< Psalm 119 >
1 Wohl denen, deren Weg unsträflich ist, die da wandeln nach dem Gesetze des HERRN!
कैसे धन्य हैं वे, जिनका आचार-व्यवहार निर्दोष है, जिनका आचरण याहवेह की शिक्षाओं के अनुरूप है.
2 Wohl denen, die seine Zeugnisse beobachten, die ihn von ganzem Herzen suchen,
कैसे धन्य हैं वे, जो उनके अधिनियमों का पालन करते हैं तथा जो पूर्ण मन से उनके खोजी हैं.
3 die auch kein Unrecht getan haben, die auf seinen Wegen gegangen sind!
वे याहवेह के मार्गों में चलते हैं, और उनसे कोई अन्याय नहीं होता.
4 Du hast deine Befehle gegeben, daß man sie fleißig beobachte.
आपने ये आदेश इसलिये दिए हैं, कि हम इनका पूरी तरह पालन करें.
5 O daß meine Wege dahin zielten, deine Satzungen zu befolgen!
मेरी कामना है कि आपके आदेशों का पालन करने में मेरा आचरण दृढ़ रहे!
6 Dann werde ich nicht zuschanden, wenn ich auf alle deine Gebote sehe.
मैं आपके आदेशों पर विचार करता रहूंगा, तब मुझे कभी लज्जित होना न पड़ेगा.
7 Ich werde dir mit aufrichtigem Herzen danken, wenn ich die Verordnungen deiner Gerechtigkeit lerne.
जब मैं आपकी धर्ममय व्यवस्था का मनन करूंगा, तब मैं निष्कपट हृदय से आपका स्तवन करूंगा.
8 Deine Satzungen will ich befolgen; verlaß mich nicht ganz und gar!
मैं आपकी विधियों का पालन करूंगा; आप मेरा परित्याग कभी न कीजिए.
9 Wie wird ein Jüngling seinen Weg unsträflich gehen? Wenn er sich hält nach deinem Wort!
युवा अपना आचरण कैसे स्वच्छ रखे? आपके वचन पालन के द्वारा.
10 Ich habe dich von ganzem Herzen gesucht; laß mich nicht abirren von deinen Geboten!
मैं आपको संपूर्ण हृदय से खोजता हूं; आप मुझे अपने आदेशों से भटकने न दीजिए.
11 Ich habe dein Wort in meinem Herzen geborgen, auf daß ich nicht an dir sündige.
आपके वचन को मैंने अपने हृदय में इसलिये रख छोड़ा है, कि मैं आपके विरुद्ध पाप न कर बैठूं.
12 Gelobt seist du, o HERR! Lehre mich deine Satzungen.
याहवेह, आपका स्तवन हो; मुझे अपनी विधियों की शिक्षा दीजिए.
13 Mit meinen Lippen zähle ich alle Verordnungen deines Mundes auf.
जो व्यवस्था आपके मुख द्वारा निकली हैं, मैं उन्हें अपने मुख से दोहराता रहता हूं.
14 Ich freue mich des Weges deiner Zeugnisse, wie über lauter Reichtümer.
आपके अधिनियमों का पालन करना मेरा आनंद है, ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार कोई विशाल धनराशि पर आनंदित होता है.
15 Ich will über deine Wege nachsinnen und auf deine Pfade achten.
आपके नीति-सिद्धांत मेरे चिंतन का विषय हैं, मैं आपकी सम्विधियों की विवेचना करता रहता हूं.
16 Ich habe meine Lust an deinen Satzungen und vergesse deines Wortes nicht.
आपकी विधियां मुझे मगन कर देती हैं, आपके वचनों को मैं कभी न भूलूंगा.
17 Gewähre deinem Knecht, daß ich lebe und dein Wort befolge!
अपने सेवक पर उपकार कीजिए कि मैं जीवित रह सकूं, मैं आपके वचन का पालन करूंगा.
18 Öffne meine Augen, daß ich erblicke die Wunder in deinem Gesetz!
मुझे आपकी व्यवस्था की गहन और अद्भुत बातों को ग्रहण करने की दृष्टि प्रदान कीजिए.
19 Ich bin ein Gast auf Erden; verbirg deine Gebote nicht vor mir!
पृथ्वी पर मैं प्रवासी मात्र हूं; मुझसे अपने निर्देश न छिपाइए.
20 Meine Seele ist zermalmt vor Sehnsucht nach deinen Verordnungen allezeit.
सारा समय आपकी व्यवस्था की अभिलाषा करते-करते मेरे प्राण डूब चले हैं.
21 Du hast die Übermütigen gescholten, die Verfluchten, welche von deinen Geboten abirren.
आपकी प्रताड़ना उन पर पड़ती है, जो अभिमानी हैं, शापित हैं, और जो आपके आदेशों का परित्याग कर भटकते रहते हैं.
22 Wälze Schimpf und Schande von mir ab; denn ich habe deine Zeugnisse bewahrt!
मुझ पर लगे घृणा और तिरस्कार के कलंक को मिटा दीजिए, क्योंकि मैं आपके अधिनियमों का पालन करता हूं.
23 Sogar Fürsten sitzen und bereden sich wider mich; aber dein Knecht sinnt über deine Satzungen.
यद्यपि प्रशासक साथ बैठकर मेरी निंदा करते हैं, आपका यह सेवक आपकी विधियों पर मनन करेगा.
24 Ja, deine Zeugnisse sind meine Freude; sie sind meine Ratgeber.
आपके अधिनियमों में मगन है मेरा आनंद; वे ही मेरे सलाहकार हैं.
25 Meine Seele klebt am Staube; belebe mich nach deiner Verheißung!
मेरा प्राण नीचे धूलि में जा पड़ा है; अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए.
26 Ich habe meine Wege erzählt, und du hast mir geantwortet; lehre mich deine Satzungen!
जब मैंने आपके सामने अपने आचरण का वर्णन किया, आपने मुझे उत्तर दिया; याहवेह, अब मुझे अपनी विधियां सिखा दीजिए.
27 Laß mich den Weg deiner Befehle verstehen und deine Wunder betrachten!
मुझे अपने उपदेशों की प्रणाली की समझ प्रदान कीजिए, कि मैं आपके अद्भुत कार्यों पर मनन कर सकूं.
28 Meine Seele weint vor Kummer; richte mich auf nach deinem Wort!
शोक अतिरेक में मेरा प्राण डूबा जा रहा है; अपने वचन से मुझमें बल दीजिए.
29 Entferne von mir den falschen Weg und begnadige mich mit deinem Gesetz!
झूठे मार्ग से मुझे दूर रखिए; और अपनी कृपा में मुझे अपनी व्यवस्था की शिक्षा दीजिए.
30 Ich habe den Weg der Wahrheit erwählt und deine Verordnungen vor mich hingestellt.
मैंने सच्चाई के मार्ग को अपनाया है; मैंने आपके नियमों को अपना आदर्श बनाया है.
31 HERR, ich hange an deinen Zeugnissen; laß mich nicht zuschanden werden!
याहवेह, मैंने आपके नियमों को दृढतापूर्वक थाम रखा है; मुझे लज्जित न होने दीजिए.
32 Ich laufe den Weg deiner Gebote; denn du machst meinem Herzen Raum.
आपने मेरे हृदय में साहस का संचार किया है, तब मैं अब आपके आदेशों के पथ पर दौड़ रहा हूं.
33 Zeige mir, HERR, den Weg deiner Satzungen, daß ich ihn bewahre bis ans Ende.
याहवेह, मुझे आपकी विधियों का आचरण करने की शिक्षा दीजिए, कि मैं आजीवन उनका पालन करता रहूं.
34 Unterweise mich, so will ich dein Gesetz bewahren und es von ganzem Herzen befolgen.
मुझे वह समझ प्रदान कीजिए, कि मैं आपकी व्यवस्था का पालन कर सकूं और संपूर्ण हृदय से इसमें मगन आज्ञाओं का पालन कर सकूं.
35 Laß mich wandeln auf dem Pfad deiner Gebote; denn ich habe Lust daran.
अपने आदेशों के मार्ग में मेरा संचालन कीजिए, क्योंकि इन्हीं में मेरा आनंद है.
36 Neige mein Herz zu deinen Zeugnissen und nicht zur Habsucht!
मेरे हृदय को स्वार्थी लाभ की ओर नहीं, परंतु अपने नियमों की ओर फेर दीजिए.
37 Wende meine Augen ab, daß sie nicht nach Eitlem sehen; erquicke mich auf deinen Wegen!
अपने वचन के द्वारा मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए; मेरी रुचि निरर्थक वस्तुओं से हटा दीजिए.
38 Erfülle an deinem Knechte deine Verheißung, die denen gilt, die dich fürchten.
अपने सेवक से की गई प्रतिज्ञा पूर्ण कीजिए, कि आपके प्रति मेरी श्रद्धा स्थायी रहे.
39 Wende die Beschimpfung von mir ab, die ich fürchte; denn deine Verordnungen sind gut!
उस लज्जा को मुझसे दूर रखिए, जिसकी मुझे आशंका है, क्योंकि आपके नियम उत्तम हैं.
40 Siehe, ich sehne mich nach deinen Befehlen; erquicke mich durch deine Gerechtigkeit!
कैसी तीव्र है आपके उपदेशों के प्रति मेरी अभिलाषा! अपनी धार्मिकता के द्वारा मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए.
41 Deine Gnade, o HERR, komme über mich, dein Heil nach deinem Wort!
याहवेह, आपका करुणा-प्रेम मुझ पर प्रगट हो जाए, और आपकी प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझे आपका उद्धार प्राप्त हो;
42 Damit ich dem antworten kann, der mich schmäht; denn ich verlasse mich auf dein Wort.
कि मैं उसे उत्तर दे सकूं, जो मेरा अपमान करता है, आपके वचन पर मेरा भरोसा है.
43 Und entziehe nicht allzusehr meinem Munde das Wort der Wahrheit; denn ich harre auf deine Verordnungen!
सत्य के वचन मेरे मुख से न छीनिए, मैं आपकी व्यवस्था पर आशा रखता हूं.
44 Und ich will dein Gesetz stets bewahren, immer und ewiglich.
मैं सदा-सर्वदा निरंतर, आपकी व्यवस्था का पालन करता रहूंगा.
45 Und ich möchte auf weitem Raum wandeln; denn ich habe deine Befehle erforscht.
मेरा जीवन स्वतंत्र हो जाएगा, क्योंकि मैं आपके उपदेशों का खोजी हूं.
46 Und ich will von deinen Zeugnissen reden vor Königen und mich nicht schämen.
राजाओं के सामने मैं आपके अधिनियमों पर व्याख्यान दूंगा और मुझे लज्जित नहीं होना पड़ेगा.
47 Und ich will mich an deinen Befehlen vergnügen; denn ich liebe sie.
क्योंकि आपका आदेश मेरे आनंद का उगम हैं, और वे मुझे प्रिय हैं.
48 Und ich will meine Hände nach deinen Befehlen ausstrecken, weil ich sie liebe, und will nachdenken über deine Satzungen.
मैं आपके आदेशों की ओर हाथ बढ़ाऊंगा, जो मुझे प्रिय हैं, और आपकी विधियां मेरे मनन का विषय हैं.
49 Gedenke des Wortes an deinen Knecht, auf welches du mich hoffen ließest!
याहवेह, अपने सेवक से की गई प्रतिज्ञा को स्मरण कीजिए, क्योंकि आपने मुझमें आशा का संचार किया है.
50 Das ist mein Trost in meinem Elend, daß dein Wort mich erquickt.
मेरी पीड़ा में मुझे इस बातों से सांत्वना प्राप्त होती है: आपकी प्रतिज्ञाएं मेरे नवजीवन का स्रोत हैं.
51 Die Übermütigen haben mich arg verspottet; dennoch bin ich von deinem Gesetz nicht abgewichen.
अहंकारी बेधड़क मेरा उपहास करते हैं, किंतु मैं आपकी व्यवस्था से दूर नहीं होता.
52 Ich gedachte deiner Verordnungen, HERR, die von Ewigkeit her sind, und das tröstete mich.
याहवेह, जब प्राचीन काल से प्रगट आपकी व्यवस्था पर मैं विचार करता हूं, तब मुझे उनमें सांत्वना प्राप्त होती है.
53 Zornglut hat mich ergriffen wegen der Gottlosen, die dein Gesetz verlassen.
दुष्ट मुझमें कोप उकसाते हैं, ये वे हैं, जिन्होंने आपकी व्यवस्था त्याग दी है.
54 Deine Satzungen sind meine Lieder geworden im Hause meiner Wallfahrt.
आपकी विधियां मेरे गीत की विषय-वस्तु हैं चाहे मैं किसी भी स्थिति में रहूं.
55 HERR, des Nachts habe ich an deinen Namen gedacht und dein Gesetz bewahrt.
याहवेह, मैं आपकी व्यवस्था का पालन करता हूं, रात्रि में मैं आपका स्मरण करता हूं.
56 Das ist mir zuteil geworden, daß ich deine Befehle befolgen darf.
आपके उपदेशों का पालन करते जाना ही मेरी चर्या है.
57 Ich sage: Das ist mein Teil, o HERR, die Beobachtung deiner Worte!
याहवेह, आप मेरे जीवन का अंश बन गए हैं; आपके आदेशों के पालन के लिए मैंने शपथ की है.
58 Ich flehe von ganzem Herzen um deine Gunst: Sei mir gnädig, wie du verheißen hast!
सारे मन से मैंने आपसे आग्रह किया है; अपनी ही प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझ पर कृपा कीजिए.
59 Als ich meine Wege überlegte, wandte ich meine Füße zu deinen Zeugnissen.
मैंने अपनी जीवनशैली का विचार किया है और मैंने आपके अधिनियमों के पालन की दिशा में अपने कदम बढ़ा दिए हैं.
60 Ich habe mich beeilt und nicht gesäumt, deine Gebote zu befolgen.
अब मैं विलंब न करूंगा और शीघ्रता से आपके आदेशों को मानना प्रारंभ कर दूंगा.
61 Als die Schlingen der Gottlosen mich umgaben, vergaß ich deines Gesetzes nicht.
मैं आपकी व्यवस्था से दूर न होऊंगा, यद्यपि दुर्जनों ने मुझे रस्सियों से बांध भी रखा हो.
62 Mitten in der Nacht stehe ich auf, dir zu danken für die Verordnungen deiner Gerechtigkeit.
आपकी युक्ति संगत व्यवस्था के प्रति आभार अभिव्यक्त करने के लिए, मैं मध्य रात्रि को ही जाग जाता हूं.
63 Ich bin verbunden mit allen, die dich fürchten, und die deine Befehle befolgen.
मेरी मैत्री उन सभी से है, जिनमें आपके प्रति श्रद्धा है, उन सभी से, जो आपके उपदेशों पर चलते हैं.
64 HERR, die Erde ist voll deiner Gnade; lehre mich deine Satzungen!
याहवेह, पृथ्वी आपके करुणा-प्रेम से तृप्त है; मुझे अपनी विधियों की शिक्षा दीजिए.
65 Du hast deinem Knechte wohlgetan, o HERR, nach deinem Wort.
याहवेह, अपनी ही प्रतिज्ञा के अनुरूप अपने सेवक का कल्याण कीजिए.
66 Lehre mich rechte Einsicht und Verständnis; denn ich vertraue deinen Befehlen.
मुझे ज्ञान और धर्ममय परख सीखाइए, क्योंकि मैं आपकी आज्ञाओं पर भरोसा करता हूं.
67 Ehe ich gedemütigt ward, irrte ich, nun aber befolge ich dein Wort.
अपनी पीड़ाओं में रहने के पूर्व मैं भटक गया था, किंतु अब मैं आपके वचन के प्रति आज्ञाकारी हूं.
68 Du bist gut und wohltätig; lehre mich deine Satzungen!
आप धन्य हैं, और जो कुछ आप करते हैं भला ही होता है; मुझे अपनी विधियों की शिक्षा दीजिए.
69 Die Stolzen haben mich mit Lügen besudelt; ich beobachte von ganzem Herzen deine Befehle.
यद्यपि अहंकारियों ने मुझे झूठी बातों से कलंकित कर दिया है, मैं पूर्ण सच्चाई में आपके आदेशों को थामे हुए हूं.
70 Ihr Herz ist stumpf wie von Fett; ich aber vergnüge mich an deinem Gesetz.
उनके हृदय कठोर तथा संवेदनहीन हो चुके हैं, किंतु आपकी व्यवस्था ही मेरा आनंद है.
71 Es war gut für mich, daß ich gedemütigt wurde, auf daß ich deine Satzungen lernte.
यह मेरे लिए भला ही रहा कि मैं प्रताड़ित किया गया, इससे मैं आपकी विधियों से सीख सकूं.
72 Das Gesetz deines Mundes ist besser für mich als Tausende von Gold und Silberstücken.
आपके मुख से निकली व्यवस्था मेरे लिए स्वर्ण और चांदी की हजारों मुद्राओं से कहीं अधिक मूल्यवान हैं.
73 Deine Hände haben mich gemacht und bereitet; gib mir Verstand, daß ich deine Befehle lerne!
आपके हाथों ने मेरा निर्माण किया और मुझे आकार दिया; मुझे अपने आदेशों को समझने की सद्बुद्धि प्रदान कीजिए.
74 Die dich fürchten, werden mich sehen und sich freuen, daß ich auf dein Wort gewartet habe.
मुझे देख आपके भक्त उल्लसित हो सकें, क्योंकि आपका वचन ही मेरी आशा है.
75 HERR, ich weiß, daß deine Verordnungen gerecht sind und daß du mich in Treue gedemütigt hast.
याहवेह, यह मैं जानता हूं कि आपकी व्यवस्था धर्ममय है, और आपके द्वारा मेरा क्लेश न्याय संगत था.
76 Laß doch deine Gnade mir zum Trost gereichen, wie du deinem Knechte zugesagt hast!
अब अपने सेवक से की गई प्रतिज्ञा के अनुरूप, आपका करुणा-प्रेम ही मेरी शांति है!
77 Laß mir deine Barmherzigkeit widerfahren, daß ich lebe! Denn dein Gesetz ist meine Lust.
आपकी व्यवस्था में मेरा आनन्दमग्न है, तब मुझे आपकी मनोहरता में जीवन प्राप्त हो.
78 Laß die Stolzen zuschanden werden, weil sie mir mit Lügen Unrecht getan; ich aber denke über deine Befehle nach.
अहंकारियों को लज्जित होना पड़े क्योंकि उन्होंने अकारण ही मुझसे छल किया है; किंतु मैं आपके उपदेशों पर मनन करता रहूंगा.
79 Mir wird zufallen, wer dich fürchtet und deine Zeugnisse anerkennt.
आपके श्रद्धालु, जिन्होंने आपके अधिनियमों को समझ लिया है, पुनः मेरे पक्ष में हो जाएं,
80 Mein Herz soll sich gänzlich an deine Satzungen halten, damit ich nicht zuschanden werde.
मेरा हृदय पूर्ण सिद्धता में आपकी विधियों का पालन करता रहे, कि मुझे लज्जित न होना पड़े.
81 Meine Seele schmachtet nach deinem Heil; ich harre auf dein Wort.
आपके उद्धार की तीव्र अभिलाषा करते हुए मेरा प्राण बेचैन हुआ जा रहा है, अब आपका वचन ही मेरी आशा का आधार है.
82 Meine Augen schmachten nach deinem Wort und fragen: Wann wirst du mich trösten?
आपकी प्रतिज्ञा-पूर्ति की प्रतीक्षा में मेरी आंखें थक चुकी हैं; मैं पूछ रहा हूं, “कब मुझे आपकी ओर से सांत्वना प्राप्त होगी?”
83 Bin ich auch geworden wie ein Schlauch im Rauch, so habe ich doch deiner Satzungen nicht vergessen.
यद्यपि मैं धुएं में संकुचित द्राक्षारस की कुप्पी के समान हो गया हूं, फिर भी आपकी विधियां मेरे मन से लुप्त नहीं हुई हैं.
84 Wieviel sind noch der Tage deines Knechtes? Wann willst du an meinen Verfolgern das Urteil vollziehen?
और कितनी प्रतीक्षा करनी होगी आपके सेवक को? आप कब मेरे सतानेवालों को दंड देंगे?
85 Die Übermütigen haben mir Gruben gegraben, sie, die sich nicht nach deinem Gesetze richten.
अहंकारियों ने मेरे लिए गड्ढे खोद रखे हैं, उनका आचरण आपकी व्यवस्था के विपरीत है.
86 Alle deine Gebote sind Wahrheit; sie aber verfolgen mich mit Lügen; hilf mir!
विश्वासयोग्य हैं आपके आदेश; मेरी सहायता कीजिए, झूठ बोलनेवाले मुझे दुःखित कर रहे हैं.
87 Sie hätten mich fast umgebracht auf Erden; dennoch verließ ich deine Befehle nicht.
उन्होंने मुझे धरती पर से लगभग मिटा ही डाला था, फिर भी मैं आपके नीति सूत्रों से दूर न हुआ.
88 Erhalte mich am Leben nach deiner Gnade, so will ich die Zeugnisse deines Mundes bewahren.
मैं आपके मुख से बोले हुए नियमों का पालन करता रहूंगा, अपने करुणा-प्रेम के अनुरूप मेरे जीवन की रक्षा कीजिए.
89 Auf ewig, o HERR, steht dein Wort im Himmel fest;
याहवेह, सर्वदा है आपका वचन; यह स्वर्ग में दृढतापूर्वक बसा है.
90 von einem Geschlecht zum andern währt deine Treue! Du hast die Erde gegründet, und sie steht;
पीढ़ी से पीढ़ी आपकी सच्चाई बनी रहती है; आपके द्वारा ही पृथ्वी की स्थापना की गई और यह स्थायी बनी हुई है.
91 nach deinen Ordnungen stehen sie noch heute; denn es muß dir alles dienen!
आप के नियम सभी आज तक अस्तित्व में हैं, और सभी कुछ आपकी सेवा कर रहे हैं.
92 Wäre dein Gesetz nicht meine Lust gewesen, so wäre ich vergangen in meinem Elend.
यदि आपकी व्यवस्था में मैं उल्लास मगन न होता, तो इन पीड़ाओं को सहते सहते मेरी मृत्यु हो जाती.
93 Ich will deine Befehle auf ewig nicht vergessen; denn durch sie hast du mich belebt.
आपके उपदेश मेरे मन से कभी नष्ट न होंगे, क्योंकि इन्हीं के द्वारा आपने मुझे जीवन प्रदान किया है,
94 Ich bin dein; rette mich, denn ich habe deine Befehle gesucht!
तब मुझ पर आपका ही स्वामित्व है, मेरी रक्षा कीजिए; मैं आपके ही उपदेशों का खोजी हूं.
95 Die Gottlosen lauern mir auf, um mich zu verderben; aber ich merke auf deine Zeugnisse.
दुष्ट मुझे नष्ट करने के उद्देश्य से घात लगाए बैठे हैं, किंतु आपकी चेतावनियों पर मैं विचार करता रहूंगा.
96 Von aller Vollkommenheit habe ich ein Ende gesehen; aber dein Gebot ist unbeschränkt.
हर एक सिद्धता में मैंने कोई न कोई सीमा ही पाई है, किंतु आपके आदेश असीमित हैं.
97 Wie habe ich dein Gesetz so lieb! Ich denke darüber nach den ganzen Tag.
आह, कितनी अधिक प्रिय है मुझे आपकी व्यवस्था! इतना, कि मैं दिन भर इसी पर विचार करता रहता हूं.
98 Dein Gebot macht mich weiser als meine Feinde; denn es bleibt ewiglich bei mir.
आपके आदेशों ने तो मुझे अपने शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान बना दिया है क्योंकि ये कभी मुझसे दूर नहीं होते.
99 Ich bin verständiger geworden als alle meine Lehrer, denn deine Zeugnisse sind mein Sinnen.
मुझमें तो अपने सभी शिक्षकों से अधिक समझ है, क्योंकि आपके उपदेश मेरे चिंतन का विषय हैं.
100 Ich bin einsichtiger als die Alten; denn ich achte auf deine Befehle.
आपके उपदेशों का पालन करने का ही परिणाम यह है, कि मुझमें बुजुर्गों से अधिक समझ है.
101 Von allen schlechten Wegen habe ich meine Füße abgehalten, um dein Wort zu befolgen.
आपकी आज्ञा का पालन करने के लक्ष्य से, मैंने अपने कदम हर एक अधर्म के पथ पर चलने से बचा रखे हैं.
102 Von deinen Verordnungen bin ich nicht abgewichen; denn du hast mich gelehrt.
आप ही के द्वारा दी गई शिक्षा के कारण, मैं आपके नियम तोड़ने से बच सका हूं.
103 Wie süß ist deine Rede meinem Gaumen, mehr denn Honig meinem Mund!
कैसा मधुर है आपकी प्रतिज्ञाओं का आस्वादन करना, आपकी प्रतिज्ञाएं मेरे मुख में मधु से भी अधिक मीठी हैं!
104 Von deinen Befehlen werde ich verständig; darum hasse ich jeden Lügenpfad.
हर एक झूठा मार्ग मेरी दृष्टि में घृणास्पद है; क्योंकि आपके उपदेशों से मुझे समझदारी प्राप्त होती है.
105 Dein Wort ist meines Fußes Leuchte und ein Licht für meinen Pfad.
आपका वचन मेरे पांवों के लिए दीपक, और मेरे मार्ग के लिए प्रकाश है.
106 Ich habe geschworen und werde es halten, daß ich die Verordnungen deiner Gerechtigkeit bewahren will.
मैंने यह शपथ ली है और यह सुनिश्चित किया है, कि मैं आपके धर्ममय नियमों का ही पालन करता जाऊंगा.
107 Ich bin tief gebeugt; HERR, erquicke mich nach deinem Wort!
याहवेह, मेरी पीड़ा असह्य है; अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए.
108 HERR, laß dir wohlgefallen die freiwilligen Opfer meines Mundes und lehre mich deine Verordnungen!
याहवेह, मेरे मुख से निकले स्वैच्छिक स्तवन वचनों को स्वीकार कीजिए, और मुझे अपने नियमों की शिक्षा दीजिए.
109 Meine Seele ist beständig in meiner Hand, und ich vergesse deines Gesetzes nicht.
आपकी व्यवस्था से मैं कभी दूर न होऊंगा, यद्यपि मैं लगातार अपने जीवन को हथेली पर लिए फिरता हूं.
110 Die Gottlosen haben mir eine Schlinge gelegt; aber ich bin von deinen Befehlen nicht abgeirrt.
दुष्टों ने मेरे लिए जाल बिछाया हुआ है, किंतु मैं आपके उपदेशों से नहीं भटका.
111 Deine Zeugnisse sind mein ewiges Erbe; denn sie sind meines Herzens Wonne.
आपके नियमों को मैंने सदा-सर्वदा के लिए निज भाग में प्राप्त कर लिया है; वे ही मेरे हृदय का आनंद हैं.
112 Ich habe mein Herz geneigt, deine Satzungen auf ewig zu erfüllen.
आपकी विधियों का अंत तक पालन करने के लिए मेरा हृदय तैयार है.
113 Ich hasse die Unentschiedenen; aber dein Gesetz habe ich lieb.
दुविधा से ग्रस्त मन का पुरुष मेरे लिए घृणास्पद है, मुझे प्रिय है आपकी व्यवस्था.
114 Du bist mein Schirm und mein Schild; ich harre auf dein Wort.
आप मेरे आश्रय हैं, मेरी ढाल हैं; मेरी आशा का आधार है आपका वचन.
115 Weichet von mir, ihr Übeltäter, daß ich die Gebote meines Gottes befolge!
अधर्मियो, दूर रहो मुझसे, कि मैं परमेश्वर के आदेशों का पालन कर सकूं!
116 Unterstütze mich nach deiner Verheißung, daß ich lebe und nicht zuschanden werde mit meiner Hoffnung!
याहवेह, अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझे सम्भालिए, कि मैं जीवित रहूं; मेरी आशा भंग न होने पाए.
117 Stärke du mich, so ist mir geholfen und ich werde mich an deinen Satzungen stets ergötzen!
मुझे थाम लीजिए कि मैं सुरक्षित रहूं; मैं सदैव आपकी विधियों पर भरोसा करता रहूंगा.
118 Du wirst alle zu leicht erfinden, die von deinen Satzungen abweichen; denn eitel Betrug ist ihre Täuschung.
वे सभी, जो आपके नियमों से भटक जाते हैं, आपकी उपेक्षा के पात्र हो जाते हैं, क्योंकि निरर्थक होती है उनकी चालाकी.
119 Wie Schlacken räumst du alle Gottlosen von der Erde fort; darum liebe ich deine Zeugnisse.
संसार के सभी दुष्टों को आप मैल के समान फेंक देते हैं; यही कारण है कि मुझे आपकी चेतावनियां प्रिय हैं.
120 Mein Fleisch schaudert aus Furcht vor dir, und ich habe Ehrfurcht vor deinen Verordnungen!
आपके भय से मेरी देह कांप जाती है; आपके निर्णयों का विचार मुझमें भय का संचार कर देता है.
121 Ich habe Recht und Gerechtigkeit geübt; überlaß mich nicht meinen Unterdrückern!
मैंने वही किया है, जो न्याय संगत तथा धर्ममय है; मुझे सतानेवालों के सामने न छोड़ दीजिएगा.
122 Stehe ein zum Besten deines Knechtes, daß mich die Übermütigen nicht unterdrücken!
अपने सेवक का हित निश्चित कर दीजिए; अहंकारियों को मुझ पर अत्याचार न करने दीजिए.
123 Meine Augen schmachten nach deinem Heil und nach dem Wort deiner Gerechtigkeit.
आपके उद्धार की प्रतीक्षा में, आपकी निष्ठ प्रतिज्ञाओं की प्रतीक्षा में मेरी आंखें थक चुकी हैं.
124 Handle mit deinem Knecht nach deiner Gnade und lehre mich deine Satzungen!
अपने करुणा-प्रेम के अनुरूप अपने सेवक से व्यवहार कीजिए और मुझे अपने अधिनियमों की शिक्षा दीजिए.
125 Ich bin dein Knecht; unterweise mich, daß ich deine Zeugnisse verstehe!
मैं आपका सेवक हूं, मुझे समझ प्रदान कीजिए, कि मैं आपकी विधियों को समझ सकूं.
126 Es ist Zeit, daß der HERR handle; sie haben dein Gesetz gebrochen!
याहवेह, आपके नियम तोड़े जा रहे हैं; समय आ गया है कि आप अपना कार्य करें.
127 Darum liebe ich deine Befehle mehr als Gold und als feines Gold;
इसलिये कि मुझे आपके आदेश स्वर्ण से अधिक प्रिय हैं, शुद्ध कुन्दन से अधिक,
128 darum lobe ich mir alle deine Gebote und hasse jeden trügerischen Pfad.
मैं आपके उपदेशों को धर्ममय मानता हूं, तब मुझे हर एक गलत मार्ग से घृणा है.
129 Wunderbar sind deine Zeugnisse; darum bewahrt sie meine Seele.
अद्भुत हैं आपके अधिनियम; इसलिये मैं उनका पालन करता हूं.
130 Die Erschließung deiner Worte erleuchtet und macht die Einfältigen verständig.
आपके वचन के खुलने से ज्योति उत्पन्न होती है; परिणामस्वरूप भोले पुरुषों को सबुद्धि प्राप्त होती है.
131 Begierig öffne ich meinen Mund; denn mich verlangt nach deinen Befehlen.
मेरा मुख खुला है और मैं हांफ रहा हूं, क्योंकि मुझे प्यास है आपके आदेशों की.
132 Wende dich zu mir und sei mir gnädig nach dem Rechte derer, die deinen Namen lieben.
मेरी ओर ध्यान दीजिए और मुझ पर कृपा कीजिए, जैसी आपकी नीति उनके प्रति है, जिन्हें आपसे प्रेम है.
133 Mache meine Schritte fest durch dein Wort und laß kein Unrecht über mich herrschen!
अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप मेरे पांव को स्थिर कर दीजिए; कोई भी दुष्टता मुझ पर प्रभुता न करने पाए.
134 Erlöse mich von der Bedrückung durch Menschen, so will ich deine Befehle befolgen!
मुझे मनुष्यों के अत्याचार से छुड़ा लीजिए, कि मैं आपके उपदेशों का पालन कर सकूं.
135 Laß dein Angesicht leuchten über deinen Knecht und lehre mich deine Satzungen!
अपने सेवक पर अपना मुख प्रकाशित कीजिए और मुझे अपने नियमों की शिक्षा दीजिए.
136 Tränenströme fließen aus meinen Augen, weil man dein Gesetz nicht befolgt.
मेरी आंखों से अश्रुप्रवाह हो रहा है, क्योंकि लोग आपकी व्यवस्था का पालन नहीं कर रहे.
137 HERR, du bist gerecht, und deine Verordnungen sind richtig!
याहवेह, आप धर्मी हैं, सच्चे हैं आपके नियम.
138 Du hast deine Zeugnisse gerecht und sehr treu abgefaßt.
जो अधिनियम आपने प्रगट किए हैं, वे धर्ममय हैं; वे हर एक दृष्टिकोण से विश्वासयोग्य हैं.
139 Mein Eifer hat mich verzehrt, weil meine Feinde deine Worte vergessen haben.
मैं भस्म हो रहा हूं, क्योंकि मेरे शत्रु आपके वचनों को भूल गए हैं.
140 Deine Rede ist wohlgeläutert, und dein Knecht hat sie lieb.
आपकी प्रतिज्ञाओं का उचित परीक्षण किया जा चुका है, वे आपके सेवक को अत्यंत प्रिय हैं.
141 Ich bin gering und verachtet; deine Befehle habe ich nicht vergessen.
यद्यपि मैं छोटा, यहां तक कि लोगों की दृष्टि में घृणास्पद हूं, फिर भी मैं आपके अधिनियमों को नहीं भूलता.
142 Deine Gerechtigkeit ist auf ewig gerecht, und dein Gesetz ist Wahrheit.
अनंत है आपकी धार्मिकता, परमेश्वर तथा यथार्थ है आपकी व्यवस्था.
143 Angst und Not haben mich betroffen; aber deine Befehle sind meine Lust.
क्लेश और संकट मुझ पर टूट पड़े हैं, किंतु आपके आदेश मुझे मगन रखे हुए हैं.
144 Deine Zeugnisse sind auf ewig gerecht; unterweise mich, so werde ich leben!
आपके अधिनियम सदा-सर्वदा धर्ममय ही प्रमाणित हुए हैं; मुझे इनके विषय में ऐसी समझ प्रदान कीजिए कि मैं जीवित रह सकूं.
145 Ich rufe von ganzem Herzen: HERR, erhöre mich; deine Satzungen will ich befolgen!
याहवेह, मैं संपूर्ण हृदय से आपको पुकार रहा हूं, मुझे उत्तर दीजिए, कि मैं आपकी विधियों का पालन कर सकूं.
146 Ich rufe zu dir; errette mich, so will ich deine Zeugnisse bewahren!
मैं आपको पुकार रहा हूं; मेरी रक्षा कीजिए, कि मैं आपके अधिनियमों का पालन कर सकूं.
147 Vor der Morgendämmerung komme ich und schreie; ich harre auf dein Wort.
मैं सूर्योदय से पूर्व ही जाग कर सहायता के लिये पुकारता हूं; मेरी आशा आपके वचन पर आधारित है.
148 Meine Augen kommen den Nachtwachen zuvor, daß ich über deine Reden nachdenke.
रात्रि के समस्त प्रहरों में मेरी आंखें खुली रहती हैं, कि मैं आपकी प्रतिज्ञाओं पर मनन कर सकूं.
149 Höre meine Stimme nach deiner Gnade, o HERR, erquicke mich nach deinem Recht!
अपने करुणा-प्रेम के कारण मेरी पुकार सुनिए; याहवेह, अपने ही नियमों के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए.
150 Die dem Laster nachjagen, sind nah; von deinem Gesetz sind sie fern.
जो मेरे विरुद्ध बुराई की युक्ति रच रहे हैं, मेरे निकट आ गए हैं, किंतु वे आपकी व्यवस्था से दूर हैं.
151 Du bist nahe, o HERR, und alle deine Gebote sind wahr.
फिर भी, याहवेह, आप मेरे निकट हैं, और आपके सभी आदेश प्रामाणिक हैं.
152 Längst weiß ich aus deinen Zeugnissen, daß du sie auf ewig gegründet hast.
अनेक-अनेक वर्ष पूर्व मैंने आपके अधिनियमों से यह अनुभव कर लिया था कि आपने इनकी स्थापना ही इसलिये की है कि ये सदा-सर्वदा स्थायी बने रहें.
153 Siehe mein Elend an und errette mich; denn ich habe deines Gesetzes nicht vergessen!
मेरे दुःख पर ध्यान दीजिए और मुझे इससे बचा लीजिए, क्योंकि आपकी व्यवस्था को मैं भुला नहीं.
154 Führe meine Sache und erlöse mich; erquicke mich durch dein Wort!
मेरे पक्ष का समर्थन करके मेरा उद्धार कीजिए; अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए.
155 Das Heil ist fern von den Gottlosen; denn sie fragen nicht nach deinen Satzungen.
कठिन है दुष्टों का उद्धार होना, क्योंकि उन्हें आपकी विधियों की महानता ही ज्ञात नहीं.
156 Deine Barmherzigkeit ist groß, o HERR; erquicke mich nach deinen Verordnungen!
याहवेह, अनुपम है आपकी मनोहरता; अपने ही नियमों के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए.
157 Meiner Verfolger und Widersacher sind viele; dennoch habe ich mich nicht von deinen Zeugnissen abgewandt.
मेरे सतानेवाले तथा शत्रु अनेक हैं, किंतु मैं आपके अधिनियमों से दूर नहीं हुआ हूं.
158 Wenn ich die Abtrünnigen ansehe, so ekelt mir, weil sie dein Wort nicht beachten.
विश्वासघाती आपके आदेशों का पालन नहीं करते, तब मेरी दृष्टि में वे घृणास्पद हैं.
159 Siehe, ich liebe deine Befehle; o HERR, erquicke mich nach deiner Gnade!
आप ही देख लीजिए: कितने प्रिय हैं मुझे आपके नीति-सिद्धांत; याहवेह, अपने करुणा-प्रेम के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए.
160 Die Summe deines Wortes ist Wahrheit, und alle Verordnungen deiner Gerechtigkeit bleiben ewig.
वस्तुतः सत्य आपके वचन का सार है; तथा आपके धर्ममय नियम सदा-सर्वदा स्थायी रहते हैं.
161 Fürsten verfolgen mich ohne Ursache; aber vor deinem Wort fürchtet sich mein Herz.
प्रधान मुझे बिना किसी कारण के दुःखित कर रहे हैं, किंतु आपके वचन का ध्यान कर मेरा हृदय कांप उठता है.
162 Ich freue mich über dein Wort wie einer, der große Beute findet.
आपकी प्रतिज्ञाओं से मुझे ऐसा उल्लास प्राप्त होता है; जैसा किसी को बड़ी लूट प्राप्त हुई है.
163 Ich hasse Lügen und habe Greuel daran; aber dein Gesetz habe ich lieb.
झूठ से मुझे घृणा है, बैर है किंतु मुझे प्रेम है आपकी व्यवस्था से.
164 Ich lobe dich des Tages siebenmal wegen der Ordnungen deiner Gerechtigkeit.
आपकी धर्ममय व्यवस्था का ध्यान कर मैं दिन में सात-सात बार आपका स्तवन करता हूं.
165 Großen Frieden haben, die dein Gesetz lieben, und nichts bringt sie zu Fall.
जिन्हें आपकी व्यवस्था से प्रेम है, उनको बड़ी शांति मिलती रहती है, वे किसी रीति से विचलित नहीं हो सकते.
166 Ich warte auf dein Heil, o HERR, und erfülle deine Befehle.
याहवेह, मैं आपके उद्धार का प्रत्याशी हूं, मैं आपके आदेशों का पालन करता हूं.
167 Meine Seele bewahrt deine Zeugnisse und liebt sie sehr.
मैं आपके अधिनियमों का पालन करता हूं, क्योंकि वे मुझे अत्यंत प्रिय हैं.
168 Ich habe deine Befehle und deine Zeugnisse bewahrt; denn alle meine Wege sind vor dir.
मैं आपके उपदेशों तथा नियमों का पालन करता हूं, आपके सामने मेरा संपूर्ण आचरण प्रगट है.
169 HERR, laß mein Schreien vor dich kommen; unterweise mich nach deinem Wort!
याहवेह, मेरी पुकार आप तक पहुंचे; मुझे अपने वचन को समझने की क्षमता प्रदान कीजिए.
170 Laß mein Flehen vor dich kommen; errette mich nach deiner Verheißung!
मेरा गिड़गिड़ाना आप तक पहुंचे; अपनी प्रतिज्ञा पूर्ण करते हुए मुझे छुड़ा लीजिए.
171 Meine Lippen sollen überfließen von Lob, wenn du mich deine Satzungen lehrst.
मेरे होंठों से आपका स्तवन छलक उठे, क्योंकि आपने मुझे अपनी विधियों की शिक्षा दी है.
172 Meine Zunge soll deine Rede singen; denn alle deine Gebote sind gerecht.
मेरी जीभ आपके वचन का गान करेगी, क्योंकि आपके सभी आदेश आदर्श हैं.
173 Deine Hand komme mir zu Hilfe; denn ich habe deine Befehle erwählt.
आपकी भुजा मेरी सहायता के लिए तत्पर रहे, मैंने आपके उपदेशों को अपनाया है.
174 Ich habe Verlangen nach deinem Heil, o HERR, und dein Gesetz ist meine Lust.
आपसे उद्धार की प्राप्ति की मुझे उत्कंठा है, याहवेह, आपकी व्यवस्था में मेरा आनंद है.
175 Meine Seele soll leben und dich loben, und deine Verordnungen seien meine Hilfe!
मुझे आयुष्मान कीजिए कि मैं आपका स्तवन करता रहूं, और आपकी व्यवस्था मुझे संभाले रहे.
176 Ich bin verirrt wie ein verlorenes Schaf; suche deinen Knecht! Denn deine Gebote habe ich nicht vergessen!
मैं खोई हुई भेड़ के समान हो गया था. आप ही अपने सेवक को खोज लीजिए, क्योंकि मैं आपके आदेशों को भूला नहीं.