< Psalm 66 >

1 Dem Vorsänger. Ein Psalmlied. Jauchzet Gott, alle Welt!
संगीत निर्देशक के लिये. एक गीत. एक स्तोत्र. संपूर्ण पृथ्वी हर्षोल्लास में, परमेश्वर का जय जयकार करे!
2 Singet Ehre seinem Namen, machet herrlich sein Lob!
परमेश्वर की महिमा के तेज का गुणगान करो; महिमा का भजन गाकर उनका स्तवन करो.
3 Sprechet zu Gott: Wie wunderbar sind deine Werke! Ob der Größe deiner Macht schmeicheln dir deine Feinde.
परमेश्वर से कहो, “कैसे आश्चर्यजनक हैं आपके महाकार्य! ऐसी अतुलनीय है आपकी सामर्थ्य, कि आपके शत्रु आपके सामने संकुचित होकर झुक जाते हैं.
4 Alle Welt bete dich an und lobsinge dir, lobsinge deinem Namen! (Pause)
संपूर्ण पृथ्वी आपके सामने नतमस्तक हो जाती है; सभी देश आपका स्तवन गान करते हैं, वे आपकी महिमा का स्तवन गान करते हैं.”
5 Kommt her und schauet die Werke Gottes, dessen Tun an den Menschenkindern so wunderbar ist!
आकर स्वयं देख लो कि परमेश्वर ने क्या-क्या किया है, कैसे शोभायमान हैं मनुष्य के हित में किए गए उनके कार्य!
6 Er verwandelte das Meer in trockenes Land, durch den Strom gingen sie zu Fuß; daselbst freuten wir uns seiner.
उन्होंने समुद्र को सूखी भूमि में बदल दिया, जब वे नदी पार कर रहे थे तो उनके पांव सूखी भूमि पर पड़ रहे थे. आओ, हम प्रभु में आनंद मनाएं.
7 Er herrscht durch seine Kraft ewiglich; seine Augen beobachten die Völker; die Widerspenstigen werden nicht aufkommen gegen ihn. (Pause)
सामर्थ्य में किया गया उनका शासन सर्वदा है, सभी राष्ट्र उनकी दृष्टि में बने रहते हैं, कोई भी उनके विरुद्ध विद्रोह का विचार न करे.
8 Preiset, ihr Nationen, unsern Gott, Lasset laut sein Lob erschallen,
सभी जातियों, हमारे परमेश्वर का स्तवन करो, उनके स्तवन का नाद सर्वत्र सुनाई दे;
9 der unsre Seelen ins Leben rief und unsre Füße nicht wanken ließ!
उन्होंने ही हमारे जीवन की रक्षा की है तथा हमारे पांवों को फिसलने से बचाया है.
10 Denn du hast uns geprüft, o Gott, und uns geläutert, wie man Silber läutert;
परमेश्वर, आपने हमारी परीक्षा ली; आपने हमें चांदी जैसे परिशुद्ध किया है.
11 du hast uns ins Gefängnis wandern lassen, hast unsern Lenden eine schwere Last auferlegt;
आपने हमें उलझन की परिस्थिति में डालकर, हमारी पीठ पर बोझ लाद दिए.
12 du hast Menschen über unser Haupt fahren lassen; wir sind in Feuer und Wasser gekommen; aber du hast uns herausgeführt in die Freiheit.
आपने हमारे शत्रुओं को हमारे सिर कुचलते हुए जाने दिया; हमें अग्नि और जलधारा में से होकर जाना पड़ा, किंतु अंततः आपने हमें समृद्ध भूमि पर ला बसाया.
13 Darum will ich mit Brandopfern in dein Haus kommen und dir meine Gelübde bezahlen,
मैं आपके मंदिर में अग्निबलि के साथ प्रवेश करूंगा, और आपसे की गई अपनी प्रतिज्ञाएं पूर्ण करूंगा.
14 welche sich meinen Lippen entrungen haben und die mein Mund geredet hat, als mir bange war.
वे सभी प्रतिज्ञाएं, जो विपत्ति के अवसर पर स्वयं मैंने अपने मुख से की थी.
15 Fette Brandopfer will ich dir darbringen samt dem Rauch von Widdern; Rinder samt Böcken will ich zurichten. (Pause)
मैं आपको पुष्ट पशुओं की बलि अर्पण करूंगा, मैं मेढ़ों, बछड़ों और बकरों की बलि अर्पण करूंगा.
16 Kommt her, höret zu, alle, die ihr Gott fürchtet; ich will erzählen, was er an meiner Seele getan hat!
परमेश्वर के सभी श्रद्धालुओ, आओ और सुनो; मैं उन महाकार्य को लिखा करूंगा, जो मेरे हित में परमेश्वर द्वारा किए गए हैं.
17 Zu ihm rief ich mit meinem Munde, und Lobpreis war auf meiner Zunge.
मैंने उन्हें पुकारा, मेरे होंठों पर उनका गुणगान था.
18 Hätte ich Unrecht vorgehabt in meinem Herzen, so hätte der Herr nicht erhört;
यदि मैंने अपने हृदय में अपराध को संजोए रखकर, उसे पोषित किया होता, तो परमेश्वर ने मेरी पुकार न सुनी होती;
19 aber wahrlich, Gott hat erhört, er hat auf die Stimme meines Flehens geachtet.
किंतु परमेश्वर ने न केवल मेरी प्रार्थना सुनी; उन्होंने उसका उत्तर भी दिया है.
20 Gelobt sei Gott, der mein Gebet nicht abgewiesen und seine Gnade nicht von mir gewendet hat!
धन्य हैं परमेश्वर, जिन्होंने मेरी प्रार्थना सुनकर उसे अस्वीकार नहीं किया, और न मुझे अपने करुणा-प्रेम से छीन लिया!

< Psalm 66 >