< Ἱερεμίας 31 >
1 τῇ Μωαβ οὕτως εἶπεν κύριος οὐαὶ ἐπὶ Ναβαυ ὅτι ὤλετο ἐλήμφθη Καριαθαιμ ᾐσχύνθη Αμαθ καὶ ἡττήθη
१“उन दिनों में मैं सारे इस्राएली कुलों का परमेश्वर ठहरूँगा और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, यहोवा की यही वाणी है।”
2 οὐκ ἔστιν ἔτι ἰατρεία Μωαβ ἀγαυρίαμα ἐν Εσεβων ἐλογίσαντο ἐπ’ αὐτὴν κακά ἐκόψαμεν αὐτὴν ἀπὸ ἔθνους καὶ παῦσιν παύσεται ὄπισθέν σου βαδιεῖται μάχαιρα
२यहोवा यह कहता है: “जो प्रजा तलवार से बच निकली, उन पर जंगल में अनुग्रह हुआ; मैं इस्राएल को विश्राम देने के लिये तैयार हुआ।”
3 ὅτι φωνὴ κεκραγότων ἐξ Ωρωναιμ ὄλεθρος καὶ σύντριμμα μέγα
३“यहोवा ने मुझे दूर से दर्शन देकर कहा है। मैं तुझ से सदा प्रेम रखता आया हूँ; इस कारण मैंने तुझ पर अपनी करुणा बनाए रखी है।
4 συνετρίβη Μωαβ ἀναγγείλατε εἰς Ζογορα
४हे इस्राएली कुमारी कन्या! मैं तुझे फिर बनाऊँगा; वहाँ तू फिर श्रृंगार करके डफ बजाने लगेगी, और आनन्द करनेवालों के बीच में नाचती हुई निकलेगी।
5 ὅτι ἐπλήσθη Αλαωθ ἐν κλαυθμῷ ἀναβήσεται κλαίων ἐν ὁδῷ Ωρωναιμ κραυγὴν συντρίμματος ἠκούσατε
५तू सामरिया के पहाड़ों पर अंगूर की बारियाँ फिर लगाएगी; और जो उन्हें लगाएँगे, वे उनके फल भी खाने पाएँगे।
6 φεύγετε καὶ σώσατε τὰς ψυχὰς ὑμῶν καὶ ἔσεσθε ὥσπερ ὄνος ἄγριος ἐν ἐρήμῳ
६क्योंकि ऐसा दिन आएगा, जिसमें एप्रैम के पहाड़ी देश के पहरुए पुकारेंगे: ‘उठो, हम अपने परमेश्वर यहोवा के पास सिय्योन को चलें।’”
7 ἐπειδὴ ἐπεποίθεις ἐν ὀχυρώμασίν σου καὶ σὺ συλλημφθήσῃ καὶ ἐξελεύσεται Χαμως ἐν ἀποικίᾳ οἱ ἱερεῖς αὐτοῦ καὶ οἱ ἄρχοντες αὐτοῦ ἅμα
७क्योंकि यहोवा यह कहता है: “याकूब के कारण आनन्द से जयजयकार करो: जातियों में जो श्रेष्ठ है उसके लिये ऊँचे शब्द से स्तुति करो, और कहो, ‘हे यहोवा, अपनी प्रजा इस्राएल के बचे हुए लोगों का भी उद्धार कर।’
8 καὶ ἥξει ὄλεθρος ἐπὶ πᾶσαν πόλιν καὶ πόλις οὐ μὴ σωθῇ καὶ ἀπολεῖται ὁ αὐλών καὶ ἐξολεθρευθήσεται ἡ πεδινή καθὼς εἶπεν κύριος
८देखो, मैं उनको उत्तर देश से ले आऊँगा, और पृथ्वी के कोने-कोने से इकट्ठे करूँगा, और उनके बीच अंधे, लँगड़े, गर्भवती, और जच्चा स्त्रियाँ भी आएँगी; एक बड़ी मण्डली यहाँ लौट आएगी।
9 δότε σημεῖα τῇ Μωαβ ὅτι ἁφῇ ἀναφθήσεται καὶ πᾶσαι αἱ πόλεις αὐτῆς εἰς ἄβατον ἔσονται πόθεν ἔνοικος αὐτῇ
९वे आँसू बहाते हुए आएँगे और गिड़गिड़ाते हुए मेरे द्वारा पहुँचाए जाएँगे, मैं उन्हें नदियों के किनारे-किनारे से और ऐसे चौरस मार्ग से ले आऊँगा, जिससे वे ठोकर न खाने पाएँगे; क्योंकि मैं इस्राएल का पिता हूँ, और एप्रैम मेरा जेठा है।
10 ἐπικατάρατος ὁ ποιῶν τὰ ἔργα κυρίου ἀμελῶς ἐξαίρων μάχαιραν αὐτοῦ ἀφ’ αἵματος
१०“हे जाति-जाति के लोगों, यहोवा का वचन सुनो, और दूर-दूर के द्वीपों में भी इसका प्रचार करो; कहो, ‘जिसने इस्राएलियों को तितर- बितर किया था, वही उन्हें इकट्ठे भी करेगा, और उनकी ऐसी रक्षा करेगा जैसी चरवाहा अपने झुण्ड की करता है।’
11 ἀνεπαύσατο Μωαβ ἐκ παιδαρίου καὶ πεποιθὼς ἦν ἐπὶ τῇ δόξῃ αὐτοῦ οὐκ ἐνέχεεν ἐξ ἀγγείου εἰς ἀγγεῖον καὶ εἰς ἀποικισμὸν οὐκ ᾤχετο διὰ τοῦτο ἔστη γεῦμα αὐτοῦ ἐν αὐτῷ καὶ ὀσμὴ αὐτοῦ οὐκ ἐξέλιπεν
११क्योंकि यहोवा ने याकूब को छुड़ा लिया, और उस शत्रु के पंजे से जो उससे अधिक बलवन्त है, उसे छुटकारा दिया है।
12 διὰ τοῦτο ἰδοὺ ἡμέραι ἔρχονται φησὶν κύριος καὶ ἀποστελῶ αὐτῷ κλίνοντας καὶ κλινοῦσιν αὐτὸν καὶ τὰ σκεύη αὐτοῦ λεπτυνοῦσιν καὶ τὰ κέρατα αὐτοῦ συγκόψουσιν
१२इसलिए वे सिय्योन की चोटी पर आकर जयजयकार करेंगे, और यहोवा से अनाज, नया दाखमधु, टटका तेल, भेड़-बकरियाँ और गाय-बैलों के बच्चे आदि उत्तम-उत्तम दान पाने के लिये ताँता बाँधकर चलेंगे; और उनका प्राण सींची हुई बारी के समान होगा, और वे फिर कभी उदास न होंगे।
13 καὶ καταισχυνθήσεται Μωαβ ἀπὸ Χαμως ὥσπερ κατῃσχύνθη οἶκος Ισραηλ ἀπὸ Βαιθηλ ἐλπίδος αὐτῶν πεποιθότες ἐπ’ αὐτοῖς
१३उस समय उनकी कुमारियाँ नाचती हुई हर्ष करेंगी, और जवान और बूढ़े एक संग आनन्द करेंगे। क्योंकि मैं उनके शोक को दूर करके उन्हें आनन्दित करूँगा, मैं उन्हें शान्ति दूँगा, और दुःख के बदले आनन्द दूँगा।
14 πῶς ἐρεῖτε ἰσχυροί ἐσμεν καὶ ἄνθρωπος ἰσχύων εἰς τὰ πολεμικά
१४मैं याजकों को चिकनी वस्तुओं से अति तृप्त करूँगा, और मेरी प्रजा मेरे उत्तम दानों से सन्तुष्ट होगी,” यहोवा की यही वाणी है।
15 ὤλετο Μωαβ πόλις αὐτοῦ καὶ ἐκλεκτοὶ νεανίσκοι αὐτοῦ κατέβησαν εἰς σφαγήν
१५यहोवा यह भी कहता है: “सुन, रामाह नगर में विलाप और बिलक-बिलककर रोने का शब्द सुनने में आता है। राहेल अपने बालकों के लिये रो रही है; और अपने बालकों के कारण शान्त नहीं होती, क्योंकि वे नहीं रहे।”
16 ἐγγὺς ἡμέρα Μωαβ ἐλθεῖν καὶ πονηρία αὐτοῦ ταχεῖα σφόδρα
१६यहोवा यह कहता है: “रोने-पीटने और आँसू बहाने से रुक जा; क्योंकि तेरे परिश्रम का फल मिलनेवाला है, और वे शत्रुओं के देश से लौट आएँगे।
17 κινήσατε αὐτῷ πάντες κυκλόθεν αὐτοῦ πάντες εἰδότες ὄνομα αὐτοῦ εἴπατε πῶς συνετρίβη βακτηρία εὐκλεής ῥάβδος μεγαλώματος
१७अन्त में तेरी आशा पूरी होगी, यहोवा की यह वाणी है, तेरे वंश के लोग अपने देश में लौट आएँगे।
18 κατάβηθι ἀπὸ δόξης καὶ κάθισον ἐν ὑγρασίᾳ καθημένη Δαιβων ἐκτρίβητε ὅτι ὤλετο Μωαβ ἀνέβη εἰς σὲ λυμαινόμενος ὀχύρωμά σου
१८निश्चय मैंने एप्रैम को ये बातें कहकर विलाप करते सुना है, ‘तूने मेरी ताड़ना की, और मेरी ताड़ना ऐसे बछड़े की सी हुई जो निकाला न गया हो; परन्तु अब तू मुझे फेर, तब मैं फिरूँगा, क्योंकि तू मेरा परमेश्वर है।
19 ἐφ’ ὁδοῦ στῆθι καὶ ἔπιδε καθημένη ἐν Αροηρ καὶ ἐρώτησον φεύγοντα καὶ σῳζόμενον καὶ εἰπόν τί ἐγένετο
१९भटक जाने के बाद मैं पछताया; और सिखाए जाने के बाद मैंने छाती पीटी; पुराने पापों को स्मरण कर मैं लज्जित हुआ और मेरा मुँह काला हो गया।’
20 κατῃσχύνθη Μωαβ ὅτι συνετρίβη ὀλόλυξον καὶ κέκραξον ἀνάγγειλον ἐν Αρνων ὅτι ὤλετο Μωαβ
२०क्या एप्रैम मेरा प्रिय पुत्र नहीं है? क्या वह मेरा दुलारा लड़का नहीं है? जब जब मैं उसके विरुद्ध बातें करता हूँ, तब-तब मुझे उसका स्मरण हो आता है। इसलिए मेरा मन उसके कारण भर आता है; और मैं निश्चय उस पर दया करूँगा, यहोवा की यही वाणी है।
21 καὶ κρίσις ἔρχεται εἰς γῆν τοῦ Μισωρ ἐπὶ Χαιλων καὶ ἐπὶ Ιασσα καὶ ἐπὶ Μωφαθ
२१“हे इस्राएली कुमारी, जिस राजमार्ग से तू गई थी, उसी में खम्भे और झण्डे खड़े कर; और अपने इन नगरों में लौट आने पर मन लगा।
22 καὶ ἐπὶ Δαιβων καὶ ἐπὶ Ναβαυ καὶ ἐπ’ οἶκον Δεβλαθαιμ
२२हे भटकनेवाली कन्या, तू कब तक इधर-उधर फिरती रहेगी? यहोवा की एक नई सृष्टि पृथ्वी पर प्रगट होगी, अर्थात् नारी पुरुष की सहायता करेगी।”
23 καὶ ἐπὶ Καριαθαιμ καὶ ἐπ’ οἶκον Γαμωλ καὶ ἐπ’ οἶκον Μαων
२३इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा यह कहता है “जब मैं यहूदी बन्दियों को उनके देश के नगरों में लौटाऊँगा, तब उनमें यह आशीर्वाद फिर दिया जाएगाः ‘हे धर्मभरे वासस्थान, हे पवित्र पर्वत, यहोवा तुझे आशीष दे!’
24 καὶ ἐπὶ Καριωθ καὶ ἐπὶ Βοσορ καὶ ἐπὶ πάσας τὰς πόλεις Μωαβ τὰς πόρρω καὶ τὰς ἐγγύς
२४यहूदा और उसके सब नगरों के लोग और किसान और चरवाहे भी उसमें इकट्ठे बसेंगे।
25 κατεάχθη κέρας Μωαβ καὶ τὸ ἐπίχειρον αὐτοῦ συνετρίβη
२५क्योंकि मैंने थके हुए लोगों का प्राण तृप्त किया, और उदास लोगों के प्राण को भर दिया है।”
26 μεθύσατε αὐτόν ὅτι ἐπὶ κύριον ἐμεγαλύνθη καὶ ἐπικρούσει Μωαβ ἐν χειρὶ αὐτοῦ καὶ ἔσται εἰς γέλωτα καὶ αὐτός
२६इस पर मैं जाग उठा, और देखा, और मेरी नींद मुझे मीठी लगी।
27 καὶ εἰ μὴ εἰς γελοιασμὸν ἦν σοι Ισραηλ εἰ ἐν κλοπαῖς σου εὑρέθη ὅτι ἐπολέμεις αὐτόν
२७“देख, यहोवा की यह वाणी है, कि ऐसे दिन आनेवाले हैं जिनमें मैं इस्राएल और यहूदा के घरानों के बाल-बच्चों और पशु दोनों को बहुत बढ़ाऊँगा।
28 κατέλιπον τὰς πόλεις καὶ ᾤκησαν ἐν πέτραις οἱ κατοικοῦντες Μωαβ ἐγενήθησαν ὡς περιστεραὶ νοσσεύουσαι ἐν πέτραις στόματι βοθύνου
२८जिस प्रकार से मैं सोच-सोचकर उनको गिराता और ढाता, नष्ट करता, काट डालता और सत्यानाश ही करता था, उसी प्रकार से मैं अब सोच-सोचकर उनको रोपूँगा और बढ़ाऊँगा, यहोवा की यही वाणी है।
29 ἤκουσα ὕβριν Μωαβ ὕβρισεν λίαν ὕβριν αὐτοῦ καὶ ὑπερηφανίαν αὐτοῦ καὶ ὑψώθη ἡ καρδία αὐτοῦ
२९उन दिनों में वे फिर न कहेंगे: ‘पिताओं ने तो खट्टे अंगूर खाए, परन्तु उनके वंश के दाँत खट्टे हो गए हैं।’
30 ἐγὼ δὲ ἔγνων ἔργα αὐτοῦ οὐχὶ τὸ ἱκανὸν αὐτοῦ οὐχ οὕτως ἐποίησεν
३०क्योंकि जो कोई खट्टे अंगूर खाए उसी के दाँत खट्टे हो जाएँगे, और हर एक मनुष्य अपने ही अधर्म के कारण मारा जाएगा।
31 διὰ τοῦτο ἐπὶ Μωαβ ὀλολύζετε πάντοθεν βοήσατε ἐπ’ ἄνδρας Κιραδας αὐχμοῦ
३१“फिर यहोवा की यह भी वाणी है, सुन, ऐसे दिन आनेवाले हैं जब मैं इस्राएल और यहूदा के घरानों से नई वाचा बाँधूँगा।
32 ὡς κλαυθμὸν Ιαζηρ ἀποκλαύσομαί σοι ἄμπελος Σεβημα κλήματά σου διῆλθεν θάλασσαν Ιαζηρ ἥψαντο ἐπὶ ὀπώραν σου ἐπὶ τρυγηταῖς σου ὄλεθρος ἐπέπεσεν
३२वह उस वाचा के समान न होगी जो मैंने उनके पुरखाओं से उस समय बाँधी थी जब मैं उनका हाथ पकड़कर उन्हें मिस्र देश से निकाल लाया, क्योंकि यद्यपि मैं उनका पति था, तो भी उन्होंने मेरी वह वाचा तोड़ डाली।
33 συνεψήσθη χαρμοσύνη καὶ εὐφροσύνη ἐκ τῆς Μωαβίτιδος καὶ οἶνος ἦν ἐπὶ ληνοῖς σου πρωὶ οὐκ ἐπάτησαν οὐδὲ δείλης οὐκ ἐποίησαν αιδαδ
३३परन्तु जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्राएल के घराने से बाँधूँगा, वह यह है: मैं अपनी व्यवस्था उनके मन में समवाऊँगा, और उसे उनके हृदय पर लिखूँगा; और मैं उनका परमेश्वर ठहरूँगा, और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, यहोवा की यह वाणी है।
34 ἀπὸ κραυγῆς Εσεβων ἕως Ελεαλη αἱ πόλεις αὐτῶν ἔδωκαν φωνὴν αὐτῶν ἀπὸ Ζογορ ἕως Ωρωναιμ καὶ Αγλαθ‐σαλισια ὅτι καὶ τὸ ὕδωρ Νεβριμ εἰς κατάκαυμα ἔσται
३४और तब उन्हें फिर एक दूसरे से यह न कहना पड़ेगा कि यहोवा को जानो, क्योंकि, यहोवा की यह वाणी है कि छोटे से लेकर बड़े तक, सब के सब मेरा ज्ञान रखेंगे; क्योंकि मैं उनका अधर्म क्षमा करूँगा, और उनका पाप फिर स्मरण न करूँगा।”
35 καὶ ἀπολῶ τὸν Μωαβ φησὶν κύριος ἀναβαίνοντα ἐπὶ βωμὸν καὶ θυμιῶντα θεοῖς αὐτοῦ
३५जिसने दिन को प्रकाश देने के लिये सूर्य को और रात को प्रकाश देने के लिये चन्द्रमा और तारागण के नियम ठहराए हैं, जो समुद्र को उछालता और उसकी लहरों को गरजाता है, और जिसका नाम सेनाओं का यहोवा है, वही यहोवा यह कहता है:
36 διὰ τοῦτο καρδία μου Μωαβ ὥσπερ αὐλοὶ βομβήσουσιν καρδία μου ἐπ’ ἀνθρώπους Κιραδας ὥσπερ αὐλὸς βομβήσει διὰ τοῦτο ἃ περιεποιήσατο ἀπώλετο ἀπὸ ἀνθρώπου
३६“यदि ये नियम मेरे सामने से टल जाएँ तब ही यह हो सकेगा कि इस्राएल का वंश मेरी दृष्टि में सदा के लिये एक जाति ठहरने की अपेक्षा मिट सकेगा।”
37 πᾶσαν κεφαλὴν ἐν παντὶ τόπῳ ξυρήσονται καὶ πᾶς πώγων ξυρηθήσεται καὶ πᾶσαι χεῖρες κόψονται καὶ ἐπὶ πάσης ὀσφύος σάκκος
३७यहोवा यह भी कहता है, “यदि ऊपर से आकाश मापा जाए और नीचे से पृथ्वी की नींव खोद खोदकर पता लगाया जाए, तब ही मैं इस्राएल के सारे वंश को उनके सब पापों के कारण उनसे हाथ उठाऊँगा।”
38 καὶ ἐπὶ πάντων τῶν δωμάτων Μωαβ καὶ ἐπὶ πλατείαις αὐτῆς ὅτι συνέτριψα τὸν Μωαβ φησὶν κύριος ὡς ἀγγεῖον οὗ οὐκ ἔστιν χρεία αὐτοῦ
३८“देख, यहोवा की यह वाणी है, ऐसे दिन आ रहे हैं जिनमें यह नगर हननेल के गुम्मट से लेकर कोने के फाटक तक यहोवा के लिये बनाया जाएगा।
39 πῶς κατήλλαξεν πῶς ἔστρεψεν νῶτον Μωαβ ᾐσχύνθη καὶ ἐγένετο Μωαβ εἰς γέλωτα καὶ ἐγκότημα πᾶσιν τοῖς κύκλῳ αὐτῆς
३९मापने की रस्सी फिर आगे बढ़कर सीधी गारेब पहाड़ी तक, और वहाँ से घूमकर गोआ को पहुँचेगी।
40 ὅτι οὕτως εἶπεν κύριος
४०शवों और राख की सब तराई और किद्रोन नाले तक जितने खेत हैं, घोड़ों के पूर्वी फाटक के कोने तक जितनी भूमि है, वह सब यहोवा के लिये पवित्र ठहरेगी। सदा तक वह नगर फिर कभी न तो गिराया जाएगा और न ढाया जाएगा।”
41 ἐλήμφθη Ακκαριωθ καὶ τὰ ὀχυρώματα συνελήμφθη
४१
42 καὶ ἀπολεῖται Μωαβ ἀπὸ ὄχλου ὅτι ἐπὶ τὸν κύριον ἐμεγαλύνθη
४२
43 παγὶς καὶ φόβος καὶ βόθυνος ἐπὶ σοί καθήμενος Μωαβ
४३
44 ὁ φεύγων ἀπὸ προσώπου τοῦ φόβου ἐμπεσεῖται εἰς τὸν βόθυνον καὶ ὁ ἀναβαίνων ἐκ τοῦ βοθύνου συλλημφθήσεται ἐν τῇ παγίδι ὅτι ἐπάξω ταῦτα ἐπὶ Μωαβ ἐν ἐνιαυτῷ ἐπισκέψεως αὐτῆς
४४