< Βασιλειῶν Αʹ 17 >
1 καὶ συνάγουσιν ἀλλόφυλοι τὰς παρεμβολὰς αὐτῶν εἰς πόλεμον καὶ συνάγονται εἰς Σοκχωθ τῆς Ιουδαίας καὶ παρεμβάλλουσιν ἀνὰ μέσον Σοκχωθ καὶ ἀνὰ μέσον Αζηκα ἐν Εφερμεμ
१अब पलिश्तियों ने युद्ध के लिये अपनी सेनाओं को इकट्ठा किया; और यहूदा देश के सोको में एक साथ होकर सोको और अजेका के बीच एपेसदम्मीम में डेरे डाले।
2 καὶ Σαουλ καὶ οἱ ἄνδρες Ισραηλ συνάγονται καὶ παρεμβάλλουσιν ἐν τῇ κοιλάδι αὐτοὶ παρατάσσονται εἰς πόλεμον ἐξ ἐναντίας ἀλλοφύλων
२शाऊल और इस्राएली पुरुषों ने भी इकट्ठे होकर एला नामक तराई में डेरे डाले, और युद्ध के लिये पलिश्तियों के विरुद्ध पाँति बाँधी।
3 καὶ ἀλλόφυλοι ἵστανται ἐπὶ τοῦ ὄρους ἐνταῦθα καὶ Ισραηλ ἵσταται ἐπὶ τοῦ ὄρους ἐνταῦθα καὶ ὁ αὐλὼν ἀνὰ μέσον αὐτῶν
३पलिश्ती तो एक ओर के पहाड़ पर और इस्राएली दूसरी ओर के पहाड़ पर खड़े रहे; और दोनों के बीच तराई थी।
4 καὶ ἐξῆλθεν ἀνὴρ δυνατὸς ἐκ τῆς παρατάξεως τῶν ἀλλοφύλων Γολιαθ ὄνομα αὐτῷ ἐκ Γεθ ὕψος αὐτοῦ τεσσάρων πήχεων καὶ σπιθαμῆς
४तब पलिश्तियों की छावनी में से गोलियत नामक एक वीर निकला, जो गत नगर का था, और उसकी लम्बाई छः हाथ एक बित्ता थी।
5 καὶ περικεφαλαία ἐπὶ τῆς κεφαλῆς αὐτοῦ καὶ θώρακα ἁλυσιδωτὸν αὐτὸς ἐνδεδυκώς καὶ ὁ σταθμὸς τοῦ θώρακος αὐτοῦ πέντε χιλιάδες σίκλων χαλκοῦ καὶ σιδήρου
५उसके सिर पर पीतल का टोप था; और वह एक पत्तर का झिलम पहने हुए था, जिसका तौल पाँच हजार शेकेल पीतल का था।
6 καὶ κνημῖδες χαλκαῖ ἐπάνω τῶν σκελῶν αὐτοῦ καὶ ἀσπὶς χαλκῆ ἀνὰ μέσον τῶν ὤμων αὐτοῦ
६उसकी टाँगों पर पीतल के कवच थे, और उसके कंधों के बीच बरछी बंधी थी।
7 καὶ ὁ κοντὸς τοῦ δόρατος αὐτοῦ ὡσεὶ μέσακλον ὑφαινόντων καὶ ἡ λόγχη αὐτοῦ ἑξακοσίων σίκλων σιδήρου καὶ ὁ αἴρων τὰ ὅπλα αὐτοῦ προεπορεύετο αὐτοῦ
७उसके भाले की छड़ जुलाहे के डोंगी के समान थी, और उस भाले का फल छः सौ शेकेल लोहे का था, और बड़ी ढाल लिए हुए एक जन उसके आगे-आगे चलता था
8 καὶ ἔστη καὶ ἀνεβόησεν εἰς τὴν παράταξιν Ισραηλ καὶ εἶπεν αὐτοῖς τί ἐκπορεύεσθε παρατάξασθαι πολέμῳ ἐξ ἐναντίας ἡμῶν οὐκ ἐγώ εἰμι ἀλλόφυλος καὶ ὑμεῖς Εβραῖοι τοῦ Σαουλ ἐκλέξασθε ἑαυτοῖς ἄνδρα καὶ καταβήτω πρός με
८वह खड़ा होकर इस्राएली पाँतियों को ललकार के बोला, “तुम ने यहाँ आकर लड़ाई के लिये क्यों पाँति बाँधी है? क्या मैं पलिश्ती नहीं हूँ, और तुम शाऊल के अधीन नहीं हो? अपने में से एक पुरुष चुनो, कि वह मेरे पास उतर आए।
9 καὶ ἐὰν δυνηθῇ πρὸς ἐμὲ πολεμῆσαι καὶ ἐὰν πατάξῃ με καὶ ἐσόμεθα ὑμῖν εἰς δούλους ἐὰν δὲ ἐγὼ δυνηθῶ καὶ πατάξω αὐτόν ἔσεσθε ἡμῖν εἰς δούλους καὶ δουλεύσετε ἡμῖν
९यदि वह मुझसे लड़कर मुझे मार सके, तब तो हम तुम्हारे अधीन हो जाएँगे; परन्तु यदि मैं उस पर प्रबल होकर मारूँ, तो तुम को हमारे अधीन होकर हमारी सेवा करनी पड़ेगी।”
10 καὶ εἶπεν ὁ ἀλλόφυλος ἰδοὺ ἐγὼ ὠνείδισα τὴν παράταξιν Ισραηλ σήμερον ἐν τῇ ἡμέρᾳ ταύτῃ δότε μοι ἄνδρα καὶ μονομαχήσομεν ἀμφότεροι
१०फिर वह पलिश्ती बोला, “मैं आज के दिन इस्राएली पाँतियों को ललकारता हूँ, किसी पुरुष को मेरे पास भेजो, कि हम एक दूसरे से लड़ें।”
11 καὶ ἤκουσεν Σαουλ καὶ πᾶς Ισραηλ τὰ ῥήματα τοῦ ἀλλοφύλου ταῦτα καὶ ἐξέστησαν καὶ ἐφοβήθησαν σφόδρα
११उस पलिश्ती की इन बातों को सुनकर शाऊल और समस्त इस्राएलियों का मन कच्चा हो गया, और वे अत्यन्त डर गए।
१२दाऊद यहूदा के बैतलहम के उस एप्राती पुरुष का पुत्र था, जिसका नाम यिशै था, और उसके आठ पुत्र थे और वह पुरुष शाऊल के दिनों में बूढ़ा और निर्बल हो गया था।
१३यिशै के तीन बड़े पुत्र शाऊल के पीछे होकर लड़ने को गए थे; और उसके तीन पुत्रों के नाम जो लड़ने को गए थे, ये थे, अर्थात् ज्येष्ठ का नाम एलीआब, दूसरे का अबीनादाब, और तीसरे का शम्मा था।
१४सबसे छोटा दाऊद था; और तीनों बड़े पुत्र शाऊल के पीछे होकर गए थे,
१५और दाऊद बैतलहम में अपने पिता की भेड़ बकरियाँ चराने को शाऊल के पास से आया-जाया करता था।
१६वह पलिश्ती तो चालीस दिन तक सवेरे और साँझ को निकट जाकर खड़ा हुआ करता था।
१७यिशै ने अपने पुत्र दाऊद से कहा, “यह एपा भर भुना हुआ अनाज, और ये दस रोटियाँ लेकर छावनी में अपने भाइयों के पास दौड़ जा;
१८और पनीर की ये दस टिकियाँ उनके सहस्त्रपति के लिये ले जा। और अपने भाइयों का कुशल देखकर उनकी कोई निशानी ले आना।
१९शाऊल, और तेरे भाई, और समस्त इस्राएली पुरुष एला नामक तराई में पलिश्तियों से लड़ रहे है।”
२०अतः दाऊद सवेरे उठ, भेड़ बकरियों को किसी रखवाले के हाथ में छोड़कर, यिशै की आज्ञा के अनुसार उन वस्तुओं को लेकर चला; और जब सेना रणभूमि को जा रही, और संग्राम के लिये ललकार रही थी, उसी समय वह गाड़ियों के पड़ाव पर पहुँचा।
२१तब इस्राएलियों और पलिश्तियों ने अपनी-अपनी सेना आमने-सामने करके पाँति बाँधी।
२२दाऊद अपनी सामग्री सामान के रखवाले के हाथ में छोड़कर रणभूमि को दौड़ा, और अपने भाइयों के पास जाकर उनका कुशल क्षेम पूछा।
२३वह उनके साथ बातें कर ही रहा था, कि पलिश्तियों की पाँतियों में से वह वीर, अर्थात् गतवासी गोलियत नामक वह पलिश्ती योद्धा चढ़ आया, और पहले की सी बातें कहने लगा। और दाऊद ने उन्हें सुना।
२४उस पुरुष को देखकर सब इस्राएली अत्यन्त भय खाकर उसके सामने से भागे।
२५फिर इस्राएली पुरुष कहने लगे, “क्या तुम ने उस पुरुष को देखा है जो चढ़ा आ रहा है? निश्चय वह इस्राएलियों को ललकारने को चढ़ा आता है; और जो कोई उसे मार डालेगा उसको राजा बहुत धन देगा, और अपनी बेटी का विवाह उससे कर देगा, और उसके पिता के घराने को इस्राएल में स्वतंत्र कर देगा।”
२६तब दाऊद ने उन पुरुषों से जो उसके आस-पास खड़े थे पूछा, “जो उस पलिश्ती को मारकर इस्राएलियों की नामधराई दूर करेगा उसके लिये क्या किया जाएगा? वह खतनारहित पलिश्ती क्या है कि जीवित परमेश्वर की सेना को ललकारे?”
२७तब लोगों ने उससे वही बातें कहीं, अर्थात् यह, कि जो कोई उसे मारेगा उससे ऐसा-ऐसा किया जाएगा।
२८जब दाऊद उन मनुष्यों से बातें कर रहा था, तब उसका बड़ा भाई एलीआब सुन रहा था; और एलीआब दाऊद से बहुत क्रोधित होकर कहने लगा, “तू यहाँ क्यों आया है? और जंगल में उन थोड़ी सी भेड़ बकरियों को तू किसके पास छोड़ आया है? तेरा अभिमान और तेरे मन की बुराई मुझे मालूम है; तू तो लड़ाई देखने के लिये यहाँ आया है।”
२९दाऊद ने कहा, “अब मैंने क्या किया है? वह तो निरी बात थी।”
३०तब उसने उसके पास से मुँह फेर के दूसरे के सम्मुख होकर वैसी ही बात कही; और लोगों ने उसे पहले के समान उत्तर दिया।
३१जब दाऊद की बातों की चर्चा हुई, तब शाऊल को भी सुनाई गई; और उसने उसे बुलवा भेजा।
32 καὶ εἶπεν Δαυιδ πρὸς Σαουλ μὴ δὴ συμπεσέτω ἡ καρδία τοῦ κυρίου μου ἐπ’ αὐτόν ὁ δοῦλός σου πορεύσεται καὶ πολεμήσει μετὰ τοῦ ἀλλοφύλου τούτου
३२तब दाऊद ने शाऊल से कहा, “किसी मनुष्य का मन उसके कारण कच्चा न हो; तेरा दास जाकर उस पलिश्ती से लड़ेगा।”
33 καὶ εἶπεν Σαουλ πρὸς Δαυιδ οὐ μὴ δυνήσῃ πορευθῆναι πρὸς τὸν ἀλλόφυλον τοῦ πολεμεῖν μετ’ αὐτοῦ ὅτι παιδάριον εἶ σύ καὶ αὐτὸς ἀνὴρ πολεμιστὴς ἐκ νεότητος αὐτοῦ
३३शाऊल ने दाऊद से कहा, “तू जाकर उस पलिश्ती के विरुद्ध युद्ध नहीं कर सकता; क्योंकि तू तो लड़का ही है, और वह लड़कपन ही से योद्धा है।”
34 καὶ εἶπεν Δαυιδ πρὸς Σαουλ ποιμαίνων ἦν ὁ δοῦλός σου τῷ πατρὶ αὐτοῦ ἐν τῷ ποιμνίῳ καὶ ὅταν ἤρχετο ὁ λέων καὶ ἡ ἄρκος καὶ ἐλάμβανεν πρόβατον ἐκ τῆς ἀγέλης
३४दाऊद ने शाऊल से कहा, “तेरा दास अपने पिता की भेड़-बकरियाँ चराता था; और जब कोई सिंह या भालू झुण्ड में से मेम्ना उठा ले जाता,
35 καὶ ἐξεπορευόμην ὀπίσω αὐτοῦ καὶ ἐπάταξα αὐτὸν καὶ ἐξέσπασα ἐκ τοῦ στόματος αὐτοῦ καὶ εἰ ἐπανίστατο ἐπ’ ἐμέ καὶ ἐκράτησα τοῦ φάρυγγος αὐτοῦ καὶ ἐπάταξα καὶ ἐθανάτωσα αὐτόν
३५तब मैं उसका पीछा करके उसे मारता, और मेम्ने को उसके मुँह से छुड़ा लेता; और जब वह मुझ पर हमला करता, तब मैं उसके केश को पकड़कर उसे मार डालता।
36 καὶ τὴν ἄρκον ἔτυπτεν ὁ δοῦλός σου καὶ τὸν λέοντα καὶ ἔσται ὁ ἀλλόφυλος ὁ ἀπερίτμητος ὡς ἓν τούτων οὐχὶ πορεύσομαι καὶ πατάξω αὐτὸν καὶ ἀφελῶ σήμερον ὄνειδος ἐξ Ισραηλ διότι τίς ὁ ἀπερίτμητος οὗτος ὃς ὠνείδισεν παράταξιν θεοῦ ζῶντος
३६तेरे दास ने सिंह और भालू दोनों को मारा है। और वह खतनारहित पलिश्ती उनके समान हो जाएगा, क्योंकि उसने जीवित परमेश्वर की सेना को ललकारा है।”
37 κύριος ὃς ἐξείλατό με ἐκ χειρὸς τοῦ λέοντος καὶ ἐκ χειρὸς τῆς ἄρκου αὐτὸς ἐξελεῖταί με ἐκ χειρὸς τοῦ ἀλλοφύλου τοῦ ἀπεριτμήτου τούτου καὶ εἶπεν Σαουλ πρὸς Δαυιδ πορεύου καὶ ἔσται κύριος μετὰ σοῦ
३७फिर दाऊद ने कहा, “यहोवा जिसने मुझे सिंह और भालू दोनों के पंजे से बचाया है, वह मुझे उस पलिश्ती के हाथ से भी बचाएगा।” शाऊल ने दाऊद से कहा, “जा, यहोवा तेरे साथ रहे।”
38 καὶ ἐνέδυσεν Σαουλ τὸν Δαυιδ μανδύαν καὶ περικεφαλαίαν χαλκῆν περὶ τὴν κεφαλὴν αὐτοῦ
३८तब शाऊल ने अपने वस्त्र दाऊद को पहनाए, और पीतल का टोप उसके सिर पर रख दिया, और झिलम उसको पहनाया।
39 καὶ ἔζωσεν τὸν Δαυιδ τὴν ῥομφαίαν αὐτοῦ ἐπάνω τοῦ μανδύου αὐτοῦ καὶ ἐκοπίασεν περιπατήσας ἅπαξ καὶ δίς καὶ εἶπεν Δαυιδ πρὸς Σαουλ οὐ μὴ δύνωμαι πορευθῆναι ἐν τούτοις ὅτι οὐ πεπείραμαι καὶ ἀφαιροῦσιν αὐτὰ ἀπ’ αὐτοῦ
३९तब दाऊद ने उसकी तलवार वस्त्र के ऊपर कसी, और चलने का यत्न किया; उसने तो उनको न परखा था। इसलिए दाऊद ने शाऊल से कहा, “इन्हें पहने हुए मुझसे चला नहीं जाता, क्योंकि मैंने इन्हें नहीं परखा है।” और दाऊद ने उन्हें उतार दिया।
40 καὶ ἔλαβεν τὴν βακτηρίαν αὐτοῦ ἐν τῇ χειρὶ αὐτοῦ καὶ ἐξελέξατο ἑαυτῷ πέντε λίθους λείους ἐκ τοῦ χειμάρρου καὶ ἔθετο αὐτοὺς ἐν τῷ καδίῳ τῷ ποιμενικῷ τῷ ὄντι αὐτῷ εἰς συλλογὴν καὶ σφενδόνην αὐτοῦ ἐν τῇ χειρὶ αὐτοῦ καὶ προσῆλθεν πρὸς τὸν ἄνδρα τὸν ἀλλόφυλον
४०तब उसने अपनी लाठी हाथ में ली और नदी में से पाँच चिकने पत्थर छाँटकर अपनी चरवाही की थैली, अर्थात् अपने झोले में रखे; और अपना गोफन हाथ में लेकर पलिश्ती के निकट गया।
४१और पलिश्ती चलते-चलते दाऊद के निकट पहुँचने लगा, और जो जन उसकी बड़ी ढाल लिए था वह उसके आगे-आगे चला।
42 καὶ εἶδεν Γολιαδ τὸν Δαυιδ καὶ ἠτίμασεν αὐτόν ὅτι αὐτὸς ἦν παιδάριον καὶ αὐτὸς πυρράκης μετὰ κάλλους ὀφθαλμῶν
४२जब पलिश्ती ने दृष्टि करके दाऊद को देखा, तब उसे तुच्छ जाना; क्योंकि वह लड़का ही था, और उसके मुख पर लाली झलकती थी, और वह सुन्दर था।
43 καὶ εἶπεν ὁ ἀλλόφυλος πρὸς Δαυιδ ὡσεὶ κύων ἐγώ εἰμι ὅτι σὺ ἔρχῃ ἐπ’ ἐμὲ ἐν ῥάβδῳ καὶ λίθοις καὶ εἶπεν Δαυιδ οὐχί ἀλλ’ ἢ χείρω κυνός καὶ κατηράσατο ὁ ἀλλόφυλος τὸν Δαυιδ ἐν τοῖς θεοῖς αὐτοῦ
४३तब पलिश्ती ने दाऊद से कहा, “क्या मैं कुत्ता हूँ, कि तू लाठी लेकर मेरे पास आता है?” तब पलिश्ती अपने देवताओं के नाम लेकर दाऊद को कोसने लगा।
44 καὶ εἶπεν ὁ ἀλλόφυλος πρὸς Δαυιδ δεῦρο πρός με καὶ δώσω τὰς σάρκας σου τοῖς πετεινοῖς τοῦ οὐρανοῦ καὶ τοῖς κτήνεσιν τῆς γῆς
४४फिर पलिश्ती ने दाऊद से कहा, “मेरे पास आ, मैं तेरा माँस आकाश के पक्षियों और वन-पशुओं को दे दूँगा।”
45 καὶ εἰπεν Δαυιδ πρὸς τὸν ἀλλόφυλον σὺ ἔρχῃ πρός με ἐν ῥομφαίᾳ καὶ ἐν δόρατι καὶ ἐν ἀσπίδι κἀγὼ πορεύομαι πρὸς σὲ ἐν ὀνόματι κυρίου σαβαωθ θεοῦ παρατάξεως Ισραηλ ἣν ὠνείδισας σήμερον
४५दाऊद ने पलिश्ती से कहा, “तू तो तलवार और भाला और सांग लिए हुए मेरे पास आता है; परन्तु मैं सेनाओं के यहोवा के नाम से तेरे पास आता हूँ, जो इस्राएली सेना का परमेश्वर है, और उसी को तूने ललकारा है।
46 καὶ ἀποκλείσει σε κύριος σήμερον εἰς τὴν χεῖρά μου καὶ ἀποκτενῶ σε καὶ ἀφελῶ τὴν κεφαλήν σου ἀπὸ σοῦ καὶ δώσω τὰ κῶλά σου καὶ τὰ κῶλα παρεμβολῆς ἀλλοφύλων ἐν ταύτῃ τῇ ἡμέρᾳ τοῖς πετεινοῖς τοῦ οὐρανοῦ καὶ τοῖς θηρίοις τῆς γῆς καὶ γνώσεται πᾶσα ἡ γῆ ὅτι ἔστιν θεὸς ἐν Ισραηλ
४६आज के दिन यहोवा तुझको मेरे हाथ में कर देगा, और मैं तुझको मारूँगा, और तेरा सिर तेरे धड़ से अलग करूँगा; और मैं आज के दिन पलिश्ती सेना के शव आकाश के पक्षियों को दे दूँगा; तब समस्त पृथ्वी के लोग जान लेंगे कि इस्राएल में एक परमेश्वर है।
47 καὶ γνώσεται πᾶσα ἡ ἐκκλησία αὕτη ὅτι οὐκ ἐν ῥομφαίᾳ καὶ δόρατι σῴζει κύριος ὅτι τοῦ κυρίου ὁ πόλεμος καὶ παραδώσει κύριος ὑμᾶς εἰς χεῖρας ἡμῶν
४७और यह समस्त मण्डली जान लेगी कि यहोवा तलवार या भाले के द्वारा जयवन्त नहीं करता, इसलिए कि संग्राम तो यहोवा का है, और वही तुम्हें हमारे हाथ में कर देगा।”
48 καὶ ἀνέστη ὁ ἀλλόφυλος καὶ ἐπορεύθη εἰς συνάντησιν Δαυιδ
४८जब पलिश्ती उठकर दाऊद का सामना करने के लिये निकट आया, तब दाऊद सेना की ओर पलिश्ती का सामना करने के लिये फुर्ती से दौड़ा।
49 καὶ ἐξέτεινεν Δαυιδ τὴν χεῖρα αὐτοῦ εἰς τὸ κάδιον καὶ ἔλαβεν ἐκεῖθεν λίθον ἕνα καὶ ἐσφενδόνησεν καὶ ἐπάταξεν τὸν ἀλλόφυλον ἐπὶ τὸ μέτωπον αὐτοῦ καὶ διέδυ ὁ λίθος διὰ τῆς περικεφαλαίας εἰς τὸ μέτωπον αὐτοῦ καὶ ἔπεσεν ἐπὶ πρόσωπον αὐτοῦ ἐπὶ τὴν γῆν
४९फिर दाऊद ने अपनी थैली में हाथ डालकर उसमें से एक पत्थर निकाला, और उसे गोफन में रखकर पलिश्ती के माथे पर ऐसा मारा कि पत्थर उसके माथे के भीतर घुस गया, और वह भूमि पर मुँह के बल गिर पड़ा।
५०अतः दाऊद ने पलिश्ती पर गोफन और एक ही पत्थर के द्वारा प्रबल होकर उसे मार डाला; परन्तु दाऊद के हाथ में तलवार न थी।
51 καὶ ἔδραμεν Δαυιδ καὶ ἐπέστη ἐπ’ αὐτὸν καὶ ἔλαβεν τὴν ῥομφαίαν αὐτοῦ καὶ ἐθανάτωσεν αὐτὸν καὶ ἀφεῖλεν τὴν κεφαλὴν αὐτοῦ καὶ εἶδον οἱ ἀλλόφυλοι ὅτι τέθνηκεν ὁ δυνατὸς αὐτῶν καὶ ἔφυγον
५१तब दाऊद दौड़कर पलिश्ती के ऊपर खड़ा हो गया, और उसकी तलवार पकड़कर म्यान से खींची, और उसको घात किया, और उसका सिर उसी तलवार से काट डाला। यह देखकर कि हमारा वीर मर गया पलिश्ती भाग गए।
52 καὶ ἀνίστανται ἄνδρες Ισραηλ καὶ Ιουδα καὶ ἠλάλαξαν καὶ κατεδίωξαν ὀπίσω αὐτῶν ἕως εἰσόδου Γεθ καὶ ἕως τῆς πύλης Ἀσκαλῶνος καὶ ἔπεσαν τραυματίαι τῶν ἀλλοφύλων ἐν τῇ ὁδῷ τῶν πυλῶν καὶ ἕως Γεθ καὶ ἕως Ακκαρων
५२इस पर इस्राएली और यहूदी पुरुष ललकार उठे, और गत और एक्रोन से फाटकों तक पलिश्तियों का पीछा करते गए, और घायल पलिश्ती शारैंम के मार्ग में और गत और एक्रोन तक गिरते गए।
53 καὶ ἀνέστρεψαν ἄνδρες Ισραηλ ἐκκλίνοντες ὀπίσω τῶν ἀλλοφύλων καὶ κατεπάτουν τὰς παρεμβολὰς αὐτῶν
५३तब इस्राएली पलिश्तियों का पीछा छोड़कर लौट आए, और उनके डेरों को लूट लिया।
54 καὶ ἔλαβεν Δαυιδ τὴν κεφαλὴν τοῦ ἀλλοφύλου καὶ ἤνεγκεν αὐτὴν εἰς Ιερουσαλημ καὶ τὰ σκεύη αὐτοῦ ἔθηκεν ἐν τῷ σκηνώματι αὐτοῦ
५४और दाऊद पलिश्ती का सिर यरूशलेम में ले गया; और उसके हथियार अपने डेरे में रख लिए।
५५जब शाऊल ने दाऊद को उस पलिश्ती का सामना करने के लिये जाते देखा, तब उसने अपने सेनापति अब्नेर से पूछा, “हे अब्नेर, वह जवान किसका पुत्र है?” अब्नेर ने कहा, “हे राजा, तेरे जीवन की शपथ, मैं नहीं जानता।”
५६राजा ने कहा, “तू पूछ ले कि वह जवान किसका पुत्र है।”
५७जब दाऊद पलिश्ती को मारकर लौटा, तब अब्नेर ने उसे पलिश्ती का सिर हाथ में लिए हुए शाऊल के सामने पहुँचाया।
५८शाऊल ने उससे पूछा, “हे जवान, तू किसका पुत्र है?” दाऊद ने कहा, “मैं तो तेरे दास बैतलहमवासी यिशै का पुत्र हूँ।”