< Apostelgeschichte 10 >
1 Es war ein Mann zu Cäsarea, mit Namen Cornelius, ein Hauptmann von der sogenannten italischen Kohorte,
कयसरिया नगर में कॉरनेलियॉस नामक एक व्यक्ति थे, जो इतालियन नामक सैन्य दल के शताधिपति थे.
2 Fromm und gottesfürchtig mit seinem ganzen Hause, der dem Volke viele Wohltaten erwies und stets zu Gott betete.
वह परमेश्वर पर विश्वास रखनेवाले व्यक्ति थे. वह और उनका परिवार, सभी श्रद्धालु थे. वह यहूदियों को उदार मन से दान देते तथा परमेश्वर से निरंतर प्रार्थना करते थे.
3 Dieser sah in einem Gesichte um die neunte Stunde des Tages offenbarlich einen Engel bei sich eintreten und zu ihm sprechen: Cornelius!
दिन के लगभग नवें घंटे में उन्होंने एक दर्शन में स्पष्ट देखा कि परमेश्वर के एक स्वर्गदूत ने उनके पास आकर उनसे कहा, “कॉरनेलियॉस!”
4 Er aber sah ihn an, erschrak und sprach: Was ist es Herr? Er sprach zu ihm: Deine Gebete und Almosen sind hinaufgekommen zum Gedächtnis vor Gott.
भयभीत कॉरनेलियॉस ने स्वर्गदूत की ओर एकटक देखते हुए प्रश्न किया, “क्या आज्ञा है, प्रभु?” स्वर्गदूत ने स्पष्ट किया, “परमेश्वर द्वारा तुम्हारी प्रार्थनाएं तथा तुम्हारे दान याद किए गए हैं.
5 Und nun sende Männer nach Joppe und entbiete zu dir Simon, der zubenannt wird Petrus.
इसलिये अपने सेवक योप्पा नगर भेजकर शिमओन नामक व्यक्ति को बुलवा लो. वह पेतरॉस भी कहलाते हैं.
6 Welcher ist zur Herberge bei einem Gerber Simon, dessen Haus am Meere liegt. Der wird dir sagen, was du tun sollst.
इस समय वह शिमओन नामक चर्मशोधक के यहां अतिथि हैं, जिसका घर समुद्र के किनारे पर है.”
7 Als der Engel, der mit ihm redete, hinwegegegangen war, rief er zwei seiner Knechte und einen gottesfürchtigen Kriegsknecht, von denen, die ihm aufwarteten.
स्वर्गदूत के जाते ही कॉरनेलियॉस ने अपने दो सेवकों तथा उनकी निरंतर सेवा के लिए ठहराए हुए एक भक्त सैनिक को बुलवाया
8 Und erzählte ihnen alles und entsandte sie gen Joppe.
तथा उन्हें सारी स्थिति के बारे में बताते हुए योप्पा नगर भेज दिया.
9 Des anderen Tages, während sie auf dem Wege waren und der Stadt nahten, stieg Petrus hinauf auf den Söller, um zu beten, um die sechste Stunde.
ये लोग दूसरे दिन छठे घंटे के लगभग योप्पा नगर के पास पहुंचे. उसी समय पेतरॉस घर की खुली छत पर प्रार्थना करने गए थे.
10 Da ward er hungrig und wollte etwas essen; während sie aber zurichteten, fiel er in eine Entzückung,
वहां उन्हें भूख लगी और कुछ खाने की इच्छा बहुत बढ़ गई. जब भोजन तैयार किया ही जा रहा था, पेतरॉस ध्यानमग्न हो गए.
11 Und sah den Himmel aufgetan, und ein Gefäß zu ihm herabsinken, wie ein großes Linnentuch, das an den vier Enden gebunden war und auf den Boden hernieder gelassen ward.
उन्होंने स्वर्ग को खुला देखा जहां से एक विशाल चादर जैसी वस्तु चारों कोनों से नीचे उतारी जा रही थी.
12 Darin waren allerlei vierfüßige Tiere der Erde und Gewild und Kriechtiere und Vögel des Himmels.
इसमें पृथ्वी के सभी प्रकार के चौपाए, रेंगते हुए जंतु तथा पक्षी थे.
13 Und es geschah eine Stimme zu ihm: Stehe auf, Petrus, schlachte und iß.
तब उन्हें एक शब्द सुनाई दिया, “उठो, पेतरॉस! मारो और खाओ!”
14 Petrus aber sprach: Nimmermehr, Herr! noch nie habe ich etwas Gemeines oder Unreines gegessen.
पेतरॉस ने उत्तर दिया, “कतई नहीं प्रभु! क्योंकि मैंने कभी भी कोई अपवित्र तथा अशुद्ध वस्तु नहीं खाई है.”
15 Und eine Stimme sprach zum andern Mal zu ihm: Was Gott hat rein gemacht, das achte du nicht für gemein.
उन्हें दूसरी बार शब्द सुनाई दिया, “जिन वस्तुओं को स्वयं परमेश्वर ने शुद्ध कर दिया है उन्हें अशुद्ध मत समझो.”
16 Dies geschah zu drei Malen, und das Gefäß ward wieder gen Himmel emporgenommen.
तीन बार दोहराने के बाद तुरंत ही वह वस्तु स्वर्ग में उठा ली गई.
17 Als aber Petrus bei sich selbst nachsann, was wohl das Gesichte, das er gesehen, zu bedeuten hätte, siehe, da fragten die, so von Cornelius abgesandt waren, nach dem Hause Simons und standen vor dem Tor.
पेतरॉस अभी इसी दुविधा में थे कि इस दर्शन का अर्थ क्या हो सकता है, कॉरनेलियॉस द्वारा भेजे गए व्यक्ति पूछताछ करते हुए शिमओन के द्वार पर आ पहुंचे.
18 Riefen und erkundigten sich, ob Simon, mit dem Zunamen Petrus, allda zur Herberge wäre.
उन्होंने पुकारकर पूछा, “क्या शिमओन, जिनका नाम पेतरॉस भी है, यहीं ठहरे हुए हैं?”
19 Als Petrus immer noch über das Gesichte nachdachte, sprach der Geist zu ihm: Siehe, drei Männer fragen nach dir.
पेतरॉस अभी भी उसी दर्शन पर विचार कर रहे थे कि पवित्र आत्मा ने उनसे कहा, “सुनो! तीन व्यक्ति तुम्हें खोजते हुए यहां आए हैं.
20 So mache dich auf, steige hinab, und ziehe mit ihnen, und bedenke nicht lange, denn Ich habe sie gesandt.
निस्संकोच उनके साथ चले जाओ क्योंकि स्वयं मैंने उन्हें तुम्हारे पास भेजा है.”
21 Da stieg Petrus hinab zu den Männern, die Cornelius an ihn abgesendet hatte, und sprach: Siehe, ich bin es, nach dem ihr fraget; was ist die Sache, darum ihr hier seid?
पेतरॉस नीचे गए और उनसे कहा, “तुम जिसे खोज रहे हो, वह मैं हूं. क्या कारण है तुम्हारे यहां आने का?”
22 Sie aber sprachen: Der Hauptmann Cornelius, ein gerechter und gottesfürchtiger Mann, der bei allem Volke der Juden ein gutes Zeugnis hat, ward von einem heiligen Engel angewiesen, dich in sein Haus rufen zu lassen, auf daß er Worte von dir höre.
उन्होंने उत्तर दिया, “हमें शताधिपति कॉरनेलियॉस ने आपके पास भेजा है. वह सच्चाई पर चलनेवाले, श्रद्धालु तथा सभी यहूदी समाज में सम्मानित हैं. उन्हें एक पवित्र स्वर्गदूत की ओर से यह निर्देश मिला है कि वह आपको आमंत्रित कर सहपरिवार आपसे वचन सुनें.”
23 Da rief er sie herein zu sich und bewirtete sie. Des andern Tages zog Petrus mit ihnen, und zwei der Brüder aus Joppe gingen mit ihm.
पेतरॉस ने उन्हें अपने अतिथि होने का आमंत्रण दिया. अगले दिन पेतरॉस उनके साथ चल दिए. योप्पा नगर के कुछ विश्वासी भाई भी उनके साथ हो लिए.
24 Am andern Tag kamen sie nach Cäsarea. Cornelius wartete auf sie und hatte seine Verwandten und vertrauten Freunde zusammengerufen.
दूसरे दिन वे कयसरिया नगर पहुंचे. कॉरनेलियॉस उन्हीं की प्रतीक्षा कर रहे थे. उन्होंने अपने संबंधियों और घनिष्ठ मित्रों को आमंत्रित किया हुआ था.
25 Als Petrus eintrat, kam ihm Cornelius entgegen, fiel ihm zu Füßen und betete ihn an.
जैसे ही पेतरॉस ने उनके निवास में प्रवेश किया, कॉरनेलियॉस ने उनके चरणों में गिरकर उनकी स्तुति की,
26 Petrus aber richtete ihn auf und sprach: Stehe auf! auch ich bin ein Mensch.
किंतु पेतरॉस ने उन्हें उठाते हुए कहा, “उठिए! मैं भी मात्र मनुष्य हूं.”
27 Als er sich mit ihm besprochen hatte, trat er ein und fand ihrer viele versammelt.
उनसे बातचीत करते हुए पेतरॉस ने भीतर प्रवेश किया, जहां उन्होंने बड़ी संख्या में लोगों को इकट्ठा पाया.
28 Er sprach zu ihnen: Ihr wisset, daß es einem jüdischen Manne nicht erlaubt ist, sich einem Fremden zuzugesellen und Gemeinschaft mit ihm zu haben; aber mir hat Gott gezeigt, daß ich keinen Menschen sollte gemein oder unrein heißen.
उन्हें संबोधित करते हुए पेतरॉस ने कहा, “आप सब यह तो समझते ही हैं कि एक यहूदी के लिए किसी गैर-यहूदी के साथ संबंध रखना या उसके घर मिलने जाना यहूदी नियमों के विरुद्ध है किंतु स्वयं परमेश्वर ने मुझ पर यह प्रकट किया है कि मैं किसी भी मनुष्य को अपवित्र या अशुद्ध न मानूं.
29 Darum bin ich auch unweigerlich gekommen, als man mich beschied; ich frage nun, zu welchem Ende ihr mich beschieden habt?
यही कारण है कि जब आपने मुझे आमंत्रित किया मैं यहां बिना किसी आपत्ति के चला आया. इसलिये अब मैं जानना चाहता हूं कि आपने मुझे यहां आमंत्रित क्यों किया है?”
30 Da sprach Cornelius: Bis zu dieser Stunde sind es vier Tage, daß ich fastete; und um die neunte Stunde betete ich in meinem Hause, und siehe, da stand ein Mann vor mir in glänzendem Gewand,
कॉरनेलियॉस ने उन्हें उत्तर दिया, “चार दिन पूर्व नवें घंटे मैं अपने घर में प्रार्थना कर रहा था कि मैंने देखा कि मेरे सामने उजले कपड़ों में एक व्यक्ति खड़ा हुआ है.
31 Und sprach: Cornelius, dein Gebet ist erhört, und deiner Almosen ist gedacht worden vor Gott.
उसने मुझे संबोधित करके कहा, ‘कॉरनेलियॉस, तुम्हारी प्रार्थना सुन ली गई है और तुम्हारे द्वारा दिए गए दान परमेश्वर ने याद किए हैं.
32 So sende nun nach Joppe und laß rufen Simon, mit dem Zunamen Petrus. Dieser ist zur Herberge im Hause des Gerbers Simon am Meer; wenn dieser kommt, so wird er dich berichten.
इसलिये अब किसी को योप्पा नगर भेजकर समुद्र के किनारे पर शिमओन चमड़ेवाले के यहां अतिथि होकर ठहरे शिमओन को, जिन्हें पेतरॉस नाम से जाना जाता है, बुलवा लो.’
33 Da sandte ich von Stund an zu dir, und du hast wohlgetan, daß du gekommen bist; nun sind wir alle vor Gott hier gegenwärtig, zu hören alles, was dir von Gott ward aufgetragen.
मैंने तुरंत आपको बुलवाने के लिए अपने सेवक भेजे और आपने यहां आने की कृपा की है. हम सब यहां इसलिये उपस्थित हैं कि आपसे वह सब सुनें जिसे सुनाने की आज्ञा आपको प्रभु की ओर से प्राप्त हुई है.”
34 Da tat Petrus seinen Mund auf und sprach: In Wahrheit erfahre ich nun, daß Gott die Person nicht ansieht,
पेतरॉस ने उनसे कहा: “अब मैं यह अच्छी तरह से समझ गया हूं कि परमेश्वर किसी के भी पक्षधर नहीं हैं.
35 Sondern unter allem Volk ein jeglicher, der Ihn fürchtet und recht tut, der ist Ihm wohlgefällig.
हर एक जनता में उस व्यक्ति को परमेश्वर अंगीकार करता है, जो परमेश्वर में श्रद्धा रखता तथा वही करता है जो सही है.
36 Das Wort nun, das Er den Söhnen Israels zugesendet hat, indem Er Frieden verkündete durch Jesus Christus:
इस्राएल राष्ट्र के लिए परमेश्वर द्वारा भेजे गए संदेश के विषय में तो आपको मालूम ही है. परमेश्वर ने मसीह येशु के द्वारा—जो सबके प्रभु हैं—हमें इस्राएलियों में शांति के ईश्वरीय सुसमाचार का प्रचार करने भेजा.
37 Ihr wisset, was nach der Taufe, die Johannes predigte, durch das ganze jüdische Land geschehen ist, und in Galiläa seinen Anfang genommen hat;
आप सबको मालूम ही है कि गलील प्रदेश में योहन द्वारा बपतिस्मा की घोषणा से शुरू होकर सारे यहूदिया प्रदेश में क्या-क्या हुआ है,
38 Wie Jesus von Nazareth, Den Gott mit dem Heiligen Geist und Wunderkraft gesalbt hat, umhergezogen ist, und hat wohlgetan, und alle gesund gemacht, die von dem Teufel überwältigt waren; denn Gott war mit Ihm.
कैसे परमेश्वर ने पवित्र आत्मा तथा सामर्थ्य से नाज़रेथवासी मसीह येशु का अभिषेक किया, कैसे वह भलाई करते रहे और उन्हें स्वस्थ करते रहे, जो शैतान द्वारा सताए हुए थे क्योंकि परमेश्वर उनके साथ थे.
39 Und wir sind alle Zeugen dessen, was Er im Lande der Juden und in Jerusalem getan hat. Ihn haben sie zum Tode gebracht und an das Kreuz geheftet.
“चाहे यहूदिया प्रदेश में या येरूशलेम में जो कुछ वह करते रहे हम उसके प्रत्यक्ष साक्षी हैं. उन्हीं को उन्होंने काठ पर लटकाकर मार डाला.
40 Diesen hat Gott am dritten Tage auferweckt und Ihn lassen offenbar werden,
उन्हीं मसीह येशु को परमेश्वर ने तीसरे दिन मरे हुओं में से दोबारा जीवित कर दिया और उन्हें प्रकट भी किया.
41 Nicht allem Volk, sondern uns, den Zeugen, die von Gott vorerwählt worden, uns, die wir mit Ihm gegessen und getrunken haben, nachdem Er von den Toten auferstanden war.
सब पर नहीं परंतु सिर्फ उन साक्ष्यों पर, जो इसके लिए परमेश्वर द्वारा ही पहले से तय थे अर्थात् हम, जिन्होंने उनके मरे हुओं में से जीवित होने के बाद उनके साथ भोजन और संगति की.
42 Und Er hat uns geboten, dem Volke zu predigen und bezeugen, daß Er ist von Gott verordnet zum Richter der Lebendigen und der Toten.
उन्होंने हमें आज्ञा दी कि हम हर जगह प्रचार करें और इस बात की सच्चाई से गवाही दें कि यही हैं वह, जिन्हें स्वयं परमेश्वर ने जीवितों और मरे हुओं का न्यायी ठहराया है.
43 Für Ihn zeugen alle Propheten, daß durch Seinen Namen jeder, der an Ihn glaubt, Vergebung der Sünden empfangen soll.
उनके विषय में सभी भविष्यद्वक्ताओं की यह गवाही है कि उन्हीं के नाम के द्वारा हर एक व्यक्ति, जो उनमें विश्वास करता है, पाप क्षमा प्राप्त करता है.”
44 Während Petrus noch diese Worte redete, fiel der Heilige Geist auf alle, die das Wort hörten.
जब पेतरॉस यह कह ही रहे थे, इस प्रवचन के हर एक सुननेवाले पर पवित्र आत्मा उतर गए.
45 Und es entsetzten sich die Gläubigen aus der Beschneidung, die mit Petrus gekommen waren, daß auch auf die Heiden die Gabe des Heiligen Geistes ausgegossen ward.
पेतरॉस के साथ यहां आए मसीह के ख़तना किए हुए विश्वासी यह देखकर चकित रह गए कि गैर-यहूदियों पर भी पवित्र आत्मा उतरे हैं
46 Denn sie hörten sie mit Zungen reden und Gott lobpreisen. Da nahm Petrus wieder das Wort:
क्योंकि वे उन्हें अन्य भाषाओं में भाषण करते और परमेश्वर का धन्यवाद करते सुन रहे थे. इस पर पेतरॉस ने प्रश्न किया,
47 Mag auch jemand das Wasser vorenthalten, daß die nicht getauft werden, die, wie auch wir, den Heiligen Geist empfangen haben?
“कौन इनके जल-बपतिस्मा पर आपत्ति उठा सकता है क्योंकि इन्होंने ठीक हमारे ही समान पवित्र आत्मा प्राप्त किया है?”
48 Und er befahl, sie zu taufen im Namen des Herrn. Sie baten ihn sodann, noch einige Tage zu bleiben.
तब पेतरॉस ने उन्हें आज्ञा दी कि वे मसीह येशु के नाम में बपतिस्मा लें. पेतरॉस से उन्होंने कुछ दिन और अपने साथ रहने की विनती की.