< Job 28 >
1 Denn das Silber hat seinen Fundort und das Gold seinen Ort, wo man es läutert.
इसमें कोई संदेह नहीं, कि वहां चांदी की खान है तथा एक ऐसा स्थान, जहां वे स्वर्ण को शुद्ध करते हैं.
2 Eisen wird aus der Erde gegraben und Kupfer schmelzt man aus Gestein.
धूल में से लौह को अलग किया जाता है, तथा चट्टान में से तांबा धातु पिघलाया जाता है.
3 Man macht der Finsternis ein Ende und forscht alles vollkommen aus, die Steine, die in Finsternis und Todesschatten liegen.
मनुष्य इसकी खोज में अंधकार भरे स्थल में दूर-दूर तक जाता है; चाहे वह अंधकार में छिपी कोई चट्टान है अथवा कोई घोर अंधकार भरे स्थल.
4 Einen Schacht bricht man auf, wo kein Wandersmann durchgeht; auf unbetretenen Pfaden lassen sie sich hinab und schweben ferne von den Menschen.
मनुष्य के घर से दूर वह गहरी खान खोदते हैं, रेगिस्तान स्थान में से दुर्गम स्थलों में जा पहुंचते हैं; तथा गहराई में लटके रहते हैं.
5 Aus der Erde wächst Brot hervor, und unter ihr ist's wie vom Feuer durchwühlt.
पृथ्वी-पृथ्वी ही है, जो हमें भोजन प्रदान करती है, किंतु नीचे भूगर्भ अग्निमय है.
6 In ihren Steinen wird Saphir gefunden und Gold in ihren Schollen.
पृथ्वी में चट्टानें नीलमणि का स्रोत हैं, पृथ्वी की धूल में ही स्वर्ण मिलता है.
7 Ein Pfad [ist's], den kein Raubvogel kennt, und den auch des Habichts Auge nicht erspäht,
यह मार्ग हिंसक पक्षियों को मालूम नहीं है, और न इस पर बाज की दृष्टि ही कभी पड़ी है.
8 den auch kein Raubtier betritt, darauf der Löwe nicht schreitet.
इस मार्ग पर निश्चिंत, हृष्ट-पुष्ट पशु कभी नहीं चले हैं, और न हिंसक सिंह इस मार्ग से कभी गया है.
9 Der Mensch legt seine Hand an den harten Felsen und durchwühlt die Gründe der Berge.
मनुष्य चकमक के पत्थर को स्पर्श करता है, पर्वतों को तो वह आधार से ही पलटा देता है.
10 Er treibt Stollen durch die Felsen, und sein Auge ersieht alles, was köstlich ist.
वह चट्टानों में से मार्ग निकाल लेते हैं तथा उनकी दृष्टि वहीं पड़ती है, जहां कुछ अमूल्य होता है;
11 Damit sie nicht tränen, verstopft er die Wasserrinnen; das Verborgene bringt er ans Licht.
जल प्रवाह रोक कर वह बांध खड़े कर देते हैं तथा वह जो अदृश्य था, उसे प्रकाशित कर देते हैं.
12 Aber wo wird die Weisheit gefunden, und welches ist der Ort des Verstandes?
प्रश्न यही उठता है कि कहां मिल सकती है बुद्धि? कहां है वह स्थान जहां समझ की जड़ है?
13 Der Mensch kennt den Weg zu ihr nicht, im Lande der Lebendigen wird sie nicht gefunden.
मनुष्य इसका मूल्य नहीं जानता वस्तुतः जीवितों के लोक में यह पाई ही नहीं जाती.
14 Die Tiefe spricht: «Sie ist nicht in mir», und das Meer: «Sie ist nicht bei mir.»
सागर की गहराई की घोषणा है, “मुझमें नहीं है यह”; महासागर स्पष्ट करता है, “मैंने इसे नहीं छिपाया.”
15 Sie wird mit keinem Geld bezahlt und nicht mit Silber aufgewogen.
स्वर्ण से इसको मोल नहीं लिया जा सकता, वैसे ही चांदी माप कर इसका मूल्य निर्धारण संभव नहीं है.
16 Um Gold von Ophir ist sie nicht zu haben, auch nicht um köstlichen Schohamstein und Saphir.
ओफीर का स्वर्ण भी इसे खरीद नहीं सकता, न ही गोमेद अथवा नीलमणि इसके लिए पर्याप्त होंगे.
17 Gold und Glas kommt ihr nicht gleich, noch wird sie um goldenes Gerät eingetauscht.
स्वर्ण एवं स्फटिक इसके स्तर पर नहीं पहुंच सकते, और वैसे ही कुन्दन के आभूषण से इसका विनिमय संभव नहीं है.
18 Korallen und Kristall sind nichts gegen sie, und der Besitz der Weisheit geht über Perlen.
मूंगा तथा स्फटिक मणियों का यहां उल्लेख करना व्यर्थ है; ज्ञान की उपलब्धि मोतियों से कहीं अधिक ऊपर है.
19 Der Topas aus Äthiopien ist ihr nicht zu vergleichen, mit reinem Golde wird sie nicht aufgewogen.
कूश देश का पुखराज इसके बराबर नहीं हो सकता; कुन्दन से इसका मूल्यांकन संभव नहीं है.
20 Woher kommt denn die Weisheit, und welches ist der Ort des Verstandes?
तब, कहां है विवेक का उद्गम? कहां है समझ का निवास?
21 Sie ist verborgen vor den Augen aller Lebendigen und vor den Vögeln des Himmels versteckt.
तब यह स्पष्ट है कि यह मनुष्यों की दृष्टि से छिपी है, हां, पक्षियों की दृष्टि से भी इसे नहीं देख पाते है.
22 Der Abgrund und der Tod sprechen: Wir haben mit unsern Ohren von ihr gehört.
नाश एवं मृत्यु स्पष्ट कहते हैं “अपने कानों से तो हमने बस, इसका उल्लेख सुना है.”
23 Gott weiß ihren Weg, und er kennt ihren Ort.
मात्र परमेश्वर को इस तक पहुंचने का मार्ग मालूम है, उन्हें ही मालूम है इसका स्थान.
24 Denn er schaut bis zu den Enden der Erde und sieht alles, was unter dem Himmel ist.
क्योंकि वे पृथ्वी के छोर तक दृष्टि करते हैं तथा आकाश के नीचे की हर एक वस्तु उनकी दृष्टि में होती है.
25 Als er dem Winde sein Gewicht gab und den Wassern ihr Maß,
जब उन्होंने वायु को बोझ प्रदान किया तथा जल को आयतन से मापा,
26 als er dem Regen sein Ziel setzte und dem Wetterstrahl seinen Weg:
जब उन्होंने वृष्टि की सीमा तय कर दी तथा गर्जन और बिजली की दिशा निर्धारित कर दी,
27 da hat er sie gesehen und durchmustert, sie bereitet und erforscht
तभी उन्होंने इसे देखा तथा इसकी घोषणा की उन्होंने इसे संस्थापित किया तथा इसे खोज भी निकाला.
28 und hat zum Menschen gesagt: Siehe, die Furcht des Herrn, das ist Weisheit, und vom Bösen weichen, das ist Verstand!
तब उन्होंने मनुष्य पर यह प्रकाशित किया, “इसे समझ लो प्रभु के प्रति भय, यही है बुद्धि, तथा बुराइयों से दूरी बनाए रखना ही समझदारी है.”