< Ἱερεμίας 18 >

1 ὁ λόγος ὁ γενόμενος παρὰ κυρίου πρὸς Ιερεμιαν λέγων
ख़ुदावन्द का कलाम यरमियाह पर नाज़िल हुआ:
2 ἀνάστηθι καὶ κατάβηθι εἰς οἶκον τοῦ κεραμέως καὶ ἐκεῖ ἀκούσῃ τοὺς λόγους μου
कि “उठ और कुम्हार के घर जा, और मैं वहाँ अपनी बातें तुझे सुनाऊँगा।”
3 καὶ κατέβην εἰς τὸν οἶκον τοῦ κεραμέως καὶ ἰδοὺ αὐτὸς ἐποίει ἔργον ἐπὶ τῶν λίθων
तब मैं कुम्हार के घर गया और क्या देखता हूँ कि वह चाक पर कुछ बना रहा है।
4 καὶ διέπεσεν τὸ ἀγγεῖον ὃ αὐτὸς ἐποίει ἐν ταῖς χερσὶν αὐτοῦ καὶ πάλιν αὐτὸς ἐποίησεν αὐτὸ ἀγγεῖον ἕτερον καθὼς ἤρεσεν ἐνώπιον αὐτοῦ τοῦ ποιῆσαι
उस वक़्त वह मिट्टी का बर्तन जो वह बना रहा था, उसके हाथ में बिगड़ गया; तब उसने उससे जैसा मुनासिब समझा एक दूसरा बर्तन बना लिया।
5 καὶ ἐγένετο λόγος κυρίου πρός με λέγων
तब ख़ुदावन्द का यह कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ:
6 εἰ καθὼς ὁ κεραμεὺς οὗτος οὐ δυνήσομαι τοῦ ποιῆσαι ὑμᾶς οἶκος Ισραηλ ἰδοὺ ὡς ὁ πηλὸς τοῦ κεραμέως ὑμεῖς ἐστε ἐν ταῖς χερσίν μου
ऐ इस्राईल के घराने, क्या मैं इस कुम्हार की तरह तुम से सुलूक नहीं कर सकता हूँ? ख़ुदावन्द फ़रमाता है। देखो, जिस तरह मिट्टी कुम्हार के हाथ में है उसी तरह, ऐ इस्राईल के घराने, तुम मेरे हाथ में हो।
7 πέρας λαλήσω ἐπὶ ἔθνος ἢ ἐπὶ βασιλείαν τοῦ ἐξᾶραι αὐτοὺς καὶ τοῦ ἀπολλύειν
अगर किसी वक़्त मैं किसी क़ौम और किसी सल्तनत के हक़ में कहूँ कि उसे उखाड़ूँ और तोड़ डालूँ और वीरान करूँ,
8 καὶ ἐπιστραφῇ τὸ ἔθνος ἐκεῖνο ἀπὸ πάντων τῶν κακῶν αὐτῶν καὶ μετανοήσω περὶ τῶν κακῶν ὧν ἐλογισάμην τοῦ ποιῆσαι αὐτοῖς
और अगर वह क़ौम, जिसके हक़ में मैंने ये कहा, अपनी बुराई से बाज़ आए, तो मैं भी उस बुराई से जो मैंने उस पर लाने का इरादा किया था बाज़ आऊँगा।
9 καὶ πέρας λαλήσω ἐπὶ ἔθνος καὶ ἐπὶ βασιλείαν τοῦ ἀνοικοδομεῖσθαι καὶ τοῦ καταφυτεύεσθαι
और फिर, अगर मैं किसी क़ौम और किसी सल्तनत के बारे में कहूँ कि उसे बनाऊँ और लगाऊँ;
10 καὶ ποιήσωσιν τὰ πονηρὰ ἐναντίον μου τοῦ μὴ ἀκούειν τῆς φωνῆς μου καὶ μετανοήσω περὶ τῶν ἀγαθῶν ὧν ἐλάλησα τοῦ ποιῆσαι αὐτοῖς
और वह मेरी नज़र में बुराई करे और मेरी आवाज़ को न सुने, तो मैं भी उस नेकी से बाज़ रहूँगा जो उसके साथ करने को कहा था।
11 καὶ νῦν εἰπὸν πρὸς ἄνδρας Ιουδα καὶ πρὸς τοὺς κατοικοῦντας Ιερουσαλημ ἰδοὺ ἐγὼ πλάσσω ἐφ’ ὑμᾶς κακὰ καὶ λογίζομαι ἐφ’ ὑμᾶς λογισμόν ἀποστραφήτω δὴ ἕκαστος ἀπὸ ὁδοῦ αὐτοῦ τῆς πονηρᾶς καὶ καλλίονα ποιήσετε τὰ ἐπιτηδεύματα ὑμῶν
और अब तू जाकर यहूदाह के लोगों और येरूशलेम के बाशिन्दों से कह दे, 'ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि देखो, मैं तुम्हारे लिए मुसीबत तजवीज़ करता हूँ और तुम्हारी मुख़ालिफ़त में मनसूबा बाँधता हूँ। इसलिए अब तुम में से हर एक अपने बुरे चाल चलन से बाज़ आए, और अपनी राह और अपने 'आमाल को दुरुस्त करे।
12 καὶ εἶπαν ἀνδριούμεθα ὅτι ὀπίσω τῶν ἀποστροφῶν ἡμῶν πορευσόμεθα καὶ ἕκαστος τὰ ἀρεστὰ τῆς καρδίας αὐτοῦ τῆς πονηρᾶς ποιήσομεν
लेकिन वह कहेंगे, 'यह तो फ़ुज़ूल है, क्यूँकि हम अपने मन्सूबों पर चलेंगे, और हर एक अपने बुरे दिल की सख़्ती के मुताबिक़ 'अमल करेगा।
13 διὰ τοῦτο τάδε λέγει κύριος ἐρωτήσατε δὴ ἐν ἔθνεσιν τίς ἤκουσεν τοιαῦτα φρικτά ἃ ἐποίησεν σφόδρα παρθένος Ισραηλ
“इसलिए ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है: दरियाफ़्त करो कि क़ौमों में से किसी ने कभी ऐसी बातें सुनी हैं? इस्राईल की कुँवारी ने बहुत हौलनाक काम किया।
14 μὴ ἐκλείψουσιν ἀπὸ πέτρας μαστοὶ ἢ χιὼν ἀπὸ τοῦ Λιβάνου μὴ ἐκκλινεῖ ὕδωρ βιαίως ἀνέμῳ φερόμενον
क्या लुबनान की बर्फ़ जो चट्टान से मैदान में बहती है, कभी बन्द होगी? क्या वह ठंडा बहता पानी जो दूर से आता है, सूख जाएगा?
15 ὅτι ἐπελάθοντό μου ὁ λαός μου εἰς κενὸν ἐθυμίασαν καὶ ἀσθενήσουσιν ἐν ταῖς ὁδοῖς αὐτῶν σχοίνους αἰωνίους τοῦ ἐπιβῆναι τρίβους οὐκ ἔχοντας ὁδὸν εἰς πορείαν
लेकिन मेरे लोग मुझ को भूल गए, और उन्होंने बेकार के लिए ख़ुशबू जलाया; और उसने उनकी राहों में या'नी क़दीम राहों में उनको गुमराह किया, ताकि वह पगडंडियों में जाएँ और ऐसी राह में जो बनाई न गई।
16 τοῦ τάξαι τὴν γῆν αὐτῶν εἰς ἀφανισμὸν καὶ σύριγμα αἰώνιον πάντες οἱ διαπορευόμενοι δῑ αὐτῆς ἐκστήσονται καὶ κινήσουσιν τὴν κεφαλὴν αὐτῶν
कि वह अपनी सरज़मीन की वीरानी और हमेशा की हैरानी और सुस्कार का ज़रिया' बनाएँ; हर एक जो उधर से गुज़रे दंग होगा और सिर हिलाएगा।
17 ὡς ἄνεμον καύσωνα διασπερῶ αὐτοὺς κατὰ πρόσωπον ἐχθρῶν αὐτῶν δείξω αὐτοῖς ἡμέραν ἀπωλείας αὐτῶν
मैं उनको दुश्मन के सामने जैसे पूरबी हवा से तितर — बितर कर दूँगा; उनकी मुसीबत के वक़्त उनको मुँह नहीं, बल्कि पीठ दिखाऊँगा।”
18 καὶ εἶπαν δεῦτε λογισώμεθα ἐπὶ Ιερεμιαν λογισμόν ὅτι οὐκ ἀπολεῖται νόμος ἀπὸ ἱερέως καὶ βουλὴ ἀπὸ συνετοῦ καὶ λόγος ἀπὸ προφήτου δεῦτε καὶ πατάξωμεν αὐτὸν ἐν γλώσσῃ καὶ ἀκουσόμεθα πάντας τοὺς λόγους αὐτοῦ
तब उन्होंने कहा, आओ, हम यरमियाह की मुख़ालिफ़त में मंसूबे बाँधे, क्यूँकि शरी'अत काहिन से जाती न रहेगी, और न मश्वरत मुशीर से और न कलाम नबी से। आओ, हम उसे ज़बान से मारें, और उसकी किसी बात पर तव्ज्जुह न करें।
19 εἰσάκουσόν μου κύριε καὶ εἰσάκουσον τῆς φωνῆς τοῦ δικαιώματός μου
ऐ ख़ुदावन्द, तू मुझ पर तवज्जुह कर और मुझसे झगड़ने वालों की आवाज़ सुन।
20 εἰ ἀνταποδίδοται ἀντὶ ἀγαθῶν κακά ὅτι συνελάλησαν ῥήματα κατὰ τῆς ψυχῆς μου καὶ τὴν κόλασιν αὐτῶν ἔκρυψάν μοι μνήσθητι ἑστηκότος μου κατὰ πρόσωπόν σου τοῦ λαλῆσαι ὑπὲρ αὐτῶν ἀγαθὰ τοῦ ἀποστρέψαι τὸν θυμόν σου ἀπ’ αὐτῶν
क्या नेकी के बदले बदी की जाएगी? क्यूँकि उन्होंने मेरी जान के लिए गढ़ा खोदा। याद कर कि मैं तेरे सामने खड़ा हुआ कि उनकी शफ़ा'अत करूँ और तेरा क़हर उन पर से टला दूँ।
21 διὰ τοῦτο δὸς τοὺς υἱοὺς αὐτῶν εἰς λιμὸν καὶ ἄθροισον αὐτοὺς εἰς χεῖρας μαχαίρας γενέσθωσαν αἱ γυναῖκες αὐτῶν ἄτεκνοι καὶ χῆραι καὶ οἱ ἄνδρες αὐτῶν γενέσθωσαν ἀνῃρημένοι θανάτῳ καὶ οἱ νεανίσκοι αὐτῶν πεπτωκότες μαχαίρᾳ ἐν πολέμῳ
इसलिए उनके बच्चों को काल के हवाले कर, और उनको तलवार की धार के सुपुर्द कर, उनकी बीवियाँ बेऔलाद और बेवा हों, और उनके मर्द मारे जाएँ, उनके जवान मैदान — ए — जंग में तलवार से क़त्ल हों।
22 γενηθήτω κραυγὴ ἐν ταῖς οἰκίαις αὐτῶν ἐπάξεις ἐπ’ αὐτοὺς λῃστὰς ἄφνω ὅτι ἐνεχείρησαν λόγον εἰς σύλλημψίν μου καὶ παγίδας ἔκρυψαν ἐπ’ ἐμέ
जब तू अचानक उन पर फ़ौज चढ़ा लाएगा, उनके घरों से मातम की सदा निकले! क्यूँकि उन्होंने मुझे फँसाने को गढ़ा खोदा और मेरे पाँव के लिए फन्दे लगाए।
23 καὶ σύ κύριε ἔγνως ἅπασαν τὴν βουλὴν αὐτῶν ἐπ’ ἐμὲ εἰς θάνατον μὴ ἀθῳώσῃς τὰς ἀδικίας αὐτῶν καὶ τὰς ἁμαρτίας αὐτῶν ἀπὸ προσώπου σου μὴ ἐξαλείψῃς γενέσθω ἡ ἀσθένεια αὐτῶν ἐναντίον σου ἐν καιρῷ θυμοῦ σου ποίησον ἐν αὐτοῖς
लेकिन ऐ ख़ुदावन्द, तू उनकी सब साज़िशों को जो उन्होंने मेरे क़त्ल पर कीं जानता है। उनकी बदकिरदारी को मु'आफ़ न कर, और उनके गुनाह को अपनी नज़र से दूर न कर; बल्कि वह तेरे सामने पस्त हों, अपने क़हर के वक़्त तू उनसे यूँ ही कर।

< Ἱερεμίας 18 >