< Ἱερεμίας 10 >
1 ἀκούσατε τὸν λόγον κυρίου ὃν ἐλάλησεν ἐφ’ ὑμᾶς οἶκος Ισραηλ
१यहोवा यह कहता है, हे इस्राएल के घराने जो वचन यहोवा तुम से कहता है उसे सुनो।
2 τάδε λέγει κύριος κατὰ τὰς ὁδοὺς τῶν ἐθνῶν μὴ μανθάνετε καὶ ἀπὸ τῶν σημείων τοῦ οὐρανοῦ μὴ φοβεῖσθε ὅτι φοβοῦνται αὐτὰ τοῖς προσώποις αὐτῶν
२“अन्यजातियों की चाल मत सीखो, न उनके समान आकाश के चिन्हों से विस्मित हो, इसलिए कि अन्यजाति लोग उनसे विस्मित होते हैं।
3 ὅτι τὰ νόμιμα τῶν ἐθνῶν μάταια ξύλον ἐστὶν ἐκ τοῦ δρυμοῦ ἐκκεκομμένον ἔργον τέκτονος καὶ χώνευμα
३क्योंकि देशों के लोगों की रीतियाँ तो निकम्मी हैं। मूरत तो वन में से किसी का काटा हुआ काठ है जिसे कारीगर ने बसूले से बनाया है।
4 ἀργυρίῳ καὶ χρυσίῳ κεκαλλωπισμένα ἐστίν ἐν σφύραις καὶ ἥλοις ἐστερέωσαν αὐτά καὶ οὐ κινηθήσονται
४लोग उसको सोने-चाँदी से सजाते और हथौड़े से कील ठोंक-ठोंककर दृढ़ करते हैं कि वह हिल-डुल न सके।
5 αἰρόμενα ἀρθήσονται ὅτι οὐκ ἐπιβήσονται μὴ φοβηθῆτε αὐτά ὅτι οὐ μὴ κακοποιήσωσιν καὶ ἀγαθὸν οὐκ ἔστιν ἐν αὐτοῖς
५वे ककड़ी के खेत में खड़े पुतले के समान हैं, पर वे बोल नहीं सकतीं; उन्हें उठाए फिरना पड़ता है, क्योंकि वे चल नहीं सकतीं। उनसे मत डरो, क्योंकि, न तो वे कुछ बुरा कर सकती हैं और न कुछ भला।”
६हे यहोवा, तेरे समान कोई नहीं है; तू महान है, और तेरा नाम पराक्रम में बड़ा है।
७हे सब जातियों के राजा, तुझ से कौन न डरेगा? क्योंकि यह तेरे योग्य है; अन्यजातियों के सारे बुद्धिमानों में, और उनके सारे राज्यों में तेरे समान कोई नहीं है।
८वे मूर्ख और निर्बुद्धि है; मूर्तियों से क्या शिक्षा? वे तो काठ ही हैं!
9 ἀργύριον τορευτόν ἐστιν οὐ πορεύσονται ἀργύριον προσβλητὸν ἀπὸ Θαρσις ἥξει χρυσίον Μωφαζ καὶ χεὶρ χρυσοχόων ἔργα τεχνιτῶν πάντα ὑάκινθον καὶ πορφύραν ἐνδύσουσιν αὐτά
९पत्तर बनाई हुई चाँदी तर्शीश से लाई जाती है, और ऊफाज से सोना। वे कारीगर और सुनार के हाथों की कारीगरी हैं; उनके पहरावे नीले और बैंगनी रंग के वस्त्र हैं; उनमें जो कुछ है वह निपुण कारीगरों की कारीगरी ही है।
१०परन्तु यहोवा वास्तव में परमेश्वर है; जीवित परमेश्वर और सदा का राजा वही है। उसके प्रकोप से पृथ्वी काँपती है, और जाति-जाति के लोग उसके क्रोध को सह नहीं सकते।
11 οὕτως ἐρεῖτε αὐτοῖς θεοί οἳ τὸν οὐρανὸν καὶ τὴν γῆν οὐκ ἐποίησαν ἀπολέσθωσαν ἀπὸ τῆς γῆς καὶ ὑποκάτωθεν τοῦ οὐρανοῦ τούτου
११तुम उनसे यह कहना, “ये देवता जिन्होंने आकाश और पृथ्वी को नहीं बनाया वे पृथ्वी के ऊपर से और आकाश के नीचे से नष्ट हो जाएँगे।”
12 κύριος ὁ ποιήσας τὴν γῆν ἐν τῇ ἰσχύι αὐτοῦ ὁ ἀνορθώσας τὴν οἰκουμένην ἐν τῇ σοφίᾳ αὐτοῦ καὶ τῇ φρονήσει αὐτοῦ ἐξέτεινεν τὸν οὐρανὸν
१२उसी ने पृथ्वी को अपनी सामर्थ्य से बनाया, उसने जगत को अपनी बुद्धि से स्थिर किया, और आकाश को अपनी प्रवीणता से तान दिया है।
13 καὶ πλῆθος ὕδατος ἐν οὐρανῷ καὶ ἀνήγαγεν νεφέλας ἐξ ἐσχάτου τῆς γῆς ἀστραπὰς εἰς ὑετὸν ἐποίησεν καὶ ἐξήγαγεν φῶς ἐκ θησαυρῶν αὐτοῦ
१३जब वह बोलता है तब आकाश में जल का बड़ा शब्द होता है, और पृथ्वी की छोर से वह कुहरे को उठाता है। वह वर्षा के लिये बिजली चमकाता, और अपने भण्डार में से पवन चलाता है।
14 ἐμωράνθη πᾶς ἄνθρωπος ἀπὸ γνώσεως κατῃσχύνθη πᾶς χρυσοχόος ἐπὶ τοῖς γλυπτοῖς αὐτοῦ ὅτι ψευδῆ ἐχώνευσαν οὐκ ἔστιν πνεῦμα ἐν αὐτοῖς
१४सब मनुष्य मूर्ख और ज्ञानरहित हैं; अपनी खोदी हुई मूरतों के कारण सब सुनारों की आशा टूटती है; क्योंकि उनकी ढाली हुई मूरतें झूठी हैं, और उनमें साँस ही नहीं है।
15 μάταιά ἐστιν ἔργα ἐμπεπαιγμένα ἐν καιρῷ ἐπισκοπῆς αὐτῶν ἀπολοῦνται
१५वे व्यर्थ और ठट्ठे ही के योग्य हैं; जब उनके दण्ड का समय आएगा तब वे नाश हो जाएँगीं।
16 οὐκ ἔστιν τοιαύτη μερὶς τῷ Ιακωβ ὅτι ὁ πλάσας τὰ πάντα αὐτὸς κληρονομία αὐτοῦ κύριος ὄνομα αὐτῷ
१६परन्तु याकूब का निज भाग उनके समान नहीं है, क्योंकि वह तो सब का सृजनहार है, और इस्राएल उसके निज भाग का गोत्र है; सेनाओं का यहोवा उसका नाम है।
17 συνήγαγεν ἔξωθεν τὴν ὑπόστασίν σου κατοικοῦσα ἐν ἐκλεκτοῖς
१७हे घेरे हुए नगर की रहनेवाली, अपनी गठरी भूमि पर से उठा!
18 ὅτι τάδε λέγει κύριος ἰδοὺ ἐγὼ σκελίζω τοὺς κατοικοῦντας τὴν γῆν ταύτην ἐν θλίψει ὅπως εὑρεθῇ ἡ πληγή σου
१८क्योंकि यहोवा यह कहता है, “मैं अब की बार इस देश के रहनेवालों को मानो गोफन में रखकर फेंक दूँगा, और उन्हें ऐसे-ऐसे संकट में डालूँगा कि उनकी समझ में भी नहीं आएगा।”
19 οὐαὶ ἐπὶ συντρίμματί σου ἀλγηρὰ ἡ πληγή σου κἀγὼ εἶπα ὄντως τοῦτο τὸ τραῦμά μου καὶ κατέλαβέν με
१९मुझ पर हाय! मेरा घाव चंगा होने का नहीं। फिर मैंने सोचा, “यह तो रोग ही है, इसलिए मुझ को इसे सहना चाहिये।”
20 ἡ σκηνή μου ἐταλαιπώρησεν ὤλετο καὶ πᾶσαι αἱ δέρρεις μου διεσπάσθησαν οἱ υἱοί μου καὶ τὰ πρόβατά μου οὔκ εἰσιν οὐκ ἔστιν ἔτι τόπος τῆς σκηνῆς μου τόπος τῶν δέρρεών μου
२०मेरा तम्बू लूटा गया, और सब रस्सियाँ टूट गई हैं; मेरे बच्चे मेरे पास से चले गए, और नहीं हैं; अब कोई नहीं रहा जो मेरे तम्बू को ताने और मेरी कनातें खड़ी करे।
21 ὅτι οἱ ποιμένες ἠφρονεύσαντο καὶ τὸν κύριον οὐκ ἐξεζήτησαν διὰ τοῦτο οὐκ ἐνόησεν πᾶσα ἡ νομὴ καὶ διεσκορπίσθησαν
२१क्योंकि चरवाहे पशु सरीखे हैं, और वे यहोवा को नहीं पुकारते; इसी कारण वे बुद्धि से नहीं चलते, और उनकी सब भेड़ें तितर-बितर हो गई हैं।
22 φωνὴ ἀκοῆς ἰδοὺ ἔρχεται καὶ σεισμὸς μέγας ἐκ γῆς βορρᾶ τοῦ τάξαι τὰς πόλεις Ιουδα εἰς ἀφανισμὸν καὶ κοίτην στρουθῶν
२२सुन, एक शब्द सुनाई देता है! देख, वह आ रहा है! उत्तर दिशा से बड़ा हुल्लड़ मच रहा है ताकि यहूदा के नगरों को उजाड़ कर गीदड़ों का स्थान बना दे।
23 οἶδα κύριε ὅτι οὐχὶ τοῦ ἀνθρώπου ἡ ὁδὸς αὐτοῦ οὐδὲ ἀνὴρ πορεύσεται καὶ κατορθώσει πορείαν αὐτοῦ
२३हे यहोवा, मैं जान गया हूँ, कि मनुष्य का मार्ग उसके वश में नहीं है, मनुष्य चलता तो है, परन्तु उसके डग उसके अधीन नहीं हैं।
24 παίδευσον ἡμᾶς κύριε πλὴν ἐν κρίσει καὶ μὴ ἐν θυμῷ ἵνα μὴ ὀλίγους ἡμᾶς ποιήσῃς
२४हे यहोवा, मेरी ताड़ना कर, पर न्याय से; क्रोध में आकर नहीं, कहीं ऐसा न हो कि मैं नाश हो जाऊँ।
25 ἔκχεον τὸν θυμόν σου ἐπὶ ἔθνη τὰ μὴ εἰδότα σε καὶ ἐπὶ γενεὰς αἳ τὸ ὄνομά σου οὐκ ἐπεκαλέσαντο ὅτι κατέφαγον τὸν Ιακωβ καὶ ἐξανήλωσαν αὐτὸν καὶ τὴν νομὴν αὐτοῦ ἠρήμωσαν
२५जो जाति तुझे नहीं जानती, और जो तुझ से प्रार्थना नहीं करते, उन्हीं पर अपनी जलजलाहट उण्डेल; क्योंकि उन्होंने याकूब को निगल लिया, वरन्, उसे खाकर अन्त कर दिया है, और उसके निवास-स्थान को उजाड़ दिया है।