< Ἱερεμίας 15 >
1 καὶ εἶπεν κύριος πρός με ἐὰν στῇ Μωυσῆς καὶ Σαμουηλ πρὸ προσώπου μου οὐκ ἔστιν ἡ ψυχή μου πρὸς αὐτούς ἐξαπόστειλον τὸν λαὸν τοῦτον καὶ ἐξελθέτωσαν
तब याहवेह मुझसे बात करने लगे: “यद्यपि मोशेह तथा शमुएल भी मेरे सम्मुख उपस्थित हो जाएं, इन लोगों के लिए मेरा हृदय द्रवित न होगा. उन्हें मेरी उपस्थिति से दूर ले जाओ! दूर हो जाएं वे मेरे समक्ष से!
2 καὶ ἔσται ἐὰν εἴπωσιν πρὸς σέ ποῦ ἐξελευσόμεθα καὶ ἐρεῖς πρὸς αὐτούς τάδε λέγει κύριος ὅσοι εἰς θάνατον εἰς θάνατον καὶ ὅσοι εἰς μάχαιραν εἰς μάχαιραν καὶ ὅσοι εἰς λιμόν εἰς λιμόν καὶ ὅσοι εἰς αἰχμαλωσίαν εἰς αἰχμαλωσίαν
जब वे तुमसे यह पूछें, ‘कहां जाएं हम?’ तब तुम उन्हें उत्तर देना, ‘यह वाणी याहवेह की है: “‘वे जो मृत्यु के लिए पूर्व-निर्दिष्ट हैं, उनकी मृत्यु होगी; जो तलवार के लिए पूर्व-निर्दिष्ट हैं, उनकी तलवार से, जो अकाल के लिए पूर्व-निर्दिष्ट हैं, उनकी अकाल से; तथा जिन्हें बंधुआई में ले जाया जाना है, वे बंधुआई में ही ले जाए जाएंगे.’
3 καὶ ἐκδικήσω ἐπ’ αὐτοὺς τέσσαρα εἴδη λέγει κύριος τὴν μάχαιραν εἰς σφαγὴν καὶ τοὺς κύνας εἰς διασπασμὸν καὶ τὰ θηρία τῆς γῆς καὶ τὰ πετεινὰ τοῦ οὐρανοῦ εἰς βρῶσιν καὶ εἰς διαφθοράν
“मैं उनके लिए चार प्रकार के विनाश निर्धारित कर दूंगा,” यह याहवेह की वाणी है, “संहार के लिए तलवार और उन्हें खींचकर ले जाने के लिए कुत्ते तथा आकाश के पक्षी एवं पृथ्वी के पशु उन्हें खा जाने तथा नष्ट करने के लिए.
4 καὶ παραδώσω αὐτοὺς εἰς ἀνάγκας πάσαις ταῖς βασιλείαις τῆς γῆς διὰ Μανασση υἱὸν Εζεκιου βασιλέα Ιουδα περὶ πάντων ὧν ἐποίησεν ἐν Ιερουσαλημ
यहूदिया के राजा हिज़किय्याह के पुत्र मनश्शेह द्वारा येरूशलेम में किए गए कुकृत्यों के कारण, मैं उन्हें पृथ्वी के सारे राज्यों के लिए आतंक का विषय बना दूंगा.
5 τίς φείσεται ἐπὶ σοί Ιερουσαλημ καὶ τίς δειλιάσει ἐπὶ σοί ἢ τίς ἀνακάμψει εἰς εἰρήνην σοι
“येरूशलेम, कौन तुम पर तरस खाने के लिए तैयार होगा? अथवा कौन तुम्हारे लिए विलाप करेगा? अथवा कौन तुम्हारा कुशल क्षेम ज्ञात करने का कष्ट उठाएगा?
6 σὺ ἀπεστράφης με λέγει κύριος ὀπίσω πορεύσῃ καὶ ἐκτενῶ τὴν χεῖρά μου καὶ διαφθερῶ σε καὶ οὐκέτι ἀνήσω αὐτούς
तुम, जिन्होंने मुझे भूलना पसंद कर दिया है,” यह याहवेह की वाणी है. “तुम जो पीछे ही हटते जा रहे हो. इसलिये मैं अपना हाथ तुम्हारे विरुद्ध उठाऊंगा और तुम्हें नष्ट कर दूंगा; थक चुका हूं मैं तुम पर कृपा करते-करते.
7 καὶ διασπερῶ αὐτοὺς ἐν διασπορᾷ ἐν πύλαις λαοῦ μου ἠτεκνώθησαν ἀπώλεσαν τὸν λαόν μου διὰ τὰς κακίας αὐτῶν
मैं सूप लेकर देश के प्रवेश द्वारों पर उनको फटकूंगा. मैं उनसे उनकी संतान ले लूंगा और मैं अपनी ही प्रजा को नष्ट कर दूंगा, उन्होंने अपने आचरण के लिए पश्चात्ताप नहीं किया है.
8 ἐπληθύνθησαν χῆραι αὐτῶν ὑπὲρ τὴν ἄμμον τῆς θαλάσσης ἐπήγαγον ἐπὶ μητέρα νεανίσκου ταλαιπωρίαν ἐν μεσημβρίᾳ ἐπέρριψα ἐπ’ αὐτὴν ἐξαίφνης τρόμον καὶ σπουδήν
अब मेरे समक्ष उनकी विधवाओं की संख्या में सागर तट के बांध से अधिक वृद्धि हो जाएगी. मैं जवान की माता के विरुद्ध दोपहर में एक विनाशक ले आऊंगा; मैं उस पर सहसा व्यथा एवं निराशा ले आऊंगा.
9 ἐκενώθη ἡ τίκτουσα ἑπτά ἀπεκάκησεν ἡ ψυχὴ αὐτῆς ἐπέδυ ὁ ἥλιος αὐτῇ ἔτι μεσούσης τῆς ἡμέρας κατῃσχύνθη καὶ ὠνειδίσθη τοὺς καταλοίπους αὐτῶν εἰς μάχαιραν δώσω ἐναντίον τῶν ἐχθρῶν αὐτῶν
वह, जिसके सात पुत्र पैदा हुए थे, व्यर्थ और दुर्बल हो रही है और उसका श्वसन भी श्रमपूर्ण हो गया है. उसका सूर्य तो दिन ही दिन में अस्त हो गया; उसे लज्जित एवं अपमानित किया गया. और मैं उनके शत्रुओं के ही समक्ष उन्हें तलवार से घात कर दूंगा जो उनके उत्तरजीवी हैं,” यह याहवेह की वाणी है.
10 οἴμμοι ἐγώ μῆτερ ὡς τίνα με ἔτεκες ἄνδρα δικαζόμενον καὶ διακρινόμενον πάσῃ τῇ γῇ οὔτε ὠφέλησα οὔτε ὠφέλησέν με οὐδείς ἡ ἰσχύς μου ἐξέλιπεν ἐν τοῖς καταρωμένοις με
मेरी माता, धिक्कार है मुझ पर, जो आपने मुझे जन्म दिया है, मैं, सारे देश के लिए संघर्ष एवं विवाद का कारण हो गया हूं! न तो मैंने किसी को ऋण दिया है न ही किसी ने मुझे, फिर भी सभी मुझे शाप देते रहते हैं.
11 γένοιτο δέσποτα κατευθυνόντων αὐτῶν εἰ μὴ παρέστην σοι ἐν καιρῷ τῶν κακῶν αὐτῶν καὶ ἐν καιρῷ θλίψεως αὐτῶν εἰς ἀγαθὰ πρὸς τὸν ἐχθρόν
याहवेह ने उत्तर दिया, “निःसंदेह मैं कल्याण के लिए तुम्हें मुक्त कर दूंगा; निःसंदेह मैं ऐसा करूंगा कि शत्रु संकट एवं पीड़ा के अवसर पर तुमसे विनती करेगा.
12 εἰ γνωσθήσεται σίδηρος καὶ περιβόλαιον χαλκοῦν
“क्या कोई लौह को तोड़ सकता है, उत्तर दिशा के लौह एवं कांस्य को?
13 ἡ ἰσχύς σου καὶ τοὺς θησαυρούς σου εἰς προνομὴν δώσω ἀντάλλαγμα διὰ πάσας τὰς ἁμαρτίας σου καὶ ἐν πᾶσι τοῖς ὁρίοις σου
“तुम्हारी ही सीमाओं के भीतर तुम्हारे सारे पापों के कारण मैं तुम्हारा धन तथा तुम्हारी निधियां लूट की सामग्री बनाकर ऐसे दे दूंगा, जिसके लिए किसी को कुछ प्रयास न करना पड़ेगा.
14 καὶ καταδουλώσω σε κύκλῳ τοῖς ἐχθροῖς σου ἐν τῇ γῇ ᾗ οὐκ ᾔδεις ὅτι πῦρ ἐκκέκαυται ἐκ τοῦ θυμοῦ μου ἐφ’ ὑμᾶς καυθήσεται
तब मैं तुम्हारे शत्रुओं को इस प्रकार प्रेरित करूंगा, कि वे उसे ऐसे देश में ले जाएंगे जिसे तुम नहीं जानते, क्योंकि मेरे क्रोध में एक अग्नि प्रज्वलित हो गई है जो सदैव ही प्रज्वलित रहेगी.”
15 κύριε μνήσθητί μου καὶ ἐπίσκεψαί με καὶ ἀθῴωσόν με ἀπὸ τῶν καταδιωκόντων με μὴ εἰς μακροθυμίαν γνῶθι ὡς ἔλαβον περὶ σοῦ ὀνειδισμὸν
याहवेह, आप सब जानते हैं; मुझे स्मरण रखिए, मेरा ध्यान रखिए, उनसे बदला लीजिए. जिन्होंने मुझ पर अत्याचार किया है. आप धीरज धरनेवाले हैं—मुझे दूर मत कीजिये; यह बात आपके समक्ष स्पष्ट रहे कि मैं आपके निमित्त निंदा सह रहा हूं.
16 ὑπὸ τῶν ἀθετούντων τοὺς λόγους σου συντέλεσον αὐτούς καὶ ἔσται ὁ λόγος σου ἐμοὶ εἰς εὐφροσύνην καὶ χαρὰν καρδίας μου ὅτι ἐπικέκληται τὸ ὄνομά σου ἐπ’ ἐμοί κύριε παντοκράτωρ
मुझे आपका संदेश प्राप्त हुआ, मैंने उसे आत्मसात कर लिया; मेरे लिए आपका संदेश आनंद का स्रोत और मेरे हृदय का उल्लास है, याहवेह सेनाओं के परमेश्वर, इसलिये कि मुझ पर आपके स्वामित्व की मोहर लगाई गई है.
17 οὐκ ἐκάθισα ἐν συνεδρίῳ αὐτῶν παιζόντων ἀλλὰ εὐλαβούμην ἀπὸ προσώπου χειρός σου κατὰ μόνας ἐκαθήμην ὅτι πικρίας ἐνεπλήσθην
न मैं उनकी संगति में जाकर बैठा हूं जो मौज-मस्ती करते रहते हैं, न ही स्वयं मैंने आनंद मनाया है; मैं अकेला ही बैठा रहा क्योंकि मुझ पर आपका हाथ रखा हुआ था, क्योंकि आपने मुझे आक्रोश से पूर्ण कर दिया है.
18 ἵνα τί οἱ λυποῦντές με κατισχύουσίν μου ἡ πληγή μου στερεά πόθεν ἰαθήσομαι γινομένη ἐγενήθη μοι ὡς ὕδωρ ψευδὲς οὐκ ἔχον πίστιν
क्या कारण है कि मेरी पीड़ा सदा बनी रही है तथा मेरे घाव असाध्य हो गए हैं, वे स्वस्थ होते ही नहीं? क्या आप वास्तव में मेरे लिए धोखा देनेवाले सोता के समान हो जाएंगे, जिसमें जल होना, न होना अनिश्चित ही होता है.
19 διὰ τοῦτο τάδε λέγει κύριος ἐὰν ἐπιστρέψῃς καὶ ἀποκαταστήσω σε καὶ πρὸ προσώπου μου στήσῃ καὶ ἐὰν ἐξαγάγῃς τίμιον ἀπὸ ἀναξίου ὡς στόμα μου ἔσῃ καὶ ἀναστρέψουσιν αὐτοὶ πρὸς σέ καὶ σὺ οὐκ ἀναστρέψεις πρὸς αὐτούς
इसलिये याहवेह का संदेश यह है: “यदि तुम लौट आओ, तो मैं तुम्हें पुनःस्थापित करूंगा कि तुम मेरे समक्ष खड़े रह पाओगे; यदि तुम व्यर्थ बातें नहीं, बल्कि अनमोल बातें कहें, तुम मेरे प्रवक्ता बन जाओगे. संभव है कि वे तुम्हारे निकट आ जाएं, किंतु तुम स्वयं उनके निकट न जाना.
20 καὶ δώσω σε τῷ λαῷ τούτῳ ὡς τεῖχος ὀχυρὸν χαλκοῦν καὶ πολεμήσουσιν πρὸς σὲ καὶ οὐ μὴ δύνωνται πρὸς σέ διότι μετὰ σοῦ εἰμι τοῦ σῴζειν σε
तब मैं तुम्हें इन लोगों के लिए कांस्य की दृढ़ दीवार बना दूंगा; वे तुमसे युद्ध तो अवश्य करेंगे किंतु तुम पर प्रबल न हो सकेंगे, क्योंकि तुम्हारी सुरक्षा के लिए मैं तुम्हारे साथ हूं, मैं तुम्हारा उद्धार करूंगा,” यह याहवेह की वाणी है.
21 καὶ ἐξαιρεῖσθαί σε ἐκ χειρὸς πονηρῶν καὶ λυτρώσομαί σε ἐκ χειρὸς λοιμῶν
“इस प्रकार मैं तुम्हें बुरे लोगों के आधिपत्य से विमुक्त करूंगा और मैं तुम्हें हिंसक के बंधन से छुड़ा लूंगा.”