< Ἠσαΐας 33 >
1 οὐαὶ τοῖς ταλαιπωροῦσιν ὑμᾶς ὑμᾶς δὲ οὐδεὶς ποιεῖ ταλαιπώρους καὶ ὁ ἀθετῶν ὑμᾶς οὐκ ἀθετεῖ ἁλώσονται οἱ ἀθετοῦντες καὶ παραδοθήσονται καὶ ὡς σὴς ἐπὶ ἱματίου οὕτως ἡττηθήσονται
तुझ पर अफ़सोस कि तू ग़ारत करता है, और ग़ारत न किया गया था! तू दगाबाज़ी करता है और किसी ने तुझ से दग़ाबाज़ी न की थी? जब तू ग़ारत कर चुकेगा तो तू ग़ारत किया जाएगा; और जब तू दग़ाबाज़ी कर चुकेगा, तो और लोग तुझ से दग़ाबाज़ी करेंगे।
2 κύριε ἐλέησον ἡμᾶς ἐπὶ σοὶ γὰρ πεποίθαμεν ἐγενήθη τὸ σπέρμα τῶν ἀπειθούντων εἰς ἀπώλειαν ἡ δὲ σωτηρία ἡμῶν ἐν καιρῷ θλίψεως
ऐ ख़ुदावन्द हम पर रहम कर; क्यूँकि हम तेरे मुन्तज़िर हैं। तू हर सुबह उनका बाज़ू हो और मुसीबत के वक़्त हमारी नजात।
3 διὰ φωνὴν τοῦ φόβου σου ἐξέστησαν λαοὶ ἀπὸ τοῦ φόβου σου καὶ διεσπάρησαν τὰ ἔθνη
हंगामे की आवाज़ सुनते ही लोग भाग गए, तेरे उठते ही क़ौमें तितर — बितर हो गई।
4 νῦν δὲ συναχθήσεται τὰ σκῦλα ὑμῶν μικροῦ καὶ μεγάλου ὃν τρόπον ἐάν τις συναγάγῃ ἀκρίδας οὕτως ἐμπαίξουσιν ὑμῖν
और तुम्हारी लूट का माल इसी तरह बटोरा जायेगा जिस तरह कीड़े बटोर लेते हैं, लोग उस पर टिड्डी की तरह टूट पड़ेंगे।
5 ἅγιος ὁ θεὸς ὁ κατοικῶν ἐν ὑψηλοῖς ἐνεπλήσθη Σιων κρίσεως καὶ δικαιοσύνης
ख़ुदावन्द सरफ़राज़ है, क्यूँकि वह बलन्दी पर रहता है; उसने 'अदालत और सदाक़त से सिय्यून को मा'मूर कर दिया है।
6 ἐν νόμῳ παραδοθήσονται ἐν θησαυροῖς ἡ σωτηρία ἡμῶν ἐκεῖ σοφία καὶ ἐπιστήμη καὶ εὐσέβεια πρὸς τὸν κύριον οὗτοί εἰσιν θησαυροὶ δικαιοσύνης
और तेरे ज़माने में अमन होगा नजात व हिकमत और 'अक़्ल की फ़िरावानी होगी; ख़ुदावन्द का ख़ौफ़ उसका ख़ज़ाना है।
7 ἰδοὺ δὴ ἐν τῷ φόβῳ ὑμῶν αὐτοὶ φοβηθήσονται οὓς ἐφοβεῖσθε φοβηθήσονται ἀφ’ ὑμῶν ἄγγελοι γὰρ ἀποσταλήσονται ἀξιοῦντες εἰρήνην πικρῶς κλαίοντες παρακαλοῦντες εἰρήνην
देख उनके बहादुर बाहर फ़रियाद करते हैं और सुलह के क़ासिद फूट — फूटकर रोते हैं।
8 ἐρημωθήσονται γὰρ αἱ τούτων ὁδοί πέπαυται ὁ φόβος τῶν ἐθνῶν καὶ ἡ πρὸς τούτους διαθήκη αἴρεται καὶ οὐ μὴ λογίσησθε αὐτοὺς ἀνθρώπους
शाहराहें सुनसान हैं, कोई चलनेवाला न रहा; उसने 'अहद शिकनी की शहरों को हक़ीर जाना, और इंसान को हिसाब में नहीं लाता।
9 ἐπένθησεν ἡ γῆ ᾐσχύνθη ὁ Λίβανος ἕλη ἐγένετο ὁ Σαρων φανερὰ ἔσται ἡ Γαλιλαία καὶ ὁ Κάρμηλος
ज़मीन कुढ़ती और मुरझाती है। लुबनान रुस्वा हुआ और मुरझा गया, शादून वीराने की तरह है; बसन और कर्मिल बे — बर्ग हो गए।
10 νῦν ἀναστήσομαι λέγει κύριος νῦν δοξασθήσομαι νῦν ὑψωθήσομαι
ख़ुदावन्द फ़रमाता है, अब मैं उठूँगा; अब मैं सरफ़राज़ हूँगा; अब मैं सर बलन्द हूँगा।
11 νῦν ὄψεσθε νῦν αἰσθηθήσεσθε ματαία ἔσται ἡ ἰσχὺς τοῦ πνεύματος ὑμῶν πῦρ ὑμᾶς κατέδεται
तुम भूसे से बारदार होगे, फूस तुम से पैदा होगा; तुम्हारा दम आग की तरह तुम को भसम करेगा।
12 καὶ ἔσονται ἔθνη κατακεκαυμένα ὡς ἄκανθα ἐν ἀγρῷ ἐρριμμένη καὶ κατακεκαυμένη
और लोग जले चूने की तरह होंगे; वह उन काँटों की तरह होंगे, जो काटकर आग में जलाए जाएँ।
13 ἀκούσονται οἱ πόρρωθεν ἃ ἐποίησα γνώσονται οἱ ἐγγίζοντες τὴν ἰσχύν μου
तुम जो दूर हो, सुनो कि मैंने क्या किया; और तुम जो नज़दीक हो, मेरी क़ुदरत का इक़रार करो।
14 ἀπέστησαν οἱ ἐν Σιων ἄνομοι λήμψεται τρόμος τοὺς ἀσεβεῖς τίς ἀναγγελεῖ ὑμῖν ὅτι πῦρ καίεται τίς ἀναγγελεῖ ὑμῖν τὸν τόπον τὸν αἰώνιον
वह गुनाहगार जो सिय्यून में हैं डर गए; कपकपी ने बेदीनों को आ दबाया है: 'कौन हम में से उस मुहलिक़ आग में रह सकता है? और कौन हम में से हमेशा के शो'लों के बीच बस सकता है?
15 πορευόμενος ἐν δικαιοσύνῃ λαλῶν εὐθεῖαν ὁδόν μισῶν ἀνομίαν καὶ ἀδικίαν καὶ τὰς χεῖρας ἀποσειόμενος ἀπὸ δώρων βαρύνων τὰ ὦτα ἵνα μὴ ἀκούσῃ κρίσιν αἵματος καμμύων τοὺς ὀφθαλμοὺς ἵνα μὴ ἴδῃ ἀδικίαν
जो रास्तरफ़्तार और दुरुस्तगुफ़्तार हैं जो ज़ुल्म के नफ़े' हक़ीर जानता है, जो रिश्वत से दस्तबरदार है, जो अपने कान बन्द करता है ताकि ख़ूँरेज़ी के मज़मून न सुने, और आँखें मून्दता है ताकि बुराई न देखे।
16 οὗτος οἰκήσει ἐν ὑψηλῷ σπηλαίῳ πέτρας ἰσχυρᾶς ἄρτος αὐτῷ δοθήσεται καὶ τὸ ὕδωρ αὐτοῦ πιστόν
वह बुलन्दी पर रहेगा, उसकी पनाहगाह पहाड़ का क़िला' होगी, उसको रोटी दी जाएगी, उसका पानी मुक़र्रर होगा।
17 βασιλέα μετὰ δόξης ὄψεσθε καὶ οἱ ὀφθαλμοὶ ὑμῶν ὄψονται γῆν πόρρωθεν
तेरी आँखें बादशाह का जमाल देखेंगी: वह बहुत दूर तक वसी' मुल्क पर नज़र करेंगी।
18 ἡ ψυχὴ ὑμῶν μελετήσει φόβον ποῦ εἰσιν οἱ γραμματικοί ποῦ εἰσιν οἱ συμβουλεύοντες ποῦ ἐστιν ὁ ἀριθμῶν τοὺς τρεφομένους
तेरा दिल उस दहशत पर सोचेगा कहाँ है वह गिनने वाला कहाँ हैं वह तोलनेवाला? कहाँ है वह जो बुर्जों को गिनता था?
19 μικρὸν καὶ μέγαν λαόν ᾧ οὐ συνεβουλεύσαντο οὐδὲ ᾔδει βαθύφωνον ὥστε μὴ ἀκοῦσαι λαὸς πεφαυλισμένος καὶ οὐκ ἔστιν τῷ ἀκούοντι σύνεσις
तू फिर उन तुन्दर्खूँ लोगों को न देखेगा जिनकी बोली तू समझ नहीं सकता उनकी ज़बान बेगाना है जो तेरी समझ में नहीं आती।
20 ἰδοὺ Σιων ἡ πόλις τὸ σωτήριον ἡμῶν οἱ ὀφθαλμοί σου ὄψονται Ιερουσαλημ πόλις πλουσία σκηναὶ αἳ οὐ μὴ σεισθῶσιν οὐδὲ μὴ κινηθῶσιν οἱ πάσσαλοι τῆς σκηνῆς αὐτῆς εἰς τὸν αἰῶνα χρόνον οὐδὲ τὰ σχοινία αὐτῆς οὐ μὴ διαρραγῶσιν
हमारी ईदगाह सिय्यून पर नज़र कर; तेरी आँखें येरूशलेम को देखेंगी जो सलामती का मक़ाम है, बल्कि ऐसा ख़ेमा जो हिलाया न जाएगा, जिसकी मेख़ों में से एक भी उखाड़ी न जाएगी, और उसकी डोरियों में से एक भी तोड़ी न जाएगी।
21 ὅτι τὸ ὄνομα κυρίου μέγα ὑμῖν τόπος ὑμῖν ἔσται ποταμοὶ καὶ διώρυγες πλατεῖς καὶ εὐρύχωροι οὐ πορεύσῃ ταύτην τὴν ὁδόν οὐδὲ πορεύσεται πλοῖον ἐλαῦνον
बल्कि वहाँ ज़ुलजलाल ख़ुदावन्द, बड़ी नदियों और नहरों के बदले हमारी गुन्जाइश के लिए आप मौजूद होगा कि वहाँ डॉंड की कोई नाव न जाएगी, और न शानदार जहाज़ों का गुज़र उसमें होगा।
22 ὁ γὰρ θεός μου μέγας ἐστίν οὐ παρελεύσεταί με κύριος κριτὴς ἡμῶν κύριος ἄρχων ἡμῶν κύριος βασιλεὺς ἡμῶν κύριος οὗτος ἡμᾶς σώσει
क्यूँकि ख़ुदावन्द हमारा हाकिम है, ख़ुदावन्द हमारा शरी'अत देने वाला है ख़ुदावन्द हमारा बादशाह है वही हम को बचाएगा।
23 ἐρράγησαν τὰ σχοινία σου ὅτι οὐκ ἐνίσχυσεν ὁ ἱστός σου ἔκλινεν οὐ χαλάσει τὰ ἱστία οὐκ ἀρεῖ σημεῖον ἕως οὗ παραδοθῇ εἰς προνομήν τοίνυν πολλοὶ χωλοὶ προνομὴν ποιήσουσιν
तेरी रस्सियाँ ढीली हैं; लोग मस्तूल की चूल को मज़बूत न कर सके, वह बादबान न फैला सके; सो लूट का वाफ़िर माल तक़सीम किया गया, लंगड़े भी ग़नीमत पर क़ाबिज़ हो गए।
24 καὶ οὐ μὴ εἴπῃ κοπιῶ ὁ λαὸς ὁ ἐνοικῶν ἐν αὐτοῖς ἀφέθη γὰρ αὐτοῖς ἡ ἁμαρτία
वहाँ के बाशिन्दों में भी कोई न कहेगा, कि मैं बीमार हूँ; और उनके गुनाह बख़्शे जाएँगे।