οὕτως εἶπεν κύριος ὁ θεὸς Ισραηλ λαβὲ τὸ ποτήριον τοῦ οἴνου τοῦ ἀκράτου τούτου ἐκ χειρός μου καὶ ποτιεῖς πάντα τὰ ἔθνη πρὸς ἃ ἐγὼ ἀποστέλλω σε πρὸς αὐτούς
१५क्योंकि इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा यह कहता है, इस देश में घर और खेत और दाख की बारियाँ फिर बेची और मोल ली जाएँगी।’
16 καὶ πίονται καὶ ἐξεμοῦνται καὶ μανήσονται ἀπὸ προσώπου τῆς μαχαίρας ἧς ἐγὼ ἀποστέλλω ἀνὰ μέσον αὐτῶν
१६“जब मैंने मोल लेने की वह दस्तावेज नेरिय्याह के पुत्र बारूक के हाथ में दी, तब मैंने यहोवा से यह प्रार्थना की,
17 καὶ ἔλαβον τὸ ποτήριον ἐκ χειρὸς κυρίου καὶ ἐπότισα τὰ ἔθνη πρὸς ἃ ἀπέστειλέν με κύριος ἐπ’ αὐτά
१७‘हे प्रभु यहोवा, तूने बड़े सामर्थ्य और बढ़ाई हुई भुजा से आकाश और पृथ्वी को बनाया है! तेरे लिये कोई काम कठिन नहीं है।
18 τὴν Ιερουσαλημ καὶ τὰς πόλεις Ιουδα καὶ βασιλεῖς Ιουδα καὶ ἄρχοντας αὐτοῦ τοῦ θεῖναι αὐτὰς εἰς ἐρήμωσιν καὶ εἰς ἄβατον καὶ εἰς συριγμὸν
१८तू हजारों पर करुणा करता रहता परन्तु पूर्वजों के अधर्म का बदला उनके बाद उनके वंश के लोगों को भी देता है, हे महान और पराक्रमी परमेश्वर, जिसका नाम सेनाओं का यहोवा है,
19 καὶ τὸν Φαραω βασιλέα Αἰγύπτου καὶ τοὺς παῖδας αὐτοῦ καὶ τοὺς μεγιστᾶνας αὐτοῦ καὶ πάντα τὸν λαὸν αὐτοῦ
१९तू बड़ी युक्ति करनेवाला और सामर्थ्य के काम करनेवाला है; तेरी दृष्टि मनुष्यों के सारे चाल चलन पर लगी रहती है, और तू हर एक को उसके चाल चलन और कर्म का फल भुगताता है।
20 καὶ πάντας τοὺς συμμίκτους αὐτοῦ καὶ πάντας τοὺς βασιλεῖς ἀλλοφύλων τὴν Ἀσκαλῶνα καὶ τὴν Γάζαν καὶ τὴν Ακκαρων καὶ τὸ ἐπίλοιπον Ἀζώτου
२०तूने मिस्र देश में चिन्ह और चमत्कार किए, और आज तक इस्राएलियों वरन् सब मनुष्यों के बीच वैसा करता आया है, और इस प्रकार तूने अपना ऐसा नाम किया है जो आज के दिन तक बना है।
21 καὶ τὴν Ιδουμαίαν καὶ τὴν Μωαβῖτιν καὶ τοὺς υἱοὺς Αμμων
२१तू अपनी प्रजा इस्राएल को मिस्र देश में से चिन्हों और चमत्कारों और सामर्थी हाथ और बढ़ाई हुई भुजा के द्वारा, और बड़े भयानक कामों के साथ निकाल लाया।
22 καὶ πάντας βασιλεῖς Τύρου καὶ βασιλεῖς Σιδῶνος καὶ βασιλεῖς τοὺς ἐν τῷ πέραν τῆς θαλάσσης
२२फिर तूने यह देश उन्हें दिया जिसके देने की शपथ तूने उनके पूर्वजों से खाई थी; जिसमें दूध और मधु की धाराएँ बहती हैं, और वे आकर इसके अधिकारी हुए।
23 καὶ τὴν Δαιδαν καὶ τὴν Θαιμαν καὶ τὴν Ρως καὶ πᾶν περικεκαρμένον κατὰ πρόσωπον αὐτοῦ
२३तो भी उन्होंने तेरी नहीं मानी, और न तेरी व्यवस्था पर चले; वरन् जो कुछ तूने उनको करने की आज्ञा दी थी, उसमें से उन्होंने कुछ भी नहीं किया। इस कारण तूने उन पर यह सब विपत्ति डाली है।
24 καὶ πάντας τοὺς συμμίκτους τοὺς καταλύοντας ἐν τῇ ἐρήμῳ
२४अब इन दमदमों को देख, वे लोग इस नगर को ले लेने के लिये आ गए हैं, और यह नगर तलवार, अकाल और मरी के कारण इन चढ़े हुए कसदियों के वश में किया गया है। जो तूने कहा था वह अब पूरा हुआ है, और तू इसे देखता भी है।
25 καὶ πάντας βασιλεῖς Αιλαμ καὶ πάντας βασιλεῖς Περσῶν
२५तो भी, हे प्रभु यहोवा, तूने मुझसे कहा है कि गवाह बुलाकर उस खेत को मोल ले, यद्यपि कि यह नगर कसदियों के वश में कर दिया गया है।’”
26 καὶ πάντας βασιλεῖς ἀπὸ ἀπηλιώτου τοὺς πόρρω καὶ τοὺς ἐγγύς ἕκαστον πρὸς τὸν ἀδελφὸν αὐτοῦ καὶ πάσας τὰς βασιλείας τὰς ἐπὶ προσώπου τῆς γῆς
२६तब यहोवा का यह वचन यिर्मयाह के पास पहुँचा,
27 καὶ ἐρεῖς αὐτοῖς οὕτως εἶπεν κύριος παντοκράτωρ πίετε καὶ μεθύσθητε καὶ ἐξεμέσατε καὶ πεσεῖσθε καὶ οὐ μὴ ἀναστῆτε ἀπὸ προσώπου τῆς μαχαίρας ἧς ἐγὼ ἀποστέλλω ἀνὰ μέσον ὑμῶν
२७“मैं तो सब प्राणियों का परमेश्वर यहोवा हूँ; क्या मेरे लिये कोई भी काम कठिन है?
28 καὶ ἔσται ὅταν μὴ βούλωνται δέξασθαι τὸ ποτήριον ἐκ τῆς χειρός σου ὥστε πιεῖν καὶ ἐρεῖς οὕτως εἶπεν κύριος πιόντες πίεσθε
२८इसलिए यहोवा यह कहता है, देख, मैं यह नगर कसदियों और बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर के वश में कर देने पर हूँ, और वह इसको ले लेगा।
29 ὅτι ἐν πόλει ἐν ᾗ ὠνομάσθη τὸ ὄνομά μου ἐπ’ αὐτήν ἐγὼ ἄρχομαι κακῶσαι καὶ ὑμεῖς καθάρσει οὐ μὴ καθαρισθῆτε ὅτι μάχαιραν ἐγὼ καλῶ ἐπὶ τοὺς καθημένους ἐπὶ τῆς γῆς
२९जो कसदी इस नगर से युद्ध कर रहे हैं, वे आकर इसमें आग लगाकर फूँक देंगे, और जिन घरों की छतों पर उन्होंने बाल के लिये धूप जलाकर और दूसरे देवताओं को अर्घ चढ़ाकर मुझे रिस दिलाई है, वे घर जला दिए जाएँगे।
30 καὶ σὺ προφητεύσεις ἐπ’ αὐτοὺς τοὺς λόγους τούτους καὶ ἐρεῖς κύριος ἀφ’ ὑψηλοῦ χρηματιεῖ ἀπὸ τοῦ ἁγίου αὐτοῦ δώσει φωνὴν αὐτοῦ λόγον χρηματιεῖ ἐπὶ τοῦ τόπου αὐτοῦ καὶ αιδαδ ὥσπερ τρυγῶντες ἀποκριθήσονται καὶ ἐπὶ τοὺς καθημένους ἐπὶ τὴν γῆν
३०क्योंकि इस्राएल और यहूदा, जो काम मुझे बुरा लगता है, वही लड़कपन से करते आए हैं; इस्राएली अपनी बनाई हुई वस्तुओं से मुझ को रिस ही रिस दिलाते आए हैं, यहोवा की यह वाणी है।
31 ἥκει ὄλεθρος ἐπὶ μέρος τῆς γῆς ὅτι κρίσις τῷ κυρίῳ ἐν τοῖς ἔθνεσιν κρίνεται αὐτὸς πρὸς πᾶσαν σάρκα οἱ δὲ ἀσεβεῖς ἐδόθησαν εἰς μάχαιραν λέγει κύριος
३१यह नगर जब से बसा है तब से आज के दिन तक मेरे क्रोध और जलजलाहट के भड़कने का कारण हुआ है, इसलिए अब मैं इसको अपने सामने से इस कारण दूर करूँगा
32 οὕτως εἶπεν κύριος ἰδοὺ κακὰ ἔρχεται ἀπὸ ἔθνους ἐπὶ ἔθνος καὶ λαῖλαψ μεγάλη ἐκπορεύεται ἀπ’ ἐσχάτου τῆς γῆς
३२क्योंकि इस्राएल और यहूदा अपने राजाओं हाकिमों, याजकों और भविष्यद्वक्ताओं समेत, क्या यहूदा देश के, क्या यरूशलेम के निवासी, सब के सब बुराई पर बुराई करके मुझ को रिस दिलाते आए हैं।
33 καὶ ἔσονται τραυματίαι ὑπὸ κυρίου ἐν ἡμέρᾳ κυρίου ἐκ μέρους τῆς γῆς καὶ ἕως εἰς μέρος τῆς γῆς οὐ μὴ κατορυγῶσιν εἰς κόπρια ἐπὶ προσώπου τῆς γῆς ἔσονται
३३उन्होंने मेरी ओर मुँह नहीं वरन् पीठ ही फेर दी है; यद्यपि मैं उन्हें बड़े यत्न से सिखाता आया हूँ, तो भी उन्होंने मेरी शिक्षा को नहीं माना।
34 ἀλαλάξατε ποιμένες καὶ κεκράξατε καὶ κόπτεσθε οἱ κριοὶ τῶν προβάτων ὅτι ἐπληρώθησαν αἱ ἡμέραι ὑμῶν εἰς σφαγήν καὶ πεσεῖσθε ὥσπερ οἱ κριοὶ οἱ ἐκλεκτοί
३४वरन् जो भवन मेरा कहलाता है, उसमें भी उन्होंने अपनी घृणित वस्तुएँ स्थापित करके उसे अशुद्ध किया है।
35 καὶ ἀπολεῖται φυγὴ ἀπὸ τῶν ποιμένων καὶ σωτηρία ἀπὸ τῶν κριῶν τῶν προβάτων
३५उन्होंने हिन्नोमियों की तराई में बाल के ऊँचे-ऊँचे स्थान बनाकर अपने बेटे-बेटियों को मोलेक के लिये होम किया, जिसकी आज्ञा मैंने कभी नहीं दी, और न यह बात कभी मेरे मन में आई कि ऐसा घृणित काम किया जाए और जिससे यहूदी लोग पाप में फँसे।
36 φωνὴ κραυγῆς τῶν ποιμένων καὶ ἀλαλαγμὸς τῶν προβάτων καὶ τῶν κριῶν ὅτι ὠλέθρευσεν κύριος τὰ βοσκήματα αὐτῶν
३६“परन्तु अब इस्राएल का परमेश्वर यहोवा इस नगर के विषय में, जिसके लिये तुम लोग कहते हो, ‘वह तलवार, अकाल और मरी के द्वारा बाबेल के राजा के वश में पड़ा हुआ है’ यह कहता है:
37 καὶ παύσεται τὰ κατάλοιπα τῆς εἰρήνης ἀπὸ προσώπου ὀργῆς θυμοῦ μου
३७देखो, मैं उनको उन सब देशों से जिनमें मैंने क्रोध और जलजलाहट में आकर उन्हें जबरन निकाल दिया था, लौटा ले आकर इसी नगर में इकट्ठे करूँगा, और निडर करके बसा दूँगा।
38 ἐγκατέλιπεν ὥσπερ λέων κατάλυμα αὐτοῦ ὅτι ἐγενήθη ἡ γῆ αὐτῶν εἰς ἄβατον ἀπὸ προσώπου τῆς μαχαίρας τῆς μεγάλης
३८और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, और मैं उनका परमेश्वर ठहरूँगा
३९मैं उनको एक ही मन और एक ही चाल कर दूँगा कि वे सदा मेरा भय मानते रहें, जिससे उनका और उनके बाद उनके वंश का भी भला हो।
४०मैं उनसे यह वाचा बाँधूँगा, कि मैं कभी उनका संग छोड़कर उनका भला करना न छोड़ूँगा; और अपना भय मैं उनके मन में ऐसा उपजाऊँगा कि वे कभी मुझसे अलग होना न चाहेंगे।
४१मैं बड़ी प्रसन्नता के साथ उनका भला करता रहूँगा, और सचमुच उन्हें इस देश में अपने सारे मन और प्राण से बसा दूँगा।
४२“देख, यहोवा यह कहता है कि जैसे मैंने अपनी इस प्रजा पर यह सब बड़ी विपत्ति डाल दी, वैसे ही निश्चय इनसे वह सब भलाई भी करूँगा जिसके करने का वचन मैंने दिया है। इसलिए यह देश जिसके विषय तुम लोग कहते हो
४३कि यह उजाड़ हो गया है, इसमें न तो मनुष्य रह गए हैं और न पशु, यह तो कसदियों के वश में पड़ चुका है, इसी में फिर से खेत मोल लिए जाएँगे,
४४और बिन्यामीन के क्षेत्र में, यरूशलेम के आस-पास, और यहूदा देश के अर्थात् पहाड़ी देश, नीचे के देश और दक्षिण देश के नगरों में लोग गवाह बुलाकर खेत मोल लेंगे, और दस्तावेज में दस्तखत और मुहर करेंगे; क्योंकि मैं उनके दिनों को लौटा ले आऊँगा; यहोवा की यही वाणी है।”

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