< Hebraeer 13 >
1 Die Bruderliebe soll bleiben!
१भाईचारे का प्रेम बना रहे।
2 Gastfrei zu sein vergesset nicht; denn dadurch haben etliche ohne ihr Wissen Engel beherbergt.
२अतिथि-सत्कार करना न भूलना, क्योंकि इसके द्वारा कितनों ने अनजाने में स्वर्गदूतों का आदर-सत्कार किया है।
3 Gedenket der Gefangenen als Mitgefangene und derer, die Ungemach leiden, als solche, die selbst auch noch im Leibe leben.
३कैदियों की ऐसी सुधि लो, कि मानो उनके साथ तुम भी कैद हो; और जिनके साथ बुरा बर्ताव किया जाता है, उनकी भी यह समझकर सुधि लिया करो, कि हमारी भी देह है।
4 Die Ehe ist von allen in Ehren zu halten und das Ehebett unbefleckt; denn Hurer und Ehebrecher wird Gott richten!
४विवाह सब में आदर की बात समझी जाए, और विवाह बिछौना निष्कलंक रहे; क्योंकि परमेश्वर व्यभिचारियों, और परस्त्रीगामियों का न्याय करेगा।
5 Der Wandel sei ohne Geiz! Begnüget euch mit dem Vorhandenen! Denn er selbst hat gesagt: «Ich will dich nicht verlassen noch versäumen!»
५तुम्हारा स्वभाव लोभरहित हो, और जो तुम्हारे पास है, उसी पर संतोष किया करो; क्योंकि उसने आप ही कहा है, “मैं तुझे कभी न छोड़ूँगा, और न कभी तुझे त्यागूँगा।”
6 Also daß wir getrost sagen mögen: «Der Herr ist mein Helfer; ich fürchte mich nicht! Was können Menschen mir tun?»
६इसलिए हम बेधड़क होकर कहते हैं, “प्रभु, मेरा सहायक है; मैं न डरूँगा; मनुष्य मेरा क्या कर सकता है?”
7 Gedenket eurer Führer, die euch das Wort Gottes gesagt haben; schauet das Ende ihres Wandels an und ahmet ihren Glauben nach!
७जो तुम्हारे अगुए थे, और जिन्होंने तुम्हें परमेश्वर का वचन सुनाया है, उन्हें स्मरण रखो; और ध्यान से उनके चाल-चलन का अन्त देखकर उनके विश्वास का अनुकरण करो।
8 Jesus Christus ist gestern und heute und derselbe auch in Ewigkeit! (aiōn )
८यीशु मसीह कल और आज और युगानुयुग एक-सा है। (aiōn )
9 Lasset euch nicht von mancherlei und fremden Lehren umhertreiben; denn es ist gut, daß das Herz durch Gnade befestigt werde, nicht durch Speisen, mit welchen sich abzugeben noch niemand Nutzen gebracht hat.
९नाना प्रकार के और ऊपरी उपदेशों से न भरमाए जाओ, क्योंकि मन का अनुग्रह से दृढ़ रहना भला है, न कि उन खाने की वस्तुओं से जिनसे काम रखनेवालों को कुछ लाभ न हुआ।
10 Es gibt einen Altar, von welchem die Diener der Stiftshütte nicht essen dürfen.
१०हमारी एक ऐसी वेदी है, जिस पर से खाने का अधिकार उन लोगों को नहीं, जो तम्बू की सेवा करते हैं।
11 Denn von den Tieren, deren Blut für die Sünde durch den Hohenpriester ins Allerheiligste getragen wird, werden die Leiber außerhalb des Lagers verbrannt.
११क्योंकि जिन पशुओं का लहू महायाजक पापबलि के लिये पवित्रस्थान में ले जाता है, उनकी देह छावनी के बाहर जलाई जाती है।
12 Darum hat auch Jesus, um das Volk durch sein eigenes Blut zu heiligen, außerhalb des Tores gelitten.
१२इसी कारण, यीशु ने भी लोगों को अपने ही लहू के द्वारा पवित्र करने के लिये फाटक के बाहर दुःख उठाया।
13 So lasset uns nun zu ihm hinausgehen, außerhalb des Lagers, und seine Schmach tragen!
१३इसलिए, आओ उसकी निन्दा अपने ऊपर लिए हुए छावनी के बाहर उसके पास निकल चलें।
14 Denn wir haben hier keine bleibende Stadt, sondern suchen die zukünftige.
१४क्योंकि यहाँ हमारा कोई स्थिर रहनेवाला नगर नहीं, वरन् हम एक आनेवाले नगर की खोज में हैं।
15 Durch ihn lasset uns nun Gott allezeit ein Opfer des Lobes darbringen, das ist die «Frucht der Lippen», die seinen Namen bekennen!
१५इसलिए हम उसके द्वारा स्तुतिरूपी बलिदान, अर्थात् उन होठों का फल जो उसके नाम का अंगीकार करते हैं, परमेश्वर के लिये सर्वदा चढ़ाया करें।
16 Wohlzutun und mitzuteilen vergesset nicht; denn solche Opfer gefallen Gott wohl!
१६पर भलाई करना, और उदारता न भूलो; क्योंकि परमेश्वर ऐसे बलिदानों से प्रसन्न होता है।
17 Gehorchet euren Führern und folget ihnen; denn sie wachen über eure Seelen als solche, die Rechenschaft ablegen sollen, damit sie das mit Freuden tun mögen und nicht mit Seufzen; denn das wäre euch zum Schaden!
१७अपने अगुओं की मानो; और उनके अधीन रहो, क्योंकि वे उनके समान तुम्हारे प्राणों के लिये जागते रहते, जिन्हें लेखा देना पड़ेगा, कि वे यह काम आनन्द से करें, न कि ठंडी साँस ले लेकर, क्योंकि इस दशा में तुम्हें कुछ लाभ नहीं।
18 Betet für uns! Denn wir sind überzeugt, ein gutes Gewissen zu haben, da wir uns allenthalben eines anständigen Lebenswandels befleißigen.
१८हमारे लिये प्रार्थना करते रहो, क्योंकि हमें भरोसा है, कि हमारा विवेक शुद्ध है; और हम सब बातों में अच्छी चाल चलना चाहते हैं।
19 Um so mehr aber ermahne ich euch, solches zu tun, damit ich euch desto bälder wiedergeschenkt werde.
१९प्रार्थना करने के लिये मैं तुम्हें और भी उत्साहित करता हूँ, ताकि मैं शीघ्र तुम्हारे पास फिर आ सकूँ।
20 Der Gott des Friedens aber, der den großen Hirten der Schafe von den Toten ausgeführt hat, mit dem Blut eines ewigen Bundes, unsren Herrn Jesus, (aiōnios )
२०अब शान्तिदाता परमेश्वर जो हमारे प्रभु यीशु को जो भेड़ों का महान रखवाला है सनातन वाचा के लहू के गुण से मरे हुओं में से जिलाकर ले आया, (aiōnios )
21 der rüste euch mit allem Guten aus, seinen Willen zu tun, indem er selbst in euch schafft, was vor ihm wohlgefällig ist, durch Jesus Christus. Ihm sei die Ehre von Ewigkeit zu Ewigkeit! Amen. (aiōn )
२१तुम्हें हर एक भली बात में सिद्ध करे, जिससे तुम उसकी इच्छा पूरी करो, और जो कुछ उसको भाता है, उसे यीशु मसीह के द्वारा हम में पूरा करे, उसकी महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन। (aiōn )
22 Ich ermahne euch aber, ihr Brüder, nehmet das Wort der Ermahnung an! Denn ich habe euch mit kurzen Worten geschrieben.
२२हे भाइयों मैं तुम से विनती करता हूँ, कि इन उपदेश की बातों को सह लो; क्योंकि मैंने तुम्हें बहुत संक्षेप में लिखा है।
23 Wisset, daß unser Bruder Timotheus freigelassen worden ist; wenn er bald kommt, will ich euch mit ihm besuchen.
२३तुम यह जान लो कि तीमुथियुस हमारा भाई छूट गया है और यदि वह शीघ्र आ गया, तो मैं उसके साथ तुम से भेंट करूँगा।
24 Grüßet alle eure Führer und alle Heiligen! Es grüßen euch die von Italien!
२४अपने सब अगुओं और सब पवित्र लोगों को नमस्कार कहो। इतालियावाले तुम्हें नमस्कार कहते हैं।
25 Die Gnade sei mit euch allen!
२५तुम सब पर अनुग्रह होता रहे। आमीन।