< Βασιλειῶν Αʹ 18 >
जब वह साऊल से बातें कर चुका, तो यूनतन का दिल दाऊद के दिल से ऐसा मिल गया कि यूनतन उससे अपनी जान के बराबर मुहब्बत करने लगा।
और साऊल ने उस दिन से उसे अपने साथ रख्खा और फिर उसे उसके बाप के घर जाने न दिया।
और यूनतन और दाऊद ने आपस में 'अहद किया, क्यूँकि वह उससे अपनी जान के बराबर मुहब्बत रखता था।
तब यूनतन ने वह क़बा जो वह पहने हुए था उतार कर दाऊद को दी ओर अपनी पोशाक बल्कि अपनी तलवार और अपनी कमान और अपना कमर बन्द तक दे दिया।
और जहाँ, कहीं साऊल दाऊद को भेजता वह जाता और 'अक़्लमन्दी से काम करता था, और साऊल ने उसे जंगी मर्दों पर मुक़र्रर कर दिया और यह बात सारी क़ौम की और साऊल के मुलाज़िमों की नज़र में अच्छी थी।
6 καὶ ἐξῆλθον αἱ χορεύουσαι εἰς συνάντησιν Δαυιδ ἐκ πασῶν πόλεων Ισραηλ ἐν τυμπάνοις καὶ ἐν χαρμοσύνῃ καὶ ἐν κυμβάλοις
जब दाऊद उस फ़िलिस्ती को क़त्ल कर के लौटा आता था, और वह सब भी आ रहे थे, तो इस्राईल के सब शहरों से 'औरतें गाती और नाचती हुई दफ़ों और ख़ुशी के ना'रों और बाजों के साथ साऊल बादशाह के इस्तक़बाल को निकलीं।
7 καὶ ἐξῆρχον αἱ γυναῖκες καὶ ἔλεγον ἐπάταξεν Σαουλ ἐν χιλιάσιν αὐτοῦ καὶ Δαυιδ ἐν μυριάσιν αὐτοῦ
और वह 'औरतें नाचती हुई गाती जाती थीं, कि साऊल ने तो हज़ारों को पर दाऊद ने लाखों को मारा।
8 καὶ πονηρὸν ἐφάνη τὸ ῥῆμα ἐν ὀφθαλμοῖς Σαουλ περὶ τοῦ λόγου τούτου καὶ εἶπεν τῷ Δαυιδ ἔδωκαν τὰς μυριάδας καὶ ἐμοὶ ἔδωκαν τὰς χιλιάδας
और साऊल निहायत ख़फ़ा हुआ क्यूँकि वह बात उसे बड़ी बुरी लगी, और वह कहने लगा, कि उन्होंने दाऊद के लिए तो लाखों और मेरे लिए सिर्फ़ हज़ारों ही ठहराए। इसलिए बादशाही के 'अलावा उसे और क्या मिलना बाक़ी है?
9 καὶ ἦν Σαουλ ὑποβλεπόμενος τὸν Δαυιδ ἀπὸ τῆς ἡμέρας ἐκείνης καὶ ἐπέκεινα
इसलिए उस दिन से आगे को साऊल दाऊद को बद गुमानी से देखने लगा।
और दूसरे दिन ऐसा हुआ, कि ख़ुदा कि तरफ़ से बुरी रूह साऊल पर ज़ोर से नाज़िल हुई और वह घर के अंदर नबुव्वत करने लगा, और दाऊद हर दिन की तरह अपने हाथ से बजा रहा था, और साऊल अपने हाथ में अपना भाला लिए था।
तब साऊल ने भाला चलाया क्यूँकि उसने कहा, कि मैं दाऊद को दीवार के साथ छेद दूँगा, और दाऊद उसके सामने से दो बार हट गया।
12 καὶ ἐφοβήθη Σαουλ ἀπὸ προσώπου Δαυιδ
इसलिए साऊल दाऊद से डरा करता था क्यूँकि ख़ुदावन्द उसके साथ था और साऊल से अलग हो गया था।
13 καὶ ἀπέστησεν αὐτὸν ἀπ’ αὐτοῦ καὶ κατέστησεν αὐτὸν ἑαυτῷ χιλίαρχον καὶ ἐξεπορεύετο καὶ εἰσεπορεύετο ἔμπροσθεν τοῦ λαοῦ
इसलिए साऊल ने उसे अपने पास से अलग कर के उसे हज़ार जवानों का सरदार बना दिया, और वह लोगों के सामने आया जाया करता था।
14 καὶ ἦν Δαυιδ ἐν πάσαις ταῖς ὁδοῖς αὐτοῦ συνίων καὶ κύριος μετ’ αὐτοῦ
और दाऊद अपनी सब राहों में 'अक़्लमन्दी के साथ चलता था, और ख़ुदावन्द उसके साथ था।
15 καὶ εἶδεν Σαουλ ὡς αὐτὸς συνίει σφόδρα καὶ εὐλαβεῖτο ἀπὸ προσώπου αὐτοῦ
जब साऊल ने देखा कि वह 'अक़्लमन्दी से काम करता है, तो वह उससे डरने लगा।
16 καὶ πᾶς Ισραηλ καὶ Ιουδας ἠγάπα τὸν Δαυιδ ὅτι αὐτὸς ἐξεπορεύετο καὶ εἰσεπορεύετο πρὸ προσώπου τοῦ λαοῦ
लेकिन पूरा इस्राईल और यहूदाह के लोग दाऊद को प्यार करते थे, इसलिए कि वह उनके सामने आया जाया करता था।
तब साऊल ने दाऊद से कहा कि देख मैं अपनी बड़ी बेटी मेरब को तुझ से ब्याह दूँगा, तू सिर्फ़ मेरे लिए बहादुरी का काम कर और ख़ुदावन्द की लड़ाइयाँ लड़, क्यूँकि साऊल ने कहा कि मेरा हाथ नहीं बल्कि फ़िलिस्तियों का हाथ उस पर चले।
दाऊद ने साऊल से कहा, मैं क्या हूँ और मेरी हस्ती ही क्या और इस्राईल में मेरे बाप का ख़ानदान क्या है, कि मैं बादशाह का दामाद बनूँ?“
लेकिन जब वक़्त आ गया कि साऊल की बेटी मेरब दाऊद से ब्याही जाए, तो वह महूलाती 'अदरीएल से ब्याह दी गई।
20 καὶ ἠγάπησεν Μελχολ ἡ θυγάτηρ Σαουλ τὸν Δαυιδ καὶ ἀπηγγέλη Σαουλ καὶ ηὐθύνθη ἐν ὀφθαλμοῖς αὐτοῦ
और साऊल की बेटी मीकल दाऊद को चाहती थीं, इसलिए उन्होंने साऊल को बताया और वह इस बात से ख़ुश हुआ।
21 καὶ εἶπεν Σαουλ δώσω αὐτὴν αὐτῷ καὶ ἔσται αὐτῷ εἰς σκάνδαλον καὶ ἦν ἐπὶ Σαουλ χεὶρ ἀλλοφύλων
तब साऊल ने कहा, मैं उसी को उसे दूँगा, ताकि यह उसके लिए फंदा हो और फ़िलिस्तियों का हाथ उस पर पड़े, इसलिए साऊल ने दाऊद से कहा कि इस दूसरी दफ़ा' तो तू आज के दिन मेरा दामाद हो जाएगा।
22 καὶ ἐνετείλατο Σαουλ τοῖς παισὶν αὐτοῦ λέγων λαλήσατε ὑμεῖς λάθρᾳ τῷ Δαυιδ λέγοντες ἰδοὺ ὁ βασιλεὺς θέλει ἐν σοί καὶ πάντες οἱ παῖδες αὐτοῦ ἀγαπῶσίν σε καὶ σὺ ἐπιγάμβρευσον τῷ βασιλεῖ
और साऊल ने अपने ख़ादिमों को हुक्म किया कि दाऊद से चुपके चुपके बातें करो और कहो कि देख बादशाह तुझ से ख़ुश है और उसके सब ख़ादिम तुझे प्यार करतें हैं इसलिए अब तू बादशाह का दामाद बन जा।
23 καὶ ἐλάλησαν οἱ παῖδες Σαουλ εἰς τὰ ὦτα Δαυιδ τὰ ῥήματα ταῦτα καὶ εἶπεν Δαυιδ εἰ κοῦφον ἐν ὀφθαλμοῖς ὑμῶν ἐπιγαμβρεῦσαι βασιλεῖ κἀγὼ ἀνὴρ ταπεινὸς καὶ οὐχὶ ἔνδοξος
चुनाँचे साऊल के मुलाज़िमों ने यह बातें दाऊद के कान तक पहूँचाईं, दाऊद ने कहा, क्या बादशाह का दामाद बनना तुमको कोई हल्की बात मा'लूम होती है, जिस हाल कि मैं ग़रीब आदमी हूँ और मेरी कुछ औक़ात नहीं?”
24 καὶ ἀπήγγειλαν οἱ παῖδες Σαουλ αὐτῷ κατὰ τὰ ῥήματα ταῦτα ἃ ἐλάλησεν Δαυιδ
तब साऊल के मुलाज़िमों ने उसे बताया कि दाऊद ऐसा कहता है।
25 καὶ εἶπεν Σαουλ τάδε ἐρεῖτε τῷ Δαυιδ οὐ βούλεται ὁ βασιλεὺς ἐν δόματι ἀλλ’ ἢ ἐν ἑκατὸν ἀκροβυστίαις ἀλλοφύλων ἐκδικῆσαι εἰς ἐχθροὺς τοῦ βασιλέως καὶ Σαουλ ἐλογίσατο αὐτὸν ἐμβαλεῖν εἰς χεῖρας τῶν ἀλλοφύλων
तब साऊल ने कहा, तुम दाऊद से कहना कि बादशाह मेहर नही माँगता वह सिर्फ़ फ़िलिस्तियों की सौ खलड़ियाँ चाहता है, ताकि बादशाह के दुश्मनों से इन्तक़ाम लिया जाए, साऊल का यह इरादा था, कि दाऊद को फ़िलिस्तियों के हाथ से मरवा डाले।
26 καὶ ἀπαγγέλλουσιν οἱ παῖδες Σαουλ τῷ Δαυιδ τὰ ῥήματα ταῦτα καὶ εὐθύνθη ὁ λόγος ἐν ὀφθαλμοῖς Δαυιδ ἐπιγαμβρεῦσαι τῷ βασιλεῖ
जब उसके ख़ादिमो ने यह बातें दाऊद से कहीं तो दाऊद बादशाह का दामाद बनने को राज़ी हो गया और अभी दिन पूरे भी नहीं हुए थे।
27 καὶ ἀνέστη Δαυιδ καὶ ἐπορεύθη αὐτὸς καὶ οἱ ἄνδρες αὐτοῦ καὶ ἐπάταξεν ἐν τοῖς ἀλλοφύλοις ἑκατὸν ἄνδρας καὶ ἀνήνεγκεν τὰς ἀκροβυστίας αὐτῶν τῷ βασιλεῖ καὶ ἐπιγαμβρεύεται τῷ βασιλεῖ καὶ δίδωσιν αὐτῷ τὴν Μελχολ θυγατέρα αὐτοῦ αὐτῷ εἰς γυναῖκα
कि दाऊद उठा, और अपने लोगों को लेकर गया और दो सौ फ़िलिस्ती क़त्ल कर डाले और दाऊद उनकी खलड़ियाँ लाया और उन्होंने उनकी पूरी ता'दाद में बादशाह को दिया ताकि वह बादशाह का दामाद हो, और साऊल ने अपनी बेटी मीकल उसे ब्याह दी।
28 καὶ εἶδεν Σαουλ ὅτι κύριος μετὰ Δαυιδ καὶ πᾶς Ισραηλ ἠγάπα αὐτόν
और साऊल ने देखा और जान लिया कि ख़ुदावन्द दाऊद के साथ है, और साऊल की बेटी मीकल उसे चाहती थी।
29 καὶ προσέθετο εὐλαβεῖσθαι ἀπὸ Δαυιδ ἔτι
और साऊल दाऊद से और भी डरने लगा, और साऊल बराबर दाऊद का दुश्मन रहा।
फिर फ़िलिस्तियों के सरदारों ने धावा किया और जब जब उन्होंने धावा किया साऊल के सब ख़ादिमों की निस्बत दाऊद ने ज़्यादा 'अक़्लमंदी का काम किया इस से उसका नाम बहुत बड़ा हो गया।