< 1 Mose 40 >
1 Nach diesen Geschichten begab es sich, daß der Mundschenk des Königs von Ägypten und der oberste Bäcker sich gegen ihren Herrn, den König von Ägypten, versündigten.
इन बातों के बाद यूँ हुआ कि शाह ए — मिस्र का साकी और नानपज़ अपने ख़ुदावन्द शाह — ए — मिस्र के मुजरिम हुए।
2 Da ward der Pharao zornig über seine beiden Höflinge, den obersten Mundschenk und den obersten Bäcker,
और फ़िर'औन अपने इन दोनों हाकिमों से जिनमें एक साकियों और दूसरा नानपज़ों का सरदार था, नाराज़ हो गया।
3 und ließ sie in Gewahrsam legen im Hause des Obersten der Leibwache, in den Kerker, in welchem Joseph gefangen lag.
और उसने इनको जिलौदारों के सरदार के घर में उसी जगह जहाँ यूसुफ़ हिरासत में था, क़ैद खाने में नज़रबन्द करा दिया।
4 Und der Oberste der Leibwache übertrug Joseph die Sorge für sie, und er diente ihnen, und sie waren längere Zeit im Gefängnis.
जिलौदारों के सरदार ने उनको यूसुफ़ के हवाले किया, और वह उनकी ख़िदमत करने लगा और वह एक मुद्दत तक नज़रबन्द रहे।
5 Und es träumte ihnen beiden in einer Nacht, einem jeden ein Traum von besonderer Bedeutung, dem Mundschenken und dem Bäcker des Königs von Ägypten, die in dem Kerker gefangen lagen.
और शाह — ए — मिस्र के साकी और नानपज़ दोनों ने, जो क़ैद खाने में नज़रबन्द थे एक ही रात में अपने — अपने होनहार के मुताबिक़ एक — एक ख़्वाब देखा।
6 Als nun Joseph am Morgen zu ihnen kam, sah er sie an und siehe, sie waren verdrießlich.
और यूसुफ़ सुबह को उनके पास अन्दर आया और देखा कि वह उदास हैं।
7 Da fragte er diese Höflinge des Pharao, die mit ihm im Gefängnis seines Herrn waren, und sprach: Warum macht ihr heute ein so finsteres Gesicht?
और उसने फ़िर'औन के हाकिमों से जो उसके साथ उसके आक़ा के घर में नज़रबन्द थे, पूछा कि आज तुम क्यूँ ऐसे उदास नज़र आते हो?
8 Sie antworteten ihm: Uns hat geträumt; und nun ist kein Ausleger da! Joseph sprach zu ihnen: Kommen nicht die Auslegungen von Gott? Erzählt mir's doch!
उन्होंने उससे कहा, “हम ने एक ख़्वाब देखा है, जिसकी ता'बीर करने वाला कोई नहीं।” यूसुफ़ ने उनसे कहा, “क्या ता'बीर की कुदरत ख़ुदा को नहीं? मुझे ज़रा वह ख़्वाब बताओ।”
9 Da erzählte der oberste Mundschenk dem Joseph seinen Traum und sprach: In meinem Traum, siehe, da war ein Weinstock vor mir,
तब सरदार साकी ने अपना ख़्वाब यूसुफ़ से बयान किया। उसने कहा, “मैंने ख़्वाब में देखा कि अंगूर की बेल मेरे सामने है।
10 und an dem Weinstock waren drei Schosse; und er grünte und blühte und seine Trauben wurden reif.
और उस बेल में तीन शाखें हैं, और ऐसा दिखाई दिया कि उसमें कलियाँ लगीं और फूल आए और उसके सब गुच्छों में पक्के — पक्के अंगूर लगे।
11 Ich aber hatte den Becher des Pharao in der Hand.
और फ़िर'औन का प्याला मेरे हाथ में है, और मैंने उन अंगूरों को लेकर फ़िर'औन के प्याले में निचोड़ा और वह प्याला मैंने फ़िर'औन के हाथ में दिया।”
12 Joseph sprach zu ihm: Dies ist die Bedeutung: Die drei Schosse sind drei Tage;
यूसुफ़ ने उससे कहा, “इसकी ता'बीर यह है कि वह तीन शाखें तीन दिन हैं।
13 in drei Tagen wird der Pharao dein Haupt erheben und dich wieder in dein Amt einsetzen, daß du dem Pharao den Becher reichest, wie du früher zu tun pflegtest, da du noch sein Mundschenk warst.
इसलिए अब से तीन दिन के अन्दर फ़िर'औन तुझे सरफ़राज़ फ़रमाएगा, और तुझे फिर तेरे 'ओहदे पर बहाल कर देगा; और पहले की तरह जब तू उसका साकी था, प्याला फ़िर'औन के हाथ में दिया करेगा।
14 Solltest du dann etwa an mich denken, wenn es dir gut geht, so tue Barmherzigkeit an mir und empfiehl mich dem Pharao, daß er mich aus diesem Hause entlasse;
लेकिन जब तू ख़ुशहाल हो जाए तो मुझे याद करना और ज़रा मुझ से मेहरबानी से पेश आना, और फ़िर'औन से मेरा ज़िक्र करना और मुझे इस घर से छुटकारा दिलवाना।
15 denn ich bin aus dem Lande der Hebräer gestohlen worden und habe auch hier gar nichts getan, wofür man mich einzusperren brauchte.
क्यूँकि इब्रानियों के मुल्क से मुझे चुरा कर ले आए हैं, और यहाँ भी मैंने ऐसा कोई काम नहीं किया जिसकी वजह से क़ैद खाने में डाला जाऊँ।”
16 Da nun der oberste Bäcker sah, daß Joseph eine gute Auslegung gegeben hatte, sprach er zu ihm: Siehe, in meinem Traum trug ich drei Körbe auf meinem Kopf,
जब सरदार नानपज़ ने देखा कि ता'बीर अच्छी निकली तो यूसुफ़ से कहा, “मैंने भी ख़्वाब में देखा, कि मेरे सिर पर सफ़ेद रोटी की तीन टोकरियाँ हैं;
17 und im obersten Korb war allerlei Backwerk für den Pharao; und die Vögel fraßen es mir aus dem Korb, der auf meinem Haupte war.
और ऊपर की टोकरी में हर क़िस्म का पका हुआ खाना फ़िर'औन के लिए है, और परिन्दे मेरे सिर पर की टोकरी में से खा रहे हैं।”
18 Da antwortete Joseph und sprach: Dies ist die Bedeutung: Die drei Körbe sind drei Tage;
यूसुफ़ ने उसे कहा, “इसकी ता'बीर यह है कि वह तीन टोकरियाँ तीन दिन हैं।
19 in drei Tagen wird der Pharao dich hinrichten und ans Holz hängen lassen, daß die Vögel dein Fleisch fressen werden.
इसलिए अब से तीन दिन के अन्दर फ़िर'औन तेरा सिर तेरे तन से जुदा करा के तुझे एक दरख़्त पर टंगवा देगा, और परिन्दे तेरा गोश्त नोंच — नोंच कर खाएँगे।”
20 Und es begab sich am dritten Tag, dem Geburtstag des Pharao, als er für alle seine Knechte ein Mahl veranstaltete, daß er das Haupt des obersten Mundschenken und des obersten Bäckers unter allen seinen Knechten erhob;
और तीसरे दिन जो फ़िर'औन की सालगिरह का दिन था, यूँ हुआ कि उसने अपने सब नौकरों की दावत की और उसने सरदार साकी और सरदार नानपज़ को अपने नौकरों के साथ याद फ़रमाया।
21 und den obersten Mundschenken setzte er wieder ein in sein Schenkamt, daß er dem Pharao den Becher in die Hand geben durfte;
और उसने सरदार साकी को फिर उसकी ख़िदमत पर बहाल किया, और वह फ़िर'औन के हाथ में प्याला देने लगा।
22 aber den obersten Bäcker ließ er hängen; wie Joseph ihnen gedeutet hatte.
लेकिन उसने सरदार नानपज़ को फाँसी दिलवाई, जैसा यूसुफ़ ने ता'बीर करके उनको बताया था।
23 Aber der oberste Mundschenk dachte nicht an Joseph, sondern vergaß ihn.
लेकिन सरदार साकी ने यूसुफ़ को याद न किया बल्कि उसे भूल गया।